हिन्दी सेक्स कहानी ससुर बहू के साथ

ही दोस्तो, उमिद इस सेक्स कहानी का पूरा मज़ा लेने के लिए “हवस के रिश्ते-3” ज़रूर पढ़िए. अब आयेज..

राम लाल अपने लंड धो कर बाहर आया. उसका लंड खड़ा हो रखा था और काफ़ी मोटा भी था.अनिता उनके लंड को देख कर पागल हो र्ही थी. वो उनके लंड को देख कर अपनी जीब को बाहर निकल र्ही थी.

उसके मूह से प्यासी जीव बाहर आ र्ही थी. और तो और थूक भी नज़र आ रा था. वो तो बस पागल हुए जा र्ही थी. और फिर उसके बाद ऐसे ही उसने राम लाल के लंड को यानी उनके मोटे लंड को हाथ मे ले कर उसपर नीचे करना शुरू कार्डिया.

फिर उसको एक दम से अपने मूह मे भर लिया. मूह मे भरते ही उसको प्यासो की तरह चूसने लग गयइ. उसको ये सब करने मे बहोट मज़ा आ रा था. और फिर उसके बाद ऐसे ही थोड़ी देर तक वो ऐसे करती र्ही.

राम लाल – बेटा तुम आचे से लाते जाओ ताकि मैं तुम्हे छोड़ साकु.

ये सुन कर अनिता बहोट ही खुश हो जाती है. और फिर तभी पापा जी के कहने पर लाते जाती है.

राम लाल – बेटा तुम ये हल्का सा पिल्लो भी अपने नीचे रख लो ताकि तुम्हे सही लगे.

अनिता – पर पापा ये क्यू रखू .

राम लाल – इसके रखने पर तुम्हारी छूट उपर की और उठ जाएगी.
एर फिर उसके बाद ऐसे ही वो करती है और फिर उसके बाद राम लाल अपना लंड उसकी छूट पर रखता है और ज़ोर का धक्का दे देता है. जिससे की वो आह आहह करने लग जाती है.

और फिर ऐसे ही वो उसे छोड़ने लग जाता है.

अनिता भी मज़े से उसको छोड़ती है. और तो और ऐसे ही चुड्ती रहती है. दोनो खूब मज़े ले र्हे होते है और तभी अनिता की छूट अपना पानी छोड़ने लग जाती है और उनके लंड को जकड़ने लग जाती है.

अनिता – आपका लंड तो बहोट ही कमाल का है. उसने तो मेरी छूट को एक दम से जेसे शांत ही कार्डिया है.

राम लाल – तो तेरी चूत कॉन्सा कम है. उसने भी तो मेरे लंड को ऐसे जाकड़ रखा है जेसे की टा न्ही क्या है.

अनिता – पापा जी सच बताओ आपके इस मोटे तगड़े लंड पर काई औरतो ने सवारी करी होगी ना.

राम लाल – हाँ वो तो है और मेरे पास इसका हिसाब भी न्ही है. पर जो भी हो मज़ा बहोट आया है और खूब चुदाई भी करी है.

राम लाल – पर बहू एक बात का ध्यान रखना.

अनिता -क्या बात है पापा जी.

राम लाल – हुमारी पड़ोसन को ये बिल्कुल भी खबर न्ही होनी चाहिए की हुमारे बीच कुछ हुआ है या कुछ है. नही तो वो ये सब शोर मचा देगी और फिर उसके बाद हुमारी बहोट बुरी तरह से बदनामी हो जाएगी.

अनिता – पापा जी आपको क्या लगता है की मैं ऐसे क्या करूँगी. मुझे भी टा है की इसमे बहोट बदनामी है. और मैं खुद न्ही चाहूँगी की इसमे हुमारी बदनामी हो.

राम लाल – ह्म तुमने ये बिल्कुल सही खा. और मैं ये आचे से जनता हूँ. और तो और मेरा तुझ पर पूरा विश्वास है.

अनिता – वो तो आपका शुक्रिया.

राम लाल – हंजी.

और तो और दोनो ही एक दूसरे मे ल्गे र्हे. राम लाल आचे से उसे छोड़ी जा रा य्चा और तो और वो पागल हो र्ही थी.

अनिता – पापा जी आपसे एक बात पूछनी थी.

राम लाल – हाँ बहू पूछो. इसमे ऐसे कहने वाली क्या बात है.

अनिता – आप ये ब्ताओ की साथ वाली पड़ोसन भी आपके नीचे आई है या न्ही.

ये बात सुन कर वो ज़ोर ज़ोर से हासणे लग गया और कहने ल्गा. – वो तो एक बार न्ही टा न्ही कितनी बार चूड़ी है. और तो और वो बहोट ही मज़े लेती है.

अनिता – ये तो बहोट अची बात है. वेसए आप ये ब्ताओ आपका इस मोटे लंड को सासू मा ने सुहग्रत पर केसे शॉया होगा.

राम लाल – ये तो तू पूछ मत. बहू उस टाइम मैं भी बच्चा था. मुझे भी इतना खा टा था. की अब क्या करना है केसे करना है. और तो और मेरी उमर भी 18 साल की थी. तो उस दिन मैने उसे बिना कुछ सोचे बिना कुछ समझे थोक ही दिया. उस टाइम तो उसका इतना खून निकला की वो 2 दिन तक चलता रा.

और फिर उसके बाद जब मैने 2 दिन बाद छोड़ा तो सबसे पहले उसको गरम किया. और फिर वो जब गर्अ हो गयइ तो खुद ही अंदर लेने को कहने लगी और फिर उसके बाद मैने उसकी छूट मे ज़ोर से दे डाला. और खूब चुदाई कर र्ही डाली.

अनिता – तो आप अब मेरा भी यही हाल करदो. मेरो छूट को इतना कॉर्ड कॉर्ड क्र बुरा हाल करदो. मैं आपकी दीवानी हो जौंगी.

राम लाल – अरे बहू इसमे भी कहने वाली बात है क्या. ये तो मैं ऐसे ही कर डालु.

अब राम लाल ने अपने मोटे लंड पर आयिल ल्गया और उसको उसकी छूट मे डाल कर छोड़ने लग गया. दोनो को ही बहोट मज़ा आ रा था. अनिता अपने बूब्स को भी उसके मूह मे दल कर चुस्वा र्ही थी. और फिर ऐसे ही दोनो पागल हो र्हे थे.

उनकी ये चुदाई लगभग 1 घंटे तक चली. जिसमे उन्होने काई नये नये पोज़ बनाए और तो और ऐसे ही काफ़ी देर तक चुदाई का खेल खेलते र्हे. और फिर दोनो का ही एक साथ निकल गया. दोनो ऐसे ही एक दूसरे से लिपट कर सो गये.

रत को जब भी उठते तो फिर से शुरू हो जाते. ऐसे ही काफ़ी देर तक चलता रा. रत को वो तो बस अपनी ससुर की बहो मे लिपटी हुई थी. उस रात अनिता चार बार चूड़ी.

बस तब से रिश्ते बदल गये. अनिता को अपने पति का होना या ना होना कुछ मायने न्ही लगता था. और तो और वो अब अपने ससुर को पूरी सेवा भी करती थी क्योकि वो चाहती थी की उसका लंड ऐसे ही रहे.

अनिता सबके सामने अपने ससुर को पापा जी कह कर आशीर्वाद लेती थी और रात को खूब चुड्ती थी. राम लाल भी सबके सामने उसको अपनी बहू अपनी बेटी कह कर पुकारता था पर रत को रमई, मेरी जान कह कर छोड़ता था. और तो और वो अनमोल अपने बेटे को ही हर जगह भेजता था ताकि अपनी बहू साथ रत बिताने का मोका मिल जाए.

तो बे कंटिन्यूड.. [email protected]