हवस भारी आंटी की चूत चुदाई की कहानी

ही फ्रेंड्स, मैं कारण वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. पिछला पार्ट आप सब को पसंद आया, इस बात की खुशी है मुझे. अगर आपने पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो प्लीज़ पहले वो ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मैं अपने दोस्त के साथ चंडीगार्ह में एग्ज़ॅम देने गया था. और वाहा हम उसकी मौसी के घर रुके थे. उसकी मौसी के साथ मेरा नैन-मटक्का शुरू हो गया, और मेरी और आंटी की किस हो गयी. अब आयेज बढ़ते है.

अब मैं रूम में था, और सोने की कोशिश कर रहा था. वरुण जल्दी ही गहरी नींद सो गया. रात के 11 बाज रहे थे. जब मैने देखा वरुण गहरी नींद में था, और मेरे आवाज़ देने पर भी खड़ा नही हो रहा था, तो मैने अपने पाजामे से लंड बाहर निकाल लिया.

फिर मैं आंटी के बारे में सोचते हुए लंड हिलने लग गया. तभी दरवाज़े पर हल्का सा नॉक हुआ. मैं दर्र गया, और जल्दी से लंड पाजामे के अंदर डाल लिया. फिर मैं खड़ा हुआ, और दरवाज़ा खोला.

मैं हैरान हो गया, जब मैने आंटी को बाहर खड़े हुए देखा. आंटी ने मुझे देखते ही अपने मूह पर फिंगर रख कर चुप रहने का इशारा किया. फिर उन्होने मुझसे इशारे में पूछा, की वरुण सो गया या नही.

मैने हा में सर हिलाया. फिर आंटी ने आयेज बढ़ कर मेरा हाथ पकड़ा, और मुझे बाहर खींच लिया. उसके बाद हमने आराम से दरवाज़ा बंद किया, और आंटी मुझे एक रूम में ले गयी. वो रूम 1स्ट्रीट फ्लोर पर था, जबकि सब लोग ग्राउंड फ्लोर पर थे.

जब से आंटी ने मेरा हाथ पकड़ा था, मेरा लंड खड़ा हुआ था. फिर रूम के अंदर जाते ही आंटी मेरे करीब आई और बोली-

आंटी: जो काम नीचे अधूरा रह गया था, वो पूरा कर ले?

मैं: बिल्कुल आंटी, ये काम पूरा करना बहुत ज़रूरी हो गया है.

और मैने नीचे अपने लंड की तरफ इशारा कर दिया. आंटी ने पाजामे के उपर से ही मेरा लंड पकड़ लिया, और अपना मूह मेरे मूह के पास ले आई. हमारे होंठ मिले, और वासना से भारी हुई किस शुरू हो गयी.

मैं और आंटी एक-दूसरे के होंठ पकड़-पकड़ कर चूस रहे थे. वो किस के दौरान मेरा लंड मसल रही थी, और मैं अपना एक हाथ उनके चूतड़ पर रख कर उनका चूतड़ दबा रहा था. बहुत मज़ा आ रहा था. हम खड़े-खड़े ही ये कर रहे थे.

फिर आंटी ने किस तोड़ी, और घुटनो के बाल बैठ गयी. उन्होने मेरा पाजामा और अंडरवेर साथ में नीचे किए, और मेरा लंड उछाल कर उनके सामने आ गया. फिर आंटी ने मेरा लंड अपने हाथ में पकड़ा, और खुश हो गयी.

उन्होने मेरी तरफ देख कर एक स्माइल पास की, और देखते ही देखते लंड अपने मूह में ले लिया. वाह, क्या सीन था. जब एक सेक्सी औरत आपका लंड अपने मूह में लेती है, और वो भी आपकी तरफ देखते हुए, तो उसका मज़ा वही समझ सकता है, जिसके साथ ये सब हुआ हो.

वो लंड चूसने लगी, और मैं हल्की-हल्की कमर आयेज-पीछे करने लगा. आंटी पूरा लंड गले तक ले रही थी, और मुझे ज़ोर लगाने की ज़रूरत ही नही पड़ी. जब लंड पूरी तरह से चिकना हो गया, तो आंटी ने लंड मूह से निकाल दिया, और खड़ी हो गयी.

फिर उन्होने अपनी निघट्य खोल दी. और मेरी तो एग्ज़ाइट्मेंट से आँखें बाहर आने वाली हो गयी. निघट्य के अंदर आंटी ने रेड ब्रा और पनटी पहनी हुई थी. उनके मोटे-मोटे बूब्स, और भारी जांघें कमाल की लग रही थी. पेट उनका बिल्कुल हल्का सा निकला हुआ था, जो बहुत सेक्सी लग रहा था. फिर आंटी बोली-

आंटी: अब चाटने की बारी तुम्हारी है.

मैं जल्दी से घुटनो पर बैठा, और आंटी की पनटी नीचे कर दी. उनकी छूट पर हल्के बाल थे. क्या मस्त छूट थी आंटी की. मैने देखते ही छूट पर अपना मूह लगा लिया, और उसको चाटने चूसने लग गया. अब आंटी गांद हिला-हिला कर मुझसे छूट चुस्वा रही थी.

मेरे पीछे दीवार थी. आंटी ने एक हाथ दीवार पर टीका लिया, और दूसरा हाथ मेरे सर पर रख लिया. फिर वो मेरे सर को अपनी छूट में दबाने लगी, और मुझे ज़ोर-ज़ोर से चाटने को बोलने लगी. अर्रे ऐसी खूबसूरत औरत को तो मैं टट्टी भी खा जौ. ये तो बस छूट चूसने की बात थी.

कुछ देर छूट चुसवाने के बाद आंटी ने मुझे त-शर्ट के कॉलर से पकड़ा, और बेड तक ले गयी. उन्होने अपनी निघट्य और ब्रा निकाल दी, और बेड पर लेट गयी. फिर वो बोली-

आंटी: आजा, और छोड़ मुझे अब.

मैने अपनी त-शर्ट उतरी, और आंटी के उपर आ गया. आंटी ने अपनी टांगे खोल कर मेरा स्वागत किया. मैने अपना लंड हाथ में लिया, और आंटी की छूट पर घिसने लगा. फिर आंटी ने अपने दोनो हाथो से अपनी छूट को खोला.

मैने उनकी छूट के मूह पर अपना लंड टीकाया, और गांद आयेज करके लंड अंदर डालने लगा. आंटी आहह आ करने लगी, और मेरे मूह से भी आहह निकालने लगी. गीली छूट में लंड सपाक करके चला गया. छूट बहुत ही गरम थी, और ज़्यादा ढीली नही थी.

फिर आंटी ने मुझे बाहों में भर लिया, और मेरे मूह में अपना एक बूब्स डाल दिया. मैने आंटी के बूब को चूसना शुरू किया. फिर आंटी ने मेरी गांद पर हाथ रख कर धक्का दिया. मैं समझ गया, की अब चुदाई शुरू करनी थी. मैं अपनी कमर आयेज-पीछे हिलने लगा, और मेरा लंड आंटी की छूट छोड़ने लगा.

मैने कभी सोचा भी नही था, की ऐसी सेक्सी आंटी को छोड़ने का मौका मिलेगा. धीरे-धीरे मैने चुदाई की स्पीड बधाई, और ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने लगा, जैसे पॉर्न में देखा था. मैने अपने होंठ आंटी के होंठो के साथ लगा दिए, और हाथ उपर करके पकड़ लिए.

क्या ज़बरदस्त माल थी यार. पूछक-पूछक की आवाज़ आ रही थी. फिर मैने आंटी की टांगे उठाई, और पूरा ज़ोर लगा कर उनकी छूट छोड़ने लगा. आंटी आ आ कर रही थी. 15 मिनिट की चुदाई के बाद मैं झड़ने वाला था. इससे पहले की मैं झाड़ता, पीछे से दरवाज़ा खुलने की आवाज़ आई. हम दोनो दरवाज़े की तरफ देखने लगे, और मेरा लंड दर्र से छूट में ही सिकुड गया.

दरवाज़ा किसने खोला था, और आयेज क्या हुआ, ये आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी का मज़ा आ रहा हो, तो मुझे गुलाटी.गुलाटी555@गमाल.कॉम पर मैल करके फीडबॅक ज़रूर दे. पॉर्न वीडियोस, वेबसेरीएस, मूवीस के लिए भी कॉंटॅक्ट करे.