ग्रुप सेक्स – समूह में चुदाई – भाग 1

ये हिंदी चुदाई कहानी पूर्णतया काल्पनिक है और केवल मनोरंजन के लिए लिखी गयी है।

इस भाग में – मैं जसप्रीत -जस्सी, सपना मेहता के घर I

“हैलो – नमस्ते, सतश्री अकाल जी”।

“मैं हूं जसप्रीत – जस्सी। चंडीगढ़ में पैदा हुई, चंडीगढ़ में ही बचपन बीता चंडीगढ़ में ही पढ़ाई हुई और शिमला के हिमाचली लड़के राजेश – राज – से शादी हो गई”।

“मम्मी पापा ने राज को पसंद किया और मैंने हां कर दी – अरेंज्ड मैरिज”।

“किसी लड़के से प्यार मुहब्बत इस लिए नहीं हुई क्यों कि शादी से पहले होने वाले प्यार मुहब्बत में मेरी कभी कोइ दिलचस्पी नहीं रही”।

“मेरे उच्च विचारों के हिसाब से बस लड़का देखने में एकदम मस्त होना चाहिए, कमाता अच्छा हो और लंड लम्बा, मोटा और सख्त हो I और सब से बड़ी बात लड़का चुदाई मस्त करता हो – प्यार व्यार तो हो ही जाता है”।

“राजेश – राज ऐसा ही लड़का है”।

“राज का शिमला में अपना स्टेशनरी का कारोबार है। सरकारी दफ्तरों में और बड़े होटलों में थोक में स्टेशनरी की सप्लाई का काम है। बढ़िया कमाई है। छोटे शिमले में अपना चार कमरे का फ़्लैट है”।

“शादी से पहले हम तीन चार बार मिले। कालका शिमला सड़क के रास्ते में कई ऐसे होटल हैं जो घंटों के हिसाब से भी कमरे देते हैं। लड़के लड़कियां – चंडीगढ़ के खासकर, चुदाई करने के लिए वहां जाते हैं”।

“मैं जाती रही हूं इन होटलों में”।

“ऐसे ही होटल में राज एक बार मुझे ले गया। खूब चूमा चाटी हुई। अगर वो कहता की उसने मेरी चुदाई करनी है, तो मैं मान भी जाती”I

“हर्ज ही क्या है शादी की बाद भी तो चुदाई ही होनी होती है – और मैं ही कौन सा पहले से नहीं चुदी हुई थी”।

“मगर राज ने बस चूमा चाटी ही की चुदाई के लिए कहा ही नहीं”।

“उसी चूमा चाटी दौरान मैंने उसका लंड पकड़ कर देख लिया था I बढ़िया था – लम्बा और मोटा”।

“उसी लड़के राज के साथ मेरी शादी हो गयी – चंडीगढ़ में – एक महीना पहले” I

“चलिए अब असली बात पर आते हैं – सुहागरात से ही शुरू करते हैं”I

“वो रात मेरी सुहागरात थी – सीधी सादी भाषा में कहें तो चुदाई की पहली रात”।

“रात आयी और गुज़र गयी”।

“पुराने जमाने में हुआ करती थीं हंगामाखेज सुहागरातें।

“चूत की सील फट गयी जी – खूब खून निकला चूत में से”।

“लड़का खुश कि चूत की सील उसने ही तोड़ी है – बिना चुदी फुद्दी वाली कुंवारी लड़की के साथ शादी हुई है”।

“अब तो सुहागरात भी ऐसे होती हैं जैसे तीन घंटे की फिल्म देख रहे हों। फिल्म शुरू हुई और तीन घंटे के मनोरंजन के बाद खत्म”।

“वक़्त जो बदल गया है”।

“वैसे भी कई अखबारों में सर्वे आते रहते हैं की अधिकतर लड़कियां सोलह कि उम्र तक पहुंचते पहुंचते चुद चुकती हैं”।

“ऐसे सर्वे पूरी तरह गलत भी नहीं होते। किसी की और क्या बात करनी, मैं तो खुद सत्रह की उम्र में चुद गयी थी”।

“वैसे आजकल लड़कियां ना भी चुदें तो भी चूत में उंगली तो करती ही हैं। अब ऐसे में चूत की सील कहां बचेगी। लड़की ना भी चुदी हो तो भी सील खत्म हो जाती है। आजकल के लड़के भी ये सब जानते हैं, इस लिए चुदाई के बाद ये नहीं देखते की चूत में से खून निकला या नहीं। उन्हें भी पता ही होता है अब चुदाई में खून वून नहीं निकलता”।

“पहली चुदाई के दौरान खून निकलना अब इतिहास कि बाते हैं – आज कल ऐसा कुछ नहीं होता”।

“खैर….. मैं यहां अपनी सुहागरात कि बात बता रही थी”।

“वो रात को मेरी सुहागरात थी – चुदाई की पहली रात”।

“चुदाई मेरी अच्छी हुई। राज ने लंड अंदर बाहर करके खूब धक्के लगाए I चुदाई के दौरान दो बार मेरी चूत ने पानी छोड़ा। मगर फिर भी मुझे लग रहा था जैसे कुछ रह गया है”।

“कुछ ऐसा, जो होना चाहिए था, मगर नहीं हुआ”।

“कुछ तो गड़बड़ थी”।

“राज ने मुझे चोदा जरूर था, मगर न तो मेरी चूत चूसी, न गांड चाटी, न गांड में उंगली की और ना ही मुझ से अपना लंड चुसवाया”।

“अब ऐसा भी तो नहीं होता”।

“पहली रात को तो लड़के दुनिया भर की अजीब गरीब हरकतें करते हैं – लड़कियों को तो चलो थोड़ा शर्माना ही पड़ता है। यहां – मेरी सुहागरात में तो ऐसा कुछ भी नहीं हुआ – राज ने चुदाई से पहले या बाद में कोइ अजीब हरकत नहीं की। सीधी चुदाई और बस”।

“मगर ये उसी दिन की बात नहीं थी, आगे की चुदाईओं में भी ऐसा कुछ नहीं हुआ, मतलब चूत चुसाई, गांड में उंगली, लंड चुसाई I कुछ भी नहीं हुआ”।

“फिर एक दिन मुझे पता चला की राज लड़कों के साथ भी “कुछ कुछ ” करता है। राज की दिलचस्पी लड़कों में भी है”।

“हुआ ये की राज का शिमला में ही एक दोस्त है सुमित मेहता। उसकी बीवी है सपना मेहता। एक दिन उन लोगों ने हमे रात के खाने पर बुलाया”।

“छोटे शिमले में ही हमारे घर से थोड़ी दूरी पर ही उन लोगों का घर है – हमारे घर जितना ही बड़ा घर। चार कमरों वाला”।

“हम शाम को जल्दी ही चले गए की चलो कुछ गपशप भी करेंगे”।

“25 साल के सुमित की शादी भी छह सात महीने पहले ही हुई थी 26 वर्षीय पत्नी सपना मेहता से – लव मैरेज – प्रेम विवाह”।

“सपना मुझे बड़ी ही अच्छी लड़की लगी। हंसमुख, सुन्दर और सेक्सी”।

“खूब बड़ी बड़ी बड़ी चूचियां और बड़े बड़े चूतड़। 40 – 29 – 44 साइज़ वाला शरीर। किसी किसी का होता है ऐसा जिस्म। चुदाई करने के लिए एकदम दुरुस्त – परफेक्ट I

“और फिर 44 इंच के भारी चूतड़ों वाली लड़की की गांड चोदने को तो लड़के वैसे ही बेताब रहते हैं “।

“कोइ भी को देखे तो सब से पहले यही ख्याल उसके दिमाग में आएगा – “यार किसी तरह इस लड़की की गांड चोदने को मिल जाये “I

“कुछ देर बातें करने के बाद सुमित और राज उठ कर दूसरे कमरे में चले गए और दरवाजा बंद कर लिया”।

“मैंने सोचा ड्रिंक वगैरह का प्रोग्राम होगा – बीवियों के सामने दारू नहीं पीना चाहते होंगे”।

“मगर आधे घंटे से ज्यादा हो गया, वो दोनों कमरे में ही बैठे हुए थे”।

“दारू भी पीनी हो तो भी बंदा घर में इधर उधर तो घूमता ही है – कभी बर्फ चाहिए होती है कभी नमकीन”।

मैंने सपना से पूछा, “सपना ये क्या कर रहे इतनी देर से”?

सपना हंसी और बोली, “अपना काम कर रहे होंगे “।

मुझे सपना की हंसी कुछ अजीब सी लगी। और अपना काम ? “सीधा भी तो कहा जा सकता था दारू पी रहे होंगे”।

मैंने पूछा, “अपना काम मतलब”?

अब सपना ने थोड़ा हैरानी से पूछा, “क्या तुम्हें नहीं मालूम”?

मैंने हैरान हो कर पूछा “मुझे क्या नहीं मालूम”।

सपना बोली, “कमाल है ? इसका मतलब है तुम्हें सच में ही नहीं मालूम”?

फिर थोड़ा रुक कर धीरे से बोली जैसे कोइ राज की बात बता रही हो, “ये दोनों हेटेरोसेक्सुअल हैं” I

अब हैरान होने की बारी मेरी थी। “हेटेरोसेक्सुअल ? तुम्हारा मतलब आधे गे – यानि आधे समलिंगी ? आधे लौण्डेबाज – आधे नार्मल”?

सपना ने हां में सर हिलाया और फिर बोली, “तुम्हें नहीं पता ? आओ दिखाती हूं”।

सपना उठी और उस कमरे की तरफ गयी।

दरवाजा हल्का खुला था। सपना ने दरवाजे को थोड़ा सा धक्का लगाया और मुझसे बोली, “देखो”।

जो मैंने देखा वो हैरान करने वाला था। “सुमित और राज दोनों नंगे थे और इस तरह से एक दूसरे पर लेटे हुए थे और एक दूसरे का लंड चूस रहे थे”।

मेरे मुंह से इतना ही निकला, “हे भगवान”।

मैंने सपना से पूछा “तुम्हें मालूम है ये सब ? तुम सुमित को मना नहीं करती? तुम्हे कोइ एतराज़ नहीं “?

सपना बोली, “अब मालूम है। पहले मालूम नही था। शादी की पहली रात – सुहागरात को कुछ कुछ शक तो हुआ था, मगर ये नहीं पता था की बात यहां तक पहुँची हुई है कि ये मर्द लोग एक दुसरे का लंड भी चूसते हैं। अब मैं क्या मना करूं और क्या ऐतराज करूं”।

“एक बार मैंने पूछा भी था, सुमित,ये सब क्या है ? सुमित ने हंस कर जवाब दिया, अरे कुछ नहीं ऐसी ही थोड़ी मस्ती कर लेते हैं”।

“और जस्सी सही पूछो तो मेरी चुदाई तो वो करता ही है। लम्बा मोटा लंड है। चूत में डालता है धक्के लगाता मेरा भी पानी छुड़ाता है, अपना भी गर्म पानी मेरी चूत में डालता है I बस यही दिक्क्त है की लड़कों में भी दिलचस्पी रखता है”।

सपना मुझसे पूछा, “अच्छा जस्सी तुम एक बात बताओ, जब राज ने तुम्हें पहली रात को चोदा था, तो कुछ ऐसा नहीं लगा था कि कुछ ऐसा है जो उसकी चुदाई में नहीं है”।

सपना की बात से मुझे थोड़ी हैरानी हुई। मुझे सच में ही राज की पहले दिन की चुदाई में ऐसा लगा ही लगा था।

मैंने तो उस रात – सुहागरात – वाली चुदाई के बाद भी सोचा था, “क्यों उसने मुझसे लंड नहीं चुसवाया, क्यों मेरी गांड में उंगली नहीं की। क्यों मेरे चूत नहीं चूसी। क्यों उसने मुझे रगड़ कर नहीं चोदा, क्यों मेरी चूत का भुर्ता नहीं बनाया। ऐसे क्यों नहीं चोदा जैसे मेरी चूत फाड़ ही देना चाहता है”।

लड़के तो पहली रात को बीवीयां ऐसे ही तो चोदते हैं।

मैंने धीरे से सपना को जवाब दिया, “लगा तो था”।

सपना ने पूछा, “फिर क्या किया तुमने “?

मैंने कहा, “कुछ नहीं। यही सोचा की चलो चुदाई तो ठीक ही की राज ने “।

सपना ने कहा, “बिलकुल यही मैंने भी सोचा था। हमारी – मेरी और सुमित की तो उलटा लव मैरिज थी – प्रेम विवाह। मगर फिर भी मैं सुमित की ये कमी नहीं पकड़ सकी”।

सपना बता रही थी। “कालेज के दिनों में मैं और मेरी सहेलियां खूब चूत चुसाई करती थीं। तरह तरह की चीजे अपनी और एक दूसरी की चूत में डालती थीं। यही बातें किया करती थीं की ऐसा चोदने वाला मर्द मिलेगा जो चोद चोद कर चूत फुला देगा – गांड सुजा देगा। चूतड़ चाटेगा, चूतड़ों पर दांतों से काटेगा”।

तभी मुझे याद आया कि असल में चंडीगढ़ में मैं भी तो ये सब करती थी – अपनी सहेलियों के साथ ।

मेरी क्लास में ही पढ़ने वाली मेरी तीन सहेलियां हरसिमरन, रानी और प्रीती दुसरे शहरों से चंडीगढ़ में पढ़ने आयी थीं।

घर से हर महीने अच्छे खासे पैसे आते थे। उन्होंने चार कमरे का एक मकान ही किराय पर ले लिया था और तीनो इक्क्ठी रहती थी।

मैं अक्सर उनके मकान में आया जाया करती थी ।

हमारे सेक्टर में ही वो मकान था – पैदल दस मिनट का रास्ता।

वहां चारों आपस में खूब मस्ती करती थीं। एक दूसरी की चूत चूसना। गांड चाटना। दो प्लास्टिक के लंड भी थे – ये मोटे और लम्बे। एक दूसरी की चूत में डालतीं थीं और चूत का पानी छुड़ाती थी।

एक बार तो मजाक मजाक में हरसिमरन ने मोटा खीरा ही डाल लिया था अपनी चूत में। सब बहुत हंसी थी। और फिर सब ने वो खीरा बारी बारी अपनी चूत में डाला – मैंने भी।

मुझे भी ये सब करने में बड़ा मजा आता था। “मतलब हमारे मन में भी ऐसी ही चुदाई की इच्छा थी जैसी अभी सपना ने बताई थी – ऐसा चोदने वाला मर्द मिलेगा जो चोद चोद कर चूत फुला देगा – गांड सुजा देगा। चूतड़ चाटेगा, चूतड़ों पर काटेगा”।

तब ऐसा लंड तो मिलता नहीं था, ऐसी चीजें ही चूत में ले कर यही हम लड़कियां अपनी तसल्ली करती थीं।

सपना की बात सुन कर मैंने सोचा मैं अकेली नहीं थी। मेरी जैसी बहुत सारी लड़कियां हैं जिनकी बहुत सारी लड़कियों की मन मर्जी वाली चुदाई नहीं हो पाती।

मैंने सपना से पूछा, “अच्छा ये बताओ सपना, अगर तुम्हारा अपनी चूत” – अब मुझे लगा कि सपना से खुल कर ही बात करनी चाहिए – “अपनी चूत चूत चुसवाने का मन करे या चूत रगड़वा कर चुदवाने का मन करे तो फिर तुम क्या करती हो”?

सपना खुल कर हंसी, “सारी बात आज ही जाननी है क्या?

जब सपना खुल कर हंसती थी तो उसकी 40 साइज़ की चूचियां और 44 साइज़ के चूतड़ मस्त हिलते थे।

सपना मेरे पास आयी, मुझे उठाया। कस के मुझे अपनी बाहों में लिया और मेरे होंठ चूसने लगी। 40 इंच की चूचिया जब मेरी चूचियों के साथ चिपकी तो मुझे मजा ही आ गया।

होंठ चूसने के साथ साथ सपना मेरी चूचियों पर अपनी चूचियां भी रगड़ रही थी।

राज ने सुहागरात वाले दिन जब मेरे होंठ चूसे थे उस चुसाई में भी इतना मजा नहीं था।

धीरे धीरे हम एक दूसरी की चूत सहलाने लगीं। इसके बाद जो हुआ वो कमाल था – ऐसा कमाल जो चंडीगढ़ में मेरी सहेलियों के साथ होता था। अव्वल दर्जे की चूत चुसाई, गांड चटाई और चूत में उंगली ।

सपना और मैं हम दोनों ही इस चुसाई और ऊंगलीबाजी के दौरान झड़ गयीं।

मेरा सपना के साथ ये पहली बार हो रहा था इस लिए मुझे कुछ अटपटा लग रहा था, मगर सपना बिलकुल नार्मल थी। इसका मतलब था कि वो अभी भी ये सब करती रहती थी।

सपना ने मुझसे पूछा, “मजा आया “?

अब मैं क्या बोलती मजा तो मुझे आया ही था I

सपना मुझ से बोली, “जस्सी अब समझ आया कि अगर लड़की की मस्त चुदाई ना हो तो फिर लड़की क्या करती है ? मजा लेने के लिए चूत चूसनी हो या लड़की से चूत चुसवानी हो तो लड़की मिल ही जाती है ? जैसे आज तुम मुझे मिल गयी। जैसे आज मैं तुझे मिल गयी”I

मैंने सपना से पूछा, “अब और ये दोनों क्या करेंगे”? मेरा मतलब राज और सुमित से था।

सपना ने बिना किसी हिचकिचाहट के जवाब दिया, “ऐसे ही एक दुसरे का साथ मस्ती करेंगे I झड़ना होगा तो झड़ जायेंगे। नहीं तो खड़े लंड ले कर हमे चोदने आ जायेंगेI मगर ध्यान हमारी चुदाई की तरफ कम एक दुसरे के लंडों की तरफ ज़्यादा होगा। चुदाई करेंगे – रगड़ाई नहीं करेंगे जो हमे चाहिए। “।

मैंने सपना से पूछा,”सपना तुम्हें ये सब बुरा नहीं लगता “?

सपना बोली, ” लगता है क्योंकि मुझे सुमित से कहना पड़ता है की मुझे कैसी चुदाई चाहिए। जैसे चोदने को कहती हूं वैसे चोदता है। जैसे मैं कहती हूं वैसे करता है – चूत में गांड में मुंह में – जहां कहती हूं लंड डाल कर चुदाई कर देता है और गर्म खुशबूदार पानी निकाल देता है – मगर मेरे कहने के बाद। आधा मजा तो कहने से ही खत्म हो जाता है”।

“होना तो ये चाहिए की तुम्हें पता भी ना हो की आज कैसी चुदाई होने वाली है – सरप्राईज़”।

मैंने फिर पुछा, “तुम्हें शादी से पहले ये सब पता था “?

सापना ने जवाब दिया, “नहीं पता था। या कहो तो नहीं पता चला। हमारी तो लव मैरिज है – प्रेम विवाह – हम होटलों में मिलते भी थे। चुदाई भी हुई मगर वही बात है चुदाई तो हुई मगर रगड़ाई नहीं हुई। मैंने भी यही सोचा शादी से पहले रगड़ कर चोदने में सुमित हिचकिचा रहा होगा। बस यही गलती हो गयी”।

मैंने पूछा, “अच्छा सपना अब इस कमी को पूरा करने के लिए क्या करती हो”?