कहानी जिसमें घर में एक ही बार में अलग-अलग चुदाईयां हुई

शराब का सुरूर और तीन-तीन पानी छोड़ती चूतों की खुशबू, ऊपर से चुदाई की मस्ती की सिसकारियां। सब तरफ चुदाई का माहौल था। संधू ज्योति और शीला पर पिला पड़ा था। बारी-बारी दोनों की चुदाई कर रहा था। मैं नैंसी की चूत और गांड के मजे लूट रहा था।

कुल मिला कर सब के सब चुदाई के मौज मस्ती में डूबे हुए थे।

दस मिनट की चुदाई के बाद नैंसी मस्त हो गयी और आह जीत ओह जीत बोलने लगी। अचानक से नैंसी चूत चुदवाते-चुदवाते मेरे कान में बोली, “जीत अगर मैं तुझे अपने घर बुलाऊं, तो तू आएगा मुझे चोदने?”

मैंने भी कहा, “क्यों नहीं आऊंगा भरजाई। मुझे तो आपको चोद कर मजा ही बड़ा आया है, ख़ास कर आपकी गांड चोद कर।”

नैंसी उसी मस्ती में बोली, “जीते गांड तो तूने मेरी ऐसे चोदी है कि लगता है फूल ही गयी है। गांड की इतनी रगड़ाई तो कभी परम (परमजीत संधू) ने भी नहीं की जो कि गांड चोदने का बहुत ज्यादा शौक़ीन है।”

नैंसी बातें भी कर रही थी, और चुदाई भी करवा रही थी। अचानक से नैंसी चुप हो गयी, और नीचे चूतड़ घुमाने लगी। साथ-साथ नैंसी सिसकारियां ले रही थी, “आह जीत, क्या यार तू कैसे चोद रहा है। जन्नत में हूं मैं। आह जीत आह, निकला मेरा जीत। रगड़ दे मेरी फुद्दी, फाड़ दे जीत आह। लगा रगड़ा ऐसे ही आह निकलेगा मेरा अब। जीत आह जीत रुकना मत अब आह, जीत तू भी अंदर ही निकाल दे आह आह आह जीत, डाल दे अंदर आह आहा आहा I

और नैंसी भरजाई का पानी निकल गया, मजा आ गया था भरजाई को I दो चार धक्कों के बाद मेरा भी पानी निकला, और नैंसी की चूत भर गयी। मैंने लंड चूत में से निकाला, और नैंसी के पास ही लेट गया।

नैंसी बोली, “जीत तेरा लंड तो लगता है बड़ा पानी छोड़ता है। भर दी मेरी फुद्दी। जवान मर्द से चुदाई करवाने का यही तो मजा है।

कुछ देर ऐसे ही लेटा रहने के बाद मैं बिस्तर से उठा, अंडरवियर पहना, जैल की ट्यूब नैंसी के हाथ में पकड़ाई और बोला, “चलें भरजाई बाहर?”

नैंसी भी बोली “चल, देखें क्या माहौल है उधर। क्या गुल खिला रहा है परम।”

मैंने अंडरवियर पहन लिया था। मगर नैंसी नंगी ही बाहर चल पड़ी।

मैंने तो बताया ही है, दो मर्द एक दूसरे के सामने नंगे नहीं होते, जब तक वो दोनों लौण्डेबाज़ ना हों ( एक दूसरे की गांड ना चोदते हों)। मगर औरतें दूसरी औरतों के सामने फटाफट, बिना मतलब ही नंगी हो जाती हैं।

बाहर सोफे पर शीला बैठी थी, नंगी, अपनी चूत पर हाथ फेर रही थी।

हम लोग भी बैठ गए, और ज्योति और संधू का इंतज़ार करने लगे। कुछ ही देर में ज्योति और उसके पीछे-पीछे संधू भी आ गया। संधू ने अंडरवियर पहना हुआ था, मगर ज्योति नंगी ही थी।

तीन-तीन नंगी खूबसूरत गोरी चिट्टी चिकनी, बिना झांट के बालों वाली चूतें देख कर मेरे लंड में फिर हरकत होने लगी।

संधू ने आते ही एक अंगड़ाई ली और बोला, “मजा आ गया।” और नैंसी से बोला, “चलो नैंसी एक पेग बनाओ बढ़िया सा।”

नैंसी और मैं एक सोफे पर बैठे थे। संधू और ज्योति सामने वाले लम्बे सोफे पर बैठे थे। शीला बांयीं तरफ वाले छोटे सोफे पर बैठी थी।

नैंसी ने जैल की टयूब अपने पर्स में डाल ली, और संधू से बोली, “परम, आपने पहली बहुत पी रक्खी है। गाड़ी कैसे चलाओगे?”

संधू लड़खड़ाती आवाज में हंसते हुए बोला, “मैं चुदाई के बाद पहले ही कौन सी गाड़ी चलाता हूं जो आज चलाऊंगा? गाड़ी तो तुमने ही चलानी है।”

नैंसी ने पेग बनाते हुए मुझसे पूछा, “जीत तेरा भी पेग बनाऊं?” साथ ही नैंसी ने ज्योति और शीला से पूछा, “तुम लोग लोगे एक एक हल्का?” ज्योति ने हां कह दी, मैंने भी हां कर दी।

नैंसी ने संधू और मेरा व्हिस्की का और ज्योति और शीला का वोदका का पेग बना दिया।

संधू का ये पेग पहले जैसा बड़ा नहीं बनाया। मैंने पूछा, “नैंसी भरजाई आप नहीं लोगे?”

नैंसी बोली, “सुना नहीं, परमजीत ने पहले ही बोल दिया है गाड़ी मुझे चला कर ले जानी है।”

नैंसी उठी और घूम कर सामने बैठे संधू के हाथ में गिलास पकड़ाने गयी। जैसे ही संधू ने गिलास पकड़ा साथ ही उसने नैंसी के चूतड़ पकड़ लिए और बोला, “मजा आया नैंसी?”

नैंसी ने भी बोल दिया,”बहुत, परम। लड़का मस्त रगड़े लगा-लगा कर चोदता है। तीन बार पानी निकाल दिया मेरा इसने।”

संधू ने मेरी और देखा और कहा, ” क्या बात है भाई अजित! तीन बार?”

और फिर संधू ने नैंसी से पूछा, “पीछे डाला गांड में?”

नैंसी ने हां में सर हिला दिया। संधू ने हाथ में पकड़ा गिलास मेज पर रख दिया और नैंसी को अपनी गोद में बिठा कर नैंसी के होंठ चूसने लगा, और उसकी चूचियां मसलने लगा। संधू की बगल में बैठी ज्योति ये देख कर अपनी चूत में उंगली करने लगी।

मेरा अपना लंड खड़ा होने लगा। मैंने शीला की तरफ देखा। वो कभी संधू और नैंसी की चूम्मा-चाटी देख रही थी, कभी मेरी तरफ देख रही थी, और साथ ही अपनी चूत खुजला रही थी।

मैंने शीला को इशारे से बुला लिया। शीला आयी, और मैंने उसे अपनी गोद में बिठा लिया। और उसके मम्मे दबाने लगा।

संधू और नैंसी अब दुबारा मस्ती में आ चुके थे।

नैंसी के गोरे तरबूज जैसे चूतड़ गांड चोदने के शौक़ीन संधू के लंड पर थे। बस फिर क्या था, संधू का लंड खड़ा हो गया।

संधू ने लंड अंडरवियर से निकाला, और नैंसी को कहा, “नैंसी चूसो जरा इसको सख्त करो, तुम्हारी गांड में डालूं I ये ज्योति और शीला तो दोनों ही गांड नहीं चुदवाती।”

फिर संधू मेरी तरफ देख कर बोला, “जीत यार इनकी दोनों की गांड भी चोदा कर। इतने चिकने-चिकने चूतड़ और उनके बीच छिपा गांड का छेद! जीत तेरा मन नहीं करता इनकी गांड चोदने का?”

मैं ज्योति और शीला की तरफ देख कर हंस दिया। ज्योति और शीला ने भी एक दूसरे को देखा और मुस्कुरा दीं।

संधू की गोद में बैठी नैंसी को चूतड़ों के नीचे संधू का लंड खड़ा होता हुआ महसूस हुआ। नैंसी ने संधू से कहा, “क्या हो गया आज परमजीत? एक बार फिर चोदोगे?” ये बोलते-बोलते नैंसी संधू की गोद से उठी और संधू का लंड चूसने लगी। अच्छा खासा मोटा लंड था संधू का।

मेरा अपना लंड फनफनाने लगा। मैंने शीला को कहा, “शीला लंड अंदर ले लो।” शीला उठी और मैंने लंड अपने अंडरवियर से निकाल लिया। मेरा लंड बिल्कुल सीधा खड़ा हो गया। ज्योति ने जैसे ही मेरे लंड को देखा उसने एक हल्की सी सिसकारी ली, और अपने चूत रगड़ने लगी। शीला ने टांगें चौड़ी की और लंड चूत के छेद पर रक्खा और बैठ उस पर गयी।

संधू गांड चुदाई के मूड में आ चुका था। उसने नैंसी को उठाया और खड़ा हो कर बोला, “नैंसी चलो गांड इधर करो। गांड नहीं चोदी आज।”

नैंसी बोली, “यहीं? सबके सामने? अंदर चलते हैं।”

संधू बोला ,”कुछ नहीं होता, यहीं करते हैं। इनसे अब क्या छुपा हुआ है। वो देखो शीला भी तो जीत का लंड चूत के अंदर ले कर बैठी हुई है।”

नैंसी, “बोली ठीक है कैसे करना है?”

संधू ने इधर-उधर देखा और नैंसी को बोला, “सोफे के हत्थे पर झुक के खड़ी हो जाओ।”

फिर संधू ने नैंसी से पूछा, “नैंसी जैल कहां है?”

नैंसी बोली “पर्स में है।” नैंसी तो सोफे के हत्थे पर कुहनियां रख कर चूतड़ पीछे करके खड़ी थी। संधू नैंसी की गांड के छेद पर लंड रगड़ रहा था।

नैंसी ने ज्योति से कहा, “ज्योति ज़रा पर्स में से जैल की टयूब निकाल कर देना।” ज्योति ने उंगली अपनी चूत में से निकाली और उठ कर नैंसी के पर्स में से जैल निकाली और संधू को देने लगी। संधू ज्योति की चूचियां दबा कर बोला, ये जैल मेरे लंड और नैंसी की गांड पर लगा भी दो ज्योति मेरी जान।”

ज्योति ने टयूब में से उंगलियों पर जैल निकाली और नैंसी की गांड के छेद के ऊपर उंगली डाल कर गांड के अंदर और संधू के लंड पर लगा दी। ज्योति जैल लगा कर वहीं खड़ी हो गयी, शायद नैंसी की गांड चुदाई देखने के मजे लेना चाहती थी। देखना चाहती थी, कि गांड में संधू का मोटा लंड जब अंदर होगा तो गांड की क्या हालत होगी।

चुदाई देखने का भी अपना मजा है। पोर्न फ़िल्में या चुदाई की फ़िल्में यही तो हैं, चुदाई देखने के मजे।

संधू ने नैंसी की गांड के छेद पर लंड रखा, थोड़ा अंदर किया और रुक गया। फिर थोड़ा और अंदर किया और फिर रुक गया। फिर संधू ने लंड बाहर निकाल लिया, और ज्योति को बोला, ” ज्योति मेरी जान, थोड़ी और जैल लगा, अब पूरा लौड़ा गांड में डालने का टाइम आ गया है।”

ज्योति ने संधू के लंड और नैंसी की गांड पर थोड़ी जैल और लगा दी। अब संधू ने लंड नैंसी की गांड पर रखा और एक ही झटके में अंदर डाल दिया।

नैंसी ने मस्ती की एक सिसकारी ली “आह परम।” ज्योति के मुंह से भी एक सिसकारी निकली, “आह”, जैसे लंड नैंसी की नहीं उसकी गांड में गया हो। आगे नैंसी सिसकारियां ले रही थी “आह आह।”

यहां संधू ही गांड चोदने का शौक़ीन नहीं था नैंसी भी गांड चुदवाने की शौक़ीन थी।

मैंने चम्पा की भी गांड चोदी थी, और अब नैंसी की गांड भी चोद चुका था। मुझे ये अब तक समझ नहीं आया कि आखिर औरतों को गांड चुदाई में क्या मजा आता है। मर्दों को तो ये मजा आता है कि गांड का छेद टाइट होने के कारण लंड गांड में जकड़ा जाता है और लंड की रगड़ा पच्ची ज्यादा होती है। फिर मैंने सोचा जब कभी शीला या ज्योति ने गांड चुदवाई तो उनसे ही पूछ लूंगा।

और मैं संधू और नैंसी की गांड चुदाई और शीला की टाइट चूत का मजा लेने लगा। संधू नैंसी की गांड चोद रहा था, ज्योति अपनी चूत रगड़ रही थी, और शीला मेरे लंड पर बैठी जोर-जोर से ऊपर नीचे हो रही थी, साथ ही अपने मम्मे मसल रही थी और चूत का दाना रगड़ रही थी।

पांच ही मिनट में शीला “आह गयी मैं जीत भैया”, की आवाज के साथ झड़ गयी, और ढीली हो कर मेरे लंड पर ही बैठ गयी।

जैसे ही ज्योति ने देखा शीला की चूत का पानी निकल गया था, वो मेरे पास आ गयी। शीला समझ गयी ज्योति लंड पर बैठ कर चुदना चाहती थी। शीला लंड से उतर गयी और ज्योति मेरे तने हुए खूंटे पर बैठ गयी।

उधर नैंसी सिसकारियां ले रही थी, और पीछे संधू गांड में धक्के लगाता हुआ आवाजें निकाल रहा था।

बीच-बीच में चटाक की आवाज के साथ संधू नैंसी के चूतड़ों पर एक जोरदार धप्प लगा देता, और नैंसी मस्ती में बोलती “आह परम मजा आ गया, लगा ऐसे ही दो चार धप्प और।” नैंसी की गांड चुदाई पूरे जोरों पर थी।

ड्राइंग रूम चुदाई का अखाड़ा बना हुआ था।

फिर एक दम संधू ने ऊंची आवाज निकली “ओह नैंसी, झड़ गया मेरा लंड तेरी गांड में” और नैंसी ने एक लम्बी सिसकारी ली ” परम निकल गया मेरी भी चूत का पानी।”

ज्योति ने भी जोर-जोर से मेरे लंड पर छलांगें लगाते हुए “अअअअअह जीते अअअअअह ” की आवाज निकाली और ढीली हो कर लंड पर बैठ गयी।

मैंने भी नीचे से एक जोरदार झटका लगाया और ढेर सारा गर्म पानी ज्योति की चूत में डाल दिया।

जो ड्राइंग रूम अभी कुछ ही देर पहले “आह ओह ओह आह जीत आह जीत ओह परम” की आवाजों से भरा पड़ा था, उसमें अब अजीब सी खामोशी थी।

अगर सही समझाने वाली भाषा में कहना हो, तो चुदाई कर-कर के और चुदाई करवा-करवा के सब की गांड बंद हो चुकी थी। सब थक चुके थे, क्या लंड और क्या चूतें।

धीरे-धीरे, एक-एक करके सब उठे, बाथरूम गए, मूत कर, लंड और चूतें धो कर आए, और कपड़े पहन लिए।

खाना खाने का किसी का मन नहीं था। रात के साढ़े बारह बज चुके थे।

संधू बोला, “ज्योति मजा आ गया चुदाई का।” फिर शीला की तरफ इशारा करके बोला, “बड़ी टाइट है इसकी फुद्दी। चुदवाती भी मस्त है।”

शीला कौन सी कम थी। बोली, “अंकल आप भी तो कैसे चोदते हो, जैसे पहली बार लड़की चोद रहे हो। कैसे दबाते हो, नोचते हो, काटते हो। पर सच बोलूं अंकल मजा बड़ा आता है।” शीला की इस बात पर सारे ही हंस पड़े।

संधू बोला, “नैंसी मेरा तो मन कर रहा है एक बार और चोद दूं इस ‘टाइट फुद्दी शीला’ को, अभी, यहीं।”

नैंसी ने संधू को धक्का लगाते हुए कहा, “चलो अब। तुम्हें तो पीकर पता नहीं चलता, पता नहीं कहां-कहां काटा होगा इस ‘टाइट फुद्दी शीला’ को। अब अगर फिर से शुरू हो गए तो सुबह कर दोगे।”

नैंसी की इस काटने वाले बात पर सारे हंस पड़े। शीला ने अपनी चूत खुजलाई और संधू ने अपना लंड।

नैंसी बोली, “जीत तुझे फोन करूंगी। एड्रेस भी मैसेज कर दूंगी, ठीक है?”

मैंने कह दिया “हां नैंसी भरजाई ठीक है।”

हम बातें करते जा रहे थे, साथ साथ सीढ़ियां भी उतारते जा रहे थे।

संधू पूरे नशे में था। गाड़ी की खिड़की में से सर निकाल कर बोला, “ज्योति आज चुदाई का मजा आ गया। जल्दी बनायंगे अगला प्रोग्राम।”

गाड़ी की ड्राइविंग सीट पर नैंसी बैठ गयी। सब ने एक दूसरे को बाय कहा और संधू और नैंसी चले गए।

मैं भी अपने कमरे की तरफ जाते हुए ज्योति से बोला, “भरजाई आज की चुदाई तो याद रहेगी।”

ज्योति बोली, “चल फिर जीत, कल देखते हैं क्या करना है अब तो नींद आ रही है।”

मैंने शीला की तरफ देखते हुए पुछा, शीला आया मजा चुदाई का?”

शीला बोली, “जीत भैया मजा तो बहुत आया, मगर मैं सोच रही थी जैसे उधर चम्पा गांड चुदवाने की बड़ी शौक़ीन है, और आज जैसे नैंसी भाभी ने भी मजे ले ले कर गांड चुदवाई है, मैं भी अब आपसे किसी दिन गांड चुदवा कर देखूंगी। आखिर को समझ तो आये की आखिर गांड चुदाई में क्या मजा आता है।”

मैंने ज्योति को हंसते हुए पूछा, “और भरजाई आप?”

ज्योति ने हंस कर कहा, “जीते बात तो ये शीला ठीक ही कह रही है। देखना तो चाहिए कि आखिर गांड चुदाई का मजा कैसा होता है।”

फिर हंस कर बोली, “मगर आज नहीं। आज पहले ही बहुत चुदाई हो गयी और वो दोनों सीढ़ियां चढ़ गयी और मैं भी अंदर आ गया।”

दारू का सुरूर और ताबड़तोड़ चुदाईयों का मजा, बिस्तर पर लेटते ही मुझे तो नींद आ गयी। नींद खुली तो सुबह के सात बजे थे। टॉयलेट जा कर शेव करके फ्रेश होके साढ़े सात बजे मैं बाहर निकला और दरवाजा खोल कर अखबार उठाने गया।

शीला ऊपर से ही बोली, “जीत भैया ऊपर आ जाओ भाभी चाय के लिए बुला रही है।”