ऑफीस के लड़के ने एक कॉंट्रॅक्टर की वाइफ को चोदा

हेलो फ्रेंड्स, आप सब को मेरा आदाब सलाम नमस्कार. कैसे हो आप लोग? उम्मीद है सब ठीक होंगे. दोस्तों ये मेरी रियल लाइफ की स्टोरी है. अगर कुछ कमी रह गयी होगी, तो उसके लिए माफी चाहता हू.

मैं काफ़ी सालों से देसीकाहानी पढ़ता आ रहा हू, और मज़े करता आ रहा हू. तो सोचा क्यूँ ना मैं भी अपना एक्सपीरियेन्स शेर करू. तो चलिए मैं टॉपिक पे आता हू.

मेरा नाम अली (26 यियर्ज़) है, और ये घटना आज से 4 साल पहले की है. ये इन्सिडेंट एक फर्निचर कॉंट्रॅक्टर की वाइफ के साथ हुआ, जिसका नाम विद्या (35 यियर्ज़) (नामे चेंज्ड) था.

मैं एक प्राइवेट टेक्सटाइल फॅक्टरी में काम करता था. मेरा बॉस 2न्ड फ्लोर पे न्यू ऑफीस बनवा रहा था, और कुछ दीनो में काम भी शुरू हो गया. पूरा ऑफीस फर्निचर डिज़ाइन से बन रहा था.

रोज़ दिन में एक बार फर्निचर कॉंट्रॅक्टर रौंद पे आता था. कभी-कभी उसकी वाइफ भी साथ में आती थी. मैं अपने सिस्टम पे बैठ के काम करता रहता था.

एक दिन फर्निचर कॉंट्रॅक्टर की वाइफ यानी विद्या आई, और मुझसे मेरे काम के रिलेटेड बात करने लगी, की मैं क्या करता हू, क्या प्रोसेस है काम का, क्या सॅलरी है पूछने लगी.

मैने उनको चेर दी बैठने के लिए, और उन्हे अपना प्रोसेस बताने लगा. वो काफ़ी फ्रेंड्ली थी इसलिए बहुत जल्द हम एक-दूसरे से घुल-मिल गये, और एक-दूसरे का नाम भी भी पता चल गया.

ऐसे ही वो जब आती, तो मेरे पास आके बैठ जाती. एक दिन वो ऑफीस आई. फिर कुछ देर बाद वो मेरे पास आई और कहने लगी-

विद्या: अली, क्या मैं तुम्हारा फोन उसे कर सकती हू? वो मेरा कही रख के भूल गयी हू, और हज़्बेंड भी मीटिंग में है, तो उनको डिस्टर्ब नही कर सकती.

मैने स्माइल देते हुए उनको अपना फोन दे दिया. कुछ देर बाद उन्होने मेरा फोन रिटर्न किया, और थॅंक्स बोल के नीचे चली गयी. अगले दो दिन वो नही आई. फिर दो दिन बाद रात में 11:30 को अचानक से एक अननोन नंबर से व्हत्साप्प पे मेसेज आया-

विद्या: ही.

मे: ही, कों.

विद्या: पहचानो.

मे: सॉरी, मैं नही जानता आपको, और इस नंबर से फर्स्ट टाइम आपका मेसेज आया है.

विद्या: इतनी जल्दी भूल गये?

मे: जी?

विद्या: दो दिन नही आई तो भूल गये (साथ में साद एमोजी भेजा).

मे: यार मैं सच में नही जानता आपको.

विद्या: विद्या बोल रही हू.

मे: ओह! ही माँ. बुत आपको मेरा नंबर कैसे मिला?

विद्या: याद है जब उस दिन मैं फोन कार में भूल गयी थी. तो तुम्हारे फोन से कॉल की थी.

मे: हा.

विद्या: तभी तुम्हारा नंबर सवे कर लिया था.

मे: अछा तो बताइए कैसे याद किया?

विद्या: कुछ नही, बस अकेले बोर हो रही थी. तो सोचा तुमसे ही बात कर लू.

मे: ये तो अची बात है. पर घर में सिर नही है क्या?

विद्या: वो बाहर गये है अभी.

मे: अछा बच्चो को लेके बाहर घूम रहे है, और तुम्हे घर पे अकेले छ्चोढ़ दिए?

मेसेज देखने के बाद कोई जवाब नही मिला.

मे: माँ अरे योउ तेरे?

विद्या मेसेज देख के भी कोई रेस्पॉन्स नही दे रही थी. फिर मैने कुछ देर वेट की, और फिर सो गया. नेक्स्ट दे व्हत्साप्प पर मेसेज आया.

विद्या: ही.

मे: ही माँ.

विद्या: सॉरी उस दिन के लिए.

मे: इट’स ओक, आपका मूड ठीक नही था शायद.

विद्या: नही अली, ऐसी कोई बात नही है. मैं तुम्हे बताना चाहती थी, पर हिम्मत नही हो रही थी.

मे: कैसी हिम्मत? और क्या बताना चाहते थे आप?

विद्या: अली मेरा कोई बच्चा नही है. शादी को 12 साल हो गये, पर अभी तक नही है.

मे: आप किसी आचे डॉक्टर को दिखाओ. सब ठीक हो जाएगा.

विद्या: सब को दिखा चुकी हू. कमी मुझमे ही है.

मे: कोई नही, उपर वाले के घर देर है अंधेर नही. वैसे आप आए नही आज?

विद्या: नही, मेरे हज़्बेंड एक हफ्ते के लिए गाओं गये है. तो वो जब आएँगे, उनके साथ ही अवँगी.

मे: ओक.

विद्या: क्यूँ, मेरे बिना मॅन नही लग रहा क्या काम में?

मे: हहहे, नही आज काम नही है, तो बैठे-बैठे बोर हो गया हू.

विद्या: अछा तो मेरे घर आ जाओ. मैं भी अकेले बोर हो रही हू.

मे: मैं, वो भी आपके घर? कोई कुछ पूछा तो?

विद्या: उसकी टेन्षन मत लो. तुम बस आ जाओ. मैं वॉचमन को कॉल कर दूँगी. कुछ नही होगा.

मे: ओक ठीक है.

फिर मैं शाम को ऑफीस से 4:30 बजे तक निकल गया, और विद्या के बताए हुए अड्रेस्स पे पहुँच गया. जैसे ही सोसाइटी के गाते पर पहुँचा, तो वॉचमन ने पूछा-

वॉचमन: किससे मिलना है?

मैं ने भी बताया: विद्या माँ से मिलना है.

वॉचमन ने बोला: अली नाम है क्या?

मैने हा बोला. फिर उसने बताया, की 4त फ्लोर पे बिल्कुल सामने वाला घर था. जैसे ही मैं 4त फ्लोर पे पहुँचा, तो डोर खुला हुआ था. मैने नॉक किया तो माँ आई. उन्होने ब्लॅक कलर का सिल्की गाउन पहना था.

पहले मैने कभी विद्या के बारे में ग़लत नही सोचा था. पर ब्लॅक गाउन में देखने के बाद मेरा लंड एक-दूं टाइट हो गया.

माँ ने मुझे अंदर बुलाया, और सोफे पे बिताया. फिर वो किचन से पानी और कुछ स्नॅक्स मेरे लिए लेके आई, और हम बातें करने लगे.

मेरे अंदर का शैतान जाग चुका था. मैं विद्या की पूरी बॉडी को देख रहा था, और ये बात उसने भी नोटीस की. थोड़ी देर बात करने के बाद, उसने मुझे अपना पूरा घर दिखाया. ज़बरदस्त डेकरेटेड था पूरा घर. फिर हम हॉल में आके बैठ गये. मुझसे कंट्रोल नही हो रहा था, तो मैं बोला-

मैं: माँ मैं वॉशरूम होके आता हू.

फिर जैसे ही मैं उठा, उसने पंत के उपर से मेरा लंड नोटीस कर लिया, और एक हल्की सी स्माइल दी.

मैं वॉशरूम गया, और हिला के बाहर आ गया. विद्या मेरे लिए कॉफी बना के लाई और मुझे दी. एक बड़ा कप भर के कॉफी दी उसने मुझे.

मैने उससे कहा: माँ बहुत ज़्यादा है कॉफी.

उसने बोला: अली मुझे बार-बार माँ मत बोलो. मुझे अछा नही लगता. मेरा नाम लेके बोलो, हम दोस्त है.

हम साथ में कॉफी पी रहे थे. टीवी भी ओं था और क्लॅसिक सॉंग चालू था. और हम बातें भी कर रहे थे. मैने नोटीस किया, की विद्या के निपल्स सॉफ नज़र आ रहे थे. बहुत टाइट थे उसके निपल्स, और उसका पैर मेरे पैर से टच हो रहा था.

मैं भी एक-दूं गरम था, और मैं भी मौके का फ़ायदा उठाते हुए उसके पैर को रब करने लगा. शायद वो भी एक-दूं गरम हो गयी थी. फिर मैने अपना हाथ उसकी जांघों पर हिम्मत करके रखा, और धीरे-धीरे सहलाने लगा.

उसने भी कोई रिक्षन नही दिया, तो मैं कंटिन्यूवस्ली रब करता रहा. वो बहुत गरम हो चुकी थी. फिर वो अचानक उठी, और अपने नाज़ुक होंठ मेरे होंठो पे रख दिए, और हम एक-दूसरे को पागलों की तरह किस करने लगे.

10 मिनिट बाद वो मुझे अपने बेडरूम में ले गयी, और मैने उसका गाउन निकाल दिया. उसने अंदर सिर्फ़ पनटी पहनी थी, और वो भी गीली थी. मैने उसकी पूरी बॉडी को चूसना चाटना चालू कर दिया. उसके मक्खन जैसे दूध पीना चालू कर दिया मैने.

वो बहुत तेज़ मोन कर थी, और मैं अपने एक हाथ से उसकी छूट में उंगली करने लगा. अब वो एक मछली की तरह तड़प रही थी, और बोल रही थी-

विद्या: अली प्लीज़, अब रहा नही जाता. प्लीज़ करो ना.

मैने उसकी पनटी निकली, और दो उंगली छूट में डाल के खेलने लगा. जब मैं उसकी नाभि को चाट रहा था, वो एक-दूं से तड़प उठी. उसकी छूट से पानी की तेज़ धार निकलनी शुरू हो गयी. वो स्क्वरटिंग कर रही थी.

उसकी छूट इतनी गीली हो चुकी थी, की एक बार ग़लती से उसकी गांद में एक उंगली घुस गयी. वो पागलों की तरह मेरी उंगलियाँ अंदर लेना चाह रही थी. 30 मिनिट बाद वो उठी, और मेरे सारे कपड़े निकालने लगी.

फिर उसने मुझे बेड पे गिरा दिया, और मुझे किस करने लगी. वो मेरी चेस्ट पे चाट रही थी, और मेरे निपल चाट रही थी. एक-दूं पागल कर दिया था मैने उसको. फिर उसने मेरा अंडरवेर निकाल दिया, और मेरा लंड हाथ में लेके हिलने लगी.

मैने उसको लंड चूसने के लिए इशारा किया. उसने एक ही झटके में मेरा सूपड़ा मूह में ले लिया. मैं उसका सर पकड़ के उपर-नीचे करने लगा. वो पूरा लंड गले तक ले रही थी, और मेरे अंदो को चाट रही थी.

10 मिनिट में मैने उसके मूह में ही अपना माल निकाल दिया. फिर वो अचानक से मेरी तरफ देख के मुस्कुरा रही थी. अब मैने उसको लंड पर बैठने को बोला.

उसने बिना देर किए लंड पे बैठ के पोज़िशन लेली, और चूड़ने लगी. बहुत तेज़ी से शॉट ले रही थी. ऐसा लग रहा था पता नही कितने सालों से भूखी थी.

थोड़ी देर बाद वो तक गयी. मैने फिर उसको घोड़ी बनाया, और शॉट मारने शुरू कर दिए. वो 3 बार झाड़ चुकी थी. पुर कमरे में उसकी चिल्लाने की आवाज़ गूँज रही थी.

विद्या: अली छोड़ो मुझे, और छोड़ो आहह उऊहह.

मैं आउट ऑफ कंट्रोल था. मैने पोज़िशन्स बदल-बदल के छोड़ा उसको, और उसकी छूट में ही झाड़ गया. दो घंटे की चुदाई में बहुत तक चुके थे हम दोनो. फिर घड़ी में दिखा, तो 7:30 बाज रहे थे.

उसके बाद हम ऐसे ही बेड पे पड़े रहे, और विद्या भी मुझसे चिपक के लेती थी. कुछ देर बाद वो उठी, और मेरे लिए केसर वाला दूध लेके आई. उसने अपने हाथों से दूध पिलाया मुझे, और हम ऐसे ही बिना कपड़े के पड़े थे.

कुछ देर बाद दोनो साथ में शवर लेने गये, और वाहा पे एक-दूसरे को नहला रहे थे. वो रुकी, और मुझे किस करने लगी. उसको मैने घुटनो पे बिताया और लंड चुसवाने लगा. फिर मेरा लंड टाइट हो गया, और मैं उसको वही पे घोड़ी बना के छोड़ने लगा.

वो बहुत चिल्ला रही थी, शायद उसको पाईं हो रही थी. मैने वापस उसके मूह में लंड दे दिया, और वो मस्त चूस रही थी. फिर मैने विद्या से कहा, की मुझे उसकी गांद मारनी थी. वो सीधी खड़ी हो गयी, और माना करने लगी. पर तोड़ा मानने पे वो मान गयी.

फिर मैने उससे आयिल की बॉटल मँगवाई, और उसकी गांद पे लगा के उंगली अंदर-बाहर करने लगा. वो तोड़ा दर्र रही थी, पर बहुत मानने पे मान गयी. मैने भी अपने लंड को आयिल से नहला दिया, और उसकी गांद पे भी काफ़ी आयिल लगा दिया.

जब लंड डालने लगा, तो नही जेया रहा था, और इधर-उधर सरक जेया रहा था. फिर धीरे से मैने पहले सूपड़ा घुसाया. इस्पे वो तोड़ा चिल्लाई, पर इतना दर्द नही हो रहा था.

फिर मैं धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगा, और आधा लंड घुसा दिया. उसको दर्द नही हुआ. अगले 2 मिनिट में मैने पूरा लंड डाल दिया. वो तोड़ा चिल्लाई, और मैं वैसे ही रुक गया. थोड़ी देर में उसका दर्द ख़तम हो गया, और मैने धीरे-धीरे स्पीड बढ़ा दी.

कुछ देर में उसको भी मज़ा आने लगा. मैं भी तेज़ रफ़्तार में शॉट मारने लगा. उसकी छूट से पानी बहने लगा. कुछ देर बाद मैं उसकी गांद में ही झाड़ गया. फिर हम शवर लेके निकले.

वो कहने लगी: आज रात रुक जाओ.

पर मेरे लिए पासिबल नही था. तो मैने उसको तोड़ा समझाया, और वो मान गयी. विद्या ने मेरे सेलेक्ट किए हुए कपड़े पहने. वो बहुत ज़्यादा खुश थी. 10 बाज चुके थे, और मुझे भी अपने घर जाना था. जब मैं निकालने लगा, तो विद्या मुझे पकड़ के रोने लगी.

वो कहने लगी: 12 साल से मैं इसी प्यार के लिए तड़प रही थी. आज वो प्यार मिला है मुझे.

दोस्तों विद्या कैसे मेरे बच्चे की मा बनी, वो नेक्स्ट पार्ट में बतौँगा. दोस्तों आपको कहानी कैसी लगी, मुझे मैल करके ज़रूर बताना पर.

कोई लेडी मुझे मिलना चाहती है, और कुछ मेमोरबल टाइम स्पेंड करना चाहती है, तो बेफिकर होके मिल सकती है.