गाओं की मा आई शहर मे-2

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अब धीरे धीरे रात हो गयी और सब के सोने का टाइम आ गया. लेकिन मा को प्राब्लम थी. वो बोलती की उन्हे कमर मे प्राब्लम है तो उन्हे गद्दे वाली साइड सोना था.

पर यहा प्राब्लम ऐसी थी की हुमारे पास 2 गद्दे थे. मेरा गाड़े की काफ़ी रयी निकल चुकी थी और 35 प्रेटिशत गद्दे ही भरा हुआ था. सेम हाल मेरे दोस्त का था.

तो मा ने आइडिया लगाया और कहा की दोनो गाड़ो को जोड़ दो जिसके चलते मा आराम से उस पर सो जाएगी. और मई मा के एक साइड और मेरा दोस्त मा के दूसरी साइड सो जाएगा.

मुझे इस बात को मानना पड़ा हलकी मेरे मॅन मे गुस्सा था कुयकी मई मुन्ना को मा की चड्डी सूंघते देखा था. खैर बात माननी पड़ी कुयकी मा कुछ दीनो के लए आई थी. तो मई उन्हे ये सब बता कर तंग नही करना चाहता था.

खैर रात हुई मई और मुन्ना खाना खाने गये. हम दोनो नॉर्मल दोस्तो की तरह ही रह रहे थे. जब मई और मुन्ना वापस आए तो देखा मा बस पेटीकोत और ब्लाउस मे बैठी पापा से बात कर रही थी. और हुँने मा को खाना दिया.

वाहा मुन्ना की हालत कराब हो चुकी थी. वो बातरूम मे घुस कर शायद लंड हिलने लग गया था. वही मेरी भी मा की हालत देख कर. लंड टन ताना गया और मई भी अस्त व्यस्त हो गया. खैर मा ने फोन रखा और मैने मा से पूछा मा ये क्या है?

मा- अरे तो क्या हुआ तुम मेरे बेटे ही तो हो और वो मुन्ना भी लड़के जैसा है और यहा गर्मी बहोट है तो इसमे थोड़ी ठंडक लग रही है.

मैने ज़्यादा कुछ नही बोला, मा ने खाना खा लिया और फिर वो बीच मे सोने जेया रही थी गाड़े के बीच मे. मा लेट गयी, तभी मुन्ना आया, मुन्ना मधर्चोड़ सिर्फ़ अंडरवेर मे था बाकी पूरा नंगा. मैने उससे पूछा भाई कपड़े तो पहन ले. वो बोलता भाई गर्मी बहोट है यार अपने वैसे भी ऐसे ही सोते है. और आंटी के लिए तो बची ही है तो क्या प्राब्लम है.

मा ने कहा हन ठीक है कोई बात नही. श्याम तू भी सिर्फ़ कची मे होज़ा यहा गर्मी बहोट है.

फिर मैने सोचा मई क्यू मौका गाओ और मैने भी अपने सारे कपड़े उतार दिए और अंडरवेर मे मा के बगल मे लेट गया. वाहा मुन्ना भी मा के बगल मे लेट गया.

अब सीन कुछ ऐसा था की मई, मा और मुन्ना कुछ ऐसे सो रहे थे. की मई सिर्फ़ अंडरवेर मे, मा पेटीकोत ब्लाउस मे और मुन्ना अंडरवेर मे.

रात को सोते वक़्त मा को और गर्मी लगी ऐसा मैने देखा. मा ने फिर हम दोनो की तरफ देखा और फिर अपना ब्लाउस उतार दिया और सिर्फ़ ब्रा और पेटीकोत मे लेट गयी और शायद हम दोनो को देख रही थी की कही हम दोनो जागे तो नही है.

खैर उस रात बस मा के शररेर को देख रहा था. हाए वो उभरे हुए चुचे, मस्त कलंदर गांद पेटीकोत के अंदर वाहह!! खैर मुन्ना भी शायद देख रहा हो.

फिर सुबह 6 भजे मेरी नींद खुली अचानक ही. तो हम कुछ ऐसे सोए थे की मेरा एक हाथ मा के एक बूब्स पर था और एक तंग मा की तंग के उपर. वही मुन्ना का भी एक हाथ मा के बूब्स पर था और एक तंग उनकी तंग पर.

मई ये मोमेंट मिस नही करना चाहता था और उसी चक्कर मे मुन्ना का किया भी इग्नोर किया और वैसे ही सो गया.

खैर अब जब मई सुबह 10 भजे उठा तो मा जाग कर जेया चुकी थी और मुन्ना सो रहा था. मई भी उठा, मा ने शायद उठ कर हम दोनो को अलग कर दिया होगा और सोचा होगा की नींद मे हम ऐसे आ गये होंगे. खैर मा ब्लाउस और पेटीकोत मे झाड़ू लगा रही थी.

मैने सुबह सुबह उनकी पीछे से पेटीकोत के उपर से गांद देख कर और रात का सोच कर अंदर बातरूम मे जाकर मूठ मारी. खैर फिर मई बाहर आया. कुछ टाइम बाद मा बातरूम मे बैठ कर शायद पेशाब और टट्टी कर रही होंगी.

वो जब बाहर आई वैसे ही मुन्ना 2 मिनिट्स के अंदर उस बातरूम मे घुस गया.

मुझे लगा ये मधर्चोड़ क्या कर रहा है. जब मैने बातरूम से झाँक कर लातरीन मे देखा तो वो मा का गिरा हुआ कुछ पेसाब के चीते चाट रहा था और मुति मार रहा था. फिर कुछ देर मुति मारने के बाद वो झाड़ गया.

मई सोचा कोई इतना कैसे गिर सकता है.. खैर मैने सोचा एक बार तो मई भी चकुँगा मा का मूट मा को जाने दो बातरूम एक बार. 1 घंटे बाद मा फिर से पेशाब करने गयी और आई. तो इस बार मई बातरूम मे घुसा और उनके मूट की कुछ बूंदे जो वाहा पड़ी थी वो छाती. क्या स्वाद था! मुझे अब बस मा छाईए थी.

मैने भी जल्दी जल्दी मुति मारी फिर हम सब नहा कर बैठे थे की मा बोलती है की अब तेरी तबीयत कैसी है?

मैने कहा अब भादिया हू. मा बोलती तो चल कही घूमने चलते है, मई भी देखु देल्ही कैसा लगता है. और फिर मई, मुन्ना और मा चल दिए देल्ही दर्शन करने.

फिर आयेज क्या हुआ ये सब नेक्स्ट अपडेट मे बतौँगा.