गाओं की मा आई सहर मे

सबसे पहले मई अपना इंट्रोडक्षन दे डू. मेरा नाम श्याम पांडे, मई उप के बलिया ज़िले का रहना वाला हू और मई अभी देल्ही मे पढ़ाई क्र रा हू क्ब की. मेरी उमर 23 साल है, मई यहा एक किराए के रूम मे अपने दोस्त मुन्ना गुप्ता के साथ रहता हू. यहा मई अपने दोस्त मुन्ना गुप्ता के बारे मे बता डू. वो भी मेरे साथ पढ़ाई क्रटा है, वैसे वो बहोट डरपोक किस्म का लड़का है.

खैर मेरी हाइट 5फ्ट8 इंच है और मई शररेर से एक आम लड़के जैसा हू, मतलब नॉर्मल. और मुन्ना की हाइट 5फ्ट 6 इंच है और वो बहोट पतला दुबला किस्म का लड़का है. उसकी उम्र 23 साल है पर लगता सला 16-17 का है.

मई अपने घर के बारे मे परिचय दे डू. मेरे घर मे मेरे पापा मा और बहें है.

मेरे पापा- राजाराम पांडे, उमर 45 साल है और ये स्कूल मे टीचर भी है. और साथ ही साथ खेती बड़ी का काम भी संभालते है. हाइट 5फ्ट 10 इंच और शरीर अछा हसा है इस उमर मे भी.

मेरी मा- सरोज पांडे, इनकी उमर भी 45 साल है और ये एक आम गृहणी है, घर का काम काज सम्भालती है और सारी ही पहनती है. ज़्यादा पढ़ी लिखी नही है, गाओं के स्कूल म 8त तक पढ़ी है. ये शरीर से मोटी है, इनके बूब्स थोड़े बड़े है, गांद नॉर्मल है लीके नॉर्मल औंतयीओ जैसी ही. मतलब बड़ी है पर बहोट ज़्यादा बड़ी नही. और इनका शरीर गोरा है प्र ज़्यादा गोरा नही, टाइप ऑफ सांवला ही मान लीजिए.

मेरी बहें – अरपतीता, इसकी उमर 18 साल है और ये अभी 12 की छात्रा है, इसका स्टोरी मे कोई रोल नही है ज़्यादा.

खैर बात यहा से शुरू होती है की मुझे अचंक से मलेरिया हो गया था और इस बात की जानकारी पिताजी और माताजी को पद गयी थी. फिर पिताजी तो काम मे व्यस्त थे और मैने गाओं आने से माना क्र दिया था. तो तय हुआ की मा मेरे पास आइंगी 15-20 दीनो के लिए मेरी देखभाल करने को.
और फिर यही से सारी स्टोरी शुरू होती है.

फिर अगले दिन मा ने ट्रेन पकड़ी और देल्ही के लिए चल पड़ी और 1 दिन का सफ़र करके मा देल्ही फोची. और रिक्कशे वगेरा पड़ा कर मेरे रूम आ गयी.

उन्होने गाते खटखतया, अभी तक मुझे नि पता था की मा आ चुकी है. और मई और मेरा दोस्त रूम मे सिर्फ़ अंडरवेर मे लेते थे. क्यूकी उस टाइम गर्मी का मौसम था.

फिर मैने दोस्त से कहा देख ना मधर्चोड़ कौन आ गया गाते पे. दोस्त उसी हालत मे गाते खोलने गया. मुन्ना ने जैसे ही गाते खोला देखा मेरी मा खड़ी है. वो मेरी मा को देखा था फोन मे एक आड़ बार तस्वीर देखी थी.

उसने मा को देखते ही कहा नमस्ते आंटी जी. वाहा मा ने उसकी तरफ देखा की वो सिर्फ़ अंडरवेर मे है और सुखी हाड्दी से ने कोई कपड़ा नही पहन रखा है, सिर्फ़ फ्रेंचिए मे कहदा था.

खैर मा ने ज़्यादा ध्यान नही दिया क्यूकी उनके लिए वो बेटे जैसा ही था. और उसे नमस्ते करके अंदर की तरफ आ गयी जहा मई लेता हुआ था फ्रेंचिए मे.

फिर मैने जैसे ही मा को देखा जल्दी से उठा और टवल लपेटा और मा के पाँव छुए. और मा ने मेरे सिर पर हाथ फेरा और कहा-

मा- कैसा है बेटा?

मे- अब ठीक हू बहोट हद तक मा.

मा- वैसे तुम लोग सिर्फ़ कच्चे मे कहे सो रहे थे?

मे- अरे मा वो यहा गर्मी बहोट है.

मा- हन गर्मी तो है, मुझे भी बहोट लग रही है.

इतने मे मुन्ना टवल लपेट कर आ जाता है और कहता है.. सॉरी आंटी वो पता नही था आप हो इसलिए ऐसे ही आ गया था गाते पे.

मा- अरे कोई नही तुम भी तो मेरे बेटे जैसे हो.

और इतना कह कर हुँने मा का बाग रखा और उन्हे फ्रेश होने के लिए कहा.

वैसे मई जहा रहता था वाहा के बारे मे बता डू. वाहा एक ही रूम था हुमारा एक पुराने से घर का, एक आम रूम जिसके दीवारो से चुना गिर रा था और उमसे हुँने बस 2 गाद्डे बिछा रखे थे. वही उसके अंदर ही किचन बना रखा था. एक गॅस स्टोव रख कर और 1 बातरूम और 1 लातरीन थी.

वही पे उस रूम से लगे हुए रूम से बातरूम के बीह एक पतली सी गॅलरी थी. और वही से होते हुए मैं दरवाजा था. क्यूकी आप लोग जानते हो की हम स्टूडेंट्स पैसे बचाने के लिए कही भी रुक सकते है.

क्यूकी ह्यूम पैसे बचाकर दारू और सिग्राते भी पीनी होती है. और घर से हम मिड्ल क्लास फामिली से थे. हम लोगो की मंत्ली इनकम यही कुछ 25 हज़ार के करीब थी.

पापा स्कूल से 15000 मिलते थे [प्राइवेट स्कूल) और खेती तो कम ही थी हुमारी. उससे महीने का 10000 उसमे पूरा घर च्लना पड़ता और मुझे 10000 रुपी महीना का भेजा करते थे. तो उसमे क्या ही दारू सिग्राते का पैसा बचता देल्ही जैसे सहर मे.

फिर बहें की स्कूल फीस, घर का खर्च तो ये हाल था. इसलिए ये रूम लेना पड़ा. मा को ये बात बता रखी थी मैने की रूम यहा महेंगे है. तो मा भी साँझ गयी थी इसलिए उन्होने कुछ नही बोला.

मई जाकर लेता हुआ था और मा भी फ्रेश हो कर आ कर आराम फ़ार्मा र्ही थी.

मुझे बातरूम जाना था पर बातरूम का दरवाजा लॉक था. और अंदर कुछ आवाज़ आ र्ही थी. मैने बातरूम का गाते जो की नीचे से तोड़ा टूटा हुआ था और अंदर का परदा खुला हुआ. तो उससे देखा तो मुन्ना मदारचोड़ मेरी मा की ब्राउन पनटी को सूंघ कर लंड हिला रा था.

मुझे बहोट गुस्सा आ रा था पर मैने कुछ ज़्यादा रिक्ट नि क्या. पता नि उस समय मुझे कुछ ज़्यादा रिक्ट करने का मॅन नि किया.

खैर फिर कुछ देर बाद मुन्ना वापस आया बातरूम से और मुस्कुरा रहा था. मैने उससे कुछ बोलना सही नि समझा और मई बातरूम गया.

वाहा मैने मा की ब्राउन चाड़ी और काली ब्रा देखी. और पता नही क्या हुआ मैने भी मा की ब्राउन पनटी नाक मे ली और सूंघने लगा. और ब्रा को अपने लोड पे लगा कर मूठ मारने लगा. फिर उसी ब्रा मे झाड़ गया.

खैर मैने पनटी वैसे ही तंग दी पर ब्रा को पानी मे डूबा दिया. ताकि वो जो स्पर्म के दाग लगे है वो मिट जाए.

खैर दाग तो मिट गये पर शाम को मम्मी ने कहा ये मेरी ब्रा पानी मे किसने डाल दी?

मेरी तो गांद ही फट गयी. पर मैने हिममर करते हुए कहा मा वो मेरे से बाल्टी मे गिर गयी थी. और मा ने कुछ ज़्यादा रिक्ट नि किया और अंदर बातरूम मे अपने अंडरगार्मेंट्स ढोने लगी.

खैर अब आयेज क्या क्या रोमांचक हरकते हुए ये तो अब आपको नेक्स्ट पार्ट मे पता चलेगा. तब तक बने रहिए और अपने फीडबॅक और आइडियास देते रहिएगा, नमस्कार.