हेलो दोस्तों, मैं आपका रोहित. मुझे आप सभी के मेल्स आ रहे है. आप सभी को मेरी ये सीरीस बहुत पसंद आ रही है. आप सभी को दिल से थॅंक्स.
इसी सीरीस को पढ़ कर काई हाउसवाइव्स मुझसे चुदाई करवाने जाईपुर आई थी. मैने उन्हे अपने 7 इंच के लंड का मज़ा दिया, और छूट को सॅटिस्फॅक्षन पूरा दिया. अभी आप इस निशा की चुदाई की कहानी की सेक्स सीरीस का मज़ा लीजिए.
डीपू: तुझे ये सब कैसे पता?
मैं: देख भाई. तू आचे से जानता है. मैं एक कॉल बॉय हू. और मैने जब तेरी मम्मी से बातें की तो उनकी बातों से लगा था. इसलिए भाई टाइम रहते उन्हे कही बाहर घूमने ले जाना पड़ेगा.
( मैं ये बात निशा से अलग जेया कर बोला था. निशा किचन में थी, और मैं हॉल में बातें कर रहा था.)
मैं: आंटी घर की चार दीवारों में रह के बीमार होने लगी है. भाई देख, हो सकता है आयेज जेया कर तेरे पापा मम्मी में डाइवोर्स हो सकता है. तेरी मम्मी का मूड ठीक नही है.
मुझे पता था डीपू को तोड़ा दर्रा दूँगा तो वो शायद बॉटल में उतार जाएगा. हुआ भी वही. वो भोला लड़का था, तो उसने मुझसे कहा-
दीपक: भाई लेकिन पापा यहा है नही. और हमारे अभी एग्ज़ॅम आने वाले है. तो मैं भी फ्री नही हू. कैसे हो पाएगा?
मैं: आबे सेयेल. तू चूतिया है क्या? तेरे बाप के साथ तो तेरी मा का पहले से ही झगड़ा चल रहा है. फिर तेरी मम्मी पापा के साथ कैसे जाएगी. और गयी भी तो वाहा भी झगड़ा हुआ तो फिर क्या होगा पता है ना? तेरी मम्मी की स्यूयिसाइड या फिर तेरे पापा को डाइवोर्स दोनो में से एक काम होगा वाहा.
डीपू: भाई यार दर्रा मत. मेरी मम्मी को कुछ नही होना चाहिए. तेरे पास कोई आइडिया है क्या जिससे मेरी मम्मी ठीक हो जाए. और वो पहले जैसी खुश मिज़ाज हो जाए.
मैं: एक काम हो सकता है. तू पर्मिशन दे तो.
डीपू: मम्मी के लिए कुछ भी कर लेंगे. तू बोल क्या आइडिया है?
मैं: देख अभी तेरे पापा 4 दिन के लिए यहा नही है. तो मैं तेरी मम्मी को पापा के आने से पहले बाहर घुमा लाता हू.
डीपू: भाई कुछ गड़बड़ तो नही होगी ना? मम्मी मानेंगी या नही?
मैं: यार आंटी से तू बात कर ना.
दीपक: मुझे दर्र लग रहा है. वो मानेगी या नही.
मैं: तू अभी घर पर आ, और यही बात कर. कुछ बोली तो मैं संभाल लूँगा.
दोस्तों मैने अपने दोस्त को काफ़ी तरीके से समझाया. तब जाके वो माना. वो मेरी बॉटल में उतार चुका था. मैने उसे दर्रा दिया था, की उसकी मा डाइवोर्स देकर उन सब से डोर भाग जाएगी. तो वो अब आ रहा था.
निशा को मैने सब पहले ही समझा दिया था. वो बेडरूम में जाके लेट गयी. मैं हॉल में बैठा हुआ था. 20 मिनिट बाद दीपक आया. वो मुझे बोला-
डीपू: मम्मी सो रही है क्या?
मैं: नही बस कुछ सोच रही है. पता नही क्या सोच रही है. जाके देख अपनी मम्मी की हालत. पूरी डिप्रेशन में रह रही है. अब तू जेया अंदर और उनसे बात कर. उन्हे तू समझा की आप बाहर घूम आओ. पापा के आने से पहले आ जाना. जिससे मम्मी खुश हो जाएँगी और सब ठीक हो जाएगा. तू समझ रहा है ना मैं क्या बोल रहा हू?
डीपू: हा भाई, मैं जाता हू. लेकिन कुछ प्राब्लम हो तो तू संभाल लेना.
मैं: हा मैं बाहर ही खड़ा हू. तू बात कर जाके.
दीपक बेडरूम में जाता है. उसने गाते आधा ही लगाया था. मैं बाहर खड़ा सब सुनने लगा. निशा ने डीपू को देख कर कहा.
निशा: बेटा तू कब आया?
डीपू: मम्मी अभी आया हू आपकी तबीयत देखने. मुझे लगता है आपको कही बाहर घूमने जाना चाहिए. जिससे आपका माइंड रेफ्रेश हो जाएगा. आप जल्दी ठीक हो जाओगे.
निशा: तेरे पापा यहा है नही. वो होते भी तो साथ में नही जाते. तू जाएगा नही.
डीपू: एक काम करो ना, आप रोहित को साथ में ले जाओ. वो स्मार्ट लड़का है, आपको प्राब्लम भी नही होगी.
निशा: लेकिन तेरे पापा को पता चला तो?
डीपू: कुछ पता नही चलेगा. उनका अभी तक कोई फोन नही आया है. आएगा तो मैं बोल दूँगा बीमार हो गयी है, रूम में रेस्ट कर रही है. आप कुछ दिन घूम आओ.
डीपू: मैं आपको बीमार होते हुए नही देख सकता हू. प्लीज़ मम्मी, मान जाओ और पापा के आने तक घूम आओ. मैं यहा अपना ख़याल रख लूँगा.
निशा: ठीक है बेटा. मुझे भी माइंड फ्रेश करना है. तू प्लीज़ यहा सब देख लेना. कोई बाहर का पूछे तो बोल देना नानी के घर गयी है.
दीपक: आप चले जाओगे तो मैं रात को आया करूँगा. सारा दिन कॉलेज और लाइब्ररी में निकल जाएगा. आप बिना तेनतीओं के घूम आओ. अपने डिप्रेशन को डोर करो, और पहले जैसे हासणे वाली मम्मी बन कर आना.
निशा: रोहित जाएगा ना साथ में? उसके भी तो एग्ज़ॅम है.
डीपू: वो जाएगा आपके साथ. अभी एग्ज़ॅम डोर है, वैसे भी वो पढ़ाई कम और घूमता ज़्यादा है.
फिर डीपू ने मुझे आवाज़ दी. मैं अंदर गया, और वो मुझे कहने लगा.
डीपू: रोहित सुन भाई. मम्मी को कल सुबह तू बाहर घूमने ले जेया. प्लीज़ अपनी मों समझ कर ख़याल रखना.
मैं: हा भाई, तू टेन्षन मत ले. मैं हॅंडल कर लूँगा.
डीपू: जाईपुर से बाहर जाना पड़ेगा. यहा पापा के किसी दोस्त ने या फिर हमारे किसी रिलेटिव ने देख लिया तो प्राब्लम हो जाएगी.
मैं: अर्रे भाई मैं आंटी को लेके माउंट अबू चला जौंगा ना. वाहा आचे से आंटी खुल के एंजाय कर लेगी.
डीपू: ठीक है. तू अपने घर कुछ बहाना बना दे. और आज रात को हमारी गाड़ी से निकल जाओ.
मैने उसकी मा से कहा: आप मेरे साथ चलने को रेडी हो ना? तबीयत नॉर्मल हो तो कल चले.
निशा मुझे देख कर घूर्ने लगी. मेरी स्माइल निकल गयी. वो मुझे देखते हुए बोली-
निशा: हा मैं ठीक हू. हमे कों सा पैदल जाना है. कार से जाना है ना.
मैने उसके बेटे से कहा: भाई तू वाहा कोई आचे से होटेल में 2 रूम बुक कर दे.
तभी उसने 20 मिनिट में माउंट अबू में रूम बुक कर दिया 3 दिन के लिए, रोहित और निशा के लिए. उसी के बेटे ने हनिमून रूम बुक कर दिया था. दोस्तों निशा के चेहरे पर अलग सी मुस्कान थी. मैने उसे देखते हुए आँख मार दी. उसने शरमाते हुए चेहरा मुस्कुरा कर दूसरी तरफ कर लिया. फिर मैने कहा-
मैं: आंटी आप जल्दी से रेडी हो जाओ. हम फिर खाना खा कर निकल जाएँगे.
अभी शाम के 5 बजे थे. निशा नहाने चली गयी. बीमारी तो उसका बहाना था. वो तो ठीक ही थी. सब प्लान के हिसाब से हुआ था. निशा एक्शिटेड हो कर खुशी से रेडी हो रही थी.
मैने घर पर अपना तोड़ा सा बेग पॅक किया. घर पर बहाना बना दिया. फिर थोड़ी देर में रेडी होके निशा के घर आ गया. निशा भी रेडी हो चुकी थी. मेरी प्यारी रंडी ने ब्लू सारी और ब्लाउस पहना हुआ था.
निशा अभी ज़्यादा तैयार नही हुई थी. क्यूंकी उसे पता था सब हनिमून पर जेया कर करना था. यहा से ऐसे ही निकलना था. फिर तो खुल कर मस्ती होगी.
हम जाईपुर से ट्रेन से अबू के लिए निकालने वाले थे. डीपू ने टिकेट्स बुक कर ली थी एसी कोच की. तो डीपू ने कार से हमे स्टेशन छ्चोढ़ दिया. वाहा से हनिमून का सफ़र शुरू होता है. यहा से अब मैं और निशा अकेले जेया रहे थे.
डीपू के जाते ही मैने निशा की कमर पकड़ ली, और साथ ट्रेन में चलने लगे. वो शरमाते हुए बोली-
निशा: आप तो अभी से शुरू हो गये. तोड़ा शरम करो हम अभी यही है. कोई देख लेगा. प्लीज़ ट्रेन में चलो वाहा कर लेना. छ्चोढो अब मेरी कमर, आप बहुत ज़ोर से पकड़ते हो.
मैं: मेरी जान, तू अब शरमाना छ्चोढ़ और मेरी पूरी बीवी बन के चल.
निशा: हा वो तो मैं हू. लेकिन यहा हमे कुछ नही करना है. वरना किसी ने देख लिया तो मज़ा सज़ा बन जाएगा.
इतने हम अपने कोच में पहुँच गये. अंदर गाते बंद करके हम अपनी सीट पर आ गये. रात के 10 बजे से ट्रेन चलनी शुरू हो गयी. हम उडापुर जाने वाले थे. वाहा से अबू के लिए जाएँगे.
अब मेरा मूड बनने लगा था. निशा मेरी जीन्स की तरफ देख कर बोली-
निशा: लगता है आपने पंत के अंदर कुछ नही पहना है. तभी आपका शैतान उछाल-कूद करता हुआ सॉफ देख रहा है.
मैं: तो तू इसे शांत कर दे ना. अब तो तुझे यही करना है हर दिन.
निशा: हा लेकिन यहा कैसे?
मैं: साली यहा हम मिया-बीवी है समझी. तू एक काम कर, ब्लंकेट के अंदर मूह डाल कर अपना काम कर.
निशा ने वही किया. वो मेरे हर आदेश को मानने लगी. वो सीट पर लेट गयी, और ब्लंकेट के अंदर से मेरी गोद में सिर रखने लगी. मैने जीन्स की चैन खोल दी.
निशा करवट लेके लंड की तरफ मूह करके अपनी ज़ुबान लंड के टोपे पर घूमने लगी. हमारे उस कोच में ज़्यादा लोग नही थे. लेकिन निशा पहली बार ये सब कर रही थी. तो उसे अजीब सा और शरम भी आ रही थी.
अब उसने टोपे को मूह में लेके चूसना शुरू किया. दोस्त की मा के मुलायम होंठ लंड पर चलने लगे. मेरे मूह से हल्की उहह उम्म्म निकल गयी. दोस्तों क्या मस्त मज़े से चूस्टी है.
निशा लंड चूस रही थी. मैं उसके साथ ही ब्लंकेट में हाथ डाल कर उसके बूब्स दबाने लगा. निशा का गोरा और ब्लाउस के उपर से बूब्स दबाने लगा. वो लंड चूसने का मज़ा ले रही थी.
हम दोनो मस्ती करते हुए धीरे-धीरे बातें भी कर रहे थे. मैने उससे कहा-
मैं: तूने ये सारी क्यूँ पहनी है? तुझे शॉर्ट्स या वन पीस पहनना चाहिए था. तुझे मैं सेक्सी रूप में देखना चाहता हू.
निशा लंड पर ज़ुबान घूमते हुए बोली-
निशा: अर्रे बाबा घर से तो ऐसे निकलना पड़ना था ना. अबू जाके सब कुछ करूँगी. आपने सोचा भी नही होगा मैं वो-वो करूँगी.
मैं उसका बूब मसालते हुए बोला-
मैं: मेरी रानी, ज़रा बता तो सही क्या-क्या रंडी-पाना करेगी?
निशा: कुछ तो सर्प्राइज़ रहने दो. आपके साथ पूरा आनंद और मस्ती करूँगी. आपको जो करना है वो करना. मुझे भी करने देना.
मैं: साली मैं तुझे वाहा रंडी की तरह दबा के छोड़ूँगा.
निशा: वो तो आप हर बार छोड़ते हो.
मैं: घर में सही से नही हो पाता है. वाहा तू और मैं खुल के करेंगे. वाहा किसी का दर्र नही होगा.
निशा: हा राजा जी. ये बात तो है. मुझे आपके साथ वाहा घूमना भी है. सारे दिन सेक्स ही मत करना. वरना मेरा फिगर चेंज हो जाएगा.
मैं: कोई बात नही, तू मेरे रंडी नही है क्या? (ये बोल कर उसका एक निपल ज़ोर से दबा दिया)
निशा: आह आह धीरे करो ना. मैं हू आपकी सब कुछ. इस बदन पर और इस निशा पर आपका हक है. आपका जो मॅन हो वो करना.
निशा लंड चूस्टे हुए मेरी नेवेल को भी चाटने लगी. उसे अब मस्ती करने में मज़ा आने लगा. वो अपने मूड में आ गयी थी. इधर मैं दोनो बूब्स मसल रहा था.
नेवेल चाटने के बाद फिरसे लंड चूसने लगी. मैने अपनी दोनो टांगे फैला दी, और उसका मूह लंड में दे दिया. ब्लंकेट में उसका मूह उपर नीचे होता दिख रहा था. मुझे देख कर बड़ा ही मज़ा आ रहा था.
ट्रेन के धीमे-धीमे झटको से उसका बदन हिल रहा था. दोस्तों क्या मज़ा आ रहा था. कैसे बतौ वो एंजाय आप फील कर सकते हो. वर्ड्स में कहना मुस्किल है. मैने उससे कहा-
मैं: ऑश मेरी निशा. अब तुझे छोड़ने का मॅन कर रहा है. चल अपनी सारी उपर कर, तुझे छोड़ डू.
निशा: नही-नही प्लीज़, अभी नही. मैं चाहती हू आप मुझे हनिमून रूम में ही दुल्हन बना कर छोड़े. प्लीज़ मेरी ये रिक्वेस्ट मान लो. अब इतने दिन बिना सेक्स के रुके है, तोड़ा और सबर कर लेते है. आपके लंड को देख कर मेरा भी मूड है आपसे जी भर के अभी चुड जौ. छूट में गर्मी हो रही है.
दोस्तों अब नेक्स्ट पार्ट में मिलेंगे. मेरी ये कहानी कैसी लगी मुझे [email protected] पर मैल करके ज़रूर बताना.