देवी जिसको समझा, वो निकली रंडी

ही दोस्तों, मेरा नाम युवक है, और मैं बिहार से हू. मेरी उमर 19 साल है. हाइट मेरी 5’8″ है, और लंड मेरा 6 इंच का है. मैं एक दुकान पर काम करता हू. ये कहानी मेरी मा गौतमी के बारे में है. तो चलिए मैं कहानी शुरू करता हू.

जब मैं छ्होटा था, तो मेरा बाप बहुत दारू पीटा था. दारू पी कर वो मा को मारता था. बहुत बर्दाश्त करने के बाद जब मा के बर्दाश्त की सीमा टूट गयी, तो उसने मेरे बाप को तलाक़ दे दिया.

मा अभी जवान थी, लेकिन उसने दोबारा शादी ना करके मुझे पालने का डिसाइड किया. लेकिन पैसों का कोई ज़रिया ना होने की वजह से मा घर-घर जाके काम करने लगी. तब से आज तक बहुत तकलीफे सहन की मा ने, और मुझे पाला-पोसा.

स्कूल ख़तम करने के बाद मैने डिसाइड किया, की मैं पहले खुद पैसे कमौँगा, और उसके बाद कॉलेज जौंगा. इसीलिए मैने एक दुकान पर नौकरी कर ली. लेकिन पिछले महीने मैने कुछ ऐसा देखा, जिससे मेरी दुनिया हिल गयी.

जैसा की मैने बताया, की मेरी मा का नाम गौतमी है. उनकी उमर 39 साल है. हाइट उनकी 5’6″ है, और रंग गोरा है. उनका शरीर भरा हुआ है, और फिगर साइज़ तकरीबन 36-32-38 होगा. मा इस वक़्त 3 घरो का काम करती है अलग-अलग टाइमिंग पर.

तो हुआ यू, की दुकान पर नौकरी लगे हुए मुझे एक महीना पूरा हो गया था, और मुझे मेरी पहली सॅलरी मिली थी. अपनी मेहनत की कमाई देख कर मुझे बहुत खुशी हो रही थी. मैं मा को अपनी सॅलरी देने के लिए इतना उतावला था, की शाम तक का इंतेज़ार किए बिना, मैं उनके काम की जगह पर चला गया.

उस वक़्त मा मोतीलाल जी के घर पर थी. मोतीलाल जी पेशे से ज्यूयेलर है, और उनका काफ़ी बड़ा घर है. मैने ऑटो पकड़ा, और उनके घर चल पड़ा. बाहर गुआर्द खड़ा था, जो मुझे पहले से जानता था. उसने बिना अंदर पूछे मुझे घर के अंदर जाने दिया.

मैं अंदर गया. घर के गाते से पहले काफ़ी बड़ा गार्डेन एरिया है. फिर मैं गाते पर पहुँचा, और गाते खोल कर अंदर चला गया. अंदर बड़ा सा हॉल है. मैने आस-पास देखा, लेकिन कोई नही था. फिर मैने आवाज़ भी दी, लेकिन कोई जवाब नही आया.

तभी मैने मोतीलाल जी को देखा. वो किचन की तरफ जेया रहे थे. मैने उनको आवाज़ दी, लेकिन उनको सुनी नही. अब मैं आपको मोतीलाल जी के बारे में बता देता हू.

मोतीलाल जी एक अमीर आदमी है. उनकी उमर 50 साल है, और वो आचे ख़ासे तगड़े है. उनकी हाइट 5’11”, और रंग दूध जैसा गोरा है. लंड उनका 7 इंच का है (जो मुझे बाद में पता चला). उनको देखते ही पता चलता है, की वो एक राईस आदमी है. उनकी पर्सनॅलिटी रौबदार है. अब कहानी पर वापस आते है.

क्यूंकी उन्होने मेरी आवाज़ नही सुनी, तो मैं उनके पीछे चल पड़ा. वो किचन में गये थे, तो मैं भी अंदर जाने लगा. लेकिन जैसे ही मैं अंदर जाने लगा, मेरे पावं अपने आप ही रुक गये. और जो मैने देखा, वो कुछ अलग ही था.

मोतीलाल जी किचन में खड़े थे, और मेरी मा वाहा सब्ज़ी काट रही थी. वो उसको बोले-

मोतीलाल: कैसी हो गौतमी?

मा: ठीक हू मलिक.

मोतीलाल: आज बहुत सेक्सी लग रही हो.

मा ने मरून रंग की सारी पहनी हुई थी, और ब्लाउस भी सेम रंग का ही था. पल्लू मा ने इकट्ठा करके लिया हुआ था, जिससे उनका दया बूब ब्लाउस के उपर से उभरा हुआ दिख रहा था. उनकी हल्की क्लीवेज भी दिख रही थी. कमर पर मा की नाभि सॉफ नज़र आ रही थी, और पीछे से कमर का हिस्सा पूरा नंगा था.

जब मोतीलाल ने मा को सेक्सी बोला, तो मुझे अजीब लगा, की वो मा से ऐसी बात कैसे कर सकता था. तभी वो मा के पास गया, और पीछे से उसकी कमर में हाथ डाल दिया. इससे मा मचल गयी. मुझे ये देख कर बहुत गुस्सा आया. मैं आयेज बढ़ कर उसको पकड़ने ही वाला था की मा बोली-

मा: छ्चोढिए ना साब मालकिन देख लेंगी.

मोतीलाल: आज तेरी मालकिन बाहर गयी है. आज तो तू ही इस घर की मालकिन है.

मा: कैसी मालकिन, सारा दिन मुझे इतना काम पड़ता है. मैं तो नौकरानी हू इस घर की.

मोतीलाल: अर्रे मेरे दिल की तो रानी है तू. आजा मेरी प्यास बुझा दे.

ये बोल कर उसने मा को घुमाया, और अपनी बाहों में भर लिया. फिर मा बोली-

मा: क्या मलिक, आप भी पहले गरम कर देते हो. फिर मुझे ठंडा किए बगैर ही झाड़ जाते हो.

मोतीलाल: अर्रे तू फिकर ना कर, आज ऐसी गोली लाया हू, जिससे तेरी छूट का भोंसड़ा बना दूँगा.

मा: और मेरी पगार का क्या. आपने पिछली बार भी छोड़ दिया था, लेकिन पगार नही बधाई थी.

मोतीलाल: इस बार सीधे 2000 रुपय बढ़ा दूँगा तेरी पगार में. तू बस आजा अब मुझसे रुका नही जेया रहा.

ये बोलते ही मोतीलाल ने अपने होंठ मेरी मा के होंठो से चिपका दिए, और मेरी कामुक मा के होंठो का रस्स चूसने लगा. मेरी मा भी उसका साथ दे रही थी. वो ऐसे मेरी मा को चूस रहा था, जैसे बरसो का प्यासा हो.

होंठ चूस्टे हुए वो मेरी मा की पीठ पर अपने हाथ फेर रहा था. वो अपने हाथ मा की पीठ से उसकी कमर पर ले गया, और कमर को मसालने लग गया. फिर वो और नीचे गया, और मा के चूतड़ को दबाने लगा. इससे मा की वासना और बढ़ रही थी, और वो और जोश से किस कर रही थी.

मोतीलाल को मा के साथ ऐसा सब करते देख कर मैं बहुत हैरान और परेशन था. मैं समझ नही पा रहा था की क्या हो रहा था. मुझे विश्वास नही हो रहा था, की जिस मा को मैं त्याग की देवी मान कर बैठा था, वो ये सब कर रही थी.

फिर मोतीलाल ने अपना एक हाथ चूतड़ से हटा कर उनके बूब पर रख लिया. उसके ये करते ही मेरी मा ने ज़ोर की आ भारी. फिर वो मा के बूब को मसालने लग गया. वो होंठ चूस्टे हुए ये सब कर रहा था. फिर मोतीलाल ने अपना हाथ नीचे से ब्लाउस में डाल लिया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको यहा तक की कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी शेर करे. ताकि वो भी कहानी का मज़ा ले पाए.