अधूरी प्रेम कहानी गे लड़के की

हेलो दोस्तों, मेरा नाम कारण मल्होत्रा है. मैं देल्ही में रहता हू. आज मैं जो आपको बताने जेया रहा हू, वो एक लड़के की कहानी है. मैं उमीद करता हू की आपको ये कहानी पसंद आएगी.

मैं एक महीना पहले बंगलोरे गया हुआ था छुट्टी मानने. वाहा पे मुझे एक लड़का मिला, और उसके साथ अची दोस्ती हो गया. हम दोनो अकेले ही घूमने गये थे, तो हमने साथ एंजाय करने का फैंसला किया. इसलिए हम एक रूम बुक किए.

उस लड़के का नाम रोहन था. वो दिखने में बहुत गोरा और तोड़ा स्लिम फिगर का था. जब हम बेड पे सोने के लिए गये, तब उसको किसी का कॉल आ रहा था. लेकिन वो बार-बार काट रहा था. फिर मैने पूछा-

मे: कॉल क्यूँ काट रहे हो?

रोहन: बस एक फ्रेंड का है.

मे: फ्रेंड या गर्लफ्रेंड?

रोहन: मेरी कोई गर्लफ्रेंड नही है.

फिर मैने थोड़ी ज़िद की: क्या बात है?

रोहन: तुम मुझे जड्ज नही करोगे ना?

मे: मैं जड्ज क्यूँ करूँगा?

रोहन: आक्च्युयली मेरे बाय्फ्रेंड की कॉल है.

मे: क्या!

मैं पूरा चौंक गया. लेकिन थोड़ी देर रुकने के बाद मैं नॉर्मल हो कर उसको बोला-

मे: ई आम सो सॉरी. मेरे चौंकने से तुम्हे अजीब लगा हो तो.

रोहन: नही यार, मैं समझता हू.

फिर मैने खुल के बात की उससे.

मे: आज के ज़माने में ये सब नॉर्मल है यार. मैं भी इसको सपोर्ट करता हू.

फिर रोहन भी तोड़ा नॉर्मल हुआ.

मे: आक्च्युयली एक बात पूचु?

रोहन: हा.

मे: क्या तुम अपने बारे में तोड़ा बताओगे. मुझे इक्चा हो रही है जानने की.

अब रोहन मुझे उसकी कहानी बताने लगा.

रोहन: मैं राजस्थान से हू. हम वाहा के रजवादी खंडन में से है. इसीलिए हम बहुत अमीर थे. अमीर होने की वजह से मैने बचपन मैने कभी तकलीफ़ का सामना नही किया था.

रोहन: बचपन में मेरा एक दोस्त था. उसका नाम अमन था. उसके साथ मैं ज़्यादा टाइम खेलता था. हम दोनो इतने क्लोज़ थे, की हम रात को भी साथ-साथ सोते थे. जब हम थोड़े बड़े होने लगे, तो मुझे अमन को देख कर एक अजीब सी हुलचूल महसूस होती थी.

रोहन: मुझे पता नही होता था, लेकिन मैं जब भी अमन के साथ होता था, तब मुझे अमन के अलावा और कुछ भी नही दिखता था. एक रात हम दोनो सोए हुए थे की तभी मुझे ऐसा लगा की कोई मेरे गाल को किस कर रहा था. तभी मेरी आँख खुल गयी तो मैने देखा की वो अमन ही था.

रोहन: मैं फाटाक से उठ कर खड़ा हो गया और उसको कहा, “ये क्या कर रहे थे अमन”!

अमन: कुछ नही यार.

रोहन तो अमन: झूठ मत बोलो. गाल पे चुम्मा क्यूँ कर रहे थे?

अमन: तुम्हारे गाल बहुत सॉफ्ट है यार. बिल्कुल लड़की की तरह.

रोहन तो अमन: लेकिन मैं तो लड़का हू ना.

अमन: हा मगर तुम्हारा बदन बिल्कुल लड़की की तरह ही गोरा और पतला और सॉफ्ट है ना, इसीलिए. प्लीज़ ये बात किसी को मत बोलना.

रोहन तो मे: उस वक़्त मैने सोचा की वो मज़ाक कर रहा था मेरे साथ, और मैं ठीक है बोल कर सो गया. उसकी अगली रात को तो अमन मुझे पूरा लिपट के सोया हुआ था. मुझे तो उसका साथ अछा लगता था, इसलिए मैं भी उसका साथ पूरा देता था. अब तो हम हर रात को ऐसे ही चिपक के सोते थे.

रोहन तो मे: एक बार तो उसने गाल को किस करते-करते डाइरेक्ट होंठ को चूम लिया. मुझे तोड़ा अजीब लगा, लेकिन बहुत अछा लगा. अब जैसे-जैसे उमर बढ़ती गयी, मेरे लिए अमन नज़दीक बढ़ता गया. लेकिन मुझे अमन का समझ नही आ रहा था, की वो भी मेरे बारे में कुछ सोचता था की नही.

रोहन तो मे: क्यूंकी वो सिर्फ़ रात को ही मुझसे छिपकता था. मगर दिन में मुझसे दूरी बना के रहता था.

एक बार तो मैने देखा की अमन एक लड़की के होंठो पे किस कर रहा था. जब मैने ये देखा तो मुझे पता नही बहुत बुरा लगा. और मैं वाहा से चला आया. जब रात को वो सोने के लिए आया, और मुझसे छिपकने लगा, तो मैं बोला-

रोहन तो अमन: डोर रहो मुझसे.

अमन: क्यूँ यार?

रोहन तो अमन: आज तुम उस लड़की को किस कर रहे थे ना?

अमन: हा, तो क्या हुआ उसमे?

रोहन तो अमन: तो फिर अब मुझसे क्यूँ चिपक रहे हो? जाओ उसके साथ.

अमन: तुम गुस्सा क्यूँ हो रहे हो?

रोहन तो अमन: एक बात बोलॉगे?

अमन: हा पूछो.

रोहन तो अमन: तुम मुझसे जो चिपक रहे हो, क्यूँ कर रहे हो?

अमन: मज़ाक से चिपक रहा हू.

रोहन तो अमन (तोड़ा उदास हो कर): सिर्फ़ मज़ाक!

अमन: हा, तुम्हे क्या लगा मैं तुमसे प्यार करता हू?

रोहन तो अमन: हा.

अमन: तुम क्या लड़की हो जो मैं प्यार करूँगा?

रोहन तो अमन: लेकिन मुझे तुमसे तोड़ा प्यार जैसा लग रहा है.

अमन: तुम पागल हो क्या?

रोहन तो अमन: क्यूँ?

अमन: हम दोनो लड़के है, तो प्यार कैसे हो सकता है?

रोहन तो मे: मुझे तोड़ा बुरा लगा, इसलिए मैं उठ कर वाहा से चला आया, और अलग कमरे में जेया कर सो गया.

उसके बाद से मैं अमन के साथ ज़्यादा नही मिलता था. जब रात को सोते थे, तब मैं उसके साथ छिपकता नही था.

अब अमन तोड़ा उदास रहने लगा. इसलिए मुझे उसे देख कर अछा नही लगा.

रोहन तो मे: फिर एक रात को जब हम सो रहे थे, तब मैं उसके सीने से जेया कर लिपट गया, और उसके गाल को किस करने लगा. तब अमन की आँखों से आँसू आने लगे,

रोहन तो अमन: क्या हुआ, रो क्यूँ रहे हो?

अमन: कुछ नही, बस ऐसे ही.

रोहन तो अमन: सॉरी, अब तुमसे गुस्सा नही करूँगा. मैं जान गया की मेरी ही ग़लती थी.

रोहन तो मे: तब अमन कुछ बोलना चाह रहा था. लेकिन कुछ बोल नही पाया, और बस चिपक के मेरे साथ सो गया. अब हम पहले की तरह मिल कर सोते थे, और मैं सिर्फ़ उसी में ही खुश रहने लगा. ऐसे ही चलता रहा. फिर जब हमारा दसवी का एग्ज़ॅम ख़तम हुआ, तब मैं दो महीने के लिए मेरे मामा के घर गया था. जब वापस आया तो पता चला की अमन के घर वाले राजस्थान से शिफ्ट हो कर देल्ही चले गये थे.

रोहन तो मे: मुझे बहुत दुख लगा की मैं आखरी बार अमन को बाइ नही बोल सका. मैं सिर्फ़ अमन को ही याद करता गया, और इधर जैसे-तैसे करके अपनी 12त की पढ़ाई चालू की. दो साल हो गये, लेकिन अमन का कुछ पता नही चला. जब मेरी पढ़ाई ख़तम हुई, तब म्बा करने के लिए मैं बाहर जाने का सोचा.

रोहन तो मे: तब मैने म्बा के लिए देल्ही जाने का सोचा, क्यूंकी मुझे अभी भी लग रहा था की दो साल के बाद भी शायद मेरी मुलाकात अमन से हो जाएगी. क्यूंकी मुझे सिर्फ़ इतना ही पता था की अमन के घर वाले देल्ही में रहते थे.

इसलिए मैने देल्ही चुना म्बा के लिए, और देल्ही में एक अची यूनिवर्सिटी में जाय्न कर लिया और एक फ्लॅट में रहने लगा. अब आयेज की स्टोरी अगले पार्ट में. अगर कहानी अची लगी हो तो महरकरण64@गमाल.कॉम पर अपने कॉमेंट ज़रूर भेजे.