हेलो दोस्तों, हाज़िर हू एक मा बेटे की चुदाई कहानी लेके. इस कहानी को पढ़िए, और फीडबॅक देना ना भूले. ये कहानी मेरी नही बल्कि मेरे एक दोस्त की है जिसने मुझे ये कहानी बताई. और मैं वैसे ही आपके सामने पेश करता हू. तो पढ़िए और आनंद लीजिए इस कहानी का.
हेलो दोस्तों, मेरा नाम लकी है, और मैं 20 साल का हू. मैं उत्तर प्रदेश का रहने वाला हू. हमारा घर सिटी से तोड़ा बाहर है. ये गाओं सा लगता है, मगर है शहर. मैने 10त तक पढ़ाई की है. उसके बाद पापा का देहांत हो गया, इसलिए मैं एक ब्रा बेचने वाली दुकान पर लग गया.
मेरे घर में सिर्फ़ मा और मैं रहते है. एक बड़ी बहें है, जिसकी शादी हो चुकी है. वो मुझसे 3 साल बड़ी है, और एक बच्चे की मा है. मम्मी का नाम बबली है. उनकी उमर 48 साल है. दिखने में थोड़ी मोटी है.
मम्मी के दूध 38″ साइज़ के है, और उनकी बड़ी गांद और गोरा बदन किसी के भी लंड में हलचल मचा सकता है. मा हमेशा सारी और ब्लाउस पहनती है. मैं मा के बड़े दूध शुरू से देख रहा हू. वो नहाने के बाद कमरे में सिर्फ़ पेटिकोट में आ जाती थी, और कमरे में ही मेरे सामने ब्लाउस और ब्रा पहनती थी. मा के दूध देख कर मेरा 7 इंच का लंड खड़ा हो जाता था.
मम्मी को लगता था मैं बच्चा हू इसलिए उन्हे कोई परहेज़ नही था इस सब से. मुझे शुरू से बड़े दूध वाली औरतें पसंद है, और मम्मी के दूध का दीवाना तो मैं हू ही. मम्मी कभी पनटी नही पहनती थी, और मैने काई बार उनकी बालों वाली बर देखी थी.
काफ़ी साल ब्रा की दुकान पर काम करने के बाद मुझे ये काम पूरी तरह आ गया था. इसलिए मैने मम्मी से बात करके एक और दुकान खोलने की सोची. मम्मी को भी ये आइडिया अछा लगा, इसलिए मैने मेरे घर से तोड़ा डोर एक दुकान किराए पर ले ली. शुरुआत में दुकान कम चली, मगर जैसे-जैसे लोगों को पता चलने लगा, मेरी दुकान अची चलने लगी.
पुरानी दुकान पर पताई 1 आंटी भी मेरी दुकान से समान लेने लगी. इनकी वजह से मुझे काई नये कस्टमर भी मिले, और आंटी की बर तो मैं पहली दुकान से लेता आ रहा था. जब आंटी के पति नही होते तो मैं दोपहर में जाके उनकी बर की गर्मी निकाल देता था.
मा भी मेरे साथ दुकान पर बैठ कर काम सीख रही थी. जब भी लॅडीस कस्टमर्स आती, वो पहले मम्मी से ब्रा मांगती. मगर मम्मी भी मुझसे ही पूच के ब्रा देती. मैं काई बार तो लॅडीस के दूध देख कर उनके नंबर की ब्रा दे देता था.
एक बार एक भाभी ब्रा लेने आई. मैं उनके दूध देख कर ही समझ गया की उनका साइज़ 36सी था. मगर उन्होने ग़लत ब्रा का साइज़ माँगा, तो मैने उन्हे समझाया की मेडम आप ग़लत साइज़ की ब्रा ले रही हो.
मम्मी को लगता था मैं बच्चा हू इसलिए उन्हे कोई परहेज़ नही था इस सब से. मुझे शुरू से बड़े दूध वाली औरतें पसंद है, और मम्मी के दूध का दीवाना तो मैं हू ही. मम्मी कभी पनटी नही पहनती थी, और मैने काई बार उनकी बालों वाली बर देखी थी.
काफ़ी साल ब्रा की दुकान पर काम करने के बाद मुझे ये काम पूरी तरह आ गया था. इसलिए मैने मम्मी से बात करके एक और दुकान खोलने की सोची. मम्मी को भी ये आइडिया अछा लगा, इसलिए मैने मेरे घर से तोड़ा डोर एक दुकान किराए पर ले ली. शुरुआत में दुकान कम चली, मगर जैसे-जैसे लोगों को पता चलने लगा, मेरी दुकान अची चलने लगी.
पुरानी दुकान पर पताई 1 आंटी भी मेरी दुकान से समान लेने लगी. इनकी वजह से मुझे काई नये कस्टमर भी मिले, और आंटी की बर तो मैं पहली दुकान से लेता आ रहा था. जब आंटी के पति नही होते तो मैं दोपहर में जाके उनकी बर की गर्मी निकाल देता था.
मा भी मेरे साथ दुकान पर बैठ कर काम सीख रही थी. जब भी लॅडीस कस्टमर्स आती, वो पहले मम्मी से ब्रा मांगती. मगर मम्मी भी मुझसे ही पूच के ब्रा देती. मैं काई बार तो लॅडीस के दूध देख कर उनके नंबर की ब्रा दे देता था.
एक बार एक भाभी ब्रा लेने आई. मैं उनके दूध देख कर ही समझ गया की उनका साइज़ 36सी था. मगर उन्होने ग़लत ब्रा का साइज़ माँगा, तो मैने उन्हे समझाया की मेडम आप ग़लत साइज़ की ब्रा ले रही हो.वो मेडम बोली: भैया साइज़ मेरा है, और मुझे मालूम है.
मैने कहा: मेडम एक बार मेरे कहने से ये ब्रा लेके जाओ. देखना बिल्कुल सही साइज़ आएगा.
कुछ देर बहस करने के बाद वो मेडम बोली: देखो भैया, अगर सही नही निकली तो मैं शाम को वापस कर जौंगी.
मैने कहा: मेडम बेफिकर रहिए, मैं यही बैठा हू.
भाभी के जाते ही मम्मी बोल पड़ी: बेटा ये कैसे बात कर रहा था तू उनसे?
मैने कहा: मम्मी मैने उन्हे एक-दूं सही नंबर की ब्रा दी है.
मम्मी बोली: बेटा तू तो ऐसे कह रहा है, जैसे उसका ख़सम हो.
मैने कहा: मम्मी उसकी ब्रा का साइज़ उसके ख़सम से भी ज़्यादा जानता हू.
मम्मी बोली: बेटा चल शाम को पता चल ही जाएगा.
मैने कहा: देख लेना, शाम को शुक्रिया बोलने ज़रूर आएगी.
मम्मी बोली: शर्त लगता है?
मैने कहा: ठीक है, 100 रुपय की शर्त लग गयी.
मम्मी ने भी शर्त लगा ली. पुर दिन काफ़ी समान बिका. शाम के टाइम वो लेडी सब्ज़ी लेने आई. तब फिर हमारी दुकान पर आई. मैं नीचे बैठा छाई पी रहा था. तब उसने मम्मी से बोला-
लेडी: अर्रे आंटी, भैया कहा है?
मैं तुरंत खड़ा हो गया.
मैने कहा: बोलिए मेडम.
वो भाभी बोली: भैया आपने बिल्कुल सही साइज़ दिया. मुझे तो पता ही नही था. मैं इतने साल से ग़लत साइज़ पहन रही थी. बहुत-बहुत शुक्रिया.
मैने कहा: मेडम कोई बात नही, ये मेरा काम है. वैसे मेडम, अगर आपको डिज़ाइनर ब्रा पनटी भी चाहिए, तो वो भी हमारे पास रहती है. और मैं ऑनलाइन भी मंगवा के बेचता हू.
वो भाभी बोली: भैया आप आपना कार्ड दे दीजिए, ज़रूरत पड़ी तो मैं बता दूँगी.
मैने फिर अपना कार्ड उसे दे दिया. भाभी के जाने के बाद मम्मी ने मुझे 100 रुपय दे दिए.
मम्मी बोली: बेटा तूने सच कहा था.
दुकान पर काम करते-करते मम्मी और मैं ओपन हो गये थे. अब मैं उनके सामने लड़कियों के दूध को घूरता और ब्रा निकाल के दे देता था.
मम्मी मुझे बार-बार कहती बेटा ऐसे मत घूरा कर, किसी दिन किसी औरत को बुरा लग गया तो तेरी चप्पल से पिटाई होगी.
मैने कहा: मम्मी ये तो मेरा काम है, सही साइज़ की ब्रा देना.
मम्मी बोली: बेटा तू ब्रा का साइज़ देखने के बहाने कुछ और देखता है.
मम्मी और मैं हमेशा ऐसी बातें करने लगे, और मुझे भी मज़ा आने लगा. एक दिन मैने सुबा देख जब मम्मी नहा के आई, तो वो ब्रा पहने हुए थी, जो साइड से फटत रही थी. मम्मी हमेशा सस्ती वाली ब्रा पहनती थी.
मैने कहा: मम्मी आपकी ब्रा फटत रही है, लगता है आपके दूध बड़े हो गये है.
मम्मी मेरी तरफ देखती हुई बोली: अभी तक बाहर वाली औरतों के देखता था, अब मेरे भी देखने लगा. सुधार जेया तू.
मैं मम्मी के पास गया, और उनके पेट पर हाथ रख कर उनकी फाटती हुई ब्रा में उंगली डाल के दिखने लगा.
मैं: ये देखो, झूठ नही बोल रहा हू.
मम्मी के मांसल जिस्म को चू के एक झटका सा लगा, और मेरा लंड ककचे में ही खड़ा होने लगा. उनके जिस्म की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी.
मैने उनसे कहा: मम्मी दुकान से आपके लिए नयी और अची वाली ब्रा निकाल के दूँगा.
मम्मी बोली: बेटा मैं खुद ले लूँगी.
मैने कहा: क्यूँ, मेरी पसंद की ब्रा नही पहन सकती आप?
मम्मी बोली: ऐसी कोई बात नही. चल तू ही दे देना.
फिर हम दोनो तैयार होके दुकान के लिए निकल पड़े.
इसके आयेज क्या हुआ, ये आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. दोस्तों यहा तक की कहानी आपको कैसी लगी फीडबॅक देके ज़रूर बताए. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.