गुड़िया की बुर का चुदाई सफ़र

ये एक बिल्कुल सच्ची घटना है. इसमे आप पढ़ेंगे, की कैसे आज समाज मे लोग अपनी हवस पूरी करते है और एक औरत कैसे अपनी कच्ची-कच्ची बर का भोंसड़ा बनवा लेती है. फिर वो आराम से खुश हो कर अपने परिवार मे अपनी चुदाई से खुश रहती है.

आप जाँएंगे, की कैसे वो लड़की मा होकर, बेहन होकर, बीवी होकर, साली होकर, बुआ होकर, मौसी होकर, भाभी होकर, अपने घर मे अपनी छूट मरवाती है. और कैसे बाप, टॉ, मामा, भाई, भांजा, ससुर, जीजा, पड़ोसी, पंडित, जहा वो काम करती है वाहा का चौकीदार, यहा तक की उसकी खुद की बर से निकले बच्चे उसको छोड़ देते है

अब बताती हू गुरिया की चुदाई के सफ़र के बारे मे. कैसे आज गाओं मे लोग अपनी हवस पूरी करते है और शहर मे आ कर एक ग़रीब औरत कैसे अपना भोंसड़ा मरवाती है और आयेज बढ़ती है. कैसे एक औरत चिनार, सस्ती गस्ति और रंडी से रांड़ बन जाती है, और इज़्ज़त और आराम से अपने परिवार के साथ रहती है .

इस कहानी मे आपको हिन्दी, भोजपुरी, हरयान्वी, पंजाबी का लहज़ा भी देखने को मिलेगा. आप पढ़ेंगे, की कैसे एक औरत पूरी चुदाई का मज़ा लेती है और जीवन को जीत-ती है. एक कमसिन काली कैसे गोभी का फूल बन जाती है.

पूरा मज़ा लीजिया और चुदाई का सुख लीजिए. शायद ये भी एक विचार धारा हो. एक सच्ची कहानी गुरिया की ज़ुबानी पार्ट 1-

तोहार गुरिया का बाप फौज मे जमादार था. गुरिया के टीन टॉ और एक बुआ है. गुरिया की मा कामली एक बहुत ही चुड़क्कड़ औरत थी और उसने अपने जिस्म की खूब भूख मिताई. गाओं मे गुरिया के परिवार मे 25 लोग है.

गुरिया के बाप को छोढ़ कर, बाकी सब भाई खेती करते है. कहावत है ना, की रस्सी जल गयी, पर बाल नही गया. बस ऐसा ही है ये परिवार. तनिक हम तुमको बता ही दे, की हमार बाप बहुत ही छोड़ू किसाम के है और मा तो बस पूछो ही मत.

हुँका एक बदकी बेहन है और 2 बड़के भाई है. यानी हम सबसे छ्होटी है. बापू हमारा बहुत काला है और मा बिहारी गेहुआ रंग की है. बापू नौकरी पे हम सब को अपने साथ ही रहकते थे और खूब मौज-मस्ती करते थे.

हम गुरिया है. हम उस वक़्त 18 साल की थी और 5’2″ इंच लंबी थी. मेरे चूतड़ खूब मोटे थे और बाहर को थे. मेरी चूचिया भी खूब भारी हुई थी. बहुत खाती थी मई और मेरा रंग एक-दूं गोरा था. लोग मेरे बापू को पूछते थे-

लोग: रे कालू, ये तुम्हारी ही लड़की है क्या ?

वो हेस्ट हुए उनकी बात सुनता था. सच मे हम बहुत ही सीधे-सादे थे. कालू फौज से रिटाइर होकर गाओं आ गया था और गाओं की हवेली मे सबसे अछा हिस्सा उसको ही दिया गया. टॉ हमारे बहुत ही घटिया थे और एक नंबर के आइयश थे.

मेरे टॉ मेरे बापू की पूरी पेन्षन दारू और अश् करने मे उड़ा देते थे और खूब लोचा करते थे . अब तुम्हे बताती हू तुम्हारी गुरिया के परिवार के बारे मे. टॉ का नाम घसीटू है और उमर 65 है. टाई का नाम बुरावती है और उमर 45 है.

उनका लड़का मास्टर है गाओं के स्कूल मे. टाई ने उसको पढ़ा-लिखा कर मास्टर लगवा दिया था. टाई एक नंबर की चिनार है और बहुत तेज़ है. टॉ और कालू, टॉ के घर मे दारू पी रहे थे और फिर टॉ बोले-

टॉ: अर्रे कालू, आज खाना भी हमारे साथ ही खा लेना.

मेरा टॉ बहुत ही चालाक आदमी था. उसका नीयत तोहार गुरिया पे थी. मई उस वक़्त सीधी सॅडी कमसिन सी गुरिया थी, तो मई उनकी ये नीयत समझ नही पाई थी.

कालू और टॉ देसी दारू की पूरी बॉटल पी लिए थे. तभी टॉ ने अपनी पत्नी को खाना लाते हुए देखा और बोले-

टॉ: आज अछा खाना बना है ना? देख आज तो कालू भी हमारे साथ है.

टाई भी एक चालाक औरत थी और उनकी नज़र बापू की पेन्षन पर रहती थी. बापू भी फौज मे थे और भोले तो वो भी नही थे. फिर टाई बोली-

टाई: हा, देवर जी के लिए मटन बनाया है आज तो. इसको खाते हुए उंगलिया चाट जाएँगे.

और ये बोल कर वो हासणे लग गयी. बुरा टाई की उमर 45 थी और उनका वेट 80 किलो था. उनके चूतड़ काफ़ी बड़े थे और उनकी चूचिया तो ब्लाउस से बाहर निकल रही होती थी. तभी बापू बोले-

बापू: अर्रे घसीटू, दारू तो ख़तम हो गयी. अब मटन खाने मे मज़ा कैसा आएगा.

तभी टॉ बोले: कालू तू चिंता मत कर. मास्टर के पास बॉटल है. अर्रे बुरा, जेया मास्टर से दारू की बॉटल लेकर आ.

टाई बोली: तो आज पी कर क्या करना है, मास्टर के बापू?

टॉ हस्ता है और बुरा टाई को बोलता है-

टॉ: ससूरी जेया, और जाके बॉटल लेके आ.

फिर बुरा बॉटल लेके आई और कालू को पकड़ा दी. तभी बापू की नज़र बुरा की चूचियो पर जाती है, जो की ब्लाउस से तकरीबन बाहर ही थी.

टाई: चिंता ना कर कालू. मास्टर सिर्फ़ अँग्रेज़ी पीटा है.

और ये बोल कर टाई अपने होंठो पर जीभ फेर देती है. उसके बाद टाई पूरी बाल्टी भर कर मटन लेके आई और वाहा रख दिया. फिर टाई खुद नीचे बैठ गयी और पीछे दीवार पर टेक लगा ली. टाई बापू से बोली-

टाई: देवर जी, आज खूब मटन का मज़ा लीजिए.

और ये बोल कर टाई हासणे लगी. तभी बापू की नज़र बुरा टाई की टाँगो के बीच मे चली गयी. बुरा ने अपनी छूट को अपने पंजे मे भर कर रखा था. जैसे ही बापू की नज़र टाई से मिली, तो टाई बोली-

टाई: चलो मई अभी नहा कर आती हू.

गाओं मे शाम को अंधेरा हो जाता है. नहाने के बाद टाई ने सिर्फ़ सूती धोती डाल ली. फिर टाई ने बाहर आके उस कमरे की लाइट जला दी, जहा बापू और टॉ बैठ कर दारू पी रहे थे. फिर जैसे ही लाइट जाली, बापू ने टाई को देखा.

टाई को देखते ही बापू की आँखें खुली की खुली रह गयी. बॉडी गीली होने की वजह से पतला सूती कपड़ा टाई की बॉडी के साथ चिपक गया था. उस कपड़े मे से टाई की बर के बाल सॉफ दिख रहे थे. टाई की बर बालो से भारी पड़ी थी.

बापू का लंड टाई की बर देख कर खड़ा हो गया था. फिर टाई ने बापू को उनको देखते हुए देखा और बोली-

टाई: मटन कैसा बना है देवर जी?

और ये बोलते हुए टाई ने अपने होंठ दाँत से काट लिए.

टॉ बोला: कमालिया का बनाया मटन बहुत अछा लगता है. कालू तू तो दबा कर खाता होगा?

टाई ये सुन कर बोलती है: अछा कामली का बनाया अछा लगता है.

और ये बोल कर वो टेढ़ा सा मूह बना लेती है. कालू को बस बुरा की बालो से भारी हुई बर देख रहा होता है. फिर कालू बोलता है-

कालू: बुरा मटन बहुत बढ़िया है. लेकिन तोड़ा और सॉफ कर लाती तो अछा रहता.

टाई: कल फिरसे बनाना है देवर जी. तो कल तुम ही आके सॉफ कर देना.

और ये बोल कर टाई बाहर चली गयी. कालू तो अपनी बाहर जाती हुई भाभी को ही देख रहा था. वो उसके मस्त, बड़े-बड़े और गोरे छूतदो को देख रहा था. टॉ भी बहुत बदमाश था. उसने मेरी तरफ देखा और बोला-

टॉ: गुरिया भी बिल्कुल बुरा पे गयी है. अररी बुरा, गुरिया को भी बुला ला. उसको भी मटन अछा लगता है.

तभी टाई ने हेस्ट हुए पूछा-

टाई: ये वाला मटन.

और ये बोल कर टाई नीचे बैठ गयी. फिर जैसे ही बापू की नज़र दोबारा टाई पर गयी, तो टाई ने अपनी टाँगो को तोड़ा चौड़ा कर दिया. इससे बापू के सामने एक गोरी-गोरी बर आ गयी. बर खूब मोटी थी और बालो से भारी हुई थी.

टॉ भी मादरचोड़ आदमी था. फिर उसकी नज़र बापू पे ही थी. टॉ टाई को बोला-

टॉ: एक काम करी ज़रा. एक चिल्लम बना दे. फिर मटन खाने का मज़ा आ जाएगा. जो मास्टर के मामा के घर से लाई है ना, वही वाली.

कालू: ऐसा क्या लाई है भाभी?

तभी बुरा कालू की बात सुन कर हासणे लगी और अपनी धोती उपर की तरफ खींचने लगी. उसने अपनी धोती अपनी जाँघो तक उठाई और खड़ी हो गयी. कालू का मूह टाई की इतनी मोटी जाँघ देख कर लाल हो गया. तभी हरामी टॉ फिरसे बोला-

टॉ: बिल्कुल गुरिया पर ही गयी है. जब गुरिया हुई थी, तब मास्टर का बड़का मामा यही था.

बापू को हमारा नाम भी बहुत बुरा लगता है. तभी टाई चिल्लम लेके आ गयी और बापू को दे दी. उसके बाद टाई ने धोती फिरसे उठाई और उन दोनो के सामने बैठ गयी.

टॉ बोला: जेया बुरा, जाके गुरिया को मटन खिला दे.

टाई बोली: वो मास्टर गया है, कामली और गुरिया के लिए मोट्टों लेके. मई नही जौंगी. ससूरी पता नही कों सी जात की है.

और ये बोल कर टाई हासणे लग गयी. ये सुन कर कालू का काम गरम हो गया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो जान-ने के लिए कहानी पढ़ते रहिए.
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