मैं: क्या कहा आंटी ने कि मैं उनकी बेटी को चोदना चाहता हूं?
संगीता की ये चौथे आदमी के साथ चुदाई थी। उसे चुदाई का अनुभव तो हो ही गया था। वैसे मुझे लगता है कि औरत को चुदाई के बारे में कुछ भी सिखाने की ज़रूरत नहीं होती है। वे सब कुछ अपनी मां के पेट से ही सीख कर आती है। संगीता सिसकारी तो मार ही रही थी, उसका बदन भी उपर-नीचे हो रहा था।
संगीता: तुम हमारे घर से निकले और मां ने मेरे और बाबू जी के सामने कहा, “बहुत ही बांका जवान है। ये ज़रूर ही बहुत बढ़िया चुदाई भी करता होगा। काश ये मुझे भी एक बार चोदता!”
संगीता की बात ने मुझे बहुत गर्म कर दिया। चूचियों को मसलते हुए मैं दनादन पेलता रहा।
मैं: तुम्हारे बाबू जी ने अपनी घरवाली को डांटा नहीं?
संगीता: नहीं यार, उल्टा बाबू जी मां के साथ मस्ती से बातें करने लगे। उन्होंने कहा कि मां को जिससे भी चुदवाना है चुदवा ले, बेटी के सामने ये बोल कर बेटी को क्यों गर्म कर रही है। और जानते हो मां से बात करते हुए बाबू जी ने अपना एक हाथ मेरी कमर में लपेटा, और मुझे अपनी तरफ़ दबातें हुआ जो कहा, वो सुन कर भी मुझे विश्वास नहीं हुआ।
संगीता झूठ बोल रही थी या सच मुझे नहीं मालूम पड़ रहा था। लेकिन उसकी बातें मुझे बहुत ही ज़्यादा मस्त कर रही थी। जो भी हो, उस समय संगीता को चोद कर जैसा मज़ा आ रहा था, वैसा मज़ा रेखा या दूसरी दो माल को चोदने में नहीं आया था।
मैं: बेटीचोद तेरे बाप ने क्या कहा था? संगीता क्या सभी बाप बेटी को चोदना चाहते हैं? मेरा बाप भी अपनी बेटी के साथ खुल कर चुदाई की बातें करता है। मैंने अपनी कानों दोनों की गंदी-गंदी चुदाई की बातें सुनी थी।
संगीता: बाबू जी ने कहा कि मेरा भाई जो मुझसे तीन साल बड़ा है सालो से अपनी मां को चोदने का सपना देख रहा है। बाबू जी ने कहा था, “मेरी प्यारी घरवाली, क्यों अपनी बेटी के यार पर नज़र लगा रही है। अपने बेटे सोमेश से चुदवा ले। तेरी ब्रा में लंड रगड़ता रहता है।”
मैं: आंटी को बहुत ग़ुस्सा आया होगा!
संगीता: नहीं अमित, मां ने जवाब दिया कि क्या पता वो बेटे से चुदवाती भी हो। मां की बात सुन कर बाबू जी चुप रह गये। लेकिन उन्होंने मेरी कमर से हाथ नहीं हटाया और मैंने भी वो पूछ लिया जो किसी बेटी को बाप से नहीं पूछना चाहिए। मैंने बाबू जी से पुछा कि क्या दूसरे टीचर्स की तरह वे भी कॉलेज की लड़कियों को चोदते हैं।
संगीता: मेरी बात सुन कर मां खिलखिलाती हुई कमरे के अंदर चली गई। मेरे बहुत पूछने पर बाबू जी ने बताया कि क़रीब पिछले दस सालों से वे चोदने के लायक़ हैं ही नहीं। लेकिन पहले उन्होंने भी बहुत सी लड़कियों को चोदा था। मैंने और कुरेदा तब बाबू जी ने कहा कि 10 साल पहले उन्होंने किसी के कहने पर लंड को लंबा और मोटा करने की दवा खा ली थी। एक महीने तक खाते रहे लेकिन दवा का उल्टा असर हुआ और उनका लंड बिल्कुल ठंडा हो गया था।
संगीता: बाबू जी ने कहा कि अब वे चोद तो नहीं सकते हैं लेकिन महिने में एक-दो बार जवान लड़की को नंगा देखने के लिए रुपया खर्च करते थे। और बाबू जी ने अपने दिल के अंदर दबी हुई वासना को बाहर निकाल ही दिया।
संगीता की कहानी बहुत मज़ेदार थी ही, जिस अंदाज से वो चूत्तड़ों को उछाल-उछाल कर चुदाई का मज़ा लेते हुए अपनी मस्त आवाज़ में बोल रही थी, मुझे बहुत ही बढ़िया लग रहा था। लंड पूरा टाईट था। संगीता की रसीली और गर्म बूर में डुबकी लगा रहा था। लेकिन मेरा ध्यान उसकी बातों पर था।
मैं: हरामी ने तुझे, अपनी बेटी को चोदने की बात की?
संगीता: वो क्या चोदेगा, उसने कहा कि वो मुझे चोद तो नहीं पायेगा, लेकिन जो रुपया वो बाहर की लड़कियों पर खर्च करता है वो रुपया मुझे देगा। उसने मुझसे कहा कि हर हफ़्ता एक रात उसके साथ नंगी रहूं। मैंने उसे उस समय कोई जवाब नहीं दिया। अमित, बाप के मुंह से बेटी के लिए उतनी गंदी बात सुन कर मुझे ग़ुस्सा आना चाहिए था। लेकिन ग़ुस्से के बदले मुझे उस पर तरस आ गया। पहले तुम्हारी हरकतों ने और फिर मां और बाबू जी की बातों ने मुझे बहुत चुदासी बना दिया।
संगीता: मैं ज़बरदस्त चुदाई चाहती थी। पहले तो जी किया कि अरविंद सर को रात में गेस्ट हाउस में बुला लूं, फिर सोचा क्यों ना इस मादरचोद से चुदवा लूं। अमित मैं चाहती हूं कि तुम मेरे सामने अपनी मां को चोदो और मां के सामने मुझे चोदो। उफ्फ अमित, तुमने पहले ही क्यों नहीं चोदा? मस्त कर दिया यार, मुझे क्या हो रहा है? बाप रे, आह आगे-आगे।
संगीता ऐसे ही सिसकारी मारती रही उसका बदन टाईट हुआ ही उसने अपने बाहुपाश में मुझे इतना कस कर बांधा कि मैं धक्का नहीं लगा पाया और फिर संगीता बिल्कुल ढीली हो गई। और मैं भी झड़ने लगा। संगीता मुझे देख कर मुस्कुराती रही। हम दोनों कुछ देर एक दूसरे की आंखें में देखते रहे और फिर एक-दूसरे को बहुत बेताबी से चूमा। कुछ देर बाद हम दोनों बिल्कुल ठंडे हो गये।
संगीता: अमित सच-सच बोलो तुमने अपनी मां को चोद लिया है ना? इतने बढ़िया से चोदना उसी रंडी ने सिखाया ना?
मैं संगीता के उपर से उतर कर उसके बग़ल में लेट गया। बूर को सहलाने लगा।
मैं: मां को चोदने की, उसकी अनदेखी बूर में बहुत बेसब्री से अपना लंड पेलना चाहता हूं। लेकिन अपने लंड की कसम, अभी तक उस कुतिया को नंगा भी नहीं देखा है। लेकिन रंडी तुमने अरविंद सर से कब चुदवाया?
संगीता: अब तुमसे क्या छिपाना। कंपाउंड की कई औरतों ने, 3-4 लड़कियों ने अरविंद की चुदाई की बहुत तारीफ़ की थी। क़रीब डेढ़ महिना पहले असलम ने कहा कि अरविंद सर मुझे चोदना चाहते हैं। दस हज़ार देंगे। तब तक मैं कुंवारी ही थी। मुझे ज़्यादा रुपया चाहिए था। मैंने असलम से कहा कि मुझे एक लाख चाहिए और उसने कस्टोमर भी ला दिया।
संगीता: मैं दो बार होटल जाकर चुदवा कर आई। असलम मुझे बार-बार अरविंद की चाहत के बारे में बोलता रहा, और मैंने कह दिया कि अरविंद को बोलो कि बुधवार की रात 25 हज़ार लेकर गेस्ट हाउस में आ जाए, और वो आ भी गया। लेकिन ना-मर्द ने मुझे बहुत निराश किया। यार अरविंद को भूल जाओ, जल्दी अपनी मां को बुलाओ, उन्हें चोदो।