चुदाई देख के चुदाई का मूड हुआ

हेलो दोस्तो, मेरा नाम है अरबाब. मैं 23 साल का हू और कुछ सालों से पक्का गान्डू हू. चार साल पहले मेरी लाइफ में कुछ ऐसा हुआ, जिसकी वजह से मैं इस रास्ते पे चल पड़ा. मैं हमेशा से ही गोलू-मोलु सा था. तोड़ा वेट ज़्यादा था मेरा, लेकिन मोस्ट्ली मेरी थाइस और गांद मोटी थी. जिस्म भी मेरा बिल्कुल गोरा और क्लीन था.

अब तक मैने लाइफ में कभी मूठ नही मारी थी, और ना ही पॉर्न देखा था. मुझे तो सेक्स का भी कुछ पता नही था. हा अक्सर नींद में मेरा कम निकल जाता था, और अक्सर काफ़ी पब्लिक प्लेसस में मेरा लंड खड़ा हो जाता था.
मैं कुछ ना कुछ करके इस सब को इग्नोर कर देता था, क्यूकी किसी को ये सब बताते हुए मुझे शरम आती थी.

मेरी ज़िंदगी तब बदली, जब मैने कुछ ऐसा देखा जो मुझे शायद नही देखना चाहिए था. अब पहले आपको अपना कुछ बॅकग्राउंड दे डू. हमारी फॅमिली एक जॉइंट फॅमिली है. हम एक बहुत बड़े घर में रहते है, जहा मेरे दादा-दादी, 3 चाचू और उनकी फॅमिली, और मेरी अपनी फॅमिली रहती है.

अब हुआ यू, की एक रात मेरी आँख खुली क्यूकी मेरा नींद में कम निकल गया था. मैने कपड़े चेंज किए, और फिर पानी पीने बाहर चला गया. बिल्कुल सुनसान सा लग रहा था घर, लेकिन वापस रूम की तरफ जाते ही मेरी नज़र मेरे कज़िन की तरफ पड़ी.

मेरे कज़िन का नाम अशोक था, और वो मुझसे 3 साल बड़ा था. वो मेरे छ्होटे चाचू का बेटा था. उसको मैने उसके रूम से चुपके से निकलते देख लिया. मैने भी उसको फॉलो किया और देखा की वो बाहर जेया रहा था. अब मुझे नही पता था, की वो कहा जेया रहा था.

हमारे घर के पीछे साइड पे एक गॅरेज सा बना हुआ था. उस गॅरेज में मेरे दादा की पुरानी गाड़ी ही खड़ी होती थी, जो कोई चलता भी नही था. अशोक उस छ्होटे से पुराने गॅरेज में गया. फिर मैं भी चुपके-चुपके गया और झाँक कर अंदर देखने लगा.

अशोक वाहा मेरे बड़े चाचू राजू से बात कर रहा था. मुझे कुछ समझ नही आया की वो क्या बात कर रहे थे. लेकिन फिर जो हुआ, वो देख कर मैं बिल्कुल शॉक हो गया. मैने देखा, की राजू ने अशोक को पकड़ कर उसके होंठो पर किस कर दिया था.

अशोक का हाथ भी राजू की पंत की तरफ गया, और वो उसका लंड दबा रहा था. किस्सिंग के बाद अशोक घुटनो पे बैठा, और राजू की ज़िप खोल दी. राजू का लंड देख कर मैं हैरान हो गया. मेरा लंड 6 इंच का था, लेकिन राजू का तकरीबन 9 इंच का होगा.

अशोक ने पहले उसका लंड मूह में लिया, और लॉलिपोप की तरह चूसने लगा. फिर राजू ने उसको गाड़ी के साथ लगाया, और उसकी ट्राउज़र नीचे कर दी. अब ये सीन पूरा देख कर मेरा लंड भी टाइट हो गया था. राजू ने फिर अशोक की गांद में अपना लंड दे दिया. राजू बड़े हार्ड तरीके से उसकी गांद मार रहा था, और अशोक को भी मज़ा आ रहा था.

मेरा इस सब के दौरान कम निकल गया था, और मेरी ट्राउज़र फिरसे गीली हो गयी थी. मैने एंड तक फिर भी देखा, और एंड में अशोक ने राजू का कम पी लिया. अब इससे पहले की वो कपड़े पहनते, मैं वापस रूम में चला गया.

लेकिन उस रात के बाद मैं डेली रात को च्छूप कर वेट करता, की कब अशोक चाचू के पास जाएगा. अशोक और राजू का खेल देख कर मैं रोज़ अपनी पंत में फारिघ् हो जाता था. अभी तक मुझे समझ नही आया था, की वो ये कर क्यू रहे थे. लेकिन इतना पता चल गया था, की इसमे उनको मज़ा बहुत आ रहा था.

मैने 3-4 महीने तक उनकी चुदाई देखी, और उनको देख कर मैं मूठ मारता था. लेकिन पता नही क्यू मेरे दिल में भी ये सब ट्राइ करने की चाहत थी. फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ, की मैं भी इस रास्ते पे चल पड़ा. मेरे चाचू अक्सर दूसरे शहर ट्रिप्स पे जाते थे.

इस बार मैने राजू को पूछा, की क्या मैं भी उनके साथ चल सकता हू. मैं जानता था, की अशोक के एग्ज़ॅम्स थे तो वो नही जेया पाएगा. चाचू ने पहले तो माना किया, लेकिन मेरी ज़िद पर वो मुझे ले गये. अब जब हम वाहा गये, तो चाचू ने वन बेड वाला रूम होटेल में बुक किया था.

चाचू ने 15 दिन गुज़ारने थे वही, जब तक काम पूरा हो जाए. पहली रात हम बहुत थके हुए थे. चाचू नहाने गये थे, और मैं बेड पे लेट गया. मैने अपनी ट्राउज़र नीचे करके उनको थोड़ी गांद दिखा दी थी. फिर मैं बेड पे सोने का नाटक करने लगा.

करीब 10-15 मिनिट्स बाद चाचू आए नहा कर. मुझे थोड़ी ही देर बाद अपनी गांद पे उनका ठंडा-ठंडा हाथ फील हुआ. राजू ने आहिस्ता-आहिस्ता मेरी गांद को उपर-उपर से रब किया. फिर वो घूम कर आके मेरे साथ लेट गये. मैने उस वक़्त नींद से उठने का नाटक किया, और चाचू को बोला-

मैं: मेरी आँख लग गयी थी.

चाचू सिर्फ़ टवल में बैठे हुए थे. फिर मैं उठा और बातरूम में शवर लेने गया. मैं जब बाहर आया, तो चाचू टवल में ही सो रहे थे, और टांगे खोल कर लेते हुए थे. उन्होने लंड के उपर से भी टवल हटा दिया था.

मैं समझ गया था, की वो मुझे लंड दिखना चाह रहे थे. मैं चाचू के करीब गया, और उनके लंड को देखने लगा. खैर मैने कुछ ज़्यादा नही किया और उनके साथ में लेट गया. फिर मेरी आँख लग गयी. सुबा जब मेरी आँख खुली, तो चाचू मुझे पीछे से हग कर रहे थे, और उनका लंड बिल्कुल टाइट था.

चाचू शायद जाग रहे थे, क्यूकी वो आयेज-पीछे होके लंड को रब कर रहे थे मेरी गांद पे. चाचू ने अपना लंड मेरी थाइस के बीच में सेट किया, और आहिस्ता-आहिस्ता झटके देने लगे. 15 मिनिट के बाद मेरी ट्राउज़र गीली हो गयी पीछे से, और मैं समझ गया की वो फारिघ् हो गये थे.

उसके बाद वो उठे और नहा कर आए. मुझे उन्होने उठाया और बोला, की वो काम पे जेया रहे थे और मुझे उन्होने कही जाने से माना किया. मैने अपने कपड़े चेंज किए, और पूरा दिन टीवी वग़ैरा देख के गुज़ारा.

चाचू रात को 9 बजे तक वापस आए. हम फिर बाहर गये, और डिन्नर करने गये. डिन्नर करने के बाद हम वापस आए. फिर मैं बोला-

चाचू: आज गर्मी बहुत है.

मैं: हा चाचू, आपको एसी वाला रूम लेना चाहिए था.

चाचू: अगली बार वही लूँगा.

मैं: मुझे भी लेके आना.

चाचू: हा-हा बिल्कुल. एक काम करते है, कपड़े उतार कर सो जाते है.

मैं: चाचू मुझे शरम आएगी.

चाचू: अर्रे शरम कैसी? चाचू हू मैं तुम्हारा.

मैने तोड़ा शरमाने का नाटक किया, लेकिन आख़िर मान गया. मैं भी यही चाहता था. चाचू ने सबसे पहले अपने कपड़े उतारने शुरू किए, और वो कुछ ही सेकेंड्स में मेरे सामने नंगे खड़े थे. मैने शर्मा-शर्मा कर अपनी शर्ट उतार दी, और फिर आहिस्ता-आहिस्ता अपनी पंत भी उतार दी. अब मैं भी नंगा खड़ा था उनके सामने.

चाचू: क्या बात है! क्या जिस्म है तुम्हारा.

मैं: ऐसा क्या है मेरे जिस्म में चाचू?

चाचू: अपनी ये मोटी-मोटी थाइस तो देखो, और क्या गोल-मटोल गांद है तुम्हारी. ये जिस्म तो इंसान को खुश करने के लिए है.

मैं: चाचू, क्या मतलब खुश करने के लिए?

चाचू: तुम अभी नही समझोगे.

फिर मैं और चाचू बेड पे लेट गये. चाचू मुझसे बात कर रहे थे, और अपने लंड को भी मसल रहे थे. उनका लंड जल्दी ही टाइट हो गया. मेरी नज़र उनके लंड से हट ही नही रही थी.

चाचू: क्या देख रहे हो?

मैं: कुछ नही चाचू.

चाचू: झूठ मत बोलो, तुम मेरा लंड देख रहे हो ना?

मैं: जी चाचू, सॉरी.

चाचू: सॉरी की क्या बात है?

मैं: असल में आपका इतना बड़ा है.

चाचू: टच करोगे?

मैं चुप रहा और फिर चाचू ने मेरा हाथ पकड़ा और लंड पर रख दिया. मैं अब चाचू के लंड को घूर के देख रहा था. फिर चाचू ने मुझे लंड को सहलाने को बोला, और मैने वैसा ही किया. चाचू के लंड से प्रेकुं निकल रहा था. फिर मैने उनसे पूछा-

मैं: ये क्या है?

तो उन्होने मुझे वो प्रेकुं टेस्ट करने को बोला. मैं भी मूह खोल कर लंड चूसने लगा. अब मैं आउट ऑफ कंट्रोल हो गया था, और मैने सोचा, की अब शरमाना वग़ैरा गया भाड़ में, और अब मैं लंड के मज़े लूँगा. मैं लॉलिपोप की तरह चाचू का लंड चूसने लगा.

चाचू भी मज़े में थे, और मेरे मूह की तारीफ कर रहे थे. 15 मिनिट की सकिंग के बाद चाचू ने मेरे मूह में अपना माल निकाल दिया. मैं उनका पूरा माल पी गया. फिर उनका लंड सो गया और चाचू ने मुझे भी सोने को बोला.

मैं तोड़ा निराश हुआ, की लंड गांद में नही डाला चाचू ने. लेकिन खैर मैं सो गया. अगले दिन मेरे उठने से पहले चाचू जेया चुके थे. शाम के वक़्त जब वो आए, तब मैं नंगा ही बैठा था. चाचू मेरे सामने आए और खड़े हो गये.

फिर मैने उनके लंड को पंत के उपर से पकड़ा, और ज़िप खोल कर उनका लंड बाहर निकाल लिया. मैने फिरसे उनकी मज़ेदार सकिंग की, और 15 मिनिट सकिंग के बाद उनका माल पी गया. फिर चाचू फिर नहाने चले गये. जब वो बाहर आए, तो उनका लंड टाइट खड़ा था. मैं उनके पास गया और उनका लंड पकड़ लिया.

चाचू: क्या हुआ, इतना पसंद आ गया है क्या?

मैं: ह्म.

चाचू: इस बार कुछ और ट्राइ करते है.

मैं अंदर से खुश हुआ की आख़िर-कार अब मेरी चुदाई होगी. चाचू ने मुझे बेड पे डॉगी-स्टाइल पोज़िशन में सेट किया, और ढेर सारा थूक लगाया होल पे और लंड पे. फिर चाचू आहिस्ता-आहिस्ता ज़ोर देने लगे, लेकिन लंड अंदर नही जेया रहा था.

फाइनली चाचू ने एक ज़ोरदार झटका दिया, और उनके लंड का टोपा अंदर घुस गया. तब मुझे रियलाइज़ हुआ, की मैने कितनी बड़ी ग़लती कर दी थी. मैं दर्द से मॅर रहा था. मेरी चीख निकालने के बाद चाचू ने मेरे मूह पे हाथ रख दिया था.

फिर चाचू ने एक और धक्का दिया, और आधा लंड अंदर घुसा दिया. इस टाइम दर्द इतना ज़्यादा था, की मेरी आँखों के सामने अंधेरा छा गया. तीसरे झटके तक मैं बेहोश ही हो गया था.

मुझे नही पता, की मेरी बेहोशी में क्या हुआ था. बस इतना पता है, की चाचू ने मेरी गांद खोल दी थी. मेरी आँख जब खुली, तो मेरी टांगे आसमान की तरफ थी. चाचू मेरे निपल्स चूस रहे थे, और मेरी गांद में लंड अंदर-बाहर कर रहे थे.

चाचू ने मेरी गांद को सही से फाड़ दिया था, और मेरी गांद बिल्कुल सुन हो गयी थी. 20-25 मिनिट तक चाचू ने डुमदार चुदाई की, और फिर मेरी गांद में पानी निकाल दिया. चाचू ने जब लंड निकाला, तो मेरी गांद से उनका पानी बह रहा था.

मैने जब अपनी गांद के होल को टच किया, तो वो इतना खुल गया था, की मेरा हाथ पूरा अंदर फिट हो जाता. फिर चाचू उठ कर बातरूम गये और मैं वही बेड पे पड़ा रहा. मुझसे तो अब हिला भी नही जेया रहा था.

चाचू ने थोड़ी देर बाद मुझे दर्द की दवाई दी. उसको खाने के बाद मेरा दर्द ख़तम हो गया और फिर मैं सो गया. सुबा मेरी आँख खुली, तो चाचू मुझे छोड़ रहे थे. उनका पूरा लंड मेरी गांद में अंदर-बाहर हो रहा था.

अब मेरी चुदाई इतनी हो गयी थी, की मुझे दर्द नही हो रहा था. आहिस्ता-आहिस्ता उनकी चुदाई मैं एंजाय करने लगा था. चाचू बहुत ही रफ छोड़ रहे थे मुझे. मेरी गांद भी लाल हो गयी थी. मेरा लंड भी टाइट हो गया था, और चाचू का लंड जैसे ही अंदर जाता, मुझे ऐसा लगता मेरा पानी निकल जाएगा.

चाचू ने जब बहुत तेज़ चुदाई की, तो बस वही मेरी लिमिट थी, और मेरे लंड से फाउंटन की तरह कम शॉट होने लगा. इतना मज़ा मुझे कभी नही आया होगा. चाचू ने थोड़ी देर और चुदाई की, और मेरी गांद को फिरसे माल से भर दिया.

फिर वो काम पे चले गये और शाम को आए. मैं बैठा टीवी देख रहा था. चाचू ने मुझे बालो से पकड़ा और लंड मूह में घुसा दिया. बहुत रफ्ली मेरा मूह छोड़ा उन्होने, और थोड़ी देर बाद उसी में फारिघ् हो गये.

फिर उन्होने शवर लिया, और वापस आके मुझे उठाया और बेड पे फेंक दिया. उन्होने मेरी गांद फैलाई और लंड घुसा दिया. मेरी चीख निकली, लेकिन चाचू ने मेरे मूह पे हाथ रख दिया. 5 मिनिट तक मुझे दर्द हुआ, लेकिन फिर मैं भी एंजाय करने लगा.

10 मिनिट की चुदाई में मैं फारिघ् हो गया. चाचू ने मुझे उठाया और उछाल-उछाल कर छोड़ने लगे. उनके अंदर बहुत ताक़त थी. फिर थोड़ी चुदाई के बाद मैं फिरसे फारिघ् हो गया. फिर चाचू ने मुझे नीचे उतरा, और मेरे मूह में लंड डाल कर छोड़ने लगे. उन्होने मेरा मूह अपने माल से भर दिया.

मैं अब चाचू की रंडी बन चुका था. वो मुझसे पूछते भी नही थे, और पकड़ कर छोड़ना शुरू कर देते थे. बाकी के 10 दिन उन्होने मेरी पलंग-तोड़ चुदाई की. घर जाते-जाते मैं भी चुदाई का पक्का शौकीन हो गया था, और खुद ही उनके लंड पे चढ़ जाता था.

घर जाने के बाद भी चाचू ने कोई मौका नही छोढ़ा मुझे छोड़ने का. वो अभी भी अशोक को छोड़ते थे, लेकिन हम दोनो को पता नही चलने देते थे. अशोक की अक्सर गांद मारने के बाद वो मुझे कॉल करके बुलाते थे, और वही गॅरेज में मेरी भी गांद मारते थे.

अशोक का मुझे इतना पता चला, की वो सिर्फ़ चाचू से मरवाता था. लेकिन मैं इतनी बड़ी चुड़क्कड़ रंडी बन गया था, की मैने इधर-उधर भी मूह मारना शुरू कर दिया था. मैने अपने वॉचमेन से भी चुडवाई, फिर मैने एरिया के हर लोंदे-बाज़ से गांद मरवाई.

एक दो बार तो मैने अपना गंगबांग भी करवाया था. आज तो मेरा एक बाय्फ्रेंड है, और वो भी एक अग्रेज़ है. वो बिल्कुल मेरे चाचू जैसा है, लेकिन उसका लंड चाचू से भी बड़ा है. वो भी मुझे एक खिलोने की तरह इस्तेमाल करता है.