सगी छोटी बहन की चुदाई की कहानी

मेरा नाम अनवर है. आज मैं जो कहानी आप लोगों को सुनाने जा रहा हूँ, वो किसी और की नहीं, मेरी अपनी है. ये सेक्स स्टोरी मेरी अपनी छोटी बहन आतिशा के साथ किए गए सेक्स की है. मेरी बहन जिसकी उम्र इक्कीस साल की है, एक सांवली लड़की है. वो इतनी ज्यादा हॉट है कि उसके चेहरे भर को देखने के बाद ही किसी का भी मन उसे चोदने को बचैन हो जाएगा.

मैंने अपनी बहन आतिशा को एक बार अपने दो दोस्तों के साथ चुदाई करते हुए देखा था. तभी से मैंने उसे चोदने का मन बना लिया था.

फिर एक दिन मेरे इंतजार की घड़ियां खत्म हो गईं. जब मैंने एक रात को उसे चोद दिया. इन दिनों हमारी अम्मी मेरे पास आई हुई थीं. दिन के समय दोपहर में मेरी बहन नहाने के बाद मेरा हाफ पैन्ट पहने हुई थी.

उस दिन मैं और मेरी बहन आतिशा दो लोग ही रूम पर थे. शाम को मेरी अम्मी मेरे एक चचेरे भाई के पास चली गईं. वो उधर रात को रुकने वाली थीं.

उस दिन शाम को मैं एक ब्लू मूवी की सीडी लेकर आ गया था. रात के समय खाना खाने के बाद जब मेरी बहन पढ़ने के लिए बाहर चली गई, तो मैं अपने रूम में जाकर अपने कम्प्यूटर पर ब्लू मूवी देखने लगा.

कुछ देर के बाद जब मैंने पीछे मुड़ कर देखा, तो पाया कि आतिशा रूम के दरवाजे पर खड़ी होकर फिल्म देख रही थी. मैंने जब देखा कि वो खड़ी हो कर फिल्म देख रही है, तो मैंने उससे बोला कि इधर आकर बैठ जाओ.
आतिशा शर्मा कर बोली- नहीं मुझे पढ़ने जाना है.
मैंने बोला- ये भी तो एक पढ़ाई ही है.

मेरे कुछ देर के प्रयासों के बाद आतिशा मेरे पास आकर बैठ गई. फिल्म के गर्मागर्म सीन देखते हुए हम दोनों ही वासना की आग में जलने लगे थे.
कुछ देर के बाद मैंने उसके कंधे पर हाथ रख कर जैसे ही उसकी चुची के ऊपर रखा तो आतिशा बोली- नहीं भैया, ये ठीक नहीं है.
मैंने बोला- अरे यार . … इससे कुछ नहीं होता.

मेरी बात से वो चुप हो गई. कुछ देर तक उसकी चुचियों पर हाथ फ़ेरने के बाद जब मैंने देखा कि वो कुछ नहीं बोल रही थी और चुपचाप मूवी को देख रही थी, तो मैंने उसकी चूत के ऊपर अपना हाथ रख दिया.

जैसे ही मैंने आतिशा की चुत के ऊपर हाथ रखा, तो वो बोली- भैया, प्लीज़ ये मत कीजिए.
मैं बोला- क्या हुआ, अभी तो मैंने कुछ भी नहीं किया.
वो बोली- नहीं, मैं पढ़ने जा रही हूँ.

मैंने उसके हाथ पकड़ कर कहा- क्यों, तुम्हें ये सब अच्छा नहीं लग रहा है क्या?
आतिशा बोली- नहीं.
मैं बोला- अरे कुछ देर मजा तो लेकर देखो, बहुत अच्छा लगता है.
वो बोली- नहीं मुझे मालूम है कि ये अच्छा नहीं है.
मैंने पूछा कि तुमको कैसे पता कि इससे अच्छा नहीं लगता? क्या तुमने कभी ऐसा किया है?
आतिशा हड़बड़ा कर बोली- नहीं . … मैंने ऐसा कुछ नहीं किया.
मैंने पूछा- फिर तुम्हें कैसे पता कि अच्छा नहीं लगता.
वो बोली- मैं जानती हूँ.

मैंने फिर से पूछा- सही बताओ कि तुमने कभी ऐसा किया है? वैसे मुझे कुछ मालूम है.
जब उसे लगा कि शायद मैंने उसे अपने दोस्तों से चुदने के बारे में जान लिया था, तो आतिशा बोली- हां मैंने एक बार किया है.
मैंने उससे खुल कर कहा- जब मैं तुम्हारे पास हूँ, तो तुमको किसी और से चुदने की क्या जरूरत है.

आतिशा कुछ नहीं बोली लेकिन उसका विरोध खत्म सा होने लगा.

अब मैंने उसे बेड पर लेटने के लिए बोला. वो किताब को टेबल पर रख कर बेड पर लेट गई.

उसके बेड पर लेटने के बाद मैंने उसकी पैन्ट को खोल दिया. उसने पैन्ट निकलने में मेरा साथ दिया. इसके बाद मैंने उसकी पैन्ट को पूरा खोल कर बेड के पास रख दिया. इसके बाद मैंने उसके टॉप को भी निकाल दिया. टॉप को हटाने के बाद मैंने अपनी बहन की ब्रा को खोला जो कि काले रंग की थी और उसकी भरी हुई चूचियों पर बड़ी मस्त लग रही थी.

मैंने जैसे ही आतिशा की ब्रा को खोल कर हटाया, तो वो अपने मम्मों को अपने हाथों से ढकने लगी. फिर मैं उसकी जांघ को फ़ैलाते हुए उसके ऊपर चढ़ गया.
वो नशीली आवाज में बोली- भैया, अपने लंड को नहीं दिखाओगे?
मैंने बोला- अभी दिखाता हूँ.

मैंने जब अपनी पैन्ट और चड्डी को हटा कर लंड को निकाला, तो मेरी बहन अपने भाई का लंड देखकर दंग रह गई. मैंने अपना लंड उसकी चुत के ऊपर रख दिया.
मैंने देखा कि उसकी गुलाबी चुत पर एक भी बाल नहीं था. मैंने पूछा- झांटें साफ़ की हैं क्या?
वो हंस कर बोली- हां आज ही जंगल की सफाई की है.

मैंने अब अपने लंड को उसकी चुत की फांकों में सैट किया तो वो बोली- भाईजान, क्या इतना मोटा और लम्बा लंड मेरी चुत में चला जाएगा?
मैंने बोला- हां.
आतिशा डरते हुए बोली- प्लीज़ भाईजान . … थोड़ा धीरे धीरे करके घुसाइएगा.
मैं बोला- बहना . … तुम चिंता ना करो, मैं बिल्कुल ही धीरे धीरे घुसाऊंगा.

जैसे ही मैंने बहन की चुत की दरार से अपना लंड रगड़ा, उसने अपनी चुत को फ़ैला दिया. मैंने अपने लंड को उसकी चुत के अन्दर करने के लिए हल्का सा झटका दिया, तो वो सिसक उठी ‘उम्म्ह… अहह… हय… याह…’

मैंने देखा कि लंड उसकी चुत में नहीं गया, वो फिसल कर बाहर आ गया. मैं समझ गया कि बिना तेल डाले लंड उसकी चुत में नहीं जाएगा. मैं उठ कर टेबल के पास गया और उसके ऊपर रखे तेल की शीशी को लेकर मैंने उसे बेड के पास रख दिया. फिर उसमें से तेल निकाल कर उसकी चुत के ऊपर डाल दिया. अब मैंने अपने लंड को बड़ी मुँह वाली उस तेल की शीशी में अपना लंड अन्दर डाल दिया और लंड को पूरी तरह से चिकना कर लिया.

फिर मैंने अपने लंड को हाथ से पकड़ कर आतिशा की चुत के ऊपर सैट किया और सुपारे को चूत की फांकों में फंसा कर अन्दर पेल दिया. उसकी हल्की सी आह निकली लेकिन मैं रुका नहीं और इसके बाद मैंने अपने लंड को उसकी चुत में एक हल्के से झटके के साथ अपनी कमर को हिलाया. मेरे ऐसा करने पर वो जोर से चिल्ला दी.

मैं समझ गया कि अब उसकी चुत में लंड चला गया है. मैंने जब उसकी चुत को देखा तो पाया कि मेरा लंड का सुपारा पूरी तरह से बहन की चुत में चला गया है.

मैंने उसकी चूचियों को मसलने के लिए अपना हाथ बढ़ा दिया. तभी मैं कुछ सोचने लगा. मैंने तेल की शीशी से तेल निकाल कर उसके दोनों मम्मों के ऊपर थोड़ा थोड़ा करके तेल लगा दिया. उसकी चूचियां मस्त चमक उठीं.

फिर तेल को उसकी चूचियों पर फैलाया, तो उसकी चूचियों के निप्पल तन गए. अब मैंने उसकी चूचियों को मसलना शुरू कर दिया. वो मस्त होने लगी और उसने अपने हाथ फैला दिए और अंगड़ाई लेना शुरू कर दिया.

मैंने भी लंड पेलते हुए अपनी कमर को झटके के साथ हिलाना शुरू कर दिया. मेरी बहन ने भी कमर उठा कर मेरे लंड को अपनी चिकनी चूत में खाना शुरू कर दिया. मेरे हर एक झटके के साथ उसके मुँह से ‘आह आआह … औऊ ऊऊ आह्हह्ह..’ की दर्द भरी आवाज निकल रही थी.

मैंने पूछा- क्यों ज्यादा दर्द हो रहा है?
आतिशा बोली- हां, थोड़ा धीरे धीरे चोदिए.
मैंने लंड पेलते हुए पूछा- अच्छा, ये बताओ कि मेरा लंड बड़ा है कि उन दोनों का बड़ा था.
वो थोड़ी शर्मा कर थोड़ा मुस्कुरा कर बोली- आपका!

उसकी इस बात से मुझे जोश आ गया और मैंने एक जोर का झटका दे मारा. इस झटके से वो बुरी तरह से सिहर उठी. मैंने उसकी चूचियों को जोर से मसलना शुरू कर दिया.
आतिशा बोली- भाईजान, अभी आपका और कितना बाहर है.
मैंने बोला कि अभी तो आधा बाहर है.
वो बोली- भाईजान प्लीज़ जल्दी कीजिए ना … बहुत दर्द हो रहा है.
मैं बोला कि देखो … अब मैं एक जोर का झटका देने जा रहा हूँ. अगर तुम थोड़े देर के लिए बर्दाश्त कर लोगी, तो बाद में बहुत मज़ा आएगा.
वो बोली- ठीक है. आप जोर का झटका धक्का लगाइए … एक ही बार तो दर्द होगा, मैं सह लूंगी.

मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी कमर को पकड़ लिया और एक जोर का झटका दे मारा.
वो बुरी तरह से चिल्ला उठी- आआह … अम्मी रे … मर गई … आआह आआअ ऊऊऊह … भाईजान … आप निकाल लो, बहुत दर्द हो रहा है.
मैंने कहा- थोड़ा सहन करो यार … अभी सब सैट हो जाएगा.

मैंने देखा कि अब मेरा पूरा लंड उसकी चुत में चला गया था. मैंने जोर जोर से अपनी कमर को हिलाना शुरू कर दिया. वो जोर जोर से आआह … आआह … आऊ ऊऊऊ … करके सिसकारी लेने लगी.
मैं बोला- बस और दो मिनट रुक जाओ … फिर तुमको भी मजा आएगा.
वो कुछ देर के बाद शांत हो गई.

मैं उसकी चूचियों को मसलना जारी रखा. इस तरह से मैंने उसको लगभग आधे घंटे तक चोदा. इस बीच वो दो बार झड़ चुकी थी.

जैसे ही मेरा वीर्य उसकी चुत में गिरा, मैंने उसके होंठों को चूसना शुरू कर दिया. मैंने पांच मिनट तक उसे खूब चूसा.

कुछ देर के बाद मैंने अपने लंड को निकाल दिया और वहां से दूसरे रूम में चला गया.

मेरे वहां से जाने के कुछ देर के बाद वो भी उठ कर अपने कपड़े पहन कर बाथरूम में चली गई.

वहां पेशाब करने के बाद जब बाहर आई तो मैंने पूछा- कैसा लगा अपने भाईजान से चुदवा कर?
वो मुस्कुरा कर बोली- चुदाई मस्त थी.
मैं बोला- अब जब भी तुमको जरूरत हो, तुम मुझे बता देना.

वो खुश हो गई थी. मैं भी अपने कमरे में सो गया.

इसके बाद हम दोनों भाई बहन ने पन्द्रह दिन तक खूब पेलमपाली की.

वो अब पढ़ने के लिए बाहर चली गई है. अगले महीने उसको आना है, तो अब उसकी गांड का उदघाटन करना है.

उससे मेरी बातें फोन पर होती रहती हैं, मैंने उसको कमोड पर बैठते समय अपनी गांड में उंगली करने की सलाह दी है. उसने मुझे बताया है कि अब उसकी एक साथ तीन उंगलियां गांड में जाने लगी हैं.

मुझे पूरा भरोसा है कि जब वो आएगी तो मेरा लंड अपनी गांड में बड़ी आसानी से ले लेगी.
मुझे लगता है कि आपको ये कहानी बहुत पसंद आई होगी. मुझे मेल कीजिएगा.