चाची की सिड्यूस करने की कोशिश

अपने पढ़ा की चाची मुझे रोकने की कोशिश कर रही थी.

अब आयेज…

तभी खेत से एक आदमी भाग कर घर आया और बोला की योगीश को चोट लग गयी है. हम सब खेत चाचा के पास गये हम ने देखा की चाचा की तंग टूट चुकी थी तो पहले हम हॉस्पिटल गये 2/3 दिन हमारे वही लग गये. जब वापिस घर आए तो चाचा जी ने कहा राजीव तुम खेतो का काम देखलो मैने भी माना नही काइया.

चाची- राजीव अकेले कैसे काम संभालेगा.

चाचा- मैं उसका इंतज़ाम कर दिया है, कल से मोहन आ जाएगा.

मोहन हमारे गाओ का ही है पतला सा आदमी देखने मई कमजोर सा उसकी आगे कोई 50/55 होगी वो चाचा के साथ भी काम करता था.

अगले दिन मोहन घर आया और हम काम करने चले गये हम ने दिन भर काम काइया और शाम को मैं घर आया. मैने कभी भी इतना काम नही क्या था तो मेरा बदन टूट चुका था.

चाची- तक गये क्या आज तुम.

मैं- हा चाची अब मुझे आराम करना है.

चाची- तुम कहो तो मैं मालिश कर डू तेरी आराम मिलेगा?

मैं- नही रहने दो चाची.

चाचा- करदो रानी इसकी मालिश नही तो इस से सुबा उठा नही जाएगा.

चाची- अभी करती हू, राजीव चलो अपने रूम मे.

मैं- ओक चाची चलो.

मैं रूम गया और चाची ने मेरे पोर कपड़े उत्तर डाइ बस बॉक्सर ही बाकी था, चाची ने पहले मेरे बहो की मालिश की फिर मेरी टॅंगो की जब चाची ने मेरी झंगो की मालिश की तो मुझे बहुत अनद आ रहा था चाची के मुलायम हाथो से मेरा लंड खड़ा होने लगा.

फिर चाची ने मेरी बॅक और चेआस्ट की मालिश की मुझे अब कंट्रोल नही हो रहा था.

चाची- राजीव बॉक्सर उत्तर भी मालिश कर डू क्या?

मैं- कुछ नही बोला सिर्फ़ सिर हिला कर हा बोल दिया.

चाची ने मेरा बॉक्सर उत्तता तो चाची हैरान हो गये मेरा 6 इंच लंबा और 3इंच मोटा लंड देख कर पहले चाची ने मेरे चूटरों की मालिश की.

फिर 5 मिंट बाद मुझे सीधा काइया और मेरे लूँ पे आयिल लगाया चाची ने अपने हाथो से मेरे लंड को मालिश की मुझे बहुत अछा लग रहा था. तभी चाची मेरे लंड को उपेर नीचे करने लगी 5 मिंट बाद मैने चाची को रोका पेर चाची नही रुकी और मेरा पानी निकल डेया.

मैं- चाची यह क्या है आप ने बोला था आप कुछ नही करोंगे तो अब यह सब क्या है?

चाची- मैने तुम से पूछ कर ही काइया है.

मैं- आयेज से मैं मालिश ही नही लूँगा आप से.

चाची बाहर चली गये (गुस्से से).

मैं नहा कर फ्रीश गया और रात का खाना खाया.

चाचा- कैसा लगा चाची से मालिश लेकर बेटा.

मैं- (क्या बोलता) अछा लग रहा है.

फिर हम सूने चले गये सुबा मैं उठा तो देखा मोहन घर पेर आ गया था और चाची से हास हास कर बताईं कर रहा था और चाची भी हास रही थी. मैं जल्दी से फ्रीश हो कर उनके पास गया तो वो चुप हो गये और चाची ने मेरे लिए छाई लाए.

मैने छाई पीया तो देखा की मोहन चाची को घूर रहा था और चाची ने भी मोहन को स्माइल दी, मुझे गुस्सा आ रहा था. फिर हम खेतो मैं चले गये.

मोहन- राजीव तुम यहा कितने दिन रुकोगे?

मैं- आप किओ पूछ रहे हो अंकल?

मोहन- वैसे ही मैं सोच रहा था की तुम घर का काम कैसे देखोगे जब तुम चले जाओगे तो मुझे ही सारा काम करना होगा तेरी चाची कैसे करेगी.

मैं- अंकल जब तक चाचा ठीक नही हो जाते मैं जाहि हू आप चिंता ना करो.

मोहन का रंग फीका पढ़ गया मेरी बात सुन कर, मैं समाज चुका था यह चाची को छोड़ने की सोच रहा है पेर चाची भी अब और नही रुक सकती थी.

डोपेहर को पहली बार चाची खेत मैं खाना ले कर आए और आज तो चाची ने मुझे इग्नोर ही कर दिया.

चाची- मोहन जी आप खाना खलो और राजीव तुम भी.

मोहन- हेस्ट होये जॉब हुकाँ आप का.

चाची- हेस्ट हुए तो फिर आओ खाना खाओ.

मुझे अब भी गुस्सा आ रहा था की चाची मोहन से ऐसे कैसे बात कर रही है, हम खाना खाने बात गये सला मोहन चाची को ही घूर जा रहा और चाची भी स्माइल पे स्माइल दे रही थी.

चाची- मोहन जी आज शाम का खाना हमारे पे ही खाना.

मोहन- खुशी से बिल्कुल जी मैं आपकी बात नही मनुगा तो किसकी मनुगा.

चाची- हेस्ट हुए तो फिर ठीक है शाम को मिलते है.

मुझे यह सभ देख कर गुस्सा आ रहा था हम ने बहुत काम काइया पूरी ट्रे से मैं तो तक चुका था.

मोहन- आब तुम घर जाओ राजीव मैं भी त्यआर हो कर आता हूँ.

मैं- किओ त्यआर हो कर किओ?

मोहन- ने अपनी मुशो पेर हाथ फेरा, तुझे नही पट्ता अभी तुम बचे हो आज की दबत नही शोदूँगा.

मैं घर वापिस आ गया और फ्रीश हो कर बेत गया आज चाची ने मेरा हाल चल भी नही पूछा बस खाना बनाः कर त्यआर हो गये क्या चमक रही थी आज, शाम को मोहन भी आ गया चाची आ गये मोहन जी आप बेतो मैं खाना लगती हूँ, चाची ने खाना लगाया हम ने खाना शुरू काइया.

मोहन- भाभी आप के हाथो मैं तो जादू है बहुत सवदिष्ट खाना बाँया पहली बार खा रहा हू ऐसा खाना.

चाची- आप के लिए ही बनाया है और लीजये ना.

मोहन- बस भाभी जी पेत तो भर गया लेकिन दिन नही भरा.

मुझे तो मानो जिसे कोई करेंट लग गया हो मुझे चाची पेर गुस्सा आ रहा था मोहन खाना खा कर घर चला गया.

अगले दिन मोहन फिर सुबा ही हमारे घर आ गया मैने उसकी आवाज़ सुनी तो मैं नीचे आया.

मोहन- भाभी कल तो आप ने क्‍मल ही करदी इतना अछा खाना मुझे दिया.

चाची- (मुझे देख कर) आप कहो तो रोज बनाः डू खाना.

मोहन- हमारी ऐसी किस्मत कहा भाभी जी जो रोज़ आप से मिले (डबल मीनिंग मे).

चाची- नही ऐसी कोई बात नही जब चाहो बोल देना (डबल मीनिंग मे).

मेरा तो परा हाइ हो रहा था फिर हम खेत गये हम ने काफ़ी काम काइया, करीब 1 बजे चाची फिर से खाना लेकर आ गये हम खाना खा के उठे तो साले मोहन ने चाची की कमर पे हाथ लगाया मैने देख लया पेर मैं कुछ नही बोला, शाम को मैं घर गया तो देखा की चाची किचन से बाहर आए.

चाची- मोहन जी नही आए साथ.

मैं- नही वो अपने घर गये है (गुस्से से).

चाची- आज मैने खीर बनाए थी उसके लिए चलो तुम खा लेना.

मैं फ्रीश हो कर वापिस आया तो हम खाना खाने बात गये चाची ने खाने के बाद सब को खीर डी मैने माना कर दिया और रूम मैं जा कर सू गया.

सुबा मैं खेतो को जाने क लिए त्यआर था तो मोहन भी आ गया वो एधेर उधेर देख रहा था पेर चाची अंदर थी.

मोहन- आज भाभी जी नही दिख रहे.

चाची- मैं यही हू छाई लोंगे क्या.

मोहन- आप कुछ दो हम ना ले ऐसा हो सकता है भला.

मोहन ने छाई पी और चाची को ही घूर रहा था.

मैं- चाची आज खाना मत लाना.

चाची- किओ?

मैं- आज जल्दी मैं घर आ जौंगा.

यह कह कर हम खेत आ गये हम ने पूरा काम ख़तम कर दिया मैं करीब 1 बजे हाथ पाओ दो कर आया तो देखा चाची आ रही थी खाना लेकर.

मैं- चाची मैने आप को बोला था के खाना मत लाना.

चाची- तुम घर पेर खा लेना यह तो मोहन के लिए है ओसे थोड़ी ना भूखा रखूँगी.

मोहन- सूकरया भाभी जी जो आप को मेरी इतनी चिंता थी.

चाची- अब आप भी हमारे घर ही सदस्या है तो आपका भी ख्याल रखना मेरा फेर्ज़ है.

मोहन- यह तो आप की दरया दिली है.

मैं- अब चले चाची जी घर.

चाची- रूको मोहन को खाना खाने दो ( मोहन की तरफ देख कर स्माइल की)

कुछ टाइम बाद हम घर को निकले मैने पोर रास्ते कोई बात नही की चाची से जब हम घर आए.

चाची- क्या हुआ आज कुछ बात नही की रास्ते मे.

मैं- अब क्या बात करनी है कुछ रह गया है क्या?

चाची- तेरा क्या मतलब है?

मैं- सब दिख रहा है मुझे.

चाची ने मुझे पहली बार एक चमत मारा मैं तो देखता ही रह गया.

चाची- तुझे इस कोई मतलब नही होना चाहिए तू अपना काम कर मुझे सब पट्ता है मुझे क्या करना है.

मैं- गुस्से से अपना बाग पॅक काइया और चाचा को बोला मुझे शहर जाना है (इस बार चाची ने नही रोका).

चाचा- किओ क्या हुआ?

मैं- जॉब की कॉल आए है (झूठ ही बोला).

फिर मैं बिके से निकल पढ़ा पेर सोच रहा था कही मोहन चाची को छोड़ ना दे, 2 घंटे बाद मैं घर पहुच गया.

मम्मी- तू आ गया बेटा क्या हुआ?

मैं- कुछ नही मम्मी जी बस आप की याद आ रही थी.

मम्मी- चलो फ्रीश हो जाओ खाना बनती हू.

मैं फ्रीश होने बातरूम चला गया.

आयेज क्या होगा यह नेक्स्ट पार्ट मई क्या मोहन रानी को छोड़ देता है या नही. मुझे फीडबॅक मेरी मैल पे करो