इंडियन गे सेक्स पॉर्न स्टोरी – केनेडियन फॅमिली का स्लेव

मई एक पूरा बॉटम लड़का हू. मेरी आगे 21 साल है और मई टीन सालो से अपनी गांद मरवा रहा हू. आज की स्टोरी मेरी पहली चुदाई की है, की कैसे मई एक गान्डू बना. पहले मई आपको तोड़ा अपने बारे मे बता डू.

मई उस वक़्त बहुत ही मासूम सा लड़का था. स्मूद बॉडी थी मेरी, पिंक निपल्स थे और रौंद आस थी. दिखने मई बहुत क्यूट था. अब उस टाइम मेरी फॅमिली काफ़ी टाइम से कॅनडा शिफ्ट होने के लिए ट्राइ कर रही थी. मेरे दोनो पेरेंट्स एक बिज़्नेस चलाते थे और मेरी एक सिस्टर भी थी, जो मुझसे छ्होटी थी.

अब जब हमारा शिफ्ट होने का प्लान कन्फर्म हुआ, तो उस वक़्त मेरी वाकेशन्स चल रही थी. मुझे पहले से ही कॅनडा मे अड्मिशन दिला दी गयी थी. फिर अचानक किसी मसले की वजह से प्लान कुछ महीने डेले हो गया.

अब प्राब्लम ये थी, की मेरी अड्मिशन हो गयी थी और मुझे तो जाय्न करना था. इसलिए मुझे मेरे पापा अपने साथ कॅनडा ले गये और अपने दोस्त के पास मुझे रुकने को छोढ़ आए. वो मेरे पापा के बचपन के दोस्त थे और काफ़ी टाइम से कॅनडा मे रहते थे.

हमने फ्लाइट पकड़ी और कॅनडा पहुँचे. वाहा अंकल हमे एरपोर्ट से पिक करने आए. दिखने मे काफ़ी मोटे थे अंकल. टिपिकल देसी लुक थी उनकी. उनकी बड़ी सी मूचे थी और हेरी चेस्ट दिख रही थी. उनका नाम रवि था.

रवि अंकल अपने 2 भाई और फादर के साथ रहते थे. दोनो भाई, राज और कवि की आगे 30स मे थी. और अंकल रवि खुद 45 से उपर के थे. उनके फादर राकेश जिनको मई दादा बोलता था, उनकी आगे 60स मे थी. राज और कवि काफ़ी फिट थे और रवि और दादा दोनो मोटे थे.

उनके घर मे कोई औरत नही थी. रवि अंकल की फॅमिली अमेरिका मे रहती थी, क्यूकी उनका डाइवोर्स हो चुका था. राज और कवि अभी भी अनमॅरीड थे. अंकल रवि के घर शुरू के कुछ दिन सेट्ल होने मे गुज़र गये. 2 हफ्ते मेरे पापा वही रहे थे और उसके बाद वो वापस चले गये.

उन्होने मुझे ये बोला, की 3-4 महीने बाद वो फॅमिली को साथ लेके आएँगे. अब मई बहुत शर्मीला लड़का था और घर वालो के बगैर मुझे अजीब लग रहा था. मेरी चुट्टिया अभी भी एक महीने तक चलनी थी.

अंकल रवि ने मुझे काफ़ी घुमाया फिराया, लेकिन मुझे घर की बहुत याद आती थी. दादा मुझे बहुत प्यार करते थे और जब भी मुझे घर की याद आए, तो वो मुझे सहारा देते थे. मुझे तो दादा बहुत आचे लगते थे और मई ज़्यादातर टाइम उनके ही साथ स्पेंड करता था.

एक दिन घर पे कोई नही था. दादा अपने रूम मे थे और मई टीवी देख रहा था. मुझे दादा ने आवाज़ दी और बुलाया. वो बेड पे लेते हुए थे और नंगे थे. उन्होने अपने उपर ब्लंकेट डाली हुई थी. फिर वो मुझे अपने साथ बिता कर बाते करने लगे.

दादा: बेटा मई तुमको कैसा लगता हू?

मई: आप बहुत आचे हो और स्वीट हो दादा जी.

दादा: कितना अछा लगता हू?

मई: बहुत आचे.

दादा: अछा तो अगर मई तुम्हे कुछ काहु, तो तुम करोगे?

मई: जी दादा जी, आप जो बोलॉगे मई करूँगा.

दादा: क्या तुम मुझे प्यार करोगे?

मई: प्यार? कैसे दादा जी? मई समझा नही.

दादा: बहुत भोले लड़के हो तुम. इधर आओ.

ये बोल कर दादा ने मुझे करीब कर लिया और हग कर लिया. फिर उन्होने मेरे उपर ब्लंकेट डाल दी और अब हम दोनो एक ही ब्लंकेट मे थे. मुझे अपनी टाँगो पे कुछ हार्ड-हार्ड फील हो रहा था. फिर दादा जी मेरे गाल पे किस करने लगे.

वो मुझसे भी बहुत किस्सस माँग रहे थे और मई भी देता जेया रहा था. फिर गाल पे किस करते-करते, उन्होने मेरे होंठो पे किस कर दी. मैने जब कोई रिक्षन नही दिया, तो दादा ने फिरसे मेरे होंठ चूमे. और फिर वो मेरे होंठो को चूसने लग गये.

थोड़ी ही देर मे वो अपनी ज़ुबान मेरे मूह मे डाल रहे थे. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, लेकिन मई उनको ये सब करने दे रहा था.

दादा: कैसा लग रहा है?

मई: पता नही.

दादा: मज़ा नही आ रहा क्या?

मई: नही दादा जी, ये कभी पहले नही किया.

दादा: अछा ये बताओ, मेरी चेस्ट कैसी लगी?

मई: दादा आपकी चेस्ट पे तो बहुत बाल है. लेकिन मेरे तो है ही नही.

दादा: बेटा मेरी बहुत जगहो पे बाल है. देखना चाहोगे?

मई: हा दिखाओ.

दादा: फिर तुम्हे भी दिखना होगा.

मई: ठीक है दादा जी.

ये बोल कर दादा ने ब्लंकेट हटा दी और मुझे तब समझ आया, की वो बिल्कुल नंगे थे. उनका 7 इंच का लंड टाइट खड़ा था और पूरा जिस्म बालो से भरा हुआ था. उनकी जाँघो पे भी बहुत बाल थे. मैने पूरा जिस्म देखा उनका और मुझे शरम भी आ रही थी. फिर दादा बोले-

दादा: अब तुम्हारी बारी, तुम दिखाओ.

मई: दादा जी, मुझे बहुत शरम आएगी.

दादा: अर्रे हम दोनो ही है घर पे. बाकी सब शाम को आएँगे, तो किसी को कुछ भी पता नही चलेगा.

मई: अछा दादा जी.

फिर मैने पहले शर्ट उतारी और फिर अपनी निक्कर उतार दी. दादा मेरी गांद देख के पागल हो गये और मुझे पकड़ कर खींच लिया और मेरी गांद दबाने लगे. वो मुझे बता रहे थे, की कितनी सॉफ्ट और गोरी गांद है मेरी.

फिर उन्होने मेरी गांद पे किस किया. उन्होने मुझे खींच कर अपने उपर बिता लिया और मेरे निपल्स को टच करने लगे. मुझे इस सब मे मज़ा आ रहा था. हलकी ये मेरा फर्स्ट टाइम था और मुझे तो कुछ भी नही पता था, की क्या हो रहा था.

दादा ने मेरे होंठो पे किस्सिंग की और फिर मेरे जिस्म पे जगह-जगह किस किया. मेरा लंड भी टाइट हो गया था और दादा ने उसको पकड़ कर मूह मे ले लिया. मई शॉक हो गया, लेकिन उनका गरम-गरम मूह मुझे बहुत मज़ा देने लगा.

10 मिनिट बाद मुझे इतना मज़ा आने लगा, की मेरा जिस्म काँप रहा था और मेरे लंड से पानी निकल गया. अब दादा के होंठो पे मेरा वाइट-वाइट कम लगा हुआ था, जो वो पूरा चाट गये. फिर दादा बोले-

दादा: मज़ा आया?

मई: बहुत मज़ा आया दादा.

दादा: अछा अब मुझे भी मज़ा दो ना.

मई: अछा दादा जी.

मई मदहोश हो गया था इस नये नशे मे. मुझे सही ग़लत कुछ नही पता था. फिर मैने दादा का लंड पकड़ा और उसको लॉलिपोप की तरह चूसने लगा. उनका लंड मेरे मूह मे फिट नही हो रहा था और मुझसे सही से चूसा भी नही जेया रहा था.

मैने उनका पूरा लंड चाट लिया और फिर दादा ने मुझे सकिंग थोड़ी समझाई. उसके बाद मई सही से उनका लंड चूस रहा था. उनका खट्टा-खट्टा प्रेकुं टेस्ट भी मुझे पागल कर रहा था. मैने 20 मिनिट तक दादा का लंड चूसा, लेकिन वो फारिघ् नही हुए. अब मेरे मूह मे दर्द होने लगा था. मई दादा को बोला-

मई: दादा मेरे मूह मे अब दर्द हो रहा है.

दादा: चलो फिर आओ मेरे साथ लेट जाओ और रेस्ट करो. मई तुम्हारे लिए जूस लेके आता हू. उसको पीक तुम फ्रेश हो जाओगे.

ये बोल कर दादा नंगे ही रूम से बाहर गये और 5 मिनिट बाद जूस लेके आए. उन्होने मुझे जूस दिया और हम साथ मे लेट गये. दादा ने मुझे पीछे से हग कर लिया था और उनका लंड मेरी गांद मे दबा हुआ था. पता नही क्यू, फिर मुझे नींद आने लगी. मैने बहुत कोशिश की जागने की, लेकिन मेरी आँख लग गयी.

असल मे दादा ने जूस मे स्लीपिंग पिल्स मिला दी थी. उसके बाद दादा ने मेरी वर्जिन गांद को खोला अपने लंड से. मुझे नही पता की कितने घंटे मई सोया हुआ था और मेरे साथ क्या-क्या हुआ. मेरी जब आँख खुली, तो मई उल्टा लेता हुआ था. मेरी गांद दुख रही थी और मेरे साथ दादा लेते हुए थे.

मैने अपने होल पे हाथ रखा, तो होल पूरा गीला हुआ पड़ा था और मेरी 2 उंगलिया होल के अंदर घुस रही थी. मई उठा और बड़ी मुश्किल से लंगड़ा कर बातरूम मे गया. वाहा जाके मैने अपनी गांद को सॉफ किया. मुझे कुछ समझ नही आ रहा था, की क्या हुआ था मेरे साथ और मेरी गांद क्यू दुख रही थी.

खैर फिर मई अपने कपड़े उठा कर अपने रूम मे जाके सो गया. नींद की गोली का नशा अभी तक था और मई वापस सो गया. फिर अगले दिन जब मेरी आँख खुली, तो मेरी निक्कर उतरी हुई थी. मेरी टांगे आसमान की तरफ उठी हुई थी और टाँगो के बीच दादा झटके मार रहे थे.

मुझे पहले तो कुछ समझ नही आया और हर झटके से गांद मे मेरी दर्द महसूस हुआ. लेकिन दर्द मुझसे बर्दाश्त हो रहा था. फिर मई बोला-

मई: दादा ये आप क्या कर रहे हो? मुझे दर्द हो रहा है.

दादा: बेटा उठ गये तुम? चलो अब उठ ही गये हो, तो अब एंजाय करो.

मई: नही दादा जी मुझे छोढ़ो. दर्द हो रहा है मुझे.

दादा: बेटा कल भी देखो मज़ा आया था ना? आहिस्ता-आहिस्ता इसमे भी मज़ा आएगा, ट्रस्ट करो.

ये बोल के दादा स्पीड से झटके देने शुरू हो गये. दादा ने मेरा लंड हाथ मे पकड़ा और उसको हिलाने लग गये. फिर आहिस्त-आहिस्ता मेरा लंड भी टाइट हो गया और मुझे दादा के लंड का मज़ा गांद मे फील होने लगा. मुझे आहिस्ता-आहिस्ता मज़ा आ रहा था. दर्द भी हो रहा था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था.

दादा: क्यू बेटा, अब मज़ा आ रहा है?

मई: दादा आप आराम से करते हो, तो मज़ा आ रहा है. स्पीड स्लो करो.

दादा: जैसे कहो मेरी जान.

फिर दादा ने स्पीड स्लो की. अफ.. क्या मज़ा आने लगा. मुझे इतना मज़ा आया, की 5 मिनिट मे मेरा कम शूट होता हुआ मेरे गले तक आ गया. दादा भी मुझे काफ़ी देर से छोड़ रहे थे और फिर 10 मिनिट तक उन्होने मुझे स्पीड से छोड़ा.

फिर दादा ने “आ” की आवाज़ निकाली और मुझे गांद मे गरम-गरम पानी निकलता हुआ फील हुआ. दादा ने मेरी पूरी गांद कम से भर दी थी. जैसे ही उन्होने अपना लंड निकाला, पूरा माल मेरी गांद से लीक होने लगा. मेरी गांद पूरी खोल दी थी दादा ने.

दादा: क्यू बेटा, मज़ा आया?

मई: हा, लेकिन दर्द भी हुआ.

दादा: असल दर्द तो तुमने नींद मे मिस कर दिया. अब गांद खुल गयी है, तो दर्द नही होगा.

मई: ये क्या था दादा? और इसमे इतना मज़ा क्यू आया.

दादा: बेटा ये चुदाई थी और ये बात तुम किसी को ना बताना. ये हमारा सीक्रेट होना चाहिए.

मई: ठीक है दादा जी. लेकिन ये क्यू किया आपने?

दादा: बेटा तुझे मज़ा आया ना? बस तू एंजाय कर और मई तेरी डेली मारूँगा.

फिर दादा उठ कर अपने रूम मे चले गये. उसके बाद जब भी हम घर पर अकेले होते थे, तो दादा मुझे छोड़ते थे. कभी-कभी तो वो मुझे अपने रूम मे बुलाते थे और जब सब सो रहे होते थे, तब छोड़ते थे.

मई दादा का लंड भी चूस्टा था और वो भी मुझे मज़ा देते थे. दादा ने मुझे सेक्स के बारे मे सब कुछ सिखाया था और समझाया भी था. आहिस्ता-आहिस्ता मई सब समझ गया और पक्का गान्डू बन गया था. काफ़ी महीने हमने सेक्स किया और खूब एंजाय किया.

पॉर्न की भी लत्ट लगा दी थी दादा ने मुझे, लेकिन मुझे स्ट्रेट पॉर्न मे मज़ा नही आता था और मई सिर्फ़ गे पॉर्न देखता था और फिंगरिंग करके अपने आप को सॅटिस्फाइ करता था.

पॉर्न देखते-देखते मेरा भी दिल करने लगा रेकॉर्डिंग करने का. एक दिन मैने मोबाइल कॅमरा सेट कर दिया और फिर दादा के लंड पे उछाल-उछाल के मज़े किए. मैने उनके साथ 4-5 वीडियो रेकॉर्ड कर ली थी. मेरी ग़लती ये थी, की मेरे फोन मे लॉक नही था.

एक बार मेरा फोन लाउंज मे पड़ा था और तभी राज मेरा फोन चेक करने लगा. उसको वो वीडियोस मिल गयी. वो पहले तो हैरान हुआ और फिर उसने वो वीडियोस कॉपी कर ली. फिर उसने ये बात कवि और अंकल रवि से की. उसके बाद उन तीनो ने मिल कर दादा से बात की.

अब मुझे नही पता था, की उनके बीच क्या बात हुई थी. मुझे बस इतना पता चला, की दादा ने उनको भी मेरे मज़े लेने के लिए माना लिया था. फिर हुआ यू, की एक रात मई दादा के रूम मे गया और उनका लंड चूसने लगा.

दादा: बेटा मज़ा आ रहा है?

मई: ह्म.

दादा: ग्रूप मे करेगा?

मई: क्या मतलब आपका?

दादा: अगर टीन और लोग भी हमे जाय्न करे, तो तुझे कोई मसला तो नही.

मई: कों टीन लोग?

फिर दादा ने मुझे बातरूम के दरवाज़े की तरफ इशारा किया और मैने मूड कर देखा, तो राज, रवि और कवि तीनो च्छूप कर हमे देख रहे थे. उनको देख कर मैने जल्दी से ब्लंकेट अपने उपर ओढ़ ली. फिर दादा बोले-

दादा: दररो मत, ये सब जानते है. और ये भी एंजाय करना चाहते है.

रवि: हमे भी मज़े लेने दो तुम्हारे जिस्म का.

राज: हा, हम किसी को नही बताएँगे.

ये बोल कर रवि मेरे करीब आया और उसने ब्लंकेट हटा दिया. फिर उसने मेरे बूब्स को दबाया और अपनी ज़िप खोल कर लंड बाहर निकाल लिया. उफ़फ्फ़.. उसका लंड 8 इंच का था. उसने मेरे सिर पे हाथ रखा और लंड के करीब किया.

मई दादा से बड़ा लंड ट्राइ करना चाहता था और मैने मूह खोला और लंड को चूसने लगा. दादा ने मेरी गांद खींच कर उठा दी और लंड अंदर घुसा दिया. अब मेरे दोनो होल्स चुड रहे थे. राज और रवि भी अपने 7 इंच के लंड निकाल कर मूठ मार रहे थे.

आयेज तो आप जानते ही हो, की क्या हुआ. चारो ने मेरे मूह और गांद को कम से भर दिया था. रवि ने सबसे रफ्ली छोड़ा था मुझे. मुझे घर की रंडी बना दिया था उन सब ने. अब कोई भी, कभी भी मुझे बुलाता था और छोड़ देता था. मुझे भी चुदाई मे बहुत मज़ा आता था.

मेरी फॅमिली 3 महीने बाद कॅनडा शिफ्ट हुई. उस टाइम तक मुझे अंकल रवि की फॅमिली ने रांड़ बना दिया था. वो मुझसे क्रॉस-ड्रेसिंग करवाते थे और मुझ पर सेक्स टाय्स इस्तेमाल करते थे.

मुझे भी इस्तेमाल होने मे बहुत मज़ा आता था. शायद हमेशा से ही मई सूबमीस्सीवे था. जब तक मेरी फॅमिली कॅनडा आई , तब तक मेरी इतनी चुदाई हुई, की अब गांद मे लंड ना जाए तो नींद नही आती थी. फॅमिली के आने के बाद भी मई उनके पास जाता था और चुड़वता था.