भाभी के साथ पलंग-तोड़ चुदाई की तैयारी

ही दोस्तों, मैं हू अनुज. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप के सामने आया हू. उमीद है, की आप सब को मेरी पिछली कहानी अची लगी होगी. अगर आपने मेरी पिछली कहानी नही पढ़ी है, तो प्लीज़ पहले जाके वो पढ़ ले.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की मैं भाभी के साथ छेड़-चाढ़ कर रहा था. फिर मैने किचन में भाभी गरम कर दिया. अब भाभी भी मुझसे चूड़ने को तैयार थी, और मुझे कहने लगी की कही बाहर चल कर करते है. लेकिन मुझे घर पर ही भाभी को छोड़ना था. अब आयेज बढ़ते है.

भाभी को तो मैने अपने काबू में कर लिया था, लेकिन अब प्राब्लम ये थी की मैं उनको घर पर कैसे छोड़ू. फिर ऐसे ही कुछ दिन बीट गये. मैं कही ना कही भाभी को पकड़ लेता था, और किस वग़ैरा कर लेता था.

कभी मैं भाभी की गांद को दबा कर मज़ा लेने लगा, और कभी बूब्स को दबा कर. मुझे भाभी की क्लीवेज चाटने में बहुत मज़ा आता था, तो मैं काई बार उनकी क्लीवेज भी चाट लेता था.

अगर कभी-कभार तोड़ा ज़्यादा टाइम मिल जाता, तो मैं भाभी के बूब्स के निपल चूस लेता था. लेकिन ऐसा बहुत रेर होता था. अब आग तो हम दोनो के जिस्म में लगी हुई थी, जो हमे बहुत तडपा रही थी.

इस आग को ठंडा करने का एक ही रास्ता था, और वो था पलंग-तोड़ चुदाई करना. लेकिन ऐसा कोई भी मौका हम दोनो को नही मिल रहा था, जब हम दोनो अपनी हवस शांत कर सके.

वो कहते है ना की अगर किसी चीज़ को दिल से चाहा हो, तो पूरी काएनत भी आपको उससे मिलने में लग जाती है. ये बात सच तो है, लेकिन पूरी सच नही. मैं इसमे एक और लाइन आड करना चाहूँगा, और वो लाइन है, “आपको तोड़ा दिमाग़ भी लगाना पड़ेगा, क्यूंकी चीज़ अपने आप आपके पास चल कर नही आएगी”.

फाइनली मुझे और भाभी को मौका मिल गया. या ये कहिए की हमने उसको मौका बना लिया. हमारे कोई डोर के रिश्तेदार है, जिनकी बेटी की शादी थी. उन्होने हमारी पूरी फॅमिली को इन्वाइट किया था, और 3 दिन का प्रोग्राम था. अब रिश्तेदार थे, तो पूरी फॅमिली जाने वाली थी.

जैसे ही मुझे इस इन्विटेशन का पता चला, तो मेरे दिमाग़ में एक आइडिया आ गया. मैने सोचा अगर कैसे भी करके मैं और भाभी इस फंक्षन पर ना जाए, तो हमे 3 दिन मिल जाएँगे पूरी ऐश करने के लिए. लेकिन ऐसा कों सा बहाना बनाते, जिससे सिर्फ़ हम दोनो ही घर पर रुक पाते.

फिर अचानक मेरे दिमाग़ की बत्ती जाली, और मेरे चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान आ गयी. मैने सोचा भाभी जो बहाना अपने यार से मिलने के लिए बनती थी, वही बहाना इस बार भी क्यूँ ना बना लिया जाए. ये सोच के मैने भाभी से बात की. मैने उनसे कहा-

मैं: भाभी हम शादी पर नही जाएँगे.

भाभी: वो कैसे.

मैं: मैं आज ही बोल देता हू की कॉलेज के टेस्ट्स की वजह से मैं शादी पर नही जेया पौँगा. फिर जिस दिन जाना होगा, उस दिन सुबा ही आप ऐसा दिखना की आपको घर से फोन आया है, और आपके पापा की तबीयत खराब होने की वजह से आपको घर जाना होगा.

मैं: लेकिन आप जाके तोड़ा टाइम किसी होटेल में रुक जाना. और जब सब चले जाएँगे, तो वापस आ जाना. फिर 3 दिन हम दोनो होंगे इस घर में. और उन दीनो में हम वो सब कर पाएँगे, जो हमने सोचा है.

भाभी: वाउ अनुज, क्या मस्त प्लान है. इस्पे तो किसी को शक भी नही हो सकता. आज मैं तेरी स्मार्टनेस से इंप्रेस हो गयी.

मैं: थॅंक योउ भाभी. अभी तो आपको मैं और बहुत चीज़ो से इंप्रेस करूँगा.

ये सुन कर भाभी शर्मा गयी. फिर वो दिन आ गया जब पूरी फॅमिली को शादी पर जाना था. मैं पहले ही माना कर चुका था, और भाभी ने भी सामने फोन करवा कर शादी पर जाने से माना कर दिया. फिर जब भाभी ने माइके जाने के लिए बाग पॅक किया, तो भैया ने मुझे ही उनको स्टेशन तक छ्चोढने जाने को कहा.

मैं भाभी को लेके घर से निकल गया, और पास के एक होटेल में उनको रूम बुक करवा कर छ्चोढ़ आया. घर में सब तैयारियाँ कर रहे थे, और मेरी आँखें घड़ी की सुई पर ही थी, की कब सब जाएँगे.

आख़िर-कार वो टाइम आ ही गया, जब मैने सब को बाइ बोल दिया, और सब चले गये. जैसे ही वो लोग गये, मैने घर लॉक किया, और बिके पे भाभी को लेने चला गया. मैने होटेल का बिल भरा, और भाभी को अपने पीछे बिता कर घर ले आया.

भाभी ने एक कुर्ता और साथ में जीन्स पहनी हुई थी. जैसे ही हम घर में एंटर हुए. मैने दरवाज़ा बंद किया, और भाभी को हग कर लिया. उनको हग करके मेरी साँसे तेज़ हो गयी. भाभी की भी साँसे तेज़ हो गयी थी.

अब हम एक-दूसरे की आँखों में देख रहे थे. फिर हम धीरे-धीरे आयेज बढ़े, और अपने होंठ एक-दूसरे के होंठो से मिला दिए. मेरी और भाभी की किस शुरू हो गयी थी, और हमे किसी का कोई दर्र नही था.

हम दोनो जल्दी ही पागलों की तरह एक-दूसरे के होंठ चूसने लग गये. किस करते हुए मैं भाभी की पीठ सहला रहा था. भाभी ने भी अपना हाथ मेरे सर के पीछे रखा हुआ था, और मेरे बालों को सहला रही थी. बहुत मज़ा आ रहा था.

फिर मैं हाथ नीचे भाभी के छूतदों पर ले गया, और उनको जीन्स के उपर से दबाने लग गया. क्या मस्त चूतड़ थे भाभी के. भाभी किस में पूरी तरह से मस्त थी, और मेरे होंठ छ्चोढ़ ही नही रही थी. तकरीबन 15 मिनिट लगातार किस करने के बाद हमारी किस टूटी.

हम दोनो की साँस चढ़ि हुई थी. फिर मैने भाभी की गर्दन चूमनि शुरू कर दी. लेकिन तभी भाभी ने मुझे अपने से डोर कर दिया. उनके ऐसा करने से मैं हैरान हो गया.

अब उन्होने ऐसा क्यूँ किया, और आयेज क्या हुआ, वो सब आपको अगले पार्ट में पढ़ने को मिलेगा. अगर आपको ये पार्ट पसंद आया हो, तो कॉमेंट्स में फीडबॅक ज़रूर दे. और इस कहानी को अपने फ्रेंड्स के साथ शेर करना ना भूले. मज़ा लेने का अधिकार सब को है.