बेहन को चुदवाने के लिए भाई के प्लान की कहानी

ही दोस्तों मैं विकी (विक्रांत) वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. उमीद है की आपको पिछला पार्ट पसंद आया होगा.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरी दीदी सपना बहुत घमंडी थी, और कैसे उसने मेरी गर्लफ्रेंड के बारे में घर पर बता दिया था. फिर उसने हमारे ड्राइवर जनक को बिना वजह थप्पड़ मार दिया था.

जनक के मॅन में भी दीदी के लिए गुस्सा था, और मेरे मॅन में भी. मुझे अब किसी तरह से दीदी का घमंड तोड़ना था. फिर मैने एक प्लान बनाया, और रात के वक़्त जनक को दीदी के रूम में भेज दिया. अब आयेज बढ़ते है.

दीदी ने बेबी पिंक शॉर्ट्स, और शॉर्ट त-शर्ट पहनी थी. उनकी थोड़ी कमर, और पूरी जांघें दिख रही थी. वो सो रही थी, और जनक उनके सामने खड़ा था. उसका लंड दीदी को देख कर खड़ा हो गया था. जनक के हाथ में एक थैला था, जो हमारे प्लान का पार्ट था.

फिर जनक ने वो थैला खोला, और उसमे से वो चीज़ निकली, जो हमारे प्लान को सक्सेस्फुल बनाने के लिए सबसे ज़्यादा काम आने वाली थी. और वो चीज़ थी एक साँप. जी हा साँप, जिसको इंग्लीश में स्नेक कहते है.

मेरी दीदी साँप से बहुत डरती थी, और ये मुझे 4 पहले पता चला था. हुआ यू था, की दीदी बातरूम में थी, और वाहा एक छ्होटा सा साँप घुस आया था. साँप देख कर दीदी चिल्लाने लगी, और नंगी ही बाहर आ गयी थी. वो बात मुझे आचे से याद थी, इसलिए मैने दीदी को छुड़वाने के लिए साँप का सहारा लिया.

फिर जनक ने साँप निकाल कर दीदी के बेड के नीचे फेंक दिया. टेन्षन वाली कोई बात नही थी, क्यूंकी साँप का ज़हर निकाला हुआ था, और वो पालतू साँप था. लेकिन ये सिर्फ़ मुझे और जनक को पता था.

फिर जनक रूम से बाहर आ गया, और फिर दोबारा से गया, और ज़ोर से दीदी के रूम का दरवाज़ा नॉक करके अंदर चला गया. दीदी जाग गयी, और घबरा गयी. उसने जनक से कहा-

दीदी: क्या प्राब्लम है, क्यूँ शोर मचाया है?

जनक: मेडम यहा एक साँप घुस आया है.

दीदी: क्या! साँप! कहा है?

और दीदी दर्र कर चिल्लाने लगी.

जनक बोला: शायद आपके बेड के नीचे गया है.

ये सुन कर दीदी बेड पर खड़ी हो गयी, और उछालने लग गयी. तभी साँप बाहर निकल आया, और दीदी ने उसको देख लिया. वो ज़ोर-ज़ोर से चिल्लाने लगी. जनक ने साँप को किसी चीज़ से बाहर निकाल दिया, और 2 मिनिट में वापस आ गया.

दीदी ने उससे पूछा: अंकल पकड़ लिया.

जनक: नही मेडम वो कही च्छूप गया है.

दीदी फिर चिल्लाई और बोली: निकालो उसको, मैं ऐसे नही सो पौँगी.

जनक: अभी रात में तो ढूँढना मुश्किल है. सुबा में निकाल दूँगा. बस आप ध्यान रखना, अगर वो दोबारा आया तो मुझे फोन कर देना.

दीदी: तुम पागल हो, तुम्हे यही रुकना पड़ेगा जब तक साँप पकड़ा नही जाता.

जनक यही तो चाहता था की दीदी उसको अपने पास रोके. फिर दीदी ने जनक को उसके बेड पर ही सोने को कहा, ताकि साँप उसको नुकसान ना पहुँचाए. बस यहा दीदी ने ग़लती कर दी थी.

अब जनक दीदी के पास थोड़े डिस्टेन्स पर लेट गया. थोड़ी देर में दीदी गहरी नींद सो गयी. फिर जनक धीरे-धीरे दीदी के पास जाने लगा. मैं ये सब दरवाज़े से देख रहा था.

अब जनक दीदी के साथ चिपक गया. दीदी ने दूसरी तरफ मूह किया हुआ था. जनक ने उसकी कमर में हाथ डाल लिया, और नाभि पर हाथ फेरने लगा. फिर वो हाथ फेरते हुए दीदी की जांघों पर हाथ फेरने लगा.

दीदी गहरी नींद में थी, तो उनकी तरफ से कोई रिक्षन नही था. फिर जनक ने दीदी की शॉर्ट्स का बटन खोला, और धीरे-धीरे उनकी शॉर्ट्स नीचे करने लगा. ये सीन देख कर मेरा भी लंड खड़ा होने लगा. जनक ने 10 मिनिट लगा कर दीदी की शॉर्ट्स उतार दी.

अब दीदी सिर्फ़ पनटी और त-शर्ट में थी. दीदी ने वाइट पनटी पहनी थी, जिसमे उनकी सेक्सी जांघें बहुत ज़बरदस्त लग रही थी. जनक ने अपनी भी पंत उतार दी, और अंडरवेर भी उतार दिया. उसका लोड्‍ा काफ़ी मोटा तगड़ा था.

वो अपने लोड को पनटी के उपर से दीदी की गांद पर घिसने लगा. दीदी अभी भी कोई हुलचल नही कर रही थी. फिर जनक ने दीदी की पनटी नीचे करनी शुरू की, और पनटी भी उतार दी. अब दीदी आधी नंगी थी, और आधे नंगे ड्राइवर के साथ बेड पर सोई हुई थी.

कमरे में रोशनी थोड़ी कम थी, लेकिन सब सॉफ-सॉफ दिखाई दे रहा था. अब बारी थी दीदी को छोड़ने की. जनक ने दीदी की छूट रगड़नी शुरू कर दी, और उनकी छूट गीली होने लगी.

तभी दीदी की आँखें खुली, और जब उन्होने देखा, की वो आधी नंगी थी, और जनक भी आधा नंगा था, तो वो घबरा कर बेड से नीचे उतार गयी.

तभी मैने साँप फिरसे अंदर गाते पर रख दिया. दीदी जनक से बोली-

दीदी: ये क्या कर रहे हो हरंखोर?

जनक ने कुछ नही बोला, और दीदी को चुप रहने का इशारा करते हुए साँप की तरफ इशारा किया. सामने साँप देख कर दीदी की गांद फटत गयी. वो उछाल कर बेड पर चढ़ गयी. तभी वो जनक को बोली-

दीदी: निकालो इसको बाहर प्लीज़.

जनक: निकालूँगा, लेकिन एक शर्त पर.

दीदी: कैसी शर्त?

जनक: तुम्हे एक साँप को तो आक्सेप्ट करना ही पड़ेगा. या तो नीचे वाला साँप, या ये वाला साँप.

और ये बोल कर उसने अपने खड़े लंड की तरफ इशारा किया. दीदी बोली-

दीदी: तुम जो बोलॉगे मैं करूँगी, लेकिन इसको बाहर निकालो.

जनक: जब तक मेरा साँप बैठ नही जाता, तब तक मैं उसको बाहर नही निकालूँगा. पहले इसकी सेवा तो कर लू.

ये बोल कर जनक ने दीदी को लिटा लिया, और उसको किस करने लग गया. उसने पागलों की तरह दीदी को चूमना शुरू कर दिया. दीदी उसका साथ नही दे रही थी. फिर किस करते-करते वो नीचे दीदी की गर्दन पर आ गया, और गर्दन पर किस करने लगा. वो दीदी की त-शर्ट के उपर से उसके बूब्स दबाने लगा.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी का मज़ा आया हो तो कॉमेंट ज़रूर करे.