साँप के चक्कर में दीदी की चुदाई की कहानी

ही दोस्तों मैं विकी (विक्रांत) वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. उमीद है की आपको पिछला पार्ट पसंद आया होगा.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की कैसे साँप की मदद से मैने और जनक ने दीदी को फ़ससा दिया था. दीदी अब कुछ भी करने को तैयार थी. फिर जनक उसको किस करने लगा, और उसके बूब्स दबाने लग गया. अब आयेज चलते है.

बूब्स दबाने के बाद जनक नीचे दीदी की छूट पर गया, और उसको चाटने लगा. वो जीभ अंदर डाल-डाल कर दीदी की छूट चूस रहा था. अब दीदी भी गरम हो गयी थी, और आहें भरने लगी थी.

जनक फिर अपने हाथ से दीदी की छूट के दाने को रगड़ने लग गया. इससे दीदी पागल हो गयी, और उसने अपनी जांघों में जनक का सर दबा लिया. मेरा भी दिल कर रहा था की मैं दीदी की छूट चातु. लेकिन उसमे अभी टाइम था.

फिर जनक दीदी की जांघों के बीच आया, और उनकी छूट पर अपना लंड रगड़ने लगा. दीदी आ आ कर रही थी, और जनक को कामुक निगाहों से देख रही थी. वो ज़ोर-ज़ोर से लंड रग़ाद कर दीदी को तडपा रहा था. फिर फाइनली दीदी बोल उठी-

दीदी: अब डाल दो ना अंकल. क्यूँ आग लगा रहे हो?

ये सुनते ही जनक ने छूट के मूह पर लंड रोक कर एक ज़ोर का धक्का मारा, और उसका आधा लंड दीदी की छूट में चला गया. दीदी की चीख निकली, और अब मेरी दीदी ड्राइवर का लंड ले रही थी.

जनक ने 3-4 और ज़ोर के धक्के मारे, और उसका पूरा लंड दीदी की छूट में समा गया. फिर वो बोला-

जनक: बड़ी गरम छूट है आपकी मेडम. पहले किसने छोड़ी है?

ये सुन कर उधर दीदी हैरान हो गयी, और इधर मैं. मैं इसलिए हैरान हुआ, की मुझे नही पता था की दीदी पहले लंड ले चुकी थी. और दीदी इसलिए हैरान हुई, क्यूंकी उसको लगा की जनक को कैसे पता चल गया की वो चुड चुकी थी. फिर दीदी ने उससे पूछा-

दीदी: आपको कैसे पता?

जनक: अर्रे इसी को एक्सपीरियेन्स कहते है.

और फिर वो दोनो किस करने लगे, और जनक दीदी की छूट में धक्के मारने लगा. वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मार रहा था, और दीदी का मूह बंद होने की वजह से उनके मूह से ह्म ह्म की आवाज़े निकल रही थी.

फिर जनक ने दीदी की त-शर्ट और ब्रा भी निकाल दी, और उनके गोरे-गोरे बूब्स पर टूट पड़ा. वो छूट छोड़ने के साथ-साथ दीदी के बूब्स को चूसने लग गया. दीदी भी पूरा मज़ा ले रही थी, और उसके सर को अपने बूब्स में दबा रही थी.

फिर दीदी जनक को ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने के लिए बोलने लगी. जनक ने दीदी की टांगे उठाई, और उनको उपर तक मोड़ दिया. फिर वो पूरा लंड अंदर-बाहर करने लगा. वो पहले लंड बिल्कुल छूट के मूह तक बाहर निकालता, और फिर पुर ज़ोर से उसको अंदर डाल देता. ऐसे हर धक्के पर दीदी की ज़ोर की आ निकलती.

फिर 4-5 ऐसे धक्को के बाद वो अपनी कमर को इस तरह हिलता, जिससे उसका लंड दीदी की छूट में घूमने लगे. इसमे दीदी को बहुत मज़ा आ रहा था, क्यूंकी जब भी वो ऐसे करता था दीदी आ आ करने लगती थी.

फिर दीदी बोली: जनक अंकल आप तो बहुत अछा करते है. इतना मज़ा मुझे कभी पहले नही आया.

जनक बोला: बस अभी तो ये शुरुआत है. आयेज-आयेज देखो मैं तुम्हे कितना मज़ा देता हू.

फिर उन दोनो ने पोज़िशन बदली, और जनक ने दीदी को अपने उपर आने को कहा. दीदी ने जनक का लंड अपनी छूट पर सेट किया, और एक लंबी सिसकारी भरते हुए लंड पर बैठ गयी. मुझे लंड दीदी की छूट में जाता हुआ सॉफ दिख रहा था. मैं भी अपना लंड निकाल कर हिला रहा था. साँप भी अपनी जगह पर ही बैठा था.

फिर जनक ने दीदी के छूतदो पर अपने हाथ रखे, और उसको अपने लंड पर उछालने लग गया. दीदी मज़े से उसके लंड पर कूदने लग गयी. उसके बूब्स हवा में उछाल रहे थे, जिन पर जनक बीच-बीच में थप्पड़ मार रहा था.

फिर वो नीचे से दीदी की छूट में धक्के मारने लगा, और उनके छूतदो पर थप्पड़ मारने लगा. मैं देख पा रहा था, की दीदी के चूतड़ जनक के थप्पड़ खा कर लाल हो चुके थे. वो धक्के मारते हुए दीदी को अपनी तरफ खींचता, और उनके होंठो और बूब्स की चुस्की भरता.

दीदी अब झड़ने लगी थी, और वो आहह आहह करते हुए जनक के उपर ही गिर गयी. दीदी की छूट से निकला हुआ सफेद पानी जनक के लंड पर दिखाई दे रहा था. लेकिन जनक अभी नही झाड़ा था. जनक वैसे ही दीदी की छूट में उपर की तरफ धक्के मारता गया. 10 मिनिट जनक मेरी दीदी को और छोड़ता रहा, और उसके बाद उसका पानी निकालने वाला हो गया.

उसने जल्दी से दीदी को सीधा लिटाया, और अपना लंड उसके मूह के पास लाके हिलाने लगा. जल्दी ही उसके लंड से एक पिचकारी निकली, और दीदी के मूह पर उसका सारा माल निकल गया. दीदी उसके माल को किसी रंडी की तरह चाटने लग गयी.

फिर वो दोनो वैसे ही नंगे लेते रहे. दीदी ने जनक को कहा-

दीदी: अब साँप तो निकाल दो.

जनक हस्सा और बेड से उठा. फिर उसने साँप को हाथ से पकड़ा, और बाहर ले आया. बाहर आके उसने साँप मुझे दिया, और 2 मिनिट बाहर ही रहा. ताकि दीदी को लगे की वो साँप बाहर फेंकने गया था.

मैने उसको बोला: कैसा लगा?

जनक: बहुत मज़ा आया तुम्हारी बेहन को छोड़ कर बाबा. तू भी आजा छोड़ ले.

मैं: अभी नही, अभी गया तो उसको शक हो जाएगा.

फिर वो वापस अंदर चला गया, और दीदी के बगल में लेट गया. दीदी अभी भी नंगी ही थी. दीदी को देख कर उसका लंड फिरसे खड़ा हो गया. फिर दीदी उठी, और उसके बिने कहे लंड को मूह में डाल कर चूसने लगी. तकरीबन 5 मिनिट उसने लंड चूस कर उसको आचे से गीला कर दिया.

फिर जनक ने दीदी को घोड़ी बनाया. दीदी गांद बाहर निकाल कर घोड़ी बन गयी. क्या मस्त गांद थी उसकी. फिर जनक ने अपना लंड उसकी छूट पर सेट किया, और एक ही झटके में पूरा अंदर पेल दिया. वो तेज़ी से झटके देके दीदी को छोड़ने लगा, और दीदी भी मज़े से चूड़ने लगी.

आधे घंटे तक दोनो की चुदाई चली, और इस बार जनक दीदी की छूट में ही झाड़ गया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. कहानी सुन कर आपका पानी निकल गया हो, तो कॉमेंट ज़रूर करे.