टापू और बबिता की च्चत पर मज़ेदार चुदाई की कहानी

ही दोस्तों, मैं हू मिंकी. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आया हू. पिछले पार्ट को आप सब ने बहुत प्यार दिया. उसके लिए मैं आप सब का धन्यवाद करता हू. उमीद करता हू, की इस पार्ट को भी आप उतना ही प्यार देंगे.

तो पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा, की टापू का लंड बबिता का मस्त जिस्म देख कर खड़ा हो गया, और बबिता ने ये देख लिया. फिर बबिता और टापू ने बातरूम में जाके मस्त चुदाई की. अब आयेज बढ़ते है.

एक बार बबिता को छोड़ कर टापू के मॅन में बार-बार बबिता के ही ख़याल आ रहे थे. वो बार-बार बबिता के जिस्म के बारे में सोचता, और उसका लंड खड़ा हो जाता. मूठ मार कर भी उसका लंड शांत नही हो रहा था.

उधर बबिता का हाल भी कुछ इसी तरह का था. जिम की चुदाई में उसको इतना मज़ा आया था, की उसकी छूट लगातार पानी छ्चोढ़ रही थी. उसकी पनटी बार-बार गीली हुई जेया रही थी. वो बार-बार बातरूम में जाके फिंगरिंग करती, लेकिन उसकी छूट शांत नही हो रही थी. फिर उसने फैंसला किया टापू से दोबारा चूड़ने का.

ये सोच कर वो टापू के घर की तरफ जाने लगी. उधर टापू भी बबिता के घर की तरफ ही आ रहा था. दोनो रास्ते में मिले, और एक-दूसरे को देख कर खुश होने लगे. कोई कुछ बोल नही रहा था, बस दोनो मुस्कुरा रहे थे.

टापू ने ब्लॅक जीन्स और त-शर्ट पहन रखी थी, और बबिता ने ब्लू जीन्स के साथ फ्लवर्स वाली स्लीव्ले टॉप पहनी थी. दोनो एक-दूसरे को उपर से नीचे तक देख रहे थी. फिर बबिता कुछ बोलने लगी, और टापू भी साथ में बोला-

बबिता: टापू…

टापू: आंटी…

और दोनो हासणे लगे. फिर बबिता बोली-

बबिता: हा बोलो टापू, तुम क्या बोल रहे थे?

टापू: आप बोलिए आंटी आप क्या बोल रहे थे.

बबिता: ओक. वैसे उस दिन जिम में…

टापू: जिम में क्या?

बबिता: जिम में बहुत मज़ा आया.

टापू: मुझे भी बहुत मज़ा आया. फिरसे करे क्या?

बबिता: हा, लेकिन कहा?

टापू: आपके घर.

बबिता: नही वाहा नही. तुम्हारे घर?

टापू: नही वाहा नही.

फिर वो दोनो सोचने लगे की कहा और कैसे करे. फाइनली उन्होने रात में सब के सोने के बाद च्चत पर मिलने का प्लान बनाया. और दोनो अपने-अपने घर वापस चले गये. टापू ने उतनी देर में 2 बार मूठ मार ली, क्यूंकी वो रात को देर तक मज़ा करना चाहता था.

फिर रात हो गयी, और दोनो के घर वाले सो गये. बबिता चुप-छाप अपने घर से बाहर निकल आई, और च्चत पर पहुँच गयी. उसने ब्लॅक कलर का गाउन पहन रखा था. उधर टापू भी च्चत पर पहुँच गया, और उसने शॉर्ट्स और त-शर्ट पहन रखी थी.

दोनो आमने-सामने हुए, और बिना कुछ बोले एक-दूसरे को किस करने लगे. पागलों की तरह दोनो एक-दूसरे के होंठ चूस रहे थे. टापू किस करते हुए बबिता की गांद दबाने लग गया. बबिता भी उसके लंड पर हाथ रख कर दबा रही थी.

फिर टापू बबिता की गर्दन चूमने लगा, और उसने उसका गाउन आयेज से खोल दिया. अंदर बबिता ने ब्लॅक ब्रा और पनटी पहनी हुई थी. उसका सेक्सी जिस्म देख कर टापू पागल हो गया. उसने बबिता की ब्रा नीचे खींच कर उसका एक बूब बाहर निकाला, और उसको चूसने लग गया.

बबिता भी उसके सर पे हाथ रख कर उसको सहलाने लगी. कुछ देर बाद बबिता ने अपना गाउन उतार दिया, और ब्रा खोल कर अपना दूसरा बूब टापू को चूसने के लिए दिया. टापू उसके दोनो बूब्स को ज़ोर-ज़ोर से चूस रहा था.

बबिता मदहोश हो रही थी, और उसकी पनटी छूट के पानी से गीली हुई पड़ी थी. फिर बबिता ने टापू की शॉर्ट्स और अंडरवेर निकाल दिए, और घुटनो के बाल बैठ कर उसके लंड से खेलने लग गयी. वो लंड से मसखरी करने लगी. टापू भी अपना लंड पकड़ कर बबिता के मूह पर थप्पड़ मारने लगा.

फिर बबिता ने उसका लंड अपने मूह में डाल लिया, और उसको चूसना शुरू कर दिया. वो ज़ोर-ज़ोर से लंड को चूस रही थी, जैसे बहुत भूखी हो और पूरा निगल जाएगी. उसके मूह से बहुत सारी थूक नीचे गिर रही थी.

टापू का लंड एक-दूं चिकना हो चुका था, और वो भी कमर हिला कर बबिता के मूह को छोड़ रहा था. अब टापू की बारी थी. उसने बबिता को खड़ा किया, और खुद घुटनो पर बैठ गया.

उसने बबिता की पनटी निकाल दी, और उसको घुमा कर झुका लिया. बबिता ने अपने हाथ वॉटर टांक पर रख लिए, और अपनी गांद बाहर निकाल कर खड़ी हो गयी. टापू ने बबिता की मस्त गांद में अपना मूह डाल लिया, और उसकी छूट को चाटने लगा.

बबिता मस्त मज़ा ले रही थी, और अपनी गांद हिला-हिला कर छूट चुस्वा रही थी. उसकी छूट किसी नदी की तरह पानी छ्चोढ़ रही थी, और उसके मूह से आ आ की आवाज़े निकल रही थी. फिर वो बोली-

बबिता: अब छोड़ो मुझे टापू, और मेरी प्यास बुझाओ.

टापू तुरंत खड़ा हुआ, और उसकी छूट पर अपना लंड सेट करने लगा. उसका लंड सेट नही हो रहा था, तो बबिता तोड़ा और झुक गयी. फिर टापू का लंड जैसे ही छूट के मूह पर लगा, उसने ज़ोर का धक्का मार कर अपना पूरा लंड बबिता की छूट में डाल दिया.

फॅक की आवाज़ से लंड अंदर गया, और बबिता की आ निकल गयी. टापू ने ज़ोर-ज़ोर से लंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया. बबिता की छूट को बड़ा सुकून मिल रहा था, और वो आ आहह की सिसकियाँ भर कर मज़ा ले रही थी.

टापू भी मज़े से उसकी गरम छूट छोड़ रहा था. उसने बबिता के छूतदों को जाकड़ रखा था, और उनको मसल रहा था. उसके चूतड़ लाल हो चुके थे मसके जाने की वजह से.

फिर टापू ने स्पीड बढ़ा दी, और बबिता भी आयेज-पीछे होके उसके साथ रिदम मॅच करने लगी. फिर टापू ने बबिता के बाल पकड़ लिया, और लंड पूरा बाहर निकाल कर अंदर डालता. उसका लंड बबिता की बच्चे-दानी को चू रहा था, जिसका बबिता की दर्द भरा मज़ा आ रहा था.

30 मिनिट हो चुके थे, और ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी, और बबिता आहह आ करते हुए झड़ने लग गयी. तभी टापू भी झड़ने वाला था, तो उसने धक्के तेज़ कर दिए. फिर वो भी आहह आ करने लगा, और उसने अपना पानी बबिता की छूट में ही निकाल दिया.

जब उसने लंड छूट से बाहर निकाला, तो उसका माल बबिता की छूट से तपाक रहा था. फिर दोनो ने जल्दी से अपने कपड़े पहने, और बिना कुछ बोले वाहा से चले गये.

दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो तो कॉमेंट करके ज़रूर बताना.