अपने आप को जेठ जी के हवाले किया

हेलो दोस्तो मई स्वरना. आप सबने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.

में जानती हू यह स्टोरी ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप आयेज पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.

इश्स स्टोरी का 20त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए. ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए.

तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आयेज..

कुछ देर बाद अज़हर ने अपने धक्को की स्पीड बढ़ा दी और उनके लंड से गरम वीर्या (स्पर्म्ज़) की धार मेरी छूट के अंदर बहने लगा था. मेने भी उनके साथ साथ अपने रास का द्वार खोल दिया था और हम दोनो अब एक साथ एक दूसरे के पास लेते हुए लंबी लंबी सासे ले रहे थे.

मेरा दो बार निकल ज़रूर गया था लेकिन अभी तक में गर्मी से जाल रही थी. आज तो में इतनी उत्तेजित थी की अगर अज़हर मूज़े रात भर छोढ़ता तो में उसका पूरी रात साथ देती. तभी भाईजान उठे और बातरूम मे चले गये.

अज़हर हम दोनो औरतो के बीच लेट गये और हम दोनो को अपनी दोनो बाहो मे भर कर खुद के उपेर खिच लिया. हम दोनो . उनके नंगे जिस्म से लिपटी हुई थी. अज़हर एक बार मूज़े चूमते तो एक बार अपनी भाभी को और हम दोनो औरते उनके जिस्म को सहला रही थी.

मेने अपना हाथ उनके लंड पर रख कर देखा तो पता चला की वाहा पर तो पहले से हे एक हाथ रखा हुआ था. मेने जब नीचे झुक कर देखा तो वाहा मुस्कान भाभिजान ने अज़हर का लंड अपने हाथो मे पकड़ रखा था.

यह देख कर मेने अपना हाथ उनके लंड के पास से हटा दिया.

अचानक मूज़े अपने पीछे से कुछ आवाज़ आई तब मेने अपने हाथो को अज़हर की पकड़ से चोराया. और पीछे घूम कर देखा की पीछे बेड के पास फ़रदीन भाईजान वाहा खड़े हम तीनो को देख रहे थे.

रूम मे यूयेसेस वक़्त पूरा अंधेरा था. नाइट लॅंप और टीवी की लाइट मे उनका भोला सा चेहरा भौत हे मासूम लग रहा था.

सयद उन्हे भी अपने छोटे भाई की किस्मत पर जलन हो रही थी. इसलिए चुपचाप खड़े खड़े हुमारी हरकटो को निहार रहे थे. उन्हे इश्स तरह खड़े देख कर मूज़े उन्न पर भौत मोहब्बत आ गयी थी.

मेने अपने आप को अज़हर के बंधन से अलग किया और अपने हाथ उनकी तरफ उठा कर अपनी आगोश मे बुला लिया-

साहिबा:- आओ नाअ…… कब से आपका इंतेज़ार कर रही हू.

भाईजान मेरे इश्स तरह उन्हे बुलाने से भौत खुश हुए और आ कर मेरी बगल मे लेट गये. हम दोनो की तरफ देख कर अज़हर दूसरी तरफ शिफ्ट हो गये और हम दोनो को वाहा जगह दे दी.

अब मेरे मजनू मेरी बाहो मे थे इसलिए मूज़े कही और देखने की ज़रूरत हे नही थी. में उनके जिस्म से चिपकते हे सारी दुनिया से बेख़बर हो गयी थी.

मूज़े अब किसी बात की या किसी भी आदमी की कोई चिंता नही थी. बस चिंता थी तो सिर्फ़ इतनी की यह मेरे जेत्जी जो मूज़े भौत चाहते है उन्हे में दुनिया भर की सारी खुशी दे डू.

फ़रदीन मेरे नंगे जिस्म से बुरी तरह लिपट गये. तो में भी उनसे किसी बेल की तरह लिपट गयी थी. हम दोनो को देख कर ऐसा लग रहा था जैसे मानो जन्मो के भूखे हो और पहली बार सामने स्वादिष्ट खाना मिला हो.

उनके होत मेरे होतो को रग़ाद रहे थे और में भी उनके नीचे के होत को कभी काट रही थी तो कभी उनके मूह के अंदर अपनी जीब घूमने लगती. और वो अपनी जीब से मेरी जीब को सहलाने लगते. तब मेने उनके कान मे फुसफुसते हुए कहा-

साहिबा:- भौत प्यासे हो????

फ़रदीन:- ह्म्‍म्म्म हन…

उन्होने सिर्फ़ इतना कहा और मेरे जिस्म को चूमना जारी रखा.

साहिबा:- आज की सारी रात आपकी है… आज जितना जी चाहे मूज़े अपने रास से भीगो लो. फिर पता नही कब मिलना हो इसलिए ना तो आज की रात मई सौंगी और ना एक पल को आपको सोने दूँगी.

मेने अपने दाटो से उनके कान के नीचे की लू को काट ते हुए कहा-

साहिबा:- आज रात भर हम दोनो एक दूसरे की प्यास बुजाएँगे.

उन्होने मेरे बूब्स को अपने हाथो मे थम लिया और उसको ज़ोर से चूसने लगे.

तब मेरी नज़र अचानक पास मे दूसरे जोड़े पर गयी. तो देखा की उनकी तो चुदाई शुरू हो चुकी थी. अज़हर ने मुस्कान भाभिजान को पीछे से छोढ़ते हुए हम दोनो को देख रहे थे.

मुस्कान भाभिजान सिसकारिया ले रही थी

मुस्कान:- अहहहहः उफुफुफु श्श्श् अहहः अहहहः अहहहहा.

मूज़े यूयेसेस तरफ देखते देख फ़रदीन ने भी उनको देखा तो मेने तड़प कर उनके सिर को अपनी दोनो चुचियो के बीच दबाते हुए कहा-

साहिबा:- नही आज और कही नही… आज सिर्फ़ मैं और आप.. सिर्फ़ हम दोनो… क्या हो रहा है कहा हो रहा है यह कुछ भी मत देखो. सिर्फ़ मूज़े देखो और सिर्फ़ मूज़े हे प्यार करो. मई आपके लिए तड़प रही हू.. में आपके छोटे भाई की बीवी हू मगर अपने मूज़े अपने लिए पागल बना दिया है.

मेने उनके सिर को पकड़ कर अपने निपल को उनके होतो से रग़ाद रही थी. आज तक मेने कभी किसी के साथ चुदाई मे इश्स तरह की हरकते नही की थी पर आज मुझ पर शराब और कामुकता का नशा सॉवॅर था. में ज़ोर ज़ोर से बोल रही थी क्यूकी अब मूज़े किसी की परवाह नही थी की कों क्या सोचता है.

मेरे निपल एकद्ूम कड़क और फूले हुए थे और में उन्हे फ़रदीन भाईजान के सीने पर भी रग़ाद रही थी. उनके छोटे छोटे निपल से जब मेरे निपल रग़ाद खाते तो एक सिरहन सी पूरे जिस्म मे दौड़ जाती थी. मेने अपने हाथो मे उनके लंड को पकड़ कर उससे अपनी छूट के उपेर सत्ता कर दोनो झांगो के बीच दबा भी लिया था.

फ़रदीन भाईजान तो पूरी तरह मस्त हो रहे थे. वो उससी हालत मे अपने लंड को आगे पीछे करने लगे थे. दोनो टाँगो के बीच उनका लंड रग़ाद खा रहा था. में करवट बदल कर उन्हे नीचे बेड पर गिरा कर उनके उपेर सॉवॅर हो गयी और उनके चेहरे को बेहताशा चूमे जेया रही थी.

सबसे पहले उनके होतो को फिर दोनो बंद आखो को और फिर अपने होत उनके गालो पर फिरते हुए उनके गले तक ले गयी थी. मेने अपने दाटो से भाईजान की ठुड्डी पकड़ ली और अपने दाटो को उन्न पर रगड़ते हुए उनकी ठुड्डी को चूसने लगी थी.

फ़रदीन भाईजान भी मेरे दोनो निपल्स को पकड़ कर उनसे खेल रहे थे. मेने अपने जिस्म को तोड़ा उपेर किया और उनके मूह तक अपने बूब्स को लेके आ गयी.

अपने एक निपल को उनके होतो के उपेर ऐसे लटका रखा था की उनके होत लालच के मारे खुल गये और मेरे यूयेसेस निपल को किसी अंगूर की तरह मूह मे लेने के लिए लपके लेकिन मेने झटके से अपने जिस्म को पीछे करके उनके वार से खुद को बचाया.

मई उनकी मासूमियत पर हास पड़ी और मेने उनके सिर को बालो से पकड़ कर पिल्लो से दबा दिया था. इसलिए अब वो उनके सिर को हिला नही सकते थे.

इस हे तरह भाईजान को जाकड़ कर उनके होतो पर अपने निपल को हल्के हल्के से चुने लगी थी. उन्हे इश्स तरह तरसाने मे भौत मज़ा आ रही थी.

उनके होत मेरे निपल को अपने मूह मे लेने के लिए तरस रहे थे. में भी साथ हे साथ अपने झांगो को उनकी झांगो के उपेर से मसल रही थी. मेरी छूट के उपेर का उभर उनके लंड को पिस देने के लिए मसल रहा था.

मेने अपने निपल को उनके होतो पर कुछ देर तक चुने के बाद पूरे चेहरे के उपेर घूमने लगी थी. मेरे यह करने से भाईजान के पूरे सरीर मे एकद्ूम से करेंट दौड़ गया जो में महसूस कर सकती थी.

मेने अपने निपल को उनके चेहरे पर घूमते हुए गले के उपेर से होते हुए उनके सीने पर रगड़ने लगी थी. उनके सीने पर उगे हुए घने बालो पर निपल्स फेरते हुए मूज़े भौत मज़ा आ रहा था. और उत्तेजना के मारे उनका लंड भी झटके खा रहा था.

फिर मेने अपने निपल से उनके सीने को सहलाते उनके पेट और उसके बीच उनकी नाभि को चूहने लगी थी. मूज़े उनको इश्स तरह उत्तेजित करने मे भौत मज़ा आ रहा था.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इस के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.