एसी कोच मे बुद्धी औरत की चुदाई

ही दोस्तो, मेरा नाम राहुल है. मई राजस्थान का रहने वाला हू. मेरी उमर 26 साल है, और मई एक हटता-कटता लड़का हू. मेरे लंड का साइज़ 8 इंच है, और मई किसी भी औरत को खुश कर सकता हू. ये जो कहानी है, ये पिछले महीने की है.

पिछले महीने मैने अमृतसर जाने का प्लान बनाया था. मई अकेला ही घूमना फिरना पसंद करता हू, तो मैने अपनी ट्रेन की टिकेट बुक करवा दी. फिर वो दिन आ गया, जब मुझे अमृतसर के लिए निकलना था.

मई सुबा उठ नही पाया, और जब मेरी आँख खुली, तो ट्रेन निकालने मे सिर्फ़ 30 मिनिट ही रह गये थे. बाग तो मैने रात को ही पॅक कर लिया था, लेकिन मई रेडी नही था. फिर मई 20 मिनिट मे रेडी हुआ, और स्टेशन के लिए निकल गया.

जब मई स्टेशन पर पहुँचा, तो ट्रेन चल पड़ी थी. ट्रेन पकड़ने के चक्कर मे मई एसी कोच मे चढ़ गया. फिर मई वाहा कॅबिन मे देखने लगा, की किसी को बोल कर बैठ जौ. तभी मुझे एक कॅबिन दिखा, जो खाली था. मुझे लगा, शायद पॅसेंजर अभी आने वाला होगा, तो मई उसमे जाके बैठ गया.

कॅबिन के साइड मे एक परदा था, और मई उस पर्दे के पीछे बैठा था. तभी एक औरत अंदर आई. वो एक आंटी टाइप औरत थी. मई पर्दे के पीछे था, तो उसको नज़र नही आया. अब इससे पहले की मई उसको बता पाता, उसने अपने कपड़े उतारने शुरू कर दिए.

मेरी नीयत थोड़ी खराब हो गयी, तो मई चुप छाप बैठा रहा. वो 45 साल की औरत थी( ये उसने मुझे बाद मे बताया था). उसका रंग बहुत गोरा था, और उसकी बॅक बहुत सेक्सी थी. फिर जब वो घूमी, तो उसके बड़े-बड़े बूब्स मेरे सामने आ गये. उसके बूब्स कम से कम 38″ के होंगे.

उसका तोड़ा पेट भी निकला हुआ था, जो उसको और सेक्सी बना रहा था. फिर उसने एक त-शर्ट पहन ली. जब वो पाजामा पहनने के लिए नीचे झुकी, तो उसकी ब्राउन कलर की छूट मेरे सामने आ गयी. उसको देख कर मेरा तो बुरा हाल हो रहा था.

पाजामा पहन-ने के बाद उसने अचानक से परदा साइड कर दिया. जैसे ही उसने मुझे देखा, तो वो ज़ोर से चीख पड़ी. मैने उसको पकड़ लिया, और उसका मूह बंद कर दिया. मैने उसको धीमी आवाज़ मे कहा-

मई: प्लीज़ माँ, प्लीज़ चिल्लओ मत. मेरी ट्रेन मिस हो रही थी, तो मई भागते हुए इस कॅबिन मे चढ़ गया. मेरे पास पॅसेंजर कोच की टिकेट है. अगर त्क आ गया, तो वो मेरी बात नही मानेगा. प्लीज़ चिल्लओ मत.

उसी वक़्त उसके कॅबिन का दरवाज़ा त्क ने नॉक किया. उसने बोला-

त्क: क्या हुआ मेडम?

मई: माँ प्लीज़ उसको मत बताना.

ये बोल कर मैने उसको छोढ़ दिया. फिर उसने दरवाज़ा खोला और त्क को बोली-

औरत: कुछ नही सिर, वो कॉकरोच था.

त्क हस्सा, और वापस चला गया. फिर वो पीछे मूडी, और उसने मेरी तरफ देखा. उसके बाद उसका ध्यान मेरे लंड की तरफ पड़ा. मेरा लंड अभी भी खड़ा हुआ था. फिर उसने दोबारा मेरे मूह की तरफ देखा. कुछ सेकेंड्स बाद वो बोली-

आंटी: अब मैने तुम्हे बचाया है, तो तुम्हे मेरे लिए कुछ करना होगा.

मई: आप जो कहो आंटी.

आंटी: मुझे आंटी मत कहो. मुझे चर्री कहो.

मई: ओक चर्री.

चर्री: चलो अब अपनी पंत उतारो.

मई: क्या!

चर्री: तुमने सुना ना मैने क्या कहा? के बूलौऊ त्क को.

मई: नही-नही मई उतारता हू.

जैसे ही मैने पंत उतारी, वो नीचे बैठ गयी. फिर उसने मेरे अंडरवेर से लंड बाहर निकाल लिया. मेरा 8 इंच का लंड देख कर वो स्माइल करने लगी. फिर उसने लंड को चूमना शुरू किया. उसके कोमल हाथ लगते ही मेरा लंड फुकारे मारने लगा था.

मई अब जान गया था, की वो चूड़ना चाहती थी. फिर मैने उसके बाल पकड़े, और अपना लंड उसके मूह मे डाल दिया. वो मेरा लंड चूसने लगी, और मई उसके मूह मे धक्के देने लगा. मैने ज़ोर-ज़ोर से उसके मूह मे धक्के दिए, जैसे वो कोई रंडी हो.

फिर मैने उसको सीट पर बिताया, और उसका पाजामा उतार कर उसकी छूट चाटने लगा. उसकी छूट का तो भोंसड़ा बना हुआ था, लेकिन उसकी गांद टाइट थी. मई उसकी छूट से साथ-साथ उसकी गांद भी चाटने लगा. अब वो आहह आहह कर रही थी. फिर मैने उसकी उमर पूछी, तो उसने 45 बताई.

मैने उसको खड़ा कर लिया और उसके हाथ उपर की सीट पर रखवा लिए. फिर मैने अपना लोड्‍ा पीछे से उसकी छूट पर रखा, और अंदर धकेल दिया. उसकी छूट खुली थी, तो लंड आसानी से अंदर चला गया.

फिर मैने ज़ोर के धक्के देने शुरू कर दिए. मई साथ मे उसकी गांद पर थप्पड़ भी मार रहा था. उसको मज़ा आ रहा था, लेकिन मुझे उसकी छूट ढीली लग रही थी. फिर मेरी नज़र उसकी गांद के छेड़ पर थी, जिस पर मेरा दिल आ गया था.

फिर मैने धक्के मारते हुए उसकी गांद पर थूक दिया. उसके बाद जैसे ही मैने उंगली अंदर डाली, तो उसकी आहह निकल गयी. फिर वो बोली-

चर्री: गांद मे उंगली मत करो. मुझे दर्द होता है.

यही तो मई चाहता था, की उसको चुदाई का दर्द हो. फिर मैने उसकी छूट मे थोड़े और धक्के लगाए, और उसकी गांद पर फिरसे थूक दिया. फिर मैने पीछे उसके बूब्स पकड़े और उनको मसलना शुरू कर दिया.

बूब्स मसालने से वो ज़्यादा हॉर्नी हो गयी. मैने उसी वक़्त अपना लंड उसकी छूट से निकाला, और गांद मे घुसा दिया. मेरे पहले धक्के मे मेरा आधा लंड उसकी गांद मे चला गया. वो चीखना चाहती थी, लेकिन मैने उसका मूह अपने हाथ से बंद कर लिया था.

वो दर्द से काँपने लग गयी, लेकिन मैने उसको जकड़े रखा, और तब तक ज़ोर लगाया, जब तक की मेरा पूरा लंड उसकी गांद मे नही चला गया. जब मेरा पूरा लंड उसकी गांद मे चला गया, तो मई रुक गया, और पीछे से उसके बूब्स और छूट मसालने लगा.

जब वो तोड़ा शांत हुई, तो मैने हल्के-हल्के धक्के मारने शुरू किए. अब उसकी आहों मे दर्द के साथ-साथ मज़ा भी झलक रहा था. फिर मैने धक्को की स्पीड तेज़ की, और वो मज़े से आहें लेने लगी.

मेरे धक्को से मेरी जांघे उसके छूतदो से टकरा रही थी, और बड़ी मस्त ठप-ठप की आवाज़ आ रही थी. अब वो बोल रही थी-

चर्री: आह.. आहह.. कम ओं, फक मी आस आहह..

मई उसकी गांद मे धक्के मारता गया, और वो सिसकिया लेती गयी. फिर 20 मिनिट की गांद चुदाई के बाद, मैने अपना पानी उसकी गांद मे ही निकाल दिया. गांद छुड़वाने के बाद वो सीट पर लेट गयी, और मई भी उसके साथ लेट गया.

अब हम दोनो एक-दूसरे के होंठो को चूस रहे थे. थोड़ी देर होंठ चूसने के बाद वो गरम हो गयी, और मेरा भी लंड खड़ा हो गया. अब वो मेरे उपर आ गयी, और मई सीट पर लेता हुआ था. उसने मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया.

2 मिनिट लंड चूसने के बाद, उसने लंड अपनी छूट मे डाल लिया, और उस पर उछालने लग गयी. मई भी उसके चूतड़ पकड़ कर उपर की तरफ धक्का देने लगा. इस बार हमारी चुदाई 30 मिनिट चली. वो सेक्स की बहुत भूखी लग रही थी. हम दोनो 4 घंटे उस कॅबिन मे साथ थे, और इन 4 घंटो मे मैने 6 बार उसकी उसकी चुदाई की.

तो दोस्तो कैसी लगी मेरी कहानी? अगर आपको कहानी अची लगी हो, तो कहानी को लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.

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