ट्रेन में बेटे और बाप में हुई चुदाई की कहानी

ही दोस्तों, मेरा नाम दानियाल है. मैं मुंबई का रहना वाला हू. मेरी हाइट 5’6″ है आंड मैने अभी जस्ट जिम जाना स्टार्ट किया है. बड़ी ही लचीली कमर का मालिक हू, और स्कूल और कॉलेज में काई लोगों को अपना आशिक़ बना चुका हू.

पर दर्र के मारे कुछ ज़्यादा किया था. बस यू ही दिल में सारे अरमान दबाए रखे थे. अपना हाथ और उंगलियों के ही सारे मज़े लिए थे अब तक. अभी जस्ट मैने 1स्ट्रीट एअर का लास्ट पेपर दिया था, आंड घर जाके पता चला की मेरे घर वाले घूमने की प्लॅनिंग कर रहे थे.

मैने भी इंटेरेस्ट ले लिया, की चलो कही घूमना फिरना तो हो जाएँगा, वरना इन एग्ज़ॅम्स ने मेरी लगा रखी थी. फिर डेस्टिनेशन डिसाइड हुई की चलो अजमेर घूम आते है, क्यूंकी नज़दीक भी था, और जल्द से जल्द वापस भी आ जाएँगे.

क्यूंकी लास्ट मोमेंट प्लॅनिंग थी, तो हमने ट्रेन की टिकेट बुक कर ली, वो भी तत्काल में. हम 11 लोगों का जाने का प्लान हुआ, पर तत्काल थी तो सिर्फ़ 5 ही टिकेट्स कन्फर्म हुई, और वो भी दो दिन बाद पता चला, जिस दिन हमे रवाना होना था.

मेरे सेक्सी अब्बा ने कहा: कोई नही, स्टेशन जाके त्क से बात करके बाकी टिकेट्स भी कन्फर्म करा लेंगे.

ऐसे तो मेरे अब्बा 5’9″ की हाइट और होंगे कुछ 60+क्ग के आस-पास. वो रोज़ाना जिम जाते है, और बड़े ही सेक्सी जिस्म के मालिक है 50 की आगे में भी.

रात 10:30 की ट्रेन थी क्स्ट से. हम लोग ओला बुक करके निकल गये 8:30 बजे ही, और 9:30 तक हम क्स्ट स्टेशन पहुँच गये. अब्बा ने त्क को ढूँढा, और कुछ जुगाड़ करके 4 सीट्स कन्फर्म कर ली.

अभी भी 2 सीट्स कन्फर्म होनी बाकी थी. त्क से मिन्नटे करने पर उसने एक और सीट दे दी, और कहा अड्जस्ट कर लो.

अब हमारी ट्रेन लग गयी प्लॅटफॉर्म पे. 15 मिनिट पहले दरवाज़े भी खुल गये. हम सब ट्रेन में जाके बैठ गये, और अपने टाइम पर ट्रेन रवाना हुई क्स्ट से. थोड़ी ही देर में हमने खाना खाया, और सब ने जाके एक-एक सीट पकड़ ली.

अब बचा सिर्फ़ मैं. तो मैं अपनी अम्मी के साथ उनकी सीट पे बैठ के उनसे बातें करने लगा. थोड़ी देर में अब्बा पाजामा आंड त-शर्ट पहन के उपर वाली सीट पे चढ़ गये सोने के लिए.

ट्रेन अपनी रफ़्तार पे चल रही थी. वही ट्रेन के अंदर ठंड बढ़ने लगी. अब अम्मी को भी नींद आने लगी थी.

मैने कहा: आप सो जाओ, मैं नीचे बैठ जाता हू.

अम्मी ने माना कर दिया.

वो मुझे बोली: तू सो जा, मैं बैठ जाती हू यही साइड में. यहा बैठे-बैठे सो जौंगी.

मा तो मा होती है यार, जो भी बोलो. यही सब मेरे अब्बा सुन रहे थे. मानो दिल पे पत्थर रख कर उन्होने मुझे उपर बुला लिया सोने उनके बाजू में. मेरी तो मानो लॉटरी निकल पड़ी.

मैने झट से कहा: ठीक है.

और खुशी-खुशी जाके कपड़े चेंज कर आया. मैने भी त-शर्ट और सिल्क का पाजामा पहना था, और अपना अंडरवेर भी निकाल दिया था. मैं उपर चढ़ा तो अब्बा तोड़ा खिसके, और बोले-

अब्बा: आयेज की तरफ घुस के सोजा.

मैं भी तोड़ा अड्जस्ट करके घुस के सो गया. हम दोनो एक-दूसरे को ऐसे चिपक से गये थे, जैसे किसी ने फेविकोल से चिपका दिया. अब्बा ने ब्लंकेट डाली हम पर, और एक हाथ मेरी कमर में डाल कर लेट गये.

मेरा तो उनके जिस्म की गर्मी से ही लंड खड़ा होने लगा, और वही दूसरी और मैं उनका लंड अपनी गांद पे महसूस कर पर रहा था. अफ क्या हसीन पल था वो. यहा उनका सोया हुआ लंड भी मस्त गोल-मटोल सा महसूस हो रहा था. यहा मेरी साँसे तेज़ होनी लगी, और वाहा मेरी गांद मेरे अब्बा के लंड पे दबने लगी.

आधी रात हो चुकी थी. पूरी ट्रेन में अंधेरा था, सारी लाइट्स ऑफ थी, और सभी लोग सो रहे थे. अब माहौल कंबल के अंदर गरम और बाहर ठंडा हुआ पड़ा था. मैने महसूस किया जैसे मानो अब्बा का लंड तंन गया हो, और मेरी गांद के मज़े ले रहा हो.

फिर मैने भी हिम्मत की, और डरते हुए पीछे हाथ करके उसको पकड़ लिया. हाए, क्या बतौ, ऐसा लगा मानो जैसे मैने कोई भुट्ता पकड़ लिया हो मस्त लंबा और चौड़ा सा. शायद अब्बा ने भी अंडरवेर नही पहना था.

उसकी गर्माहट महसूस होने लगी मुझे मेरे हाथो में. मॅन कर रहा था बस उससे ही खेलता राहु, और उसको जी भर के प्यार करू रात भर. पर दर्र भी था की कही अब्बा उठ ना जाए.

अब्बा कुछ रिक्ट भी नही किए. मुझे लगा शायद वो गहरी नींद में सो गये थे. मैं भी फिर लंड के मज़े लेने लगा, और उसको मस्त मसालने और दबाने लगा. हाए, पहली बार किसी का लंड पकड़ा था खुद के अलावा.

मेरी गांद में खुजली सी होने लगी. मैने अपना पाजामा तोड़ा नीचे सरकया, और हिम्मत करके अब्बा के पाजामे के अंदर हाथ डाल कर उनका लंड बाहर निकाला. अफ, मेरी कमर नापते हुए अब्बा के लंड को मैने अपने पैरों के बीच में डाल दिया, और उसको दबाने लगा.

मैं लंड दबाने में मगन था, की अचानक से अब्बा का हाथ मेरे निपल्स को जेया पहुचा. इससे मैं एक-दूं से सहम सा गया, और दर्र गया. उन्होने मेरी गर्दन को अपनी ज़ुबान से छाता, और कहा-

अब्बा: बेटे मज़ा आ रहा है?

मैने डरते हुए सिर्फ़ सर हिलाया. मेरी तो गांद फटत के हाथ में आ गयी थी. अब्बा मस्त मेरे निपल्स दबाने लगे, और मुझे किस और चाटने लगे.

मैं गरम हुआ जेया रहा था. कभी वो मेरे निपल्स दबाते, तो कभी वो मेरा बदन सहलाते. मानो मैं सातवे आसमान पे था. फिर उन्होने अपनी उंगली मेरे मूह में डाली, और उसको बाहर निकाल कर मेरी गांद पे रगड़ने लगे.

फिर एक ही झटके में उन्होने उंगली अंदर घुसा दी. बड़ी ही आसानी से उंगली घुस गयी, क्यूंकी मैं जो रोज़ मेहनत करता था. थोड़ी देर में उन्होने दो उंगली घुसाई, जिससे मुझे तोड़ा दर्द होने लगा. उंगली अंदर-बाहर हो रही थी, और यहा मेरे दाद मेरे होंठो को चूसने लगे.

उफ़फ्फ़ जो मज़ा मुझे उस पल आया, आज तक कभी नही आया था. ऐसा लग रहा था मानो मैं कोई पॉर्न मोविए में कोई रॉल्प्ले कर रहा था. उनकी वो गरम साँसे मेरी गर्दन पे, फिर वो गरम ज़ुबान से मुझे चाट-ते हुए मेरी आँखों में आँखें डालने लगे.

वो मेरे होंठो को अपने होंठो में लेके अपनी ज़ुबान मेरे ज़ुबान से भीधने लगे, और उतने में उन्होने अपनी तीसरी उंगली भी अंदर घुसा दी. हाए, इतनी जलन और दर्द आज तक मैने महसूस नही किया था अपनी गांद में.

फिर वो ज़ोर-ज़ोर से मेरी गांद में उंगली करने लगे. कुछ देर बाद वो रुक गये. अपनी उंगलियों को उन्होने मेरी गांद से आज़ाद किया, और अपने लंड को अंदर डाल दिया पाजामे के. मैं सूरज की तरह गरम हो चुका था, की मानो बस चले तो अभी चुड जौ. पर वो रुक गये.

मैं तोड़ा सा घबरा गया, की शायद किसी ने देख तो नही लिया. उन्होने मेरा पाजामा उपर किया, और बस लेते रहे. उनका लंड अभी भी खड़ा था. मैने अपने हाथो को पीछे किया तो उन्होने उसको पकड़ लिया, और कहा-

अब्बा: अब बस और नही.

मैने कहा: प्लीज़.

अब्बा: नही बोला ना, समझ नही आता?

मे: प्लीज़ अब्बू, प्लीज़.

अब्बा: अगर और मज़े करने है तो वही करना होगा जो मैं बोलूँगा. वरना हम कुछ नही करेंगे.

मानो जैसे मेरी मनोकामना पूरी हो गयी हो. मैं तो यही चाहता था, की आज सारी हादे पार हो जाए.

मे: जैसा आप बोले अब्बा.


अब्बा खुश हुए, और एक स्माइल दी. फिर वो इधर-उधर देख कर नीचे उतार गये. फिर उन्होने बाग में हाथ डाला, और कुछ निकाला, और जेब में डाल दिया. उसके बाद उन्होने मुझे इशारा किया साथ चलने का.

हम उही चार कॉमपार्टमेंट आयेज चले गये. ट्रेन में सभी लोग सो रहे थे. रात के 3 बाज रहे थे शायद. अब्बा दरवाज़े के पास जेया खड़े हुए. मैं भी उनके बाजू जेया खड़ा हुआ.

फिट वो बोले: वॉशरूम में जेया, और दरवाज़ा बंद मत करना.

मैने हा में सर हिलाया, और वॉशरूम में घुस गया. मैने अपने कपड़े निकले, और सोच रहा था की ना-जाने अब अब्बा क्या करेंगे. उतने में वो अंदर आए, दरवाज़ा बंद किया, और मुझे गले लगा लिया.

मैं भी उनसे लिपट गया. फिर उन्होने अपने कपड़े निकले. मैं उनकी हेरी बॉडी और उनके टाँगो के बीच फंफनता हुआ अजगर देख कर डांग रह गया. उनका लंड देखने में और भी हसीन लग रहा था.

फिर उन्होने मेरा हाथ पकड़ कर उनके लंड पे रखा, और मुझे अपने करीब करके किस करने लगे. मैं भी उनके लंड को हिलने लगा. उफ़फ्फ़ गरम-गरम लंड हाथ में लेके मज़ा आ गया. मेरा भी लंड इतना बड़ा नही था, जितना अब्बा का लंड था.

फिर उन्होने मेरे कंधो पे हाथ रख कर मुझे नीचे बिताया. मैं समझ गया की वो अब क्या चाहते थे. मैने पॉर्न देखा तो बहुत था, बुत पता नही था की एक दिन मैं सच में कोई लंड चूसूंगा.

मैने पहले उनके लंड के टोपे को किस किया, और फिर उसको लीक किया. वो मेरे बालों में हाथ डाल कर मेरे सर को सहलाने लगे. मैने फिर मेरी ज़िंदगी का पहला लंड अपने मूह में लिया, और उसको चूसने लगा, जैसे की कोई चॉक्लेट हो.

मस्त हल्का काला सा अब्बा का लंड मुझे काले खट्टे की याद दिला रहा था. मैं बीच-बीच में उनके लंड को चाट भी रहा था, जैसे कोई आइस्क्रीम हो. वो मस्ती से आहें भरने लगे.

लंड चूस्टे हुए मैं अपनी गांद में उंगली कर अपने खड्डे को तैयार करने लगा. उन्होने अपने अंडे भी मेरे मूह के सामने किए. मैं किसी प्रो की तरह उनका लंड और गोट्ते चाटने और चूसने लगा.

वो मज़े में लंड चुस्वा रहे थे अपनी आँखें बंद किए हुए. फिर उन्होने मुझे खड़ा किया, और जेब से तेल की बॉटल निकली. कुछ तेल उन्होने अपनी उंगली पे लगाया, और कुछ मेरे खड्डे पे.

मेरी एक टाँग को उन्होने उपर किया, और मेरे पीछे सात के खड़े हुए. फिर मेरे होंठो को अपने होंठो से चूसने लगे, और मेरी गांद को अपनी चार उंगलियों से छोड़ने लगे. मुझे मज़ा आ रहा था, और बदन में गुदगुदी भी हो रही थी. कुछ देर बाद मैने धीमी आवाज़ में कहा-

मैं: अब्बा अब बस भी करो, और लंड डाल दो ना गांद में. और कितनी उंगली करोगे? अब लंड के मज़े भी दो ना अब्बा. प्लीज़ अब और कितना तड़पावगे?

अब्बा बोले: सोच लो एक बार घुस गया तो निकलेगा नही जल्दी.

मैने उनका लंड पकड़ा और अपने खड्डे के पास किया, और कहा-

मैं: पेल दो, और फाड़ दो आज मेरी गांद. अब मुझसे रहा नही जाता.

उन्होने फिर मेरे हाथो में तेल दिया, और कहा-

अब्बा: लगा लो तेल अपने बाप के लंड को अपने ही हाथो से, और चूड़ने के लिए तैयार हो जाओ.

मैने ढेर सारा तेल निकाला, और उनके लंड पे आचे से लगा दिया. उन्होने अपने लंड को पहले मेरे खड्डे के दरवाज़े पे टच किया. मेरी तो साँस ही रुक गयी. फिर वो लंड को उसपे रगड़ने लगे. मेरी साँसे और तेज़ हो गयी.

मैं अपनी गांद को लंड के टोपे पे दबाने लगा. उन्होने मेरे मूह पे हाथ रखा, और लंड का टोपा अंदर घुसा दिया. मैं एक बिन पानी की मछली की तरह झिलमिला उठा. उन्होने लंड बाहर निकाला, और मैने आँखें खोली तो उसमे से आँसू निकालने लगे.

फिर उन्होने मेरी गर्दन को छाता, और फिरसे टोपे को घुसाया, और फिर निकाला. मेरी अंतर आत्मा चिल्लाने लगी, पर मैं जिस जगह था, वाहा पे मैं कुछ कर नही सकता था. ऐसे ही उन्होने दो-टीन बार किया. मुझे तोड़ा मज़ा आने लगे.

उन्होने फिर एक झटका मारा. अब ऑलमोस्ट एक तिहाई लंड अंदर घुस गया था मेरी गांद में. मेरी दर्द से भारी आँखों से आँसू रुकने के नाम नही ले रहे थे. उन्होने फिरसे पाँच बार लंड अंदर-बाहर किया.

फिर एक झटका दिया जिससे अब उनका पूरा लंड अपनी झांतो तक मेरी गांद में घुस गया. मैं दर्द से बिलबिला यूटा. अपने आपको मैं उनकी पकड़ से च्चूधने लगा. उन्होने मुझे कस्स के पकड़ रखा था.

वो मुझे चाटने और सहलाने लगे. थोड़ी देर बाद उन्होने आधा लंड बाहर निकाला, और रुक गये. दर्द के मारे मैं उन्हे देखता रहा. उन्होने फिर झटका दिया, और वापस लंड घुसाया. फिर इमीडीयेट्ली पूरा लंड बाहर निकाला. फिर झटका दिया और अंदर घुसाया.

मानो अब मेरा खड्‍डा दर्द के मारे सुन पद गया हो, ऐसा महसूस होने लगा मुझे. मेरी टाँगो में और कमर में दर्द होने लगा था, और मुझसे दर्द के मारे खड़ा भी नही हुआ जेया रहा था.

टीन बार उन्होने फिर अपना पूरा लंड अंदर-बाहर किया. फिर मुझे उन्होने घुमाया, और गोद में लिया, और नीचे से लंड को घुसाया. अब दर्द कम होने लगा था. उन्होने मेरे निपल्स को चूसना शुरू किया, जिससे मैं मदहोश हुआ जेया रहा था.

मुझे मेरी चरम सीमा पे पहुँचा कर अब वो अपने लंड को अंदर-बाहर करने लगे, और मुझे हल्का-हल्का पेलने लगे. फिर मुझे वॉशरूम की एक साइड की दीवार से टीका दिया, और पैरों को अपने हाथो में ले कर मेरी गांद को पेलने लगे.

कुछ देर बाद उन्होने अपनी पोज़िशन बदली, और मुझे गोद से उतार कर तोड़ा झुकाया. अब फिरसे लंड सेट करके वो मेरी गांद मारने लगे. मुझे अब दर्द नही हो रहा था. मैं भी मज़े से गांद उछाल-उछाल के छुड़वाने लगा.

वो एक-दूं से रुक गये, और अपना लंड मेरी गांद से निकाल लिया. उन्होने मुझे कहा-

अब्बा: अब कपड़े पहन लो.

और खुद भी वो कपड़े पहनने लगे.

मैने कहा: अब्बा प्लीज़, क्या हुआ आपको? मैने कुछ ग़लत किया क्या? प्लीज़ करो ना, छोड़ो ना मुझे. प्लीज़ अब्बा अछा लग रहा था.

वो कुछ नही बोले सिर्फ़ स्माइल किए. फिर चुप-छाप कपड़े पहन कर वो बाहर चले गये. मैं भी सोच में पद गया, की हुआ तो हुआ क्या. फिर मैने कपड़े पहने, मूह धोया, और बाहर चला गया. अब्बा मेरा इंतेज़ार कर रहे थे.

हम वापस अपने कॉमपार्टमेंट में पहुँच गये. अभी भी सब सो रहे थे. मैं उपर चढ़ा, और लेट गया मायूस सा होके. फिर अब्बा उपर आए. वो भी मेरे बाजू में लेट गये ब्लंकेट डाल के.

उनका लंड अभी भी खड़ा था. उन्होने फिर मेरा पजमा नीचे किया, और मेरी खुशी का ठिकाना नही रहा. लेकिन मुझे दर्र लग रहा था, की अब्बा ये क्या कर रहे थे. फिर उन्होने अपने लंड को बाहर निकाला, और मेरी त-शर्ट में हाथ डाला, और मेरे निपल्स को ज़ोर-ज़ोर से दबाने लगे.

लंड अभी भी उनका किसी 20 साल के लड़के के लंड की तरह फंफना रहा था. फिर उन्होने एक ही झटके में अपना लंड मेरी गांद में घुसेध दिया. मुझे दर्द हुआ, पर मैने वो दर्द सहन कर लिया, की चलो अब्बा ने वापस से छोड़ने के बारे में सोचा था.

मुझे उनसे अब प्यार सा हो गया था. उनका लंबा गरम लंड मैं अपने अंदर महसूस कर रहा था. मानो वो भी आज मेरे साथ ये पल नही खोना चाहते थे, इस तरह मुझे पेल रहे थे.

ट्रेन अपनी रफ़्तार से हिल रही थी. वही उनका लंड मेरी गांद को ट्रेन के हर झटके से चीरता हुआ अंदर-बाहर हो रहा था. मुझे दर्र था की कोई देख ना ले, पर जिस जोश से और बेपरवाह होके अब्बा मेरी गांद को छोड़ रहे थे, लग रहा था आज वो मुझे प्रेग्नेंट करके ही छ्चोधेंगे.

ये चीज़ मुझे और गरम किए जेया रही थी. मेरे लंड से पानी बह रहा था, पर अब्बा का लंड मानो शांत होने का नाम ही नही ला रहा था, और वो पेले जेया रहे थे मुझे.

मैं बस चाहता था की ये हसीन सफ़र कभी ना ख़तम हो.

सॉरी बोर करने के लिए, पर अगर आपको मेरी स्टोरी अची लगे तो मुझे फीडबॅक ज़रूर दीजिएगा नीचे दी गयी एमाइल ईद पर.