मेरा पहला रंगीला अनुभव

ही दोस्तो मेरा नामे मनोज है मे 5’9” और सावला रंग है. मे 40 साल का हू और ये कहानी तब की है जब मे 18 साल का था. तब मेरी बॉडी एकद्ूम फिट और बिल्कुल बाल नही था बॉडी पे और मेरा गांद एकद्ूम रौंद और सेक्सी.

कहानी की और भड़ते है.

मे हर वाकेशन मे गाओं जाता था नानी के साथ रहने के लिए. उस समय मेरी नानी की बहन की डेत हो गयी और हुमको उनके घर जाना पद गया था.

मेरी नानी की बहें मेरे कज़िन मामा के साथ रहती थी. मेरे कोसिन मामा के 2 लड़के थे संतोष और आनंद. उसमे से आनंद तब वाहा नही था. मे वाहा उनके घर मे रुका हुआ था सारे क्रिया करमो मे साथ देने के लिए.

एक दिन मे सारे बचों के साथ घर के अंदर खेल रहा था तब संतोष बेड मे लेता हुआ था. मे उसके बेड पर जाके बैठ गया और बचो के साथ बाते कर रहा था.

उस बेड के साथ एक टेबल था उसके दूसरे तरफ सारे बचे बैठ गये और मे टेबल के इस तरफ जहा बेड थी वाहा बैठा. मे लूँगी पहना हुआ था और अंदर कुछ नही पहना था क्यूकी मेरा अंडरवेर गीला था.

मे जब बैठा तब संतोष मेरे लूँगी की खुली हुई जगा के तरफ देख रहा था.. मुझे तब कुछ ऐसा फील नही हुआ. बुत थोड़ी देर बाद संतोष ने मेरे थाइस पे अपना हाथ रख दिया. तब भी मुझे कुछ नही फील हुआ मेरा भाई है ऐसे ही रखा होगा. ये सोच कर मे बचों के साथ खेल मे उलाज गया.

फिर थोड़ी देर बाद उसने एक उंगली से लूँगी का खुला हुआ हिस्सा तोड़ा उपर किया. तभी मुझे तोड़ा अजीब लगा, तब भी मे हिला नही. फिर संतोष ने तोड़ा और हिम्मत करके हाथ को धीरे से आयेज बढ़ाया. मुझे तोड़ा ऑड लगा और मे तोड़ा हिला, उसने अपना हाथ खीच लिया. त

होडी देर बाद फिरसे उसने मेरे थाइस पे हाथ रखा इस बार सीधा लूँगी के उपर से मेरे लंड मे आराम से रखा. मेरे अंदर एकद्ूम करेंट सा गया पर मे कुछ बोला नही क्यूकी आयेज बचे बैठे थे.

उसको लगा मे तय्यार हू और आराम से मेरे लूँगी को बाजू मे किया और अपना हाथ बड़े प्यार से मेरे नंगे लंड पे रख दिया. मे तो एकद्ूम से फ़्रीज़ हो गया, पर मेर्को भी अभी मज़ा आने लगा.

मेरा लंड तोड़ा तोड़ा टाइट होने लगा. उतने मे संतोष ने लूँगी एक तरफ से पूरा बाजू कर दिया.

अब मेरा नंगा लंड एकद्ूम उसके हाथ मे था. आयेज सारे बचे बैठे थे और यहा नीचे मेरे लंड के साथ मेरा भाई खेल रहा था. मुझे एकद्ूम जन्नत का मज़ा आने लगा.

मे फिर बचो को बोला अब तुमलोग चले जाओ मुझे नींद आ रही है. वो लोग सब चले गये मे बोला जाते जाते दरवाज़ा बंद कर दो. फिर मे संतोष के तरफ मुड़ा वो आपनी आँखे बंद रखा था..

मे फिर उसके साथ लेट गया मेरा पीठ उसके और रखकर और चदडार ले लिया. उसने धीरे से मेरे चेस्ट पे हाथ लगाया और उसे सहलाने लगा. फिर नीचे से मेरा लूँगी एकद्ूम से खोल दिया.

अब मे चदडार के अंदर एकद्ूम नंगा था. उसने मेरे लंड को सहलाया और अपनी लंड को मेरे गांद मे आराम से रखके प्रेस किया. मे अपना गांद के होल को उसके लंड के साथ अड्जस्ट किया और मे भी प्रेस कर दिया.. तब वो तोड़ा टाइट था..

मे अपनी मूह से थूक लिया और अपने गांद और उसके लंड पे लगाया. उसने फिर तोड़ा प्रेस किया, मे यहा पूरा होश खो दिया. फर्स्ट टाइम किसिनी इतना प्यार किया. शायद उसका भी फर्स्ट टाइम था इसलिए दो टीन बार प्रेस करने पर ही उसका पूरा माल मेरे गांद के अंदर भर दिया. और बाकी बचा हुआ मेरे गांद से बाहर बह गया.

फिर वो कुछ बोले बगैर पलट कर सो गया. मे वॉशरूम मे जाके अपना गांद से उसका रस तोड़ा चख लिया और हिलाके अपना मे रस निकाला और जाके दूसरे रूम मे सो गया..

उसके बाद शाम को हम सब फॅमिली मेंबर्ज़ बाते करने बैठ गये. मे जान बुजकर मेरे भाई के बाजू मे जाके बैठ गया. क्यूकी मुझे पता था की कुछ ही देर मे लोड शेडिंग होने वाला है और 2 घंटे तक लाइट नही आएगी. मेरे लिए सुनेहरा मौका था उस लंड को फिरसे सहलाने का.

मे बोहुत बेसब्री से घड़ी की और देख रहा था. मेरा लंड मे अजीब सा मज़ा आने लगा और धीरे धीरे खड़ा होने लगा. संतोष ने उस वक़्त लूँगी पह्न रखी थी और बीच बीच मे अपने पैर को तोड़ा फैला रहा था. ताकि उसके खुला हुआ जगा मेरे आंको के सामने आए.

मेरे देखते उसने हल्के से अपना लूँगी उपर किया जो किसी और को नही दिखा. मे उसका काला लंड देख लिया, बिल्कुल भी बाल नही था एकद्ूम क्लीन शेव.

मेरा लंड और टाइट हो गया और मेरे लंड मे से प्रेकुं निकालने लगा. मे अपने हाथ से मेरे लंड को दबके रखने की कॉसिश कर रहा था इतने मे एकद्ूम से लाइट चली गयी.. मेरी दिल की धड़कन एकद्ूम तेज़ हो गया. हम फिर भी थोड़ी देर बात करने लगे ताकि किसी को शक़ ना हो.

फिर उसने मेरे थाइस पे हाथ रखकर बाते करने लगा, मे एकद्ूम चुप बैठा. थोड़ी देर बाद मेरा मेरे कंधे पर हाथ रखकर बैठा. और मेरे कंधे को अपनी तरफ खीच कर मुझे उसके थाइस पर लेटनी की कोशिश किया.

मे समाज गया और उसके गोद मे लेट गया. उसने अपने आप को अड्जस्ट किया और एक तकिया लेकर मेरे सर पर रख दिया, फिर धीरे से लूँगी को बाजू मे कर दिया. मुझे के खूबसूरत सी महक आई उसके लंड की. उसका लंड एकद्ूम ताना हुआ मेरे मूह के एकद्ूम पास था.

फिर उसने अपना उंगली मेरे मूह मे दल दिया और मूह को खोलने का इशारा किया. मे चुप छाप अपना मूह खोल दिया और उसका ताना हुआ लंड जो अभी प्रेकुं से भरा हुआ है मेरे मूह मे डाल दिया. अहह क्या स्वाद है मे मान मे सोचा.

धीरे धीरे उसे चूसने लगा. उसका सोमरास पूरा छत लिया, बोहुत ही स्वादिष्ट और नमकीन था. मे अपने मूह को उपर नीचे करने लगा. उसने अपने हाथ से मेरे लंड को पकड़ा और प्यार से हिलने लगा.. मे जन्नत मे था. मेरा मूह भी तेज़ चला और उसका हाथ भी.

हम दोनो का एक साथ ही पानी निकल गया. उसका पानी मेरे मूह को भर दिया मेरा साँस अटक गया. मे एक बूँद भी नही छोड़ा उसके सोमरास का, बोहुत ही आनंदमई वक़्त था वो.

फिर मे अपना मूह पोंछकर उठ के बैठ गया. वो मेरे मूह के करीब अपना मूह लाया और मेरे होंटो पर एक किस किया और मेरे कान मे हल्के से “थॅंक योउ” बोला. फिर हम उसके बारे मे कभी बात नही किया.

हम दोबारा एक दो बार मिले और जमकर मज़े किए, फिर वो दुबई चला गया और मे वापस मुंबई आ गया.

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