टाइया जी और कज़िन ने की थ्रीसम चुदाई

ही फ्रेंड्स, मैं दीप्ति अपनी स्टोरी के नेक्स्ट पार्ट के साथ आप सब के सामने हाज़िर हू. जिन लोगों ने अभी तक पिछला पार्ट नही पढ़ा है, वो पहले पिछला पार्ट ज़रूर पढ़े. पिछला पार्ट पढ़ने के बाद आपको कहानी बेहतर समझ में आएगी.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा, की दादा जी से बचने के लिए मैं अपने कज़िन चेतन और उसके पापा, यानी मेरे टाइया जी के साथ फार्महाउस देखने गयी. वाहा जाके चेतन ने मुझे गरम कर दिया, और फिर मैं उसका लंड चूसने लगी.

फिर टाइया जी भी आ गये, और मैं उनका भी लंड चूसने लगी. अब दोनो बाप-बेटा मुझे लंड चुस्वा रहे थे. चलिए आयेज बढ़ते है.

मैं एक रंडी की तरह घुटनो पर बैठी अपने टाइया जी और अपने कज़िन का लंड एक-एक करके चूस रही थी. फिर चेतन ने अपना लंड मेरे मूह से निकाला, और टाइया जी ने फिरसे डाल लिया. चेतन अब मेरे पीछे आके घुटनो के बाल बैठ गया.

फिर उसने पीछे से अपने हाथ मेरे बूब्स पर त-शर्ट के उपर से रखे, और मेरे बूब्स दबाने लगा. इससे मैं और उत्तेजित हो गयी, और टाइया जी के लंड को ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगी. फिर उसने त-शर्ट उपर उठाई, और उसको निकाल दिया.

त-शर्ट निकालने के लिए मुझे टाइया जी के लंड को मूह से निकालना पड़ा. फिर त-शर्ट निकालने के बाद जब मैं दोबारा लंड मूह में डालने लगी तो टाइया जी बोले-

टाइया जी: चल अंदर चल कर करते है.

ये बोल कर टाइया जी ने मुझे अपना हाथ दिया. मैं उनका हाथ पकड़ कर खड़ी हुई, और उनके साथ चल दी. मेरी त-शर्ट वही फर्श पर पड़ी रही, और चेतन मेरे पीछे-पीछे आ गया. रूम में आते ही उन दोनो ने अपने बाकी के कपड़े उतार दिए, और पुर नंगे हो गये.

फिर टाइया जी ने अपने होंठ मेरे होंठो से जोड़ दिए, और चेतन मुझे पीछे से चिपक गया. दो-दो मर्दों के जिस्म की गर्मी मुझे पागल बना रही थी. चेतन मेरी पीठ चूमने लगा, और चूमते-चूमते उसने मेरी ब्रा निकाल दी. टाइया जी लगातार मेरे होंठो को चूज़ जेया रहे थे.

फिर टाइया जी ने मेरे होंठो को छ्चोढ़ कर मेरे तनने हुए बूब्स का रुख़ किया, और दोनो बूब्स को हाथो में लेके दबाने लगे. पीछे चेतन नीचे बैठ गया, और मेरी जीन्स खोल कर मेरे पैरों पर कर दी. टाइया जी ने अपनी जीभ बाहर निकली, और एक-एक करके मेरे दोनो बूब्स पर फेरने लगे. फिर उन्होने एक बूब को दबाते हुए दूसरे बूब के निपल को मूह में डाला और चूसने लगे.

उधर चेतन पनटी के उपर से मेरी गांद में मूह मारने लगा. मैं तो मानो उत्तेजना के सातवे आसमान पर पहुँच गयी थी. फिर चेतन ने मेरी पनटी नीचे की, और मेरी गांद में अपना मूह डाल लिया. अब वो मेरी गांद के च्छेद में अपनी जीभ घूमने लगा, जिससे मैं पागल सी होने लगी.

उपर से बाप मुझे गरम करे जेया रहा था, और नीचे से बेटा. मैं करती तो क्या करती. फिर मेरी उत्तेजना इतनी बढ़ गयी, की मेरी छूट ने पानी छ्चोढ़ दिया, जो मेरी जांघों पर बहने लगा. अब टाइया जी ने मेरे बूब्स छ्चोढे, और मुझे अपनी बाहों में उठा लिया.

फिर वो जाके बेड पर वैसे ही लेट गये, और मैं उनके उपर थी. मेरी गांद बिल्कुल उनके खड़े हुए लंड पर थी. उन्होने अपने हाथो से मेरे चूतड़ पकड़े, और उनको आयेज-पीछे करके अपने लंड पर मेरी छूट रगड़ने लगे.

फिर उन्होने मुझे लंड छूट में लेने को कहा. मैने लंड को अपनी छूट पर सेट किया, और धीरे-धीरे आ आ करती हुई उस पर बैठ ही रही थी, की टाइया जी ने उपर की तरफ धक्का मार कर पूरा लंड मेरी छूट में घुसा दिया. मेरी चीख निकली, और मैं उठने की कोशिश करने लगी. लेकिन उन्होने मेरी जांघें कस्स के पकड़ी हुई थी.

फिर जब मेरा दर्द कम हुआ तो वो मेरी गांद पर नीचे से ज़ोर लगाने लगे. मैं समझ गयी, की अब मुझे लंड पर उछालना था, तो मैने वैसा ही किया. मैं लंड पर उपर-नीचे होने लगी, और मेरी छूट पानी छ्चोढती गयी. धीरे-धीरे मेरा दर्द चला गया, और मुझे बहुत मज़ा आने लगा.

फिर मैं ज़ोर-ज़ोर से लंड पर उछालने लगी. मेरे बूब्स हवा में उछाल रहे थे. तभी टाइया जी ने मेरे बूब्स पकड़े, और मुझे अपनी तरफ खींच कर बाहों में भर लिया. फिर वो मुझे किस करने लगे. तभी उन्होने 2 सेकेंड के लिए किस तोड़ी और चेतन को बोले-

टाइया जी: डाल दे भाई तू भी. मैने पकड़ा हुआ इसको.

मैं इतनी मदहोश थी, की समझ नही पाई की उन्होने चेतन को क्या बोला था. तभी चेतन मेरे पीछे आया, और मेरे चूतड़ खोले. फिर उसने मेरी गांद के च्छेद पर थूका. मैं पीछे देख ही रही थी, की वो क्या कर रहा था. तभी उसने मेरी गांद के च्छेद पर अपना लंड सेट किया, और ज़ोर से धक्का मारा.

मुझे बहुत दर्द हुआ, लेकिन लंड फिसल गया. मैं उसको माना करने लगी, की तभी टाइया जी ने मुझे जाकड़ लिया जिससे मैं हिल ना पौ. चेतन ने फिरसे लंड सेट किया, और दबाव बनाने लगा. उसका लंड किसी लोहे की रोड की तरह मेरी गांद में घुसता चका गया. मैं चीखने लगी लेकिन टाइया जी ने अपने होंठो से मेरे होंठ ब्लॉक कर दिए.

अब मैं ना तो हिल सकती थी, और ना ही बोल सकती थी. चेतन ज़ोर लगता गया, और पूरा लंड मेरी गांद में घुसा दिया. फिर वो हमारे उपर ही लेट गया. अब मैं उन दोनो के बीचे ऐसे थी, जैसे बर्गर में टिक्की. मुझे बहुत दर्द हो रहा था, और आँखों से आँसू आ रहे थे.

फिर चेतन धीरे-धीरे मेरी गांद में लंड अंदर-बाहर करने लगा. धीरे-धीरे मेरा दर्द भी कम हो गया, और अब मुझे मज़ा आने लगा. अब दोनो बाप-बेटे मज़े से मेरे दोनो च्छेदो को छोड़ने लगे. कुछ देर में मुझे इतना मज़ा आने लगा, की मैं खुद उनको ज़ोर-ज़ोर से छोड़ने के लिए कहने लगी.

बाप छोड़ते हुए मेरे होंठ और बूब्स चूस रहा था, और बेटा मेरी पीठ खरोंच रहा था. गाओं में आके मेरा रंडी से भी बुरा हाल हो रहा था. आधा घंटा दोनो ने मुझे जाम के पेला, और फिर मेरी छूट और गांद को उन्होने अपने माल से भर दिया.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आ रहा हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे.