हेलो दोस्तों, मैं कारण फिर आ गया कहानी को आयेज बढ़ने. पिछली कहानी में आपने जाना की रघुवीर और राज अलग यूनिवर्सिटी में पढ़ने लगे. जब रघुवीर छुट्टी पे आया तब राज से आचे से बात नही किया. फिर राज रोने लगा. अब आयेज-
राज ( रोते हुए): तुम बहुत बदल गये हो.
रघुवीर: अर्रे तुम रो क्यूँ रहे हो?
राज: तुम जब से गये हो, उसके बाद एक कॉल भी नही किए. अब आए हो लेकिन उसमे भी तुम मेरे से ऐसी बात कर रहे हो.
रघुवीर: तुमने ही तो मुझे नीषा को प्यार करने को बोला था.
राज: हा मगर हमारी दोस्ती के बीच तो कुछ नही बोला था. अब तुम दोस्त की तरह क्यूँ नही रहते?
रघुवीर: जब तक यहा था, तब तक दोस्त की तरह ही तो रह रहा था. अब बिज़ी रहता हू, इसीलिए नही हो पा रही है बात तुमसे.
राज: तुम जान-बूझ कर ये सब कर रहे हो, ताकि मैं गिल्टी फील करू.
रघुवीर: तुम जो भी किए हमारे भले के लिए ही किए. तो मैं क्यूँ करूँगा?
राज ( हग करते हुए): प्लीज़ तुम मेरे से दोस्ती मत तोड़ना
रघुवीर: ठीक है बाबा, चलो अब सोने चलते है.
अब दोनो बेड पे सो गये. लेकिन एक बेड पर सो कर भी बहुत डोर थे. आधी रात को राज को कुछ आवाज़ आई, तो उसकी आँखें खुल गयी. उसने देखा की रघुवीर रो रहा था बाल्कनी के पास. फिर राज उसके पास गया, और एक हग किया. तब रघुवीर ने भी उसको कस्स के पकड़ लिया, और रोने लगा.
रघुवीर: राज, नही हो पा रहा है और.
राज: क्या नही हो पा रहा है वीर?
रघुवीर: तुम्हारे साथ ऐसे नही रह पा रहा हू.
राज: मतलब?
रघुवीर ( रोते हुए): तुम्हे भूल नही पा रहा हू.
राज: वीर, तुम भूलने के लिए ही तो देल्ही गये थे.
रघुवीर: लेकिन वाहा भी तुम बहुत याद आते हो मुझे.
रघुवीर: ई’म सॉरी, मैं कुछ ज़्यादा बोल दिया.
अब राज सिर्फ़ उसकी बात सुनता रहा, मगर कुछ नही बोला. सिर्फ़ बेड पर लिटा के उसे हग करके सो गया. जब सुबह हुई, तो राज रघुवीर को ही देख रहा था. रघुवीर उठा और उसको बोला-
रघुवीर: कितने महीमीनो के बाद आज मुझे इतनी अची नींद आई राज.
राज: तुम जब तक यहा हो, हम साथ मिल कर ही सोएंगे.
अब जब तक रघुवीर था, तब तक वो साथ में ही रहे. जब वो देल्ही वापस जेया रहा था, तब उसने बोला की-
रघुवीर: राज, अब मैं तुमसे दोस्ती में कोई कमी नही करूँगा.
ये बोल कर वो चला गया. अब उन दोनो की दो-टीन दिन में कॉल पे बात होती रहती थी. ऐसे ही उन दोनो की यूनिवर्सिटी भी ख़तम हो गयी. अब रघुवीर और राज के साथ-साथ सभी दोस्तों की अची सॅलरी में जॉब लग गयी.
रघुवीर और राज को अपनी ही सिटी में जॉब मिल गयी. इसलिए रघुवीर अब अपने घर फिरसे आ गया. नीषा, नेहा भी उसी सिटी में जॉब करने लग गयी, मगर बाकी सब दोस्तों को मुंबई में जॉब मिली. इसलिए वो सब मुंबई चले गये.
रघुवीर और राज पहले जैसे थे अब वैसे ही रहने लगे. दिन भर अपनी जॉब पे, और रात को साथ मिल कर समय बिताते थे. जब वो दोनो नीषा और नेहा के साथ भी होते, तब भी वो एक-दूसरे को ही देखते रहते थे. रघुवीर और राज भूल गये थे की उनकी गर्लफ्रेंड्स भी थी.
अब रघुवीर के घर में शादी को लेकर बात चिढ़ि. नीषा के बारे में सब को पता था, इसलिए रघुवीर की मम्मी नीषा के घर में बात करने लगी. रघुवीर की टेन्षन बढ़ने लगी. अब रघुवीर की मम्मी ने राज को बोल दिया की-
आंटी: राज बेटा अब तुम ही वीर को समझाओ शादी के लिए.
राज: आपके समझने से समझेगा वो.
आंटी: नही तुम्हारी बात वो मानेगा. प्लीज़ बेटा, ये कर दो.
अब राज भी हा बोल दिया. वो एक शाम को रघुवीर को टेरेस पे बुला कर बोला-
राज: तुमने शादी के बारे में क्या सोचा?
रघुवीर: तुम ये बात मुझे पूच रहे हो.
राज: हा तुम्हे पूच रहा हू.
रघुवीर: मैं नीषा से शादी नही करूँगा.
राज: तो नीषा का क्या होगा?
रघुवीर: उसका कुछ नही होगा.
राज: तुम ऐसा क्यूँ कर रहे हो?
रघुवीर: अगर मैं करूँगा तो तुम भी नेहा से करोगे ना?
राज: अभी मेरी शादी की बात नही चल रही है.
रघुवीर: अगर तुम सब जान कर ऐसा कर रहे हो, तो तुम्हे भी शादी करनी होगी.
फिर वो चला गया. अब राज ने नीषा से बात करने का सोच कर अगले दिन नीषा को होटेल में बुलाया और बोला-
राज: नीषा, तुमसे वीर के बारे में बात करनी थी.
नीषा: हा बोलो.
राज: वो बात ऐसी है की वीर अभी शादी नही करना चाहता है.
नीषा: अभी, या कभी भी नही चाहता है?
राज ( चौंकते हुए): क्या!
नीषा: मैं जानती हू की रघुवीर मुझे कभी भी प्यार नही कर पाया है.
राज: तो फिर वो किससे करता है?
नीषा: तुमसे.
राज: ये तुम कैसे बोल रही हो?
नीषा: मेरे साथ वो आज तक सेक्स नही किया है. जब पूछो तब वो शादी के बाद बोल कर ताल देता है.
राज: मैं भी तो नेहा से शादी के बाद ही करूँगा सेक्स, तो इसमे तुम अंदाज़ा कैसे लगा सकती हो?
नीषा: एक बार मैने वीर की ड्रिंक में नशे की गोली मिला दी थी. तब उसके साथ मैने इंटिमेट होने की कोशिश की. मगर वो नशे में मुझे तुम, यानी राज समझ कर बोलने लगा की राज मुझे छ्चोढ़ के मत जाओ. मैं नही रह सकता तुम्हारे बिना.
नीषा: इसलिए मैं जानता हू की वो तुमसे प्यार करता है.
राज ( डरते हुए): ये बात वीर को पता है क्या?
नीषा: नही.
राज: प्लीज़ किसी को भी नही बताना.
नीषा: अगर वो मुझसे शादी करेगा तो नही बोलूँगी.
राज: तुम सब कुछ जानने के बाद भी कैसे शादी कर सकती हो?
नीषा: मुझे वीर चाहिए मतलब छाईए. अगर नही मिला तो सच सब को बोल दूँगी.
अब राज निराश हो कर घर आया, और रघुवीर से बात करने लगा.
राज: वीर तुम शादी के लिए हा बोल दो.
रघुवीर: ओक, तो तुम नेहा के लिए हा बोलो.
राज: हा मैं तैयार हू.
रघुवीर ( चौंकते हुए): सच में?
राज: हा.
रघुवीर: लेकिन मैं नही करूँगा शादी.
राज: तुम्हे करनी पड़ेगी, तुम अगर मुझे तोड़ा भी प्यार करते हो तो उसका वास्ता.
रघुवीर: तुम ऐसा नही कर सकते हो.
राज: प्लीज़ यार मेरी खातिर.
रघुवीर: ठीक है तो एक ही दिन शादी करेंगे.
ये बोल कर वो चला गया, और राज के घर में जेया कर राज की शादी के बारे में बता दिया. उसके घर में सब खुश हो गये. दूसरे दिन नेहा के घरवालो से बात हुई, तो उन्होने भी हा कर दी. शादी एक महीना बाद की फिक्स हुई.
आयेज की कहानी अगले पार्ट में. अगर कहानी अची लगी तो मेरी मैल ईद महरकरण64@गमाल.कॉम पर अपने कॉमेंट्स भेजे.