हेलो दोस्तों, मैं स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहुत प्यार दिया है, और बहुत अप्रीशियेट किया है.
मैं जानती हू ये स्टोरी कुछ ज़्यादा लंबी चल रही है. लेकिन आप सभी प्लीज़ आयेज पढ़ते रहिए, की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.
इस स्टोरी का 35त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े ले ही लिए होंगे. और अगर नही लिए, तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप ये पार्ट का भी ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा-वाहा की बातें नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी को शुरू करते है. अब आयेज.
मिस्टर स्वामी: रस्तोगी अब तुम इसको फक करो. इसकी कंट को रग़ाद-रग़ाद कर चौड़ा कर दो, और मैं तब तक इसके मूह को अपनी इस मिज़ाइल से छोड़ता हू.
ये कह कर स्वामी आ कर रस्तोगी की जगह खड़ा हो गया. फिर स्वामी ने रस्तोगी की तरह ही मेरे सिर को उठा कर अपनी कमर को आयेज किया. इससे मैं उसके लंड को अपने मूह में ले साकु.
उसका लंड एक-दूं कोयल जैसा कला था. लेकिन इतना मोटा था, की पूरा मूह खोलने के बाद भी उसके लंड के सामने का सुपरा मूह के अंदर नही जेया पा रहा था. उसने अपने लंड को आयेज धक्का दिया, तो मुझे लगा की मेरे होंठो के किनारे अब च्चिल जाएँगे. इसलिए मैने सिर को हिला कर उसको अपनी बेबसी जताई.
लेकिन वो मानने को तैयार ही नही था. उसने मेरे सिर को अपने दोनो हाथो से पकड़ कर एक ज़ोर का धक्का मेरे मूह में दिया. इससे उसके लंड के आयेज का टोपा मेरे मूह के अंदर घुस गया.
मैं उस लंड के आयेज वाले मोटे से मूह को अपने मूह में घुसते देख कर भौत घबरा गयी थी. मुझे लगा की अब मैं और नही बच पौँगी. पहाड़ की तरह दिखने वाला काला भुजंग मेरे उपर और नीचे के रास्तों को फाड़ कर रख देगा.
मैं बड़ी मुश्किल से उसके लंड पर अपने मूह को चला पा रही थी. मैं तो अपना सिर आयेज-पीछे क्या कर रही थी, मिस्टर स्वामी ही खुद मेरे सिर को अपने हाथो से पकड़ कर अपने लंड को आयेज-पीछे कर रहा था. मेरे मूह में स्वामी के लंड को घुसते देख अब मिस्टर रस्तोगी मेरे पैरों के बीच आ गया था.
उसने मेरी टाँगो को पकड़ कर अपने कंधे पर रख लिया, और अपने लंड को मेरी छूट पर लगाया. मैं उसके लंड की टिप को अपनी छूट की दोनो लिप्स के बीच महसूस कर रही थी. पर तभी ही मैने नज़रे तिरछी करके अज़हर को देखा. उसकी आँखें मेरी छूट पर लगे लंड को अपनी साँसे रोक कर देख रही थी.
तब मैने ये सब देख कर एक-दूं से ही खुद की आँखें बंद कर ली थी. मैं हालात से तो समझोता कर ही चुकी थी, और अब शराब के नशे में मेरी छूट उत्तेजना में जलती जेया रही थी. अब मैने भी इस चुदाई का पूरी तरह का मज़ा लेने का मॅन बना ही लिया था.
मिस्टर रस्तोगी काफ़ी देर से इसी तरह अपने लंड को मेरी छूट से चिपकाए खड़ा था. वो मेरी टाँगो और पैरो के साथ-साथ मेरी संडलेस को अपनी जीभ से चाट रहा था.
अब हालात बेकाबू होते जेया रहे थे, और मुझसे अब और दर्द बर्दाश्त नही हो रहा था. तो मैने अपनी कमर को तोड़ा उपर किया, जिससे उसका लंड बिना किसी परेशानी के मेरी छूट के अंदर घुस जाए.
लेकिन उसने मेरी कमर को आयेज आते देख अपने लंड को उसी स्पीड से पीछे कर लिया था. उसके लंड को अपनी छूट के अंदर घुसता ना पा कर मैने अपने मूह से आवाज़ करके उसको और देर नही करने का इशारा कर दिया था.
मैं कहना तो बहुत कुछ चाहती थी. लेकिन उस मोटे लंड के गले तक ठोकर मारते हुए इतनी सी आवाज़ भी कैसे निकल गयी पता ही नही चला.
मैने अपनी टाँगों को उसके कंधे से उतार कर उसकी कमर के पास घेरा डाल दिया. फिर मैने उसकी कमर को अपनी टाँगों के ज़ोर से अपनी छूट में खींचा. लेकिन वो मुझसे भी ज़्यादा ताकतवर था. उसने इतने पर भी अपने लंड को अंदर नही जाने दिया.
आख़िर हार कर मैने अपने एक हाथ से उसके लंड को पकड़ा. फिर दूसरे हाथ से अपनी छूट के लिप्स को चौड़ा करके अपनी कमर को उसके लंड पर ऊँचा कर दिया था. तो ये देख मिस्टर रस्तोगी अज़हर से कहने लगा-
मिस्टर रस्तोगी: देख अज़हर तेरी बीवी कैसे किसी रंडी की तरह मेरा लंड लेने के लिए झटपटा रही है.
ये कहने पर उसने अपना लंड मेरी छूट में घुसा दिया एक झटका मार कर. मैने उसकी कमर को सख्ती से अपनी टाँगो से अपनी छूट पर जाकड़ रखा था. उसके लंड को मैने अपनी छूट के मसल से एक-दूं कस्स कर पकड़ लिया, और अपनी कमर को आयेज-पीछे करके लंड पेलने लगा.
अब नज़ारा ऐसा था, की मिस्टर रस्तोगी मुझे नही, बल्कि मैं रस्तोगी को छोड़ रही थी. रस्तोगी ने भी कुछ देर तक मेरी हालत का मज़ा लेने के बाद अपने लंड से धक्के देने शुरू कर दिए.
वो कुछ ही देर में पुर जोश में आ गया, और मेरी छूट में धना-धन धक्के मारने लगा था. हर धक्के के साथ लग रहा था, की मैं टेबल से आयेज गिर पड़ूँगी. इसीलिए मैने अपने हाथो से टेबल को पकड़ लिया था.
रस्तोगी ने मेरी दोनो चूचियों को अपनी मुट्ठी में भर लिया. वो ऐसे चूचियाँ दबा रहा था जैसे उन दोनो में से रस्स निकालने की कोशिश कर रहा हो. मेरी चूचियों पर वो कुछ ज़्यादा ही महारबान था. जब से आया था, उसने उन्हे मसल-मसल कर पूरा लाल कर दिया था.
15 मिनिट तक इसी तरह उसने मुझे लंड से ठोका. फिर उसके लंड से वीर्या की तेज़ धार सीधा मेरी छूट के अंदर बह निकली, और उसके वीर्या के साथ-साथ मेरे जिस्म से भी धारा फुट पड़ी.
तभी उसने मेरी एक चूची को अपने दोनो दांतो के बीच बुरी तरह से जाकड़ लिया था. जब सारा वीर्या लंड से निकल गया, तब जेया कर उसने मेरी चूची को छ्चोढा. मेरी चूची पर उसके दांतो से हल्का सा कट लग गया था, जिससे खून की दो बूंदे चमकने लगी थी.
मिस्टर स्वामी अभी भी मेरे मूह को अपने लंड से छोढ़े जेया रहा था. अब तो मेरा मूह भी उसके हमले से दर्द करने लगा था. लेकिन रस्तोगी को मेरी छूट से हट-ते देख कर उसकी आँखें चमक गयी. फिर उसने मेरे मूह से अपने लंड को निकाल दिया.
मुझे ऐसा लगा मानो मेरे मूह का कोई हिस्सा काम नही कर रहा था. मेरी जीभ बुरी तरह दुख रही थी, और मैं उसको हिला भी नही पा रही थी. और मेरा जबड़ा खुला का खुला रह गया था.
स्वामी ने अब मेरी छूट की तरफ आ कर मेरी छूट पर अपना लंड सता दिया था. अज़हर वापस मेरे मूह के पास आ गये थे. मैने उनके लंड को वापस अपनी मुट्ठी में लेकर सहलाना चालू कर दिया था, क्यूंकी मैं स्वामी के लंड पर से अपना ध्यान हटाना चाह रही थी.
फिर मैने अज़हर की तरफ देखा तो अज़हर ने मुस्कुराते हुए अपना लंड मेरे होंठो से लगा दिया. मैने भी मुस्कुरा कर अपना मूह खोल कर उनके लंड को अंदर आने का रास्ता दिया था. स्वामी के लंड को झेलने के बाद तो अज़हर का लंड क़िस्सी बच्चे के हथियार जैसा लगने लगा था.
मिस्टर स्वामी ने मेरे टाँगो को दोनो हाथो से जितना हो सकता था उतना फैला दिया था, और अपने लंड को मेरी छूट पर घूमने लगा था. मैने उसके लंड को हाथो में भर कर अपनी छूट पर रखा, और उसके सामने गिड़गिदने लगी की-
साहिबा: प्लीज़ धीरे-धीरे करो स्वामी. नही तो मैं मॅर जौंगी.
स्वामी ने एक गंदी सी स्माइल दी, और हेस्ट हुए उसका पूरा जिस्म हिल रहा था, और उसका लंड वापस मेरी छूट पर से भी हॅट चुका था. तब मिस्टर स्वामी ने अज़हर को बुलाया और कहा की-
मिस्टर स्वामी: ओहो अज़हर तुम्हारी बीवी को तुम जब चाहे तब छोड़ सकते हो. तो अभी मेरी हेल्प करो. इधर आओ मेरे रोड को हाथो से पकड़ कर अपनी वाइफ के कंट में डालो. मैने उसकी टांगे पकड़ी है, इसलिए मेरा लंड बार-बार तुम्हारी वाइफ की कंट से फिसल जाता है. तुम आ कर पाकड़ो इसको.
अज़हर ने आयेज की तरफ हाथ बढ़ा कर स्वामी के लंड को अपनी मुट्ठी में पकड़ा, पर कुछ टाइम से कोशिश करने की वजह से उसका लंड तोड़ा ढीला पद गया था. तो स्वामी अज़हर को कहने लगा-
मिस्टर स्वामी: अज़हर पहले इसको अपने हाथो से सहला कर वापस खड़ा करो. उसके बाद अपनी बीवी की पुसी में डालना. आज तुम्हारी वाइफ की पुसी को मैं फाड़ कर रख दूँगा.
अज़हर उसके लंड को हाथो में लेकर सहलाने लगे थे, तो मैने भी हाथ बढ़ा कर उसके लंड के नीचे लटक रही बॉल्स को सहलाना शुरू कर दिया था. ऐसा अजीब माहौल था, की अपनी बीवी की छूट को ठुकवाने के लिए मेरे शौहर एक अजनबी आदमी के लंड को सहला कर खड़ा कर रहे थे, जो मेरी छूट में जाने वाला था.
और कुछ ही देर में हम दोनो की कोशिश रंग लाई, और मिस्टर स्वामी का लंड वापस खड़ा होना शुरू हो गया था. लंड का . भी . ही जेया रहा था. . देख-देख कर मेरी भी . बढ़ती ही जेया रही थी, इसलिए मैने स्वामी से कहा-
साहिबा: धीरे-धीरे करना मिस्टर स्वामी. मैं इतना बड़ा नही ले पौँगी. मेरी छूट अभी बहुत टाइट है. ये अभी ज़्यादा चूड़ी नही है.
मैने लड़खड़ाती आवाज़ में अज़हर से कहा-
साहिबा: आप कुछ बोलते क्यूँ नही? कहिए ना मिस्टर स्वामी से की वो आराम से करे.
अज़हर ने स्वामी के सामने देखा, और उससे धीरे से रिक्वेस्ट की.
अज़हर: मिस्टर स्वामी प्लीज़ तोड़ा धीरे से. शी हास नेवेर बिफोर एक्सपीरियेन्स्ड सच आ मॅसिव कॉक. तट’स वाइ योउ मे हार्म हेर आंड युवर कॉक इस शुवर्ली गोयिंग तो टियर हेर अपार्ट ( मिस्टर स्वामी प्लीज़ आप तोड़ा धीरे से करना. उसने कभी पहले इतना मोटा और बड़ा लंड लिया नही है. इसलिए बहुत दर्द होगा, और आपका ये इतना मोटा लंड तो पक्का उसकी छूट को फाड़ कर ही रखने वाहा है)
मिस्टर स्वामी: डॉन’त वरी अज़हर, जस्ट वेट फॉर 5 मिनिट्स आंड वन्स ई स्टार्ट थ्रसटिंग शी विल स्टार्ट आस्किंग फॉर मोरे जस्ट लीके आ रियल स्लट. ( चिंता नही करो अज़हर, तुम बस 5 मिनिट रूको. फिर देखना जब मैं लंड पेलना शुरू कर दूँगा ना, फिर वो खुद ही और ज़्यादा लंड छोड़ने को कहेंगी, बिल्कुल एक असली रंडी की तरह)
मिस्टर स्वामी ने मेरी छूट के अंदर 2 उंगलियाँ डाल कर उसको घुमाया. फिर उसने मेरे और रस्तोगी के वीर्या से भीगी हुई उंगलियों को बाहर निकाल कर मेरी आँखों के सामने एक बार हिलाया और फिर उससे आचे से अपने लंड पर लगा कर रगड़ने लगा. ऐसा उसने बहुत बार किया, जिससे अब उसका लंड हम दोनो के वीर्या से गीला हो कर चमक रहा था.
अब उसने वापस लंड को मेरी छूट पे लगाया. फिर दूसरे हाथ से मेरी छूट की फांको को अलग करते हुए अपने लंड को एक हल्का सा धक्का दिया. मैने अपनी टाँगो को च्चत की तरफ उठा रखा था. इस वजह से मेरी छूट उसके लंड के सामने खुल कर फैली हुई थी.
फिर हल्के से धक्के से उसका लंड अंदर ना जेया कर गीली छूट पर नीचे की तरफ फिसल गया. उसके बाद उसने दोबारा अपने लंड को मेरी छूट पे लगाया, और ट्राइ करने लगा.
अज़हर पास ही खड़े ये सब देख रहे थे. तो उन्होने अपनी उंगलियों से मेरी छूट के होंठो को अलग किया. फिर उन्होने छूट पर स्वामी के लंड को फसाया. अज़हर के ऐसे करते ही स्वामी ने अब एक ज़ोर का धक्का दिया. इससे उसके लंड के सामने का टोपा मेरी छूट में घुस गया.
ये कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू, पर आप सब आयेज ज़रूर पढ़ना. ये बहुत लंबी कहानी है, तो आशा करती हू आप सब इसके सभी पार्ट्स पढ़ेंगे.