सात दिन की गर्लफ्रेंड की चुदाई

नमस्कार दोस्तो … मेरा नाम प्रकाश है. मैं 30 साल का हूँ. मैं मुंबई के पास कल्याण जिले में रहता हूँ. अभी फिलहाल एक प्राइवेट कंपनी में जॉब कर रहा हूँ. मैं आज तक बहुत सी लड़कियों के साथ सेक्स कर चुका हूँ. मुझे सेक्स करना अच्छा लगता है. मुझे अलग अलग उम्र की … और अलग अलग फिगर वाली लेडीज से सेक्स करना अच्छा लगता है.

यह बात आज से 6 साल पहले की है. मैं जलगांव अपने मामा के घर पे गया हुआ था. उनके मोबाइल में मुझे एक लड़की का नंबर मिला. तो मैंने वो नंबर अपने मोबाइल में सेव कर लिया. उसका नाम मनीषा था.

पहले तो मैंने उससे टेक्स्ट मैसेज से बात करना शुरू किया. फिर जब वो मुझे पसंद करने लगी, तो कॉल पे बात करना शुरू हुआ. मैं भी उसको पसंद करने लगा था. मनीषा से जब बातचीत हुई तो उसने मुझे बताया कि वो शादीशुदा है और उसका पति काम के लिए नासिक में रहता है. वो खुद गांव में एक कॉलेज का काम देखती है. वो नासिक के एक गांव में रहती थी.

एक दिन मेरा और पापा का घर में कुछ झगड़ा हो गया. तो मैं गुस्से में भाग कर के घर से बाहर चला गया. लेकिन जाता भी कहां.

मैंने मनीषा को कॉल लगाई और उसको कहा- मैं तुमसे मिलने आ रहा हूँ.
वो भी घर पे अकेली ही थी. उसने मुझे आने के लिए हां कह दिया.

मैंने ट्रेन की टिकट ली और नासिक चला गया. नासिक उतर कर मैंने उसके गांव जाने वाली बस पकड़ी. मनीषा बस स्टॉप पर मुझे लेने आने वाली थी. करीब एक घंटे बाद में वहां पहुंच गया. मैं बस से उतरा और मनीषा को ढूँढने लगा. थोड़ी ही दूर पंजाबी सूट में एक मस्त लड़की खड़ी थी. एकदम गोरी और क्या उसका मादक फिगर था. मैं तो सोच ही नहीं सकता था कि वो मनीषा हो सकती है.

फिर मैंने मोबाइल से मनीषा के नंबर पे कॉल लगाई. उस वक्त भी मेरी नजरें तो उस लड़की पर ही थीं. जैसे ही रिंग बजी, उसी लड़की ने कॉल रिसीव किया. मेरे मुँह से तो शब्द ही बाहर नहीं निकल रहे थे.

उसने मेरी तरफ देखा और अपना हाथ हिलाकर मुझे इशारा किया. मैंने मोबाइल जेब में रखा और उसके पास आ गया. वो बहुत खुश दिख रही थी.

फिर हम दोनों उसके घर की तरफ चल दिए. उसका घर थोड़ी ही दूरी पर था. उसका घर टॉप फ्लोर पर था और उस फ्लोर पर सिर्फ़ एक ही घर था. इसलिए वहां कोई भी आता जाता नहीं था.

उसने मुझे डिनर के लिए पूछा तो मैंने कहा- बाहर से ही कुछ ले आते हैं.
उसने कहा कि ठीक है.

फिर हम दोनों बाहर गए और खाना पैक करवा के ले आए.

मुझे आज व्हिस्की पीने का मन कर रहा था, मैंने सकुचाते हुए मनीषा से पूछा, तो उसने हंस कर कह दिया- हां ले लो, मुझे कोई दिक्कत नहीं है.
मुझे उसकी बात सुनकर मजा आ गया. मैंने एक डिब्बी सिगरेट की और एक हाफ सिग्नेचर का ले लिया.

मनीषा घर में अकेली ही रहती थी, तो उसके पास एक ही बेड था. उसने मुझसे कहा कि हम दोनों बेड शेयर कर लेंगे.
मैंने कहा- ठीक है.

मैंने उससे गिलास और बर्फ मांगी, तो वो किचन से दो गिलास और नमकीन के साथ बर्फ आदि ले आई.
मैंने दो गिलास देखे तो बिना पूछे उसके लिए भी पैग बना दिया. हम दोनों चियर्स बोल कर शराब का मजा लेने लगे. मैंने एक पैग लेने के बाद दूसरा पैग बनाने के लिए मनीषा से बोला और सिगरेट जलाने लगा.

मनीषा ने दोनों गिलास भरे और मेरे हाथ से सिगरेट ले ली. वो भी सिगरेट का मजा लेने लगी. मुंबई के आस पास के इलाके में दिन भर की थकान के बाद शराब का मजा लेने वालों में लेडीज और जेंट्स दोनों ही होते हैं. इधर की भाग दौड़ भरी जिन्दगी में ये सब आम बात है. मनीषा में भी अकेलेपन के कारण व्हिस्की लेने की आदत थी.

अब रात के कुछ 11.00 बजे होंगे. हम दोनों बेड में ही लेटे एक दूसरे से बातें कर रहे थे. शराब का नशा हम दोनों को ही कामुक बना रहा था.

मनीषा ने क्रीम कलर की नाइटी पहन रखी थी. मैंने टी-शर्ट और शॉर्ट्स पहनी हुई थी. कमरे की लाइटें बंद थीं. हम दोनों बातें कर रहे थे. मैं बार बार उसकी तारीफ़ कर रहा था. मैंने जितना सोचा था, वो उसे भी कहीं ज़्यादा खूबसूरत थी. उसके मादक जिस्म की महक मुझे कामुक बना रही थी.

वो भी मेरे तारीफ करने से बहुत खुश हो रही थी. अचानक से वो मुझसे लिपट गयी और मुझे किस करने लगी. मैं भी उसके होंठों को चूसने लग गया. हम दोनों एक दूसरे के मुँह में जीभ घुसा रहे थे.

कुछ देर किस करने के बाद मैं उसकी गर्दन पे किस करने लगा. मेरे हाथ उसके मम्मों पे आ गए. मनीषा काफ़ी हद तक गर्म हो चुकी थी. वो मुझे पूरा सहयोग कर रही थी. मैं धीरे धीरे उसकी नाइटी ऊपर करने लगा और उसकी चुत को पेंटी के ऊपर से ही मसलने लगा. उसकी चुत पूरी तरह से गीली हो चुकी थी और उसकी वजह से उसकी पेंटी भी गीली हो रही थी. मैंने उसकी नाइटी उतार दी.

अब तो वो सिर्फ़ ब्रा और पेंटी में थी. लाइट तो बंद थी, पर अंधेरे में भी उसका गोरा बदन मुझे साफ़ साफ़ दिखाई दे रहा था. मनीषा काफ़ी खूबसूरत थी. मैंने अपने भी कपड़े उतार के साइड में रखे और मनीषा की ब्रा और पेंटी भी उतार दी. मुझे अच्छा लग रहा था कि मनीषा मुझे पूरा पूरा सहयोग दे रही थी.

मैं उसको ऊपर से लेकर नीचे तक हर जगह पे किस कर रहा था. उसकी ऐसी कोई जगह मैंने नहीं छोड़ी होगी, जहां मैंने अपनी जीभ ना लगाई हो. मनीषा बहुत गर्म हो गयी थी. वो अपने हाथों से मुझे ऊपर की तरफ खींच रही थी. मैं समझ गया कि अब उससे भी बर्दाश्त नहीं हो रहा है.

मैं किस करते करते ऊपर को गया और उसके होंठों को चूसने लगा. एक हाथ नीचे करके मैंने अपना लंड उसकी चुत पे सैट किया और एक ही झटके में पूरा लंड अन्दर चला गया. उसकी उम्म्ह… अहह… हय… याह… निकल गई. उसने मुझे धीरे धीरे चुदाई करने को कहा.

मैंने उससे पूछा- कैसा लग रहा है?
उसने कहा- मैं बहुत दिन बाद चुद रही हूँ. मेरे पति का लंड भी तुम्हारे जितना नहीं है. वो मुझे बिस्तर में बहुत कम बार ही चोदते हैं.
मैं समझ गया कि मनीषा की चूत प्यासी है और इसको तगड़ी चुदाई की जरूरत है.

मैंने अपने लंड को धीरे धीरे करके उसकी चूत में पूरा पिरो दिया. उसकी चूत बड़ी कसी हुई थी. मनीषा की चुत अन्दर से बहुत ही गर्म थी. मुझे ऐसा लग रहा था कि शायद ये अपनी जिन्दगी में शायद दस बीस बार की चुदी हुई चूत ही थी.

कुछ समय बाद मेरे लंड ने मनीषा की चूत में जगह बना ली. अब उसने मुझे अपनी गांड उठाकर चुदाई करने का इशारा दिया.

बस मैं चालू हो गया. उसकी चूत ने प्रीकम छोड़ दिया था, जिससे चूत में पानी का रिसाव होने लगा था. चूत के लिसलिसे होते ही मैंने लंड को अन्दर बाहर करना चालू कर दिया. उसकी चुत बड़ी टाईट थी, मेरा लंड फंस फंस कर अन्दर बाहर हो रहा था.

मैंने उसकी दोनों चूचियां बारी बारी से अपने मुँह में भर कर खूब चूसीं. हम दोनों की चुदाई अब फुल स्पीड पर चलने लगी थी.

मैंने करीब करीब 20 मिनट तक उसी पोज़िशन में उसकी चुदाई जारी रखी. उसकी चूत एक बार झड़ चुकी थी, जिस वजह से चूत में लंड इंजिन के पिस्टन की तरह सटासट अन्दर बाहर होने लगा था.
कुछ ही देर बाद मुझे लगा कि मैं झड़ जाऊंगा, तो मैंने उससे कहा- मेरा निकलने वाला है.
उसने कहा- अन्दर हो छोड़ दो. मुझे बच्चा चाहिए.
मैं समझ गया कि मनीषा की आस बच्चे के लिए है. मुझे भी बाहर पानी निकालना अच्छा नहीं लगता … तो मैंने पूरा पानी उसकी चुत में ही निकाल दिया.

फिर हम दोनों बाथरूम में जाकर फ्रेश हो गए और फिर से एक एक पैग लेकर बिस्तर पर लेट गए.

हम दोनों आज की चुदाई से बहुत ही ज़्यादा खुश थे. मैं भी ऐसा मौका नहीं छोड़ना चाहता था. कुछ ही देर में हम दोनों फिर से शुरू हो गए. उस रात हम दोनों ने चार बार अलग अलग पोजीशन में चुदाई की. मैं तो उसकी गांड भी मारना चाहता था. लेकिन उसने मना कर दिया. मैं भी उसे नाराज़ नहीं करना चाहता था, इसलिए मैं रात भर उसकी चुत चुदाई करता रहा.

सुबह 4.00 बजे हम दोनों एक दूसरे की बांहों में नंगे ही सो गए.

सुबह 11.00 बजे मेरी नींद खुली, तो मैं बिस्तर में अकेला सोया हुआ था और मेरे ऊपर चादर पड़ी थी.

मैं उठकर किचन में देखा, तो मनीषा वहां भी नहीं थी. मैं बाथरूम की तरफ गया. बाथरूम में मैंने मनीषा को आवाज़ लगाई. वो नहा रही थी … तो मैंने उसको दरवाजा खोलने को कहा.

उसने दरवाजा खोला और मैं अन्दर चला गया. वो पूरी नंगी थी. दिन के उजाले में तो उसका वो सेक्सी बदन देखकर मैं होश खो बैठा. मैंने उसे किस करना चालू कर दिया और उसके बदन से खेलने लगा.

थोड़े नखरे दिखाने के बाद वो भी गर्म हो गयी और मुझे सहयोग देने लगी. हम दोनों ने घंटे भर बाथरूम में जमकर चुदाई की.

मैंने अपना मोबाइल स्विच ऑफ किया हुआ था. दोपहर को मनीषा खाना बना रही थी, तब मैंने मोबाइल ऑन किया.

मुझे मेरे फ्रेंड्स के और मेरे फैमिली के मैसेजस आए हुए थे कि मेरा फोन नहीं लग रहा और उन्हें चिंता हो रही है. क्योंकि में गुस्से में घर से निकला हुआ था.

मैं कुछ सोच ही रहा था कि उतने में मेरी मॉम का कॉल आया. मैंने कॉल रिसीव कर लिया. मॉम थोड़ा इमोशनल हो गयी थीं, तो मैंने उनको बताया कि मैं एक फ्रेंड के घर पे हूँ और कुछ ही दिनों में घर आ जाऊंगा.

मैं मनीषा के साथ सात दिनों तक रहा और हम दोनों ने हर जगह और हर आसन में चुदाई का आनन्द लिया.

फिर मैं वहां से लौट आया. उसके बाद हम कभी नहीं मिल पाए. बस फोन पे बात हो जाती थी.

यह मेरी पहली कहानी थी, तो कुछ ग़लती होना लाजिमी है. प्लीज़ माफ़ करना. अपने विचार आप मुझ तक अवश्य पहुंचाएं.
आपका प्रकाश पाटिल