रसीली भाभी जान को गाड़ी मे पेला

हेलो दोस्तो कैसे हो, मैं आप सबका दोस्त, मेरा नाम वियर है और मैं आमेडबॅड, गुजरात का रहने वाला.

मेरी आगे 25 साल है पर दिखने में तो 18 ही लगता हू. यह मेरी पहली स्टोरी है आपको कैसी लगी मुझे ज़रूर बताना. सभी लॅंड और छूट को मेरा प्रणाम.

जल्दी से मेरे बारे में बता देता हूँ मेरी हाइट 5 फीट है और देखने में सिंपल सा लड़का हूँ और मेरे छ्होटे भाई की 6 इंच 2 इंच मोटा है, मैं सिंपल सा लड़का हूँ.

यह एक काल्पनिक कहानी है मेरा शुरू से यह मॅन रहा की मे किसी कसी हुई टाइट जिस्म वालीी भाभी को छोड़ू. चलो आते सीधे कहानी पे बहुत कर ली बाकचोड़ी हुँने.

मेरा एक खास दोस्त जिस का नामे था अरमान. हम दोनो की दोस्ती इतनी गहरी थी की हम सब बाते अक्सर शेर करते थे, कुछ भी नही छुपाते थे. उसकी शादी जल्दी हो गयी थी. वो 25 की आगे मे 2 बचो का बाप बन गया था, उसकी वाइफ की आगे 23 थी.

सॉरी मे उसकी वाइफ जो इस कहानी की मुख्य किरदार है, उसके बारे मे बताना तो भूल ही गया.

सानिया, वो दिखाने मे किसी मॉडेल से कम नही थी. अगर कोई भी उसे देख ले तो मूठ मारे बिना रह ना सके. इतनी आगे मे 2 बच्चो की मा बानने की वजह से उसका जिस्म पूरा गदराया हुवा किसी चाँद की चाँदनी की तरह चमकता था. उसकी गांद इतनी गोल और मस्त की मे तो उसको देख के कितनी बार मूठ मार लिया था.

एक दिन मे और अरमान ऐसी बैठे बाते कर रहे थे. वो उदास लग रहा था मुझे.

मे : क्या हुवा भाई क्यू ऐसे मूह लटका के बेता है?

अरमान : यार क्या बतौ मुझे 1 मंत के लिए दुबई जाना है मेरे अंकल ने बूलया है.

मे : उसमे नाराज़ क्यू होता है भाई, यह तो अच्छी बात है.

अर्मा : हन बुत यार एक दिक्कत है तेरी भाभी नाराज़ है मुझसे वो बोल रही है उसे भी आना है. मे उसे ले नही जा सकता क्यूकी घर पे फिर मम्मी बीमार है और यह 2 नो छ्होटे बचे है यार.

मे : तू सही कह रहा है. भाभी को बोल ना 1 मोतन की तो बात है.

अरमान : बहुत समझाया बुत वो मान नही रही, नही ले गया तो वो अपने घर चली जाएगी ऐसा बोल रही है.

मे : बहुत ग़लत है (थिंकिंग) यार तुम भाभी को समझाओ प्यार से यार मान जाएगी.

अरमान: तू बात करके देख वैसे भी तुम दोनो की अच्छी बनती है.

मे : ठीक है मे बात क्रटा हू.

(मेरी और अरमान की बीवी हम दोनो की अच्छी बनती. जब वो घर पे नही होता वो मुझे ही बोल देती कुछ भी काम होतो. बुत हम दोनो कोई कनेक्षन नही था आस दोस्त ही रहते थे)

मे दूसरे दिन अरमान के घर पे गया. घर पे उसकी मों थी, मैने पूछा अरमान कहा? उसकी मम्मी ने बताया वो शॉपिंग के लिए गया. मे बाइ बोल के निकली रहा था की तभी पीछे सुरूली आवाज़ मे किसी ने मुझे रोका. मैने पिच मूड के देखा तो वो भाभिजन थी.

मे तो देखता ही रह गया ब्लॅक ड्रेस मे कयामत लग रही थी, मे वही स्टॉप हो गया. तभी भाभी जान ने आवाज़ लगाई कहा खो गये? तब मुझे होश आया और हम दोनो हास दिए.

मे : बस आप ही का काम था अच्छा हुआ आप मिल गयी.

भाभिजन : क्यू जी क्या काम पद गया हमारा?

मे : कल अरमान मिला था मुझे वो बता रहा था की वा दुबई जा रहा है बुत आप उससे नाराज़ है.

भाभी: हन मुझे भी जाना है उनके साथ, मे उनके बिना अकेले केसे रहूंगी. 1-2 दिन की बात होती तो अलग थी, बात है 1 मंत की. वैसे भी मुझे भी दुबई देखना है.

मे : हम है तो सही भाभी (डबल मीनिंग मे) आपको कुछ काम हो तो ह्यूम बोल दो, वेसए भी वो घूमने नही जेया रहा. आप यह 2 छ्होटे बचू की बारे मे सोचिए (उनके बूब्स को देखते हुए), वाहा जाके बीमार हो गये तो…

थोड़ी देर बात करने पे वो समझ गयी, उसने अरमान को जाने की पर्मिशन दे दी.

अरमान को दुबई गये हुए एक वीक से ज़्यादा टाइम हो गया था, मे उसके घर नही जाता था. बुत एक दिन अचानक भाभी का कॉल आया रात को 2 भजे.

भाभी : आप जल्दी से घर पे आओ, मुन्ना की तबीयत खर्ब हो गयी, हॉस्पिटल लेके जाना पड़ेगा, वो रो रहा.

मे : आप शांत हो जाए मे अपनी कार लेके उनके घर आ रहा हू भाभी.

हम दोनो हॉस्पिटल के लिए निकल लिए, भाभी बहुत रो रही थी और परेशन थी. उनके सास ससुर की तबीयत ठीक नही रहती सो वो कही जा नही पाते थे.

हम लोग हॉस्पिटल पे पोचे और डॉक्टर्स से मिले मुन्ना के रिपोर्ट निकलवाए. डॉक्टर्स ने कहा उसे फीवर है, उसे एक दिन अड्मिट रखना पड़ेगा और मॉर्निंग मे ही च्छुटी मिलेगी.

भाभी बहुत परेशन थी और वो रो रही थी. मैने अरमान को कॉल किया बुत उसका कॉल ही नही लग रहा था. मुझे भी कुछ साँझ मे नही आ रा था क्या करे अब.

2 घंटे के बात डॉक्टर बोले की बच्चे की तबीयत अब सही आप मॉर्निंग मे च्छुटी लेके जा सकते हो. बुत भाभी अभी परेशन थी, मे साँझ सकता हू की उन्हे अरमान की कमी महसूस हो रही थी.

मैने जेसे भाभी से कहा आप चुप हो जाए भाभी सब ठीक हो गया है, मे हू तो सही यहा आप लोगो क लिए. पता नही भाभी को क्या हुआ, अचानक वो मुझसे गले लग गयी और रोने लगी.

मे भी पता न्ही उनके सिर पे हाथ गुमा रहा था उन्हे शांत रहने की कोसिस कर रहा था. मुझे उनकी गरम साँसे महसूस हो रही थी. उनके सॉफ्ट सॉफ्ट बूब्स मुझे टच होने की वजह से मानो करेंट डोडने लगा था जिस्म मे.

थोड़ी देर ऐसे रहने के बाद वो नॉर्मल हुई और हम सोफे पे बैठे बात किए. सुबा के 4:30 रहे थे, मैने उनसे कहा चलो भाभी हम नीचे चलते है.

हम लोग हॉस्पिटल के बाहर आए, वाहा पे मे एक स्टोल से कुछ नाश्ता और छाई लेके आया और भाभी को दिया बुत वो नही ले रही. वो अभी भी परेशन थी. मेरे बहुत खाने पे उन्होने छाई और नाश्ता लिया और हम दोनो कार मे बैठ के मॉर्निंग ब्रेकफास्ट किया.

हम दोनो का एक दूसरे को देखने का नज़रिया चेंज हो गया था. कार की एसी भी चील हो गयी थी ठंडा मौस्म बंग था. अब हम दोनो ऐसे थोड़ी देर कार मे बैठे रहे, कुछ बात नही हो रहो थी, अचानक से भाभी बोली-

भाभी: थॅंक्स आप नही होते तो आज मेरे बचा नही बच पता, ऐसा बोल के वो रोने लगी.

मे : यह तो मेरा फ़र्ज़ है.

मे उनको चुप करवाने की कोशी करने लगा, हम दोनो क्लोज़ आ गये और मुझे अब उनकी गरम साँसे महसूस होने लगी थी.

भाभी : आप बहुत अच्छे हो (उन्होने मुझे कस के हग किया.)

मुझे भी कुछ साँझ मे नही आ रहा था तो मैने भी उन्हे अपनी बहो मे काश के पकड़ लिया.

अब हम एक दूसरे को की गार्ँ साँसे महसूस कर सकते थे. धीरे धीरे मे उनकी गर्दन को चूमने लगा. वो भी मेरा साथ देने लगी. एक हाथ मेरा उनकी मुलायम गांद पे था. उनकी गांद मानो किसी मखमल जैसे मुलायम थी.

हम दोनो बे इम्तिहान एक दूसरे को किस करने लगे जैसे कोई बरोसा का प्यासा पानी के लिए तड़प रहा हो. धीरे धीरे मेरा हाथ उनकी छूट की और भदने लगा. मुझे उनके सरीर की गर्मी महसूस हो रही थी.

उनकी छूट पे जैसी जी मेरी उंगली गयी वैसे ही भाभिजन के जिस्म मे गर्मी डॉड गयी हो. वो पागलो की तरह मुझे चूमने लगी. बिल्ली की तरह काटने लगी मुझे. ऐसा फील हो रहा थी की मे कही जन्नत मे पहुँच गया हू.

हमारे पास टाइम की कमी थी सो जो भी करना था जल्दी निपटना था.

मैने उनकी सलवार नीचे की, उनकी छूट देख के मई हैरान रह गया. लगा एकद्ूम चोकनी और फुल्ली हुवी रसीली छूट थी. मे उनकी छूट मे उंगली करने लगा और वो आआहह ह की सिसकारी लेने लगी.

ऐसे 5 मिंट करने के बाद उन्होने मेरे लंड को बाहर निकल कर बड़े प्यार से अपने होतो से किस किया. मुझसे बोला की अब अंदर डाल दो बाकी बाद मे करेंगे, अभी टाइम नही है.

मैने टाइम ना गावते हुए उनकी छूट मे लंड रखा और ढाका लगाया. बुत सही पोज़िशन ना हो ने की वजह से अंदर गया नही. अब दूसरी बार धक्का लगाया तो पूरा सपक् से अंदर चला गया.

(भाभिस को छोड़ने मे जो मज़ा आता वो किसी और के साथ नही आता. उनकी छूट इतनी खिली हुई थी की मे बयान नही कर सकता. यह तो कोई भाभी बता सकती की बचे होने क बाद छूट मे चाड़नी लग जाती है.)

मे धीरे धीरे स्पीड बढ़ा के उन्हे छोड़ रहा था और उनके बूब्स हाथ मे लेके दबा रहा था. उनकी मनमोहक आवाज़ मुझे पागल कर रही थी वो.

फक मे वियर… फाड़ दे अपनी भाभी का भोसड़ा.. फक मे बेबी…

उन्होने अपने बूब्स मेरे मूह मे रख दिया और मे उनका डूडू पी रहा था.

ऐसे 20 मिंट की चुदाई के बाद हम दोनो का साथ मे डिसचार्ज हो गया. उन्होने मुझे अपनी छूट मे ही डिसचार्ज होने को बोला और फिर मे उनके उपर लेट गया.

थोड़ी देर बाद सब सही करके हम दोनो डॉक्टर पास गये. 10 बजे हम लोगो ने मुन्ना को लेके ग्गार आ गये. भाभी के चेरे पे अब अलग ही स्माइल दिख रही थी.

आयेज की कहानी मे पाडीए कैसे मैने भाभी की गांद का बजाया बजा.

आपको यह कहानी कैसी लगी मुझे मैल करके ज़रूर बताना मेरे लंड और छूट वेल दोस्तो –