ये कहानी हमारे गाओं की है, जहा एक बहुत सुंदर, गड्राई बदन की आंटी रहती थी. उसका नाम मोनालिसा था. उसको लोग बड़े माममे वाली कहते थे. उसके चुचे बहुत बड़े और गोल थे. साइज़ 42+ होगा. उसकी आगे 42 के आस-पास थी. उसकी गांद भी बहुत बड़ी थी.
वो थोड़ी मोटे दर्ज़े की औरत थी. उसके पेट की चर्बी उसको और भी सुंदर बना देती. उसकी नाभि भी बहुत गहरी और सुंदर थी. एक तो उसका रंग लाल गोरा, और उसके बड़े गाल लाल थे. वो ज़्यादातर स्लीवलेशस ब्लाउस पहनती थी, जिसमे उसके मोटी, नरम, और गोरी बाहे दिखती थी.
लोग उसके दीवाने थे. सबसे ज़बरदस्त थे उसके माममे. कपड़े के उपर से ही लगता था की कितने नरम होंगे. उसका पति नकारा था, इसलिए उसने एक बिज़्नेस के बारे में सूचा. रेस्टौरेंट का बिज़्नेस. तो वो उधारी लेने के लिए सेठ के पास गयी. वो सेठ बहुत ही शरीफ था, पर जब मोना जैसी माल उसके सामने गयी, उसकी नीयत बदल गयी.
उसने उसको बैठने को कहा, और बोला: रूको, कॅश आ रहा है.
मोना बैठी रही और सेठ उसके दूधो का नज़ारा देखता रहा. उसकी नज़र उसकी गोरी बाजुओ पर रही. उन गोरी नरम बाहों में सेठ समा जाना चाहता था. उसने सोचा इस गड्राई गोरी माल के ये बड़े दूध मुझे किसी भी हाल में चाहिए. मुझे कुछ सोचना होगा इसको बिस्तर में ले जाने के लिए. वो उसपे लाइन मारने लगा और बोला-
सेठ: मोना जी, आप अपने गालों पे क्या लगती है? ये जो इतने खूबसूरत और लाल लगते है?
मोना: जी कुछ नही, ये तो ऐसे ही है.
सेठ: और कोई खेती तो मैं विश्वास नही करता, पर आपकी बात नही ताल सकते.
सेठ के ये बोलने पर
मोना हस्स पड़ी, और उसके हासणे से उसका पल्लू नीचे गिर गया. उसके बूब्स देख के सेठ की आँखें बड़ी हो गयी, और मूह खुला रह गया. मोना इग्नोर करते हुए पल्लू ठीक की. फिर कॅश आ गया तो मोना को सेठ ने गिन के दिए. देने के बहाने उसने मोना के हाथो को लुकचे की तरह च्छुआ और बोला-
सेठ: मुझे आपसे पूरी उमीद है की आप टाइम पे वापस करोगी, और अपना हार च्चूदवा के ले जाओगी.
मोना हस्सी और उठ गयी. सेठ उसे छ्चोढने बाहर तक आया, और अपना हाथ उसकी नंगे पीठ पे रखा. मोना हैरान थी, पर कुछ बोल नही पाई. फिर मोना चली गयी. सेठ की नज़र मोना की गांद पे पड़ी, जो चलते वक़्त इधर-उधर हो रही थी.
सेठ ने दाँत दबाते हुए फुल हवस से कहा: बस एक बार बिस्तर पे मिल जाए, साली को सारा दिन नंगी ना रखा, इसके माममे सारा दिन ना दबाए, और इसको पेट से ना किया, तो मैं बनिया सेठ अपनी मूचे मुंडवा दूँगा.
मोना घर आई और बिज़्नेस की तैयारी में लग गयी. रोड के पास ज़मीन नापने का काम हो रहा था. तो मोना भी वाहा पे थी. तभी वाहा पे एक गाड़ी रुकी. उसमे से फॉर्मल पहने 50 साल का तोड़ा मोटा आदमी बाहर आया.
वो आके बोला: तुम यहा क्या कर रही हो? ये तो पवद की ज़मीन है.
मोना दर्र गयी और उसने बोला: जी पर ये तो हमारी ज़मीन है साहेब.
तभी उसकी नज़र मोना पे पड़ी तो उसके अंदर का दरिन्दा जाग गया. मोना ने एक सफेद रंग की पुरानी और टाइट निघट्य पहनी हुई थी, और ज़रूर अंदर कुछ नही पहना होगा जिससे उसके बड़े और नुकीले चुचे बाहर से झाँक रहे थे. अफ़सर ने सोचा की क्यूँ ना इस माल का फ़ायदा उठाया जाए.
उसने कहा: तुम्हारे पास इस ज़मीन के काग़ज़ है? अगर नही है तो तुम्हे जैल भी हो सकती है, या बड़ा जुर्माना.
मोना और भी दर्र गयी और बोली: जी सिर, मेरे पास पुर काग़ज़ है.
अफ़सर ने अपना हाथ बढ़ाया. मोना ने कहा: जी यहा मेरे पास नही है. घर पे है.
अफ़सर अपने दाँत दबा के गुस्से और हवस से बोला: तो लेके आओ! वरना चलो पोलीस के पास.
मोना बोली: जी अभी लाती हू.
अफ़सर ने पीछे से जाके उसका हाथ पकड़ा और बोला: रूको मैं भी चलता हू. तुम भाग भी सकती हो.
“जी चलिए”, मोना दर्र के बोली. पुर रास्ते अफ़सर ने मोना की बॅक साइड से अपनी आँखें सेकि. उसकी मटकती कमर, उसकी गांद, पीठ बड़े कामुक थे. अफ़सर का जी कर रहा था की पीछे से उसके माममे पकड़ ले. इतने में एक गली आई जो मोना के घर तक जाती थी. थोड़ी डोर जाते ही उसने मोना की पीठ पे हाथ रख के उसे रोका. तो मोना सहम उठी और पीछे देखी.
वो बोला: देखो मुझे पता है की तुम्हारे पास काग़ज़ नही है.
तो मोना बोली: पर मेरे पास है.
उसने ये सब बस मोना को छूने के लिए किया. थोड़ी देर चलते हुए उसने वापस ऐसा किया. इस बार उसने मोना के कंधे पे हाथ रखा. मोना वैसे ही चलती गयी, और घर तक पहुँची. मोना का पति और बच्चे कोई घर पे नही थे. उसे अफ़सर को बाहर बैठने कहा, पर अफ़सर खड़ा रहा. मोना कुछ देर बाद फाइल लेके आई, और उसे दिखाया. अफ़सर काग़ज़ देख के हासणे लगा. मोना दर्र गयी.
अफ़सर: ये ग़लत काग़ज़ है. तुमने इल्लीगली निकले है. अब तुम्हे कोई नही बचा सकता. मोना दर्र गयी और रोने लगी. वो उसके पैरों पे गिड़गिदने लगी. तभी अफ़सर ने उसके गोरी बाहे पकड़ के उसे उठाया, और उन्हे प्यार से सहलाने लगा.
वो बोला: देखो मुझे तुम पे बहुत दया है. तुम मुझे शरीफ लगती हो, इसलिए मैं तुम्हे जैल में नही देखना चाहता.
मोना रो रही थी.
वो फिरसे बोला: देखो तुम जैल में जाने लायक नही हो. तुम्हारा ठिकाना बिस्तर में होना चाहिए.
मोना को इस बात का विश्वास नही हुआ की अभी उसने क्या सुना. अफ़सर अपने हाथो का पूर्णा उपयोग कर रहा था मोना की बाहों पे उपर से नीचे तक, नीचे से उपर तक, बार-बार शेला रह था. फिर उसने मोना के आँसू पोंछ के बोला-
अफ़सर: तुम बहुत ही सुंदर हो. मैं तुम्हे कुछ नही होने दूँगा. बस तुम्हे मेरे बिस्तर में आना होगा जानेमन.
ये बोल कर उसने मोना के एक गाल को चूमते हुए उसके गले को चाट दिया. उसने अपना हाथ उसकी पीठ में घुसा दिया. मोना ने कुछ नही बोला. उसकी खामोशी का मतलब हा से था. तभी अफ़सर ने उसके बड़े चुचो को उंगलियों से पकड़ लिया. उसने जैसे जन्नत को चू लिया हो. बहुत मज़ा आ गया उसको.
फिर अफ़सर ने पूछा: तुमहरे घर में कों-कों है?
मोना बोली: मैं, मेरे पति, और दो बच्चे. पति बाहर गया है, और बच्चे हॉस्टिल में है.
अफ़सर की तो जैसे लॉटरी लग गयी.
वो बोला: ठीक है चलो बेड पे.
ये बोल के उसने मोना के बूब्स पे ज़ोर से मारा. फिर उसे पकड़ के उसकी क्लीवेज में नाक रगड़ते हुए बेडरूम तक लेके गया. फिर उसको बेड पे लिटा के उसके उपर टूट पड़ा. मोना एक चब्बी गड्राई औरत थी, और उसकी हाइट भी अची थी. अफ़सर को थोड़ी दिक्कत हुई, पर मज़ा भी बहुत आ रहा था. उसने उसकी निघट्य के बटन खोले, तो उसके माममे निकल आए, जिनको देख के अफ़सर पागल सा हो गया.
वो उनपे टूट पड़ा. उसकी हालत खराब हो गयी थी. उसे समझ नही आ रहा था की किस चुचे को दबाए और किसको चूज़. उसने एक को चूसना शुरू किया, और दूसरे में अपने उंगली का खेल दिखना शुरू किया. इधर मोना की आँखें बंद थी. वो बस अया अया कर रही थी. अफ़सर कभी मम्मो पे मूह रगड़ता, कभी जीभ. कुछ देर पहले जो बिस्तर सेट था, अब वो खराब हो चुका था.
अफ़सर कभी चुचो को चाट-ता, कभी किस करता, कभी दांतो से काट देता. तभी वो उठा, और एक ही बार में उसकी निघट्य उसके शरीर से अलग कर दी. मोना अपनी छूट को धक रही थी. अफ़सर को मोना के नंगे बदन में जैसे जन्नत दिख गयी हो.
वो तुरंत मोना के चर्बी-दार पेट में टूट पड़ा. उसने उसकी नाभि में उंगली की, और कम से कम 200 बार लगातार किस किया होगा. ये सब 2 घंटे तक चला.
फिर उसने मोना की छूट पे धावा बोला, और अपनी जीभ से उसकी छूट का पूरा आदर किया. अब वो जैसे और पागल हो गया, और मोना के शरीर की सैर करने लगा. कभी होंठ, कभी चुचे, कभी छूट, मोना का शरीर अफ़सर की थूक से गीला था. तभी अफ़सर ने अपना लंड निकाला, और मोना की छूट में घुसा दिया, और पेलता रहा.
मोना बहुत चिल्लाई पर उसने एक ना सुनी. उसने मोना को 3 बार छोड़ा. फिर थोड़ी देर लेते रहने के बाद उसने कपड़े पहने, और थोड़ी देर मोना की दोनो चुचियों से खेला और कहा-
अफ़सर: दुनिया में सबसे मस्त चीज़ यही है. तेरे नरम बड़े बड़े चुचे उम्म्म्म.
फिर उसने मोना को एक हवस भरा लीप किस दिया और बोला: आज जेया रहा हू, पर मैं ज़रूर अवँगा इनसे खेलने.
फिर उसने एक शैतानी हस्सी दी, और चला गया. मोना ने कपड़े पहने और साइट पे जाने लगी. शाम हो चुकी थी, और वो जल्दबाज़ी में भूल गयी थी की उसकी निघट्य का टॉप गीला था, और उसने अंदर कुछ नही पहना था. उसके निपल बाहर से सॉफ दिख रहे थे.
वो वाहा पहुँची तो देखा वाहा पे कोई नही था. तो वो लौटने लगी और वो किराना दुकान में गयी. वो दुकानदार उसे हमेशा घूरता रहता था. मोना के गाल अफ़सर ने चूस कर लाल कर दिए थे. गाओं में लोड शेडिंग थी दुकान सुनसान थी और एक मोमबत्ती जल रही थी.
उसके वाहा जाने से कॅंडल की लाइट में उसके बड़े चुचे निघट्य के उपर से दिख रहे थे. दुकानदार की तो जैसे लॉटरी लग गयी.
उसने कहा: जी मोना भाभी, आपको क्या चाहिए?
बाकी 2न्ड पार्ट में. [email protected]