पति के सामने जेठ जी से चुदी

हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.

में जानती हू यह स्टोरी ज़्यादा लंबी चल रही है लेकिन आप आगे पढ़ते रहिए की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.

इश्स स्टोरी का 22न्ड पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए हे होंगे और अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है. अब आयेज..

साहिबा:- क्यूँ सता रहे हो अब आप आ भी जाओ ना मेरे उपेर जल्दी से.

फ़रदीन:- नही पहले तुम इसका नाम लो उसके बाद हे आगे कुछ होगा.

वैसे तो औरतो के लिए लंड का नाम और वो भी किसी गैर मर्द मे सामने लेना बड़ा मुश्किल होता है लेकिन मेरे लिए कोई बड़ी बात नही थी. फिर भी में बस शरमाने का नाटक करते हुए झिकझकति हुई ढेरे से फुसफुसते हुए बोली-

साहिबा:- लंड.

वो पूरे बेशरम होते हुए बोले

फ़रदीन:- क्या?? कुछ सुनाई नही दिया????

साहिबा:- मेने कहा की लंड.

इश्स बार मेरे आवाज़ मे कुछ ज़ोर था.

वो सुनते हे खुश हो गये और उन्होने उठ कर अचानक हे लाइट ओं कर दी. पूरे रूम मे लाइट चल गयी.

साहिबा:- उहह नही…..

मेने शरम से अपने बूब्स को अपने हाथो से कवर कर लिया और अपने छूट को दोनो टाँगो के बीच दबा लिया जिससे उनकी नज़र यूयेसेस पर नही पड़े और बोलने लगी.

साहिबा:- क्या कर रहे हो आप यह बेशरम?? मूज़े भौत शरम आ रही है आप प्लीज़ लाइट बंद कर दीजिए ना.

फ़रदीन:- नही….. आज मूज़े तुम्हारा यह जिस्म पूरी तसल्ली के साथ देखने दो. यह कोई पहली बार तो हम नही मिल रहे है ना ऐसे हम पहले भी तो एक दूसरे के सामने नंगे हुए है तुम भूल गयी क्या??

भाईजान बेड के पास खड़े हो कर मेरे जिस्म को निहारने लगे. में उनकी हरकटो से पूरी पागल हुई जेया रही थी.

उन्होने अपने हाथो से मेरे हाथ को बूब्स पर से हटाया. फिर उन्होने मेरे दूसरे हाथ को मेरी झांगो से भी हटा दिया. में अपने नंगे जिस्म को लाइट मे उनके सामने रख कर लेती हुई थी. फिर उन्होने मेरी झांगो को पकड़ कर उनको एक दूसरे से अलग किया और एकद्ूम से फैला दिया जिससे मेरी छूट खुल गयी उनके सामने.

भाईजान कुछ टाइम तक मेरे नंगे जिस्म को इसी तरह निहारते रहे और फिर झुक कर मेरे होतो पर एक किस किया और मेरी कमर के नीचे एक पिल्लो दे कर मेरी कमर को उपेर उठाया तो मेरी छूट भी उपेर की तरफ हो गयी. उन्होने मेरी टाँगो को मोड़ कर मेरी चत्तियो से लगा दिया और फिर मेरे उपेर आ कर अपने लंड को मेरी छूट पर रख कर कहा

फ़रदीन:- साहिबा आखे खोल कर तो देखो.

यह सुन्न कर मेने और ज़ोर से अपनी आखे बंद कर ली और सिर हिला कर माना कर दिया.

फ़रदीन:- तुम्हे मेरी कसम है साहिबा…. अपनी आखे खोलो और हुमारे इश्स मिलन को अपने दिल ओ दिमाग़ मे क़ैद कर लो.

अब फ़रदीन भाईजान ने अपने वास्ता दिया तो मेने झिझकते हुए अपनी आखे खोली. मेरा जिस्म इश्स तरह टेढ़ा हो रहा था की मूज़े अपनी छूट के मूह पर रखा उनका मोटा और लंबा लंड सॉफ सॉफ नज़र आ रहा था.

मेने कुछ भी कहे बिना उनके लंड को मेरी छूट मे अंदर लेने के लिए अपनी कमर को और उठाया लेकिन उन्होने मूज़े कमियाब नही होने दिया और अपने लंड को उपेर खिच लिया.

मेरी छूट के दोनो होत उत्तेजना की वजह से बार बार खुल और बंद हो रहे थे. सयद अपनी लंड के लिए भूक अब उनसे संभाल नही रही थी. पूरी छूट भी रस्स के वजह से भौत बुरी तरह से गीली हो चुकी थी.

भाईजान ने पहले की तरह मेरी चूत के रस्स को अपने प्यज़ामे से पॉच कर सॉफ किया और पूरा सूखा दिया. में उनके लंड को अपनी छूट मे लेने के लिए बुरी तरह तड़प रही थी इसलिए फ़रदीन भाईजान से मिन्नत करते हुए बोलने लगी की

साहिबा:- क्यूँ तडपा रहे हो जान??? अब अंदर कर दो ना क्यूँ इतनी मिन्नटे करवा रहे हो??

भाईजान मेरी हालत का मज़ा लेते हुए बोले

फ़रदीन:- उूउउ हा पहले तुम रिक्वेस्ट करो.

साहिबा:- प्ल्ीएआआसस्सीए.

फ़रदीन:- क्या??? प्लीज़ क्या??

साहिबा:- आप भौत गंदे हो च्ीईिइ…. ऐसी बाते कभी लड़किया बोलती है क्या???

फ़रदीन:- नही जब तक नही बोलॉगी की तुम्हे क्या चाहिए तब तक नही दूँगा.

साहिबा:- उफफफ्फ़…. दे दो ना अब अपना लंड.

इतना कहते हे मेने झाट से मेने अपनी आखे शरम से बंद कर ली.

फ़रदीन:- तुम्हे अपने जेत्जी का लंड चाहिए????

मेने अपना सिर हन मे हिलाया तो वो कहने लगे

फ़रदीन:- तो फिर खुद हे ले लो इश्स लंड को अपनी छूट मे.

मेने लपक कर उनके लंड को पकड़ा और दूसरे हाथ से अपनी छूट की होतो को अलग कर के उनके लंड को अपनी छूट के दरवाजे पर रख कर ज़ोर का धक्का उपेर की तरफ मारा तो उनका मोटा लंड तोडसा मेरी छूट मे घुस गया. मेरे मूह से एक हल्की सी दर्द भारी आवाज़ निकल गयी.

मेने अपनी टाँगो को दोनो साइड फैलाया और उनकी कमर को दोनो साइड से अपनी टाँगो से जाकड़ लिया. अब में उनके जिस्म से बिल्कुल चिपक गयी थी.
भाईजान अपनी कमर उठाते तो मेरा पूरा जिस्म उनके साथ गे उठ जाता.

उन्होने एक हे धक्के मे अपना पूरा मूसल जैसा लंड मेरी छूट मे दल दिया था. मेने अपनी छूट के मसल्स से उनके लंड को पूरी तरह जाकड़ रखा था. में उनके मंथन से पहले अपनी छूट से उनके लंड को आची तरह महसूस करना चाहती थी.

फ़रदीन:- साहिबा भौत हे टाइट है तुम्हारी…

यह कहते कहते भाईजान के होत मेरे होतो पर आ गये.

साहिबा:- आपको पसंद आई??

फ़रदीन:- हाआँ.

साहिबा:- यह अब आपके लिए है….. जब चाहो इसको इस्टामाल कर ना.

मेने उनके गले मे अपनी बाहे दल कर उनके कान मे ढेरे से कहा-

साहिबा:- आज मूज़े इतना रागडो की मेरे जिस्म का हर एक एक जोड़ दर्द से तड़प ने लगे.

वो अब मेरे दोनो बूब्स को अपनी मुति से मसालते हुए मेरी चूत मे धक्के मार रहे थे और हर धक्के के साथ उनका लंड एकद्ूम टोपे तक बाहर आता और फिर अगले हे पल पूरा अंदर घुस जाता. मेरी छूट को पिल्लो से उठा कर रखने की वजह से उनके लंड की हर हरकत मूज़े नज़र आ रही थी.

में इतनी उत्तेजित थी और मेरा इतनी बार झड़ना हुआ की काउंटिंग हे भूल गयी थी. में बुरी तरह तक चुकी थी लेकिन फ़रदीन भाईजान लगातार मूज़े 45 मिनिट्स तक इसी तरह ठोकते रहे. मेरा जिस्म पसीने से भीग चुका था. मूज़े ऐसा लग रहा था मानो में बादलो मे उड़ती हुई जेया रही हू.

मूज़े चुदाई मे इतना मज़ा कभी नही मिला था. जैसे लग रहा था की काश फ़रदीन भाईजान सारी ज़िंदगी इसी तरह बिना रुके छोढ़ते हे जाए बस…… छोढ़ते हे जाए.

पूरा बेड भाईजान के धक्को से हिल रहा था लेकिन मुस्कान भाभी और अज़हर पर कोई भी असर नही पद रहा था. वो दोनो तक कर और शराब के नशे मे बेसूध हो कर गहरी नींद मे सू रहे थे.

काफ़ी टाइम तक इसी तरह छुड़वाने के बाद जब मेने महसूस किया की फ़रदीन भाईजान के धक्को मे कुछ नर्मी आ रही है तो कमान मेने अपने हाथो मे संभाल ली. हुँने इन्स्टेंट हे पोज़िशन चेंज ली.

अब वो मेरे नीचे लेते थे और में उनके उपेर चढ़ कर अपनी छूट से उनको छोढ़ रही थी. उन्होने मेरे दोनो हिलते बूब्स को अपने हाथो से सहलाना शुरू कर दिया. तो मेने भी अपनी छूट का दबाव उनके लंड पर बनाया. और अब में उनके रास को जल्दी निकल देना चाहती थी. क्यूकी मेरा भौत बार निकल चुका था और में तक भी चुकी थी.

लेकिन भाईजान थे की अपने लंड का फाउंटन चालू हे नही कर रहे थे. मूज़े भी उनको उपेर से करीब करीब 20 मिनिट्स तक छोढ़ना पड़ा तब जेया कर महसूस हुआ की अब उनके लंड से धार निकल ने वाली है. इतना समझते हे मेरी छूट ने उनसे पहले हे अपना रास निकल दिया. वो भी मेरे साथ अपने रास का मेरी छूट मे मिलाप करने लगे.

जैसे हे उनका निकल ने को हुआ उन्होने मेरे निपल को अपनी मुति मे भेच कर अपनी तरफ खिछा तब हुआ यह की में एकद्ूम से उनके सीने से लग गयी. उन्होने मूज़े अपनी बाहो मे ज़ोर से पकड़ लिया और अपने लंड को ज़ोर से छूट मे घुसा कर अपने लंड की पिचकारी शुरू कर दी और अपने लंड रस्स से मेरी पूरी छूट भर दी थी.

दोनो के लंड और छूट का रस्स निकल ने के बाद तक कर हम दोनो कुछ टाइम तक इसी तरह एक दूसरे की बाहो मे लेते रहे.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे. आप सभी के फीडबॅक आप मूज़े मेरी मैल ईद