मस्त सेक्स कहानियाँ मेरी चुदाई भारी जिंदगी की

हेलो दोस्तो में स्वरना. आप सब ने आज तक मेरी सारी सेक्स स्टोरीस को बहोट प्यार दिया है बहोट अप्रीशियेट किया है.

इश्स स्टोरी का 6त पार्ट तो आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे.. अगर नही लिए तो प्लीज़ पढ़ लीजिए ताकि आप यह पार्ट का ज़्यादा से ज़्यादा मज़ा ले पाए. तो अब ज़्यादा यहा वाहा की बाते नही करते हुए डाइरेक्ट्ली स्टोरी पे आते है.

अब आयेज..

समीना:- साहिबा ज़रा सोफा के पास आना..

साहिबा:- क्यूँ अप्पा??

समीना:- इतनी दूर से सलमान को तुम्हारा जिस्म दिख नही रहा है वो भौत देर से कोशिश कर रहे है की उनकी नज़रो की गर्मी से तुम्हारे ब्लाउस का एक्लोटा बटन पिघल जाए और ब्लाउस से तुम्हारी चुचिया पूरी बाहर निकल जाए लेकिन उनको कोई कामयाबी नही मिल रही है.

यह सुनते हे मेने तुरंत अपनी चुचियो को देखा तो सारी बात साँझ कर अपना पल्लू सही कर दिया. में शर्मा कर वाहा से उठने गयी तो समीना अप्पा ने आ कर मूज़े रोका और मेरा हाथ पकड़ कर सोफा के पास लेकर गयी और

सलमांजी के सामने खड़ी कर के अपने हाथो से मेरी सारी का पल्लू मेरी सीने से हटा दिया और बोली

समीना:- लो अब आचे से देख लीजिए पूरे 36 के साइज़ के है… आपको नापने है क्या???

में अप्पा की इश्स हरकत से शरम से पूरी लाल हो गयी और जल्दी से आपका पल्लू ठीक वापिस ठीक कर के वाहा से भाग गयी.

दो दिन बाद हुँने हनिमून के लिए मसूरी जाने का प्लान बनाया. शाम को हे हम अपनी कार लेकर निकल गये.

हुमारे साथ समीना अप्पा और सलमांजी भी आ रहे थे.

तब ठंड के दिन थे इसलिए शाम भी जल्दी हे हो जाती थी. जब हम घर से निकले तब सलमांजी कार चला रहे थे और अप्पा उनके बगल वाली सीट पे बैठी थी और में और अज़हर पीछे की सीट पे.

3 घंटे लगातार ड्राइव करने के बाद हम एक होटेल मे रुके छाई नास्टा करने. उसके बाद अज़हर अब ड्राइविंग सीट पे बैठ गये और सलमांजी पीछे की सीट पे आ गये. मेने उन्हे देख के जब आगे वेल सीट पे जाने के लिए डोर खोला तो

सलमांजी ने मूज़े रोक दिया और बोलने लगे

सलमांजी:- कभी हुमारे पास भी बैठ जाओ खा थोड़ी ना जाएँगे तुम्हे.

इतना सुनते हे समीना अप्पा बोलने लगी

समीना:- हन हन बैठ जाओ उनके पास ऐसे भी बाहर भौत ठंड है और अभी तब उनके गले के नीचे एक भी घुट नही गयी है इसलिए ठंड से इतना काँप रहे है. तुमसे चिपक कर बैठेंगे तो उनका जिस्म भी गरम हो जाएगा.

अज़हर ने अप्पा को छेड़ते हुए कहा

अज़हर:- आछा….!! लगता है आज कल आप उनको गरम नही कर रही हो.

हम सब ऐसे हे बाते करते और मज़ाक करते बस चले जेया रहे थे तभी बात करते करते सलमांजी ने अपना हाथ मेरी झंगो पर रख दिया जिससे मेने ढेरे से पकड़ कर नीचे कर दिया और हटा दिया.

जैसे शाम होती गयी वैसे हे ठंड बढ़ने लगी थी तो अज़हर ने एक शॉल ले लिया और समीना अप्पा ने कंबल जैसे ले लिया था पर हम दोनो हे पीछे बैठे ठंड से काँप रहे थे. हम दोनो को ऐसे देख समीना अप्पा ने कहा

समीना:- सलमान देखो साहिबा का ठंड से बुरा हाल हो रहा है पीछे एक कंबल रखा हुआ है उससे तुम दोनो खुद को कवर कर लो.

कार मे अब एक हे कंबल बाकचा था जिसको हम दोनो ने रख लिया. अब कंबल एक हे था इसलिए मूज़े सलमांजी से चिपक कर बैठना पड़ा. पहले थोड़ी झिझक हुई पर बाद मे में उनसे एकद्ूम चिपक के बैठ गयी क्यूकी ठंड भौत हे लग रही थी.

सलमांजी का फिर से हाथ मेरे झंगो पर घूमने लगा और सारी के उपेर से मेरी झंगो को सहला रहे थे. उन्होने अपने हाथ को मेरे कंधे के उपेर रख कर मूज़े ज़ोर से अपने सीने पर खिच लिया. मेने उन्हे रोकने की भी कोशिश की पर कुछ हुआ नही. यह सब करने मे हम दोनो बिल्कुल हे चुपचाप बैठे थे तो आगे से समीना अप्पा बोलने लगे

समीना:- क्या बात है तुम दोनो पीछे बिल्कुल चुप हो गये हो?? कही तुम्हारे नंदोइजी तुम्हे मसल तो नही रहे है??? संभाल कर रखना अपने असली गहने को मर्द ऐसे भी पूरे भूखे होते है.

अप्पा की बाते सुन्न कर में शरमाने लग गयी और सलमांजी से दूर होने की कोशिश की मगर उन्होने मूज़े कमर से पकड़ कर अपने पास कर लिया और खुद से चिपका दिया और अप्पा से बोलने लगे

सलमांजी:- अब तुम इतनी दूर बैठी हो तो किसी को तो तुम्हारी प्रॉक्सी देनी पड़ेगी ना और ऐसे भी नंदोई के साथ रिश्ता तो जीजा साली जैसा होता है आधी घरवाली जैसा.

समीना:- देखा देखा कैसे उछाल रहे है…. साहिबा अब मूज़े नही कहना की मेने तुम्हे पहले से कहा नही था…. सोच लेना उनसे दूर हे रहना उनका साइज़ भी भौत हे बड़ा है.

साहिबा:- क्या अप्पा आप भी ना…..!!

अब सलमांजी अपनी बाहे वापस कंधे से उतार कर कुछ देर तक मेरी अंदर की झंगो को मसालते रहे फिर अपने हाथ को वापस उपेर उठा कर अपनी उंगलिया मेरे गालो पर फेरने लगे. यह सब से मेरे पूरे बदल मे करेंट सा दौड़ रहा था और मेरी गूसेबूमप्स भी आ गयी थी.

ढेरे ढेरे गालो से सरक कर उनका हाथ गाले तक पॉच गया था. में तो ऐसे बैठी हुई थी जैसे सब कुछ नॉर्मल है. मगर अंदर उनके हाथ किसी साँप की तरह पूरे बदन पे घूम रहे थे.

अचानक से हे उन्होने अपना हाथ गाले से नीचे किया और सारी ब्लाउस के उपेर से मेरी एक चुचि को अपने हाथो मे पकड़ लिया और ढेरे ढेरे उसको मसालने लगे.

जब उन्होने देखा की मेने इश्स बात का कोई विरोध नही किया तो उन्होने अपना हाथ मेरे ब्लाउस के अंदर दल कर चुचि को पकड़ कर मसल दिया. लेकिन जैसे हे उन्होने मेरी चुचि को दबाया तो मेरी मूह से ज़ोर से सिसकारी निकल गयी

साहिबा:- आआई उफ़फ्फ़…..!!

समीना:- क्या हुआ?? ख़टमल ने काट लिया क्या??

समीना अप्पा मूज़े चिढ़ाते हुए हासणे लगी.

में शरम से मूह भिच कर बैठी रही. क्यूकी बोलती भी क्या और किसी को कहती भी क्या…. एक नयी दुल्हन के लिए इश्स तरह की बाते खुले आम करना भौत मुश्किल होता है और ख़ासकर तब जब मेरे अलावा बाकी सब लोग इश्स माहूल का मज़ा ले रहे हो इसलिए मेने बात को संभालते हुए अप्पा को जवाब दिया

साहिबा:- नही कुछ नही मेरी संडलेस की हील्स सीट के नीचे फास गयी थी.

अब सलमांजी के हाथ मेरे नंगे चुचियो को सहलाने लगे थे. उन्होने हाथ पूरा ब्रा के अंदर दल दिया था. उन्होने मेरी निपल्स को अपनी उंगलियो से सहलाते हुए मेरे कानो मे कहा

सलमांजी:- ओह गोद भौत हे सेक्सी हो… अगर तुम्हारा एक आंग हे इतना लाजवाब है तो जब तुम पूरी नंगी होगी तो पक्का कयामत हे आ जाएगी. अज़हर तो खूब रगड़ता होगा तुम्हारी जवानी को…. साला है भौत किस्मत वाला पर में भी तुम्हे अपनी टाँगो के बीच लेता कर हे रहूँगा.

उनके इश्स तरह से खुली बात करने से में घबरा गयी. और जब आगे की सीट पे देखा तो दोनो भाई बहें अपनी हे धुन्ण मे लगे हुए थे. तो मेने चुप रहना हे ठीक समझा. जितनी भी शिकायत करती दोनो भाई बहें मूज़े हे चिढ़ाते.

सलमांजी की हरकटो से अब में भी मज़े लेने लगी थी. मेरी छूट भी गीली होने लगी थी लेकिन कुछ ना कहते हुए में नज़रे झुकाए चुप छाप बैठी रही.

यह कहानी अभी यहा आधी रोक रही हू पर यह भौत लंबी कहानी है. तो आशा करती हू आप सब इश्स के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे. आप सभी के फीडबॅक आप मूज़े मेरी मैल ईद