जेठ जी के साथ जवानी के मजे

हेलो दोस्तों में स्वर्ण. आप सब ने आज तक मेरी साडी सेक्स स्टोरीज को बहोत प्यार दिया है बहोत अप्प्रेसियते किया है.

में जानती हु यह स्टोरी ज्यादा लम्बी चल रही है लेकिन आप आगे पढ़ते रहिये की कितना उत्तेजित मज़ा आने वाला है.

इस स्टोरी का १५थ पार्ट तोह आप सभी ने पढ़ कर मज़े लिए ही होंगे और अगर नहीं लिए तोह प्लीज पढ़ लीजिये ताकि आप यह पार्ट का ज्यादा से ज्यादा मज़ा ले पाए. तोह अब ज्यादा यहाँ वह की बाते नहीं करते हुए डायरेक्टली स्टोरी पे एते है.

अब आगे..

फरदीन:- अब तुम इससे मेरी बुजदिली समझो या चाहे जो भी लेकिन में उसकी उम्मीद को तोडना नहीं चाहता फिर चाहे वह साडी ज़िन्दगी मुझे एक नामर्द हे समझती रहे.

तब मेने बिना सोचा समझे बस इमोशनल हो कर बोल दिया

साहिबा:- में आपकी तकलीफ समझती हु इसलिए में आपको वह दूंगी जो मुस्कान भाभीजाण ने नहीं दिया.

भाईजान ने चौक कर मेरी तरफ देखा उनकी गहरी आखो में उत्सुकता थी मेरी आगे की बात सुन्न ने की. तब मेने कहा

साहिबा:- में आपको अपनी कोख से एक बच्चा दूंगी…!!

वह हड़बड़ा उठे और बोले

फरदीन:- क्या???? कैसे???

साहिबा:- अब इतने बुद्धू तोह आप हो नहीं की समझाना पड़े कैसे.

में उनके सीने से लग गयी और प्यार से बोली

साहिबा:- जब वह दोनों आपकी चिंता किये बिना फिजिकल रिलेशनशिप रख सकते है तोह आपको किसने ऐसा करने से रोक रखा है??

इतना हे सुन्न न था की उन्होंने मुझे अपने सीने में दबा लिया. मेने अपना चेहरा ऊपर किया तोह उनके होठ मेरे होठो से मिल गए. मेरा जिस्म कुछ तोह दुपहर के नशे से कुछ ज्यादा हे उत्तेजना से ताप रहा था. इसलिए मेने अपने होठ खोल कर उनके होठो का स्वागत किया और उन्होंने मुझे इस तरह चूमना शुरू किया मानो बरसो के भूखे हो. में उनके सीने के बालो में अपनी उंगलिया फेर रही थी. उन्होंने मेरे जिस्म पर बंधी हुई गाउन को भी खोल दिया.

अब में सिर्फ सैंडल्स पहनी पूरी तरह नंगी थी उनके सामने. तब मेने भी उनके पयजामे के ऊपर से उनके लुंड को अपने हाथो से पकड़ कर सहलाने शुरू कर दिया था और कहा

साहिबा:- यह तोह काफी ाचसा मोटा है भाभीजाण को तोह मज़ा आ जाता होगा??
यह कहते हे मेने उनके लुंड को हाथो में जोर से दबा दिया. फिर पयजामे की दूरी खोल कर उनके लम्बे मोठे लुंड को बहार निकल दिया. उनके लुंड के ऊपर का सूपड़ा एक टेनिस की बॉल की तरह मोटा था.

भाईजान खुद तोह गोर गोर थे लेकिन उनका लुंड काफी कला था. उनके लुंड के मुँह से पानी जैसा चिपचिपा रास निकल रहा था. उस वक़्त मेने उनकी गहरी आखो में देखा तोह वह मेरी हरकतों को ध्यान से देख रहे थे.

में उनको इतनी ख़ुशी देना चाहती थी जितनी मुस्कान भाभीजाण ने भी नहीं दी होगी. मेने अपनी पूरी जीब बहार निकली और स्लो मोशन में अपनी सर को उनके लुंड पे झुकाया. यह सब करते वक़्त भी मेरी नज़रे उनके चेहरे पर हे थी क्युकी में उनके चेहरे पर उभर ने वाली ख़ुशी को अपनी आखो से देखना चाहती थी.

मेने अपनी जीब उनके लुंड के टिप पर लगाए और उस से निकल ने वाले रास को छत्त कर अपनी जीब पर ले लिया. फिर उसी तरह धीरे धीरे मेने अपना सर उठा कर अपनी जीब पर लगे उनके लुंड रास को उनकी आखो के सामने किया और मुँह खोल कर जीब अंदर कर ली थी.

मुझे अपना रास पीते देख वह ख़ुशी से भर उठे और वापस मेरे चेहरे पर अपने होठ घूमने लगे. वह मेरे होठो को मेरे कानो को मेरी आखो को और मेरे गालो को बस चुम्मे जा रहे थे और में उनके लुंड को अपनी मुठी में भर कर सेहला रही थी.

फिर मेने उनके सर को पकड़ कर निचे अपनी चूचियों से लगाया तोह उन्होंने जीब निकल कर दोनों चूचियों के बीच की गहरी खाए में फिराया फिर एक चुकी को अपने हाथो से पकड़ कर उसके निप्पल को अपने मुँह में भर लिया.

मेरी निप्पल्स तोह ऐसे भी पहले से हे तन्न कर कड़ी हो गयी थी. वह एक निप्पल को चूस रहे थे और दूसरे चुकी को अपनी हथेली में भर कर मसल रहे थे. पहले तोह उन्होंने धीरे धीरे मसला मगर कुछ हे टाइम में दोनों चूचिया पूरी ताकत से मसल मसल कर लाल कर दिए. उस वक़्त तोह में उत्तेजना की आग में जलने लगी थी.

मेने उनके लुंड के निचे उनकी बॉल्स को अपनी मुठी में भर कर सहलाना शुरू किया था. वह भी बीच बीच में मेरे फुले हुए निप्पल्स को दातो से काट रहे थे और कभी जीब से निप्पल्स को चढ़ने लगते थे. मेरे मुँह से भी सिसकारियां निकल ने लगी थी

साहिबा:- श्श्श्श अहहह ऊम्मम आएएए अहह.

में भी खुद को रोक नहीं पा रही थी.

उन्हें होठ दोनों चूचियों पर घूमने लगे और जगह जगह मेरी चूचियों को काट काट कर अपने मिलान की निशानी चोर्ने लगे. पुरे बूब्स पर लाल लाल डाट को निशान उभर ए थे.

में दर्द और उत्तेजना से जोर की सिसकारियां ले रही थी और साथ हे अपने हाथो से अपनी चूचियों को उठाकर उनके मुँह में दे रही थी. तब उन्होंने मेरी दोनों चूचिया को पकड़ कर खींचते हुए कहा

फरदीन:- कितनी खूबसूरत हो….!!!

साहिबा:- आगे भी कुछ आप करोगे या इनसे हे चिपके रहने की मर्ज़ी है??
निप्पल लगातार चूसते रहने की वजह से दुखने लगे थे और चूचियों पर जगह जगह उनके दातो के काट ने से लाल लाल निशान उभरने लगे थे. पर यह सब की वजह से में भी काफी उत्तेजित हो गयी थी क्युकी अज़हर कभी भी इतना ज्यादा फोरप्ले नहीं करते थे. उनको तोह बस टाँगे खोल के अपना लुंड अंदर दाल कर धक्के लगाने में हे मज़ा अत था.

में यह सब सोच में डूबी थी तभी फरदीन भाईजान ने मेरी टाँगे पकड़ कर निचे की तरफ खींचा तोह में बीएड पे लेट गयी.

यह कहानी अभी यहाँ आधी रोक रही हु पर यह बहुत लम्बी कहानी है तोह आशा करती हु आप सब इस के सभी पार्ट्स पढ़ेंगे. आप सभी के फीडबैक आप मुझे मेरी मेल ईद िलोवेंसेस्टलॉवर्स@जीमेल.कॉम पे लिख सकते हो.