मानसी और डाक्टर मालिनी रबड़ के चुदाई वाले खिलौने अपनी चूत और गांड में ले कर मजा ले चुकी थी। मानसी नीचे लेटी हुई थी, और डाक्टर मालिनी उसके ऊपर ”69” का आंकड़ा बना कर अपने चूतड़ मानसी के मुंह की तरफ करके लेटी हुई थी। मानसी ने मोटा लंड मालिनी की चूत में डाला हुआ था। जल्दी ही दोनों की चूतें पानी छोड़ गयी। अब आगे।
“मजा आने के बाद मैं मानसी के ऊपर से उतरी, और सीधी बाथरूम जा कर पेशाब किया। मुंह हाथ धोया और वापस आ गई। उधर रबड़ वाला खिलौना अभी भी मानसी की गांड और चूत में ही था”।
“मानसी ने खिलौने का वाइब्रेशन बंद तो कर लिया था, मगर आंखें बंद कर के लेटी हुई मजे ले रही थी”।
“मैं मानसी के पास बैठ गयी और मानसी की चूचियों को सहलाती हुई बोली, “मानसी, मानसी बेटा आंखें खोलो। ये निकाल लो अपनी गांड और चूत में से”।
“मानसी ने आखें खोल कर मेरी तरफ देखा और इतना ही कहा, “हां आंटी” और फिर आंखें बंद कर ली। लग ही रहा था मानसी को अभी भी मजा आ रहा था, और अभी कुछ देर और रबड़ वाला “C” की तरह का लंड गांड और चूत में रखना चाहती थी”।
“मैं जा कर सोफे पर बैठ गयी, और इंतजार करने लगी कि कब मानसी खिलौना चूत में से बाहर निकले। मैं मानसी को मजा लेने देना चाहती थी। पांच सात मिनट के बाद मानसी ने आंखें खोली, और और खिलौना चूत और गांड में से निकाल लिया”।
“C” की तरह के खिलौने को मुझे दिखाते हुए मानसी बोली, “आंटी ये तो बहुत कमाल की चीज है। ये पास हो तो फिर किसी और से चुदाई की जरूरत ही नहीं”।
“मैंने मानसी को समझाया, “नहीं मानसी, ऐसा नहीं है I मर्द की चुदाई मर्द की चुदाई ही होती है। मर्द की जिस्म की खुशबू मस्त करने वाली होती है। मर्द जब बाहों में ले कर होंठ चूसते हुए चूत चोदता है तो उसका मजा ही अलग होता है”।
“मैं मानसी को बता रही थी, “या जब मर्द कमर पकड़ कर पीछे से चूत में या फिर गांड में लंड डालता है तब जो मजा आता है उसका कोइ जवाब नहीं। गांड में लंड के धक्के लगते हुए जैसे मर्द के टट्टे नीचे चूत पर टकराने से ठप्प-ठप्प की जो आवाज आती है, वो गांड चुदाई मजा दुगना कर देती है”।
“और वो जो सामने खड़ा हो कर लंड मुंह में लेने को बोलता है या लंड का अगला हिस्सा मम्मों के निप्पल पर रगड़ता हैं, वो सब ये प्लास्टिक के खिलौने नहीं कर सकते। ”
“और मानसी वो गरम-गरम ढेर सारा पानी – जो मर्द के लंड से निकल कर चूत या गांड में डलता है वो? वो इन रबड़ के लंडों में कहां। तुम्हारी चूत में भी तो जब तुम्हारे पापा के लंड का गर्म पानी निकलता है, तुम्हें भी तो बड़ा मजा आता है”।
“ये लंड इस लिए होते हैं कि अगर कहीं आधी रात को चूत या गांड में चुदाई की खुजली मच जाए तो चुदाई के लिए तरसना ना पड़े”।
“और फिर मैंने हंसते हुए कहा, “और मानसी वो जो बकवास-बाजी चुदाई के दौरान औरत और मर्द करते हैं वो चुदाई के मजे को दुगना-तिगुना कर देती हैं। वो सब इन रबड़ ले खिलौनों में कहां”।
“जब लंड चूत में डाल कर ऊपर लेटा हुआ मर्द चुदाई के दौरान बोलता है, “आआआ मेरी जान, रगडूं तेरी फुद्दी, करूं तेरी रगड़ाई वाली चुदाई, रंडी की तरह चोदूंगा आज तुझे, चूस जोर से मेरा लंड आआआह, और जोर निकाल साली जो भी है इसके अंदर से पीले, आअह तेरी चूत में मेरा लौड़ा ”।
“तेरी गांड चोदूं फाड़ दूं तेरी गांड, आआआह निकले वाला है मेरी जान, आआह मेरी जान ले ले निकला मेरा, मेरी रंडी आज आया चुदाई का असली मजा, ले भर दी तेरी चूत, तेरी फुद्दी, ले आआह आआआह निकला गया तेरी फुद्दी में, आज कुतिया की तरह चोदूंगा तुझे, निकला मेरे लंड का पानी तेरी फुद्दी में आआआह आआह”।
“मैं अभी बोल ही रही थी कि आगे मानसी ही बोल पड़ी, “और आंटी उधर लंड चूत में लंड डलवा कर नीचे लेटी हुई लड़की बोलती है, “आआह बना दे भोसड़ा इस चूत का, गांड तो फाड़ ही दी आह, रगड़ गांडू और रगड़ आआह, घुस जा मेरी चूत में आआआह, रंडी की तरह चोद, आज मुझे फाड़ डाल, मेरी फुद्दी फाड़, रगड़ो मेरी चूत, झाग निकाल दो इसकी इस फुद्दी की फाड़ दे मेरी चूत मेरी फुद्दी”।
“ये बोल कर मैं और मानसी दोनों खुल कर हसी। मैंने मानसी को बाहों में ले लिया, और उसके होंठ अपने होठों में लेकर चूसने लगी। मानसी भी मेरे साथ चिपक गयी”।
“कुछ देर बाद जब मैंने मानसी को छोड़ा तो मानसी बोली, “आंटी आप की बातों से तो मेरी चूत फिर से तैयार होने लगी है। मगर आंटी पापा मम्मी को चोदते हुए तो ऐसा बोलते हैं, मगर मुझे चोदते वक़्त ऐसा कुछ भी नहीं बोलते। और तो और प्रभात भी ऐसा कुछ नहीं बोला था”।
“मैंने कहा, “मानसी अलोक की और तुम्हारी चुदाई बाप-बेटी की चुदाई होती है, मर्द-औरत की नहीं। उसमें कहीं ना कहीं रिश्तों का लिहाज छुपा होता है। दिल के किसी कोने से दबी हुई आवाज आती है, ये गलत है”।
“वो बात अब अलग है कि अगर बीस साल की लड़की अपनी चूत खोल कर किसी मर्द के सामने लेट जाये – फिर चाहे वो उसका पापा ही क्यों ना हो, या भाई या बेटा ही क्यों ना हो, उसका दिमाग काम करना बंद कर देता है, और गुलाबी चूत देख कर लंड खड़ा हो ही जाता है, और फिर चुदाई हो कर ही रहती है”।
“तुम्हारी और अलोक की चुदाई में यही हो रहा है। तुम अलोक के सामने चूत खोल कर लेट जाती हो, उस वक़्त अलोक को तुम एक बेटी नहीं एक लड़की दिखाई देती हो, जो अपनी चूत खोल कर चुदाई मांग रही होती है। नंगी लड़की और उसकी छोटी सी गुलाबी चूत – ऐसे में आलोक करे भी तो क्या करे? ऐसी कुंवारी चूत सामने देख कर आलोक का लंड खड़ा हो जाता है। अब इसमें इसमें आलोक के लंड का क्या कसूर”?
“उधर प्रभात तुम्हारा बॉयफ्रेंड नहीं। वो तो स्नेहा ने तुम्हें एक चुदाई के लिए अपना बॉयफ्रेंड उधार दिया था। तुम पर एहसान किया था। अगर प्रभात तुम्हें चोदते वक़्त ऐसा कुछ बोलता तो हो सकता है स्नेहा को भी ये पसंद ना आता। तुम अगर प्रभात से दुबारा चुदाई करवाना चाहो, तो स्नेहा कभी नहीं मानेगी”।
“मानसी एक बात मैं बता दूं, “जितनी तुम सुन्दर हो, अच्छी हो, हमेशा हंसती रहती हो, मैं नहीं मानती के स्नेहा भी इतनी ही सुन्दर होगी। उसे तो डर ही लगता रहेगा कि कहीं तुम उसके बॉयफ्रेंड प्रभात को उससे छीन ही ना लो”।
“फिर मैंने मानसी से पूछा, “मगर मानसी तुम मुझे एक बात बताओ, अभी जो तुमने बोला, “मगर आंटी पापा मम्मी को चोदते हुए तो ऐसा बोलते हैं, आआह बना दे भोसड़ा इस चूत का, गांड तो फाड़ ही दी, आह रगड़ गांडू और रगड़, आआह घुस जा मेरी चूत में आआआह, रंडी की तरह चोद आज मुझे, फाड़ डाल मेरी फुद्दी। ये सब कुछ तुमने कहां सुना है”?
“मानसी बोली, “आंटी ये मैंने पापा और मम्मी की चुदाई में ही सुना है”।
“अब हैरान होने की बारी मेरी थी। मैंने हैरानी से पुछा, “पापा और मम्मी की चुदाई में? क्या कह रही हो मानसी? तुमने उन्हें चुदाई करते हुए कब देख लिया”?
“मानसी बताने लगी, “आंटी, अब आप से क्या छुपाना। एक दिन क्या हुआ, मैं दोपहर को घर आयी I असल में उस दिन मेरी तबीयत कुछ अच्छी नहीं थी। मैं घर आई तो देखा पापा की गाड़ी बाहर ही खड़ी थी”।
“पापा की गाड़ी देख कर मैंने सोचा पापा के गाड़ी में कुछ दिक्क्त हो गयी होगी। अम्मी तो रात को हॉस्पिटल जाती थी और दिन में सोती थी। पापा दिन में ऑफिस होते थे। ऐसे मौकों पर मैं अपनी चाबी से ताला खोल कर अंदर चली जाती थी”।
“उस दिन भी जब मैं ताला खोल कर अंदर गयी, तो मुझे अंदर से अजीब-अजीब आवाजें आ रही थी – कम से कम वो बातें करने की आवाजें तो नहीं ही थी”।
“आवाजें सुन कर ये तो मुझे समझ आ गया कि पापा आज घर पर ही थे। मगर मैं सोच रही थी ये आवाजें कैसी आ रही थी।
मैं देखने के लिए आगे बढ़ी और खुले दरवाजे से कमरे में जो मैंने देखा, उसे देख कर तो मेरी चूत ने फर्रर्र से पानी छोड़ दिया। पापा और मम्मी बिस्तर पर लेटे हुए चुदाई कर रहे थे”।
“पास छोटी टेबल पर व्हिस्की की बोतल और दो गिलास रखे थे। बोतल आधी ही भरी हुई थी। पापा तो रोज व्हिस्की पीते थे, मुझे मालूम ही था। मगर दो गिलास? क्या मम्मी भी पीती हैं? मेरे पैर वहीं फर्श पर जम गए। मैं सोचने लगी पता नहीं कितनी देर मम्मी पापा कि ये चुदाई चल रही थी”।
“मैं वहां से हटना चाहती थी मगर फिर मैं सोचने लगी देखूं तो सही ये अब क्या करेंगे – देखें मियां बीवी में कैसे चुदाई होती है”।
“इसके बाद मानसी ने मुझे आलोक और रागिनी की सारी की सारी चुदाई ज्यों की त्यों सुना दी जैसी मुझे रागिनी ने बताई थी – जैसे रागिनी की एक चुदाई के बाद आलोक ने रागिनी की गांड चोदी थी। उसके बाद पीछे ही खड़े हो कर रागिनी की गांड में से लंड निकाल कर रागिनी की चूत में डाला था, और आखिर में रागिनी को लिटा कर उसके मुंह के ऊपर लंड करके मुट्ठ मर कर उसके मुंह में लंड का पानी निकाला था”।
(आलोक और रागिनी की पूरी चुदाई दुबारा पढ़ने के लिए इस कहानी का भाग 4 से लेकर 8 तक पढ़ें )
“मुझे तो सारी कहानी पहले से ही पता थी मगर मैंने फिर भी मानसी को बोलने दिया”।
मानसी बोल रही थे, “आंटी तभी मैंने ये सब बातें सुनी थीं”।
“मानसी ने मुझे बताया, “पापा और मम्मी पता नहीं क्या-क्या बोल रहे थे। रंडी कि तरह चोद मुझे, कुतिया की तरह चोद। फाड़ दे मेरी फुद्दी, भोसड़ा बना दे जैसी बातें। आंटी मैं तो हैरान हो रही थी, कि ऐसी बातें भी लोग करते हैं”?
मानसी बता रही थी, “पापा-मम्मी की चुदाई देखते हुए तो मुझे भी आधा-पौना घंटा हो ही चुका था। जब पापा मम्मी के मुंह के ऊपर लंड की मुठ मारने लगे, तो मुझ लगा कि शायद चुदाई का ये आख़री सीन है”।
“वैसे भी आंटी मुझसे इससे ज्यादा सुना देखा नहीं जा रहा था। मेरी चूत में बाढ़ आ चुकी थी। मैं दबे पांव अपने कमरे में गयी, सलवार के अंदर हाथ डाल कर चूत रगड़ने लगी। मेरी चूत मैं तो आग लगी पड़ी थी। एक मिनट मे ही मेरी चूत का पानी निकल गया। इसके बाद मैं वैसे ही दबे पांव बाहर निकल गयी”।
“पास के कॉफी हाउस मैं बैठ कर कॉफी पी और पौने घंटे के बाद वापस घर आ गई”।
“इस बार मैंने आवाजें करते हुए दरवाजा खोला, ये सोच कर की मेरी मम्मी-पापा के चुदाई अगर अभी भी जारी होगी, तो कम से कम दरवाजा ही बंद कर लेंगे”।
“अंदर आ कर मैं अपने कमरे में चली गयी। मम्मी को तो कोइ फर्क नहीं पड़ा, क्योंकि ऐसे समय तो वो घर ही होती थी, और शाम को हस्पताल जाती थी। पापा जो अक्सर दोपहर के वक़्त ऑफिस में होते थे। मुझे देख कर पापा मेरे पास आये और बोले “क्या बात है मानसी, तबियत ठीक है”?
“मैंने कहा, “नहीं कुछ नहीं पापा ठीक है, मगर आज आप कैसे जल्दी घर आ गए”?
“पापा बोले, मैं कुछ जरूरी कागज़ घर भूल गया था, वही लेने आया था, बस अब निकल ही रहा हूं”। ये बोल कर पापा जाने लगे।
“मैंने भी सोचा कौन से कागज़ और कैसे कागज़। बड़े दिनों से मम्मी की चूत नहीं मिली होगी चोदने को, इसलिए मम्मी की चूत और गांड चोदने का मन आ गया होगा”।
“मैंने कहा, “ठीक है पापा बाय”।
मानसी फिर बोली, “इस तरह की चुदाई मैं पहली बार देख रही थी आंटी। मैं वहां से हट जाना चाहती थी, मगर मेरा मन पूरी चुदाई देखने का होने लगा था। ये सब बातें मैंने उसी दिन सुनी थीं”।
मगर आंटी मैं बहुत देर तक यही सोचती रही, चुदाई के वक़्त आदमी और औरत ऐसी बातें करते हैं? इतनी बेशर्मी वाली? चुदक्कड़, भोंसड़ा, रंडी की तरह चोदूंगा, कुतिया कि तरह चोदूंगा? गांड फाड़ दूंगा, मेरी चूत की झाग निकाल दे”?
मैंने मानसी की बात का जवाब दिया, “मानसी यही तो मैं बता रही थी। ये बातें ही तो हैं जो ये रबड़ के लंड नहीं कर सकते। इन्हीं बातों से तो चुदाई का मजा दुगना हो जाता है”।
मानसी बोली, “फिर भी आंटी चुदक्कड़, भोसड़ा, रंडी की तरह चोदूंगा कुतिया की तरह चोदूंगा? गांड फाड़ दूंगा, मेरी चूत की झाग निकाल दूंगा, ये तो बड़ी ही गंदी-गंदी बातें हैं।
मानसी ने बात जारी रखते हुए कहा, “चलो आंटी एक मिनट के लिए मान लेते हैं चुदक्कड़, भोंसड़ा तो चूत लंड फुद्दी की तरह ही हैं, मगर रंडी, कुतिया? ये क्या बात हुई”?
“मुझे लगा मानसी का ज्ञान वर्धन करना ही चाहिए”।
मैंने मानसी से कहा, “तुम बिल्कुल ठीक कह रही हो मानसी चुदक्कड़, भोंसड़ा दोनों शब्द तो चूत लंड फुद्दी की तरह ही हैं, मगर रंडी और कुतिया कुछ अलग से लगते हैं। मगर मानसी ये सिर्फ मजे के लिए बोले जाते हैं, वो भी चुदाई से पहले और चुदाई के दौरान। एक बार चुदाई पूरी हो गयी, तब भी मर्द या औरत ये सब नहीं बोलते। तब ये शब्द गालियां लगते हैं”।
“अब मैं तुम्हें बताती हूं मानसी की रंडी और कुतिया जैसे शब्द चुदाई के दौरान बोलने के क्या मतलब निकलते हैं, और क्यों इनके बोलने सुनने में मजा आता है”।
“मानसी मेरी तरफ देखने लगी”।
मैंने मानसी से पुछा, “मानसी तुम्हारी गली में कुत्ते हैं”?
“मानसी हंस कर बोली, “लो आंटी आप भी क्या बात करती हैं। कानपुर की गालियां तो आवारा कुत्तों से भरी पड़ी हैं। यहां आपकी कालोनी में ही मैंने कुत्ते नहीं देखे, हमारी गली में तो बहुत हैं”।
“मानसी की बात पर मैं भी हंस दी और बोली, “अच्छा मानसी अब ये बताओ क्या तुमने कभी किसी कुत्ते को कुतिया के ऊपर चढ़े देखा हैं? मतलब कुत्ते को कुतिया को चोदते देखा है?
मानसी भी हंस कर बोली, “कई बार आंटी। हर तीन हर महीने चार महीने के बाद कुतिया आगे-आगे होती है और पीछे कुत्तों की लाइन चल रही होती है। कुत्ते कुतिया की चुदाई तो उन दिनों में आम सीन होता है”।
“लोग तो अपने बच्चों को घरों के अंदर ही भगाते रहते हैं जिससे वो कुत्ते को कुतिया की चुदाई करते ना देखें। मगर ये ठरकी बच्चे भी कौन से कम है। फिस्स-फिस्स कर के हंसते हुए दरवाजे के पीछे खड़े हो कर छुप-छुप कर कुत्ते को कुतिया की चुदाई करते हुए देखते रहते हैं”।
“मैंने भी कई बार कुत्ते को कुतिया के ऊपर चढ़े देखा हैं। पर आंटी लड़किया तो ये देख कर मुंह में दुपट्टा ठूंस कर हंसते हुए भाग जाती हैं”।
“मैंने मानसी से पूछा, “अच्छा मानसी अब ये बताओ कुत्ते के अगले पैर उस वक़्त कहां होते हैं, जिस वक़्त वो कुतिया के ऊपर चढ़ कर उसे चोद रहा होता है”।
मानसी कुछ सोचते हुए बोली, “आंटी उस वक़्त तो कुत्ते ने अगले पैरों में कुतिया को जकड़ रखा होता हैं हुए पीछे से जोर-जोर से धक्के लगा रहा होता। और आंटी ऐसा तब तक चलता है जब कुत्ता कुतिया के ऊपर से उतर जाता है और कुत्ता कुतिया पीछे की तरफ से आपस में जुड़ जाते हैं”।
मैंने फिर कहा, “अब जरा सोच कर ये बताओ मानसी कुत्ते ने किस तरह जकड़ रखा होता हैं कुतिया को और क्यों”?
मानसी कुछ सोचते हुए बोली, “मेरे ख्याल से तो आंटी कुत्ता इतनी जोर-जोर से धक्के लगा रहा होता है, कि अगर उसने कुतिया को जकड़ ना रखा हो तो कुतिया तो आगे की तरफ ही फिसल जाए”।
फिर मानसी हंसते हुए बोली, “या शायद कुत्ते ने कुतिया को इसलिए भी जकड़ रखा होता होगा कि कुतिया कहीं चुदाई अधूरी छोड़ कर भाग ही ना जाए”।
“मेरे क्लिनिक का माहौल कुत्ते कुतिया की चुदाई से बड़ा हल्का हुआ पड़ा था। मैं जो से हंसी और बोली, “तुम्हारी दोनों ही बातें सही हैं मानसी। कुतिया कुत्ते के जोरदार धक्कों से आगे की तरफ फिसल ना जाए या फिर बीच चुदाई भाग ना जाये”।
“मर्द औरत की चुदाई में भी कुत्ते कुतिया की तरह चुदाई का मतलब होता हैं कि ‘मैं तुझे ऐसे पकड़ कर चोदूंगा, कि तू ना तो फिसल कर आगे जा पाएगी और ना ही चुदाई बीच में छोड़ कर भाग पाएगी”।
मानसी हंसते हुए बोली, “और आंटी वो जो रंडी-रंडी बोलते हैं, वो? रंडी तो वेश्या होती है, कोठे वाली, पैसे लेकर चुदाई करवाने वाली। फिर बीवी को रंडी की तरह क्यों बोलते हैं”?
“मैंने मानसी की इस बात पर कहा, “मानसी सीधी सी बात है, पति के मन में पत्नी या प्रेमिका के लिए प्यार और अपनापन होता है। मगर ये प्यार और अपनापन किसी दूसरी पराई औरत के लिए नहीं होता और एक वेश्या या रंडी, जिसको मर्द पैसे देकर चोदता है, उसके लिए तो बिल्कुल भी नहीं होता”।
“जब मर्द पत्नी बीवी या प्रेमिका की चुदाई करता है तो उसके मन में ये ध्यान रहता है की बीवी को मजा आना चाहिए, उसे चुदाई में कोइ तकलीफ नहीं होनी चाहिए। मगर एक रंडी को चोदते हुए मर्द केवल अपने मजे की सोचता है चाहे रंडी को इससे तकलीफ हो क्यों ना रही हो”।
“अब मैं सीधी भाषा में कहूं तो बीवी को चोदते हुए हो सकता है मर्द जोर-जोर से लंड चूत या गांड में अंदर-बाहर करते हुए रगड़े वाली चुदाई ना करता हो जैसी वो रगड़ाई वाली चुदाई वो मर्द जब पैसे खर्च करके एक रंडी की करता होगा। बस यही रगड़ाई वाली चुदाई के लिए बीवी मर्द को बोलती है रंडी की तरह चोद। इसका ये मतलब हरगिज नहीं होता की बीवी रंडी ही बन जाती है”।
“मेरी बात सुन कर मानसी बोली, “आंटी आप तो बहुत कुछ जानती हैं”।