गोगी ने दया को सज़ा देके मज़ा लिया

हेलो दोस्तो, उमिद है आपको मेरी “तारक मेहता का ऊलतः चश्मः” चुदाई कहानी का पिच्छला पार्ट पसंद आया होगा. अब आयेज..

अब गोगी की बात मान कर दया ने दरवाज़ा बंद कर दिया था. दया को ये नही पता था, की आयेज उसके साथ क्या होने वाला था.

फिर दया ने गोगी को दोबारा से फोन किया. गोगी ने फोन पिक किया, और दया को बोला-

गोगी: चल जल्दी से मुझे वीडियो कॉल कर.

फिर दया ने जल्दी से गोगी को वीडियो कॉल की. वीडियो कॉल करके दया ने अपने आप को गोगी को दिखा दिया. फिर गोगी दया को बोला-

गोगी: चल अब अपने कपड़े उतार, और नंगी हो जेया.

दया गोगी की बात पर कुछ नही बोली, और जल्दी से उसने अपने कपड़ो को खोलना शुरू कर दिया. कपड़ो को खोलते हुए उसने सबसे पहले अपनी सारी को खोल कर उतार दिया. फिर उसने अपने ब्लाउस और ब्रा को खोला. उसके बाद उसने अपने पेटिकोट और पनटी को भी खोल कर उतार दिया.

जब गोगी ने दया को बिना कपड़ो के देखा, तो दया क्या कमाल लग रही थी. दया को देखते ही गोगी का लंड खड़ा हो गया. लेकिन प्राब्लम ये थी, की गोगी दया से डोर था. उसको दया पर गुस्सा भी आ रहा था, क्यूकी उसने आज दया को कुटिया बना कर मज़ा लेने का सोचा था.

अब दया नंगी हो चुकी थी. फिर गोगी ने दया को कहा-

गोगी: चल अब एक चुटकी उठा वाहा से, और उसको अपने निपल्स पे लगा कर खींचने लग.

दया को गोगी की बात सुन कर दर्र लग रहा था. लेकिन जो गोगी बोल रहा था, वो तो दया को करना ही था. फिर दया ने जल्दी से चुटकी ली, और अपने रिघ्त वाले बूब के निपल पर उसको लगा लिया. उसके बाद दया ने धीरे से अपने निपल को खींचा.

दया ने जान-बूझ कर ज़्यादा आवाज़ की, ताकि गोगी की लगे की उसको बहुत दर्द हो रहा था. लेकिन गोगी को ये पता चल गया, और उसको दया पर और गुस्सा आने लगा. फिर गोगी ने दया से कहा-

गोगी: चल अब जल्दी से घोड़ी बन जेया.

और दया घोड़ी बन गयी. फिर गोगी ने उसको कहा-

गोगी: चल अब अपनी टाँगो को पीछे कर, और पुश-उपस लगा.

ये सुन कर दया की जान निकल गयी. क्यूकी उसके लिए ये करना आसान नही था. लेकिन फिर भी दया ने गोगी के बोलने पर ये करना शुरू कर दिया. गोगी ये देख कर बहुत खुश हो रहा था. पहले तो दया ने जल्दी-जल्दी से पुश-उपस लगा दिए, लेकिन बाद में उसकी हालत खराब हो गयी. उसने पूरी ताक़त लगा दी थी, पुश-उपस लगाने में, और अब वो तक चुकी थी.

अब दया बड़ी मुश्किल से ये सब कर रही थी. लेकिन गोगी को मज़ा आ रहा था. उसको तो बस दया की ऐसी ही हालत करनी थी. फिर गोगी बोला-

गोगी: चल अब खड़ी हो जेया.

दया की हालत खराब हुई पड़ी थी. क्यूकी उसको काफ़ी दर्द हो रहा था. फिर गोगी ने दया से पूछा-

गोगी: अछा वैसे पहले तू क्या कर रही थी?

दया ने जवाब दिया: खाना बना रही थी.

गोगी: अछा तेरे घर में वो डंडा पड़ा है ना दया?

दया जल्दी से बोली: नही जी, कोई डंडा नही है यहा.

दया ने ऐसा इसलिए कहा, क्यूकी वो जानती थी, की गोगी उसको डंडा लेने को बोलेगा. और वो ये नही करना चाहती थी. तभी गोगी ने दया को बोला-

गोली: साली मादरचोड़! तेरी मा की छूट, चल जाके डंडा लेके आ.

अब दया को जाना ही पड़ा, क्यूकी उसके पास कोई चाय्स नही थी. फिर दया ने जब अपना कॅमरा तुर्न किया, तो गोगी को एक मोटा और काफ़ी बड़ा डंडा दिखाई दिया. वो डंडा देखते ही गोगी को पसंद आ गया. ये वो डंडा था, जो मसाला पीसने के लिए उसे किया जाता है.

क्यूकी वो डंडा खराब हो गया था, इसलिए वो ऐसे ही साइड में पड़ा हुआ था. फिर गोगी ने दया को कहा-

गोगी: चल वो डंडा उठा कर लेके आ.

ये सुन कर दया की जान निकल गयी, क्यूकी वो डंडा ख़तरनाक टाइप का था. वो डंडा काफ़ी बड़ा था, और उसके लेके दया की जान निकालने वाली थी. दया ने गोगी के आयेज हाथ जोड़ कर कहा-

दया: गोगी प्लीज़, मैं ये डंडा नही ले सकती. ये बहुत बड़ा है.

लेकिन गोगी बोला: अर्रे कुछ नही होता.

फिर दया उस डंडे को लेके किचन में आ गयी. तभी गोगी ने उसको बोला-

गोगी: नही किचन में नही. तुझे बाहर जाके इसको अपनी गांद में लेना है.

ये सुन कर दया की और गांद फटने लगी. उसने गोगी से कहा-

दया: ये नही हो सकता मेरे से.

गोगी: करना तो पड़ेगा ही.

अब दया कुछ कर तो सकती नही थी. फिर वो गोगी के बोलने पर जल्दी से बाहर चली गयी. बाहर जाके जब उसने देखा, तो बाहर कोई नही था. ये देख कर दया में थोड़ी सी हिम्मत आ गयी. बाहर आने के बाद वो घोड़ी बन गयी, और फिर जल्दी से उसने अपने मोबाइल को सामने रख दिया. फिर उसने डंडा अपनी गांद में डाल लिया.

जल्दी-जल्दी से डंडा गाने में डालने से दया की जान निकल गयी. डंडे ने दया की गांद फाड़ दी थी, और अब वो कुछ भी नही कर सकती थी. उसको ये सब तो सहना ही पड़ना था.

अब दया की आँखों में आँसू थे. तभी दया को किसी ने आने की आवाज़ आई. वो आवाज़ सुन कर दया जल्दी से अंदर की तरफ आ गयी. उसको याद ही नही था, की उसने दरवाज़ा खुला छोढ़ दिया था. उधर कारण अभी अपने घर पर था.

अब हम चलते है जेथलाल की दुकान की तरफ. यहा पर दया की गांद में डंडा था, और वाहा पर जेथलाल कारण की मा की गांद में अपना डंडा डालने के लिए तैयार कर रहा था.

सुखी दुकान पर कान कर रही थी. तभी जेथलाल को कुछ काम याद आया. जेथलाल एक स्चेक अपने घर पर ही भूल कर आया था. और उसकी दुकान पर एक पार्टी ने पेमेंट लेने भी आना था, जिसको आने में अब कुछ ही टाइम बाकी रह गया था. जेथलाल अब टेन्षन में था.

तभी सुखी ने जहालाल को टेन्षन में देखा, और उससे पूछा-

सुखी: क्या हो गया साहब, कुछ टेन्षन है क्या?

इस्पे जेथलाल ने कहा: जानू एक स्चेक है, जिसको घर से लेके आना है. और मैं घर जेया नही सकता. अगर मैं गया, तो तुझे यहा रहना पड़ेगा. क्यूकी ना तो बाघा यहा पर है, और ना ही नटू काका.

तभी सुखी के दिमाग़ में एक आइडिया आया.

तो क्या आइडिया आया है सुखी के दिमाग़ में. वो आपको नेक्स्ट पार्ट में पता चलने वाला है.

दोस्तो, सॉरी इतनी देर हो गयी स्टोरी लाने में. मेरे एग्ज़ॅम्स चल रहे है, और अभी भी ख़तम नही हुए. अगर आप मुझे मैल करके अपने आइडियास दे, तो मैं ज़्यादा कहानिया लिख सकूँगा. सो प्लीज़ मुझे अपने आइडियास दीजिए फ्रेंड्स.