गर्मी की पहली गरम गॅंड चुदाई

हेलो दोस्तो मैं वरुण वेर्मा आज आप सब के लिए अपनी लाइफ के एक खूबसुअर्ट सेक्स की कहानी ले कर आया हूँ. ये बात पिछले साल की गर्मियो की है, जब मैने पहेली बार अपनी गंद मे लंड लिया था.

मैने एक गन्दू हूँ, ऐसा न्ही है. की मुझे छूट मारना पसंद न्ही है. मुझे लड़किया पसंद आती है, पर मुझे छूट मरने से ज़्यादा मज़ा गंद मरवाने मे आता है. पता न्ही कब से मेरा ढयन लड़को की तरफ जाने लग गया था.

मैं हरयाणा से हूँ, और आपको हरयाणा के जात लोगो का तो पता ही होगा. वो कितने सनडर और मजबूत शरीर वेल होते है, बस मुझे ऐसे ही मर्द ज़्यादातर पसंद आते है. क्योकि उसके जिस्म और उनके लंड को चूस चूस कर पानी निकाला मुझे बहोट ही मजेदार लगता है.

पर जब कोई मेरे साथ ज़बरदस्ती करता है, या मुझे कोई गली देता है. तो मेरा दिल टूट जाता है, और मुझे उस बंदे से नफ़रत हो जाती है. पर हरयाणा मे काफ़ी कुछ ऐसे लोग है. जो मुझसे बड़े प्यार से बात करते है, और फिर मैं भी उन्हे पूरा खुश कर देता हूँ.

मैं पूरी तरह से गन्दू कॉलेज मे आ कर ही बना, जब मैने पहली बार अपने कॉलेज के एक पेवं का लंड चूसा था. तब से पूरे कॉलेज के पेवं और सेरकुृिटी गुआर्द का लंड चूस चुका हूँ. उन्होने मेरी गंद मरने की बहोट कोशिश करी, पर मैं अभी गंद मरने के लिए त्यआर न्ही था.

मेरा सपना था, की मेरी गंद को मजबूत शेरीर वाला हर्यवाणी जात ही मारे. पर एक शहेर के बहें छोड़ लड़के ने ज़बरदस्ती और धोके से मेरी गंद मारी ली. आज मैं आपको वो ही कहानी बताने जा रा हूँ.

हुआ ऐसे की मैं एक दिन कॉलेज से घर वापिस आ रा था. मेरा घर गाओं मे था, और मेरा कॉलेज मे रोहतक मे है. इसलिए मुझे डेली बस से उप डाउन करना पड़ता है. उन दीनो पूरी गर्मिया शुरू हो चुकी थी, बस मे भी काफ़ी भीड़ होने लग गयइ थी.

एक दिन मैं कॉलेज से एक घंटा पहले निकल लिया, क्योकि व्हन कोई लेक्चर न्ही लगने वाला था. इसलिए मैं टाइम से पहले घर की तरफ निकल लिया, मैने व्हन से बस पकड़ी और बस मे चाड गया. बस मे काफ़ी भीड़ थी, लोग बस मे दस दस कर भरे हुए थे.

मैं धीरे धीरे आयेज बस मे बीच मे आ गया, और एक सीट के किनारे खड़ा हो कर. उसकी तरफ अपनी गंद लगा कर खड़ा हो गया. आपको पता ही है, बस मे सीट के किनारे खड़ा होना भी काफ़ी आराम वाला सफ़र माना जाता है.

गरमी के कारण बस मे भी गर्मी थी, पर जेसे जेसे बस आयेज 2 बस स्टॅंड पर रुकी तो उसमे और लोग चाड गये. अब तो ये हाल हो चुका था, की बस मे सांस लेना भी मुश्किल हो रा था.

गरमी के कारण बस मे सब पसीने से नहा र्हे थे. पूरी बस मे पसीने की बदबू फैली हुई थी. मुझे लग रा था, की मैं खाना नरक मे फ़ासस चुका हूँ. पर हुमारे गारीन बाहर्ट का ये भी एक रूप है. फिर बस एक और बस स्टॉप पर रुकी. मुझे इस बार बहोट गुस्सा आया, क्योकि एक तो पहले से ही लोग कुत्टो की तरह बस मे भरे हुए थे.

और ये बस ड्राइवर बहें छोड़ और बँधे चाड़ने मे लगा हुआ था. पर व्हन से सिर्फ़ एक लड़का बस मे चड़ा. वो लड़का एक पतला सा था, और वो बस मे चड़ते ही धीरे धीरे मेरे पास आने लग गया. और कुछ ही देर मे मेरे पास आ कर वो मेरे पीछे खड़ा हो गया.

देखने मे वो करीब 20 साल का लग रा था, उसका रंग सांवला था. और उसका शरीर भी ठीक ही था. उसने एक बेड अपने कंधो पर टंगा हुआ था, उसने एक त शर्ट और एक लोवर डाली हुई थी. सिर और चेहरे पर उसने एक विट कलर का कपड़ा बंदा हुआ था.

उस कपड़े को हरयाणा मे पर्णा कहते है. अगर आपने हरयाणा के लोगो को देखा होगा. तो उन्होने धूप और गरमी से बचने के लिए ये कपड़ा ज़रूर अपने सिर पर र्खा होता है. इसलिए मुझे उसका चेहरा कुछ ठीक से दिख न्ही रा था.

वो पूरा पस्सने से भीगा हुआ था, और उपेर से वो इस गरमी से भारी हुई बस मे आ गया था. इस बस मे आते ही उसका गरमी से और ज़्यादा बुरा हाल हो गया था. हम दोनो भीड़ के कारण एक दूसरे से चिपके हुए थे.

जिस वजह से मुझे उसके पसेनए से भीगी त शर्ट की बदबू आ र्ही थी. मेरा बाग उसकी लोवर के पास लटका हुआ था. व्हन मैने अपना एक हाथ र्खा हुआ था. मेरे हाथ की उंगलिया उसके लंड पर पर कभी कभी छू र्ही थी.

मुझे ये सब पागल कर रा था, अब मैं भी गरम हो रा था. मेरे अंदर काम वासना आ र्ही थी. फिर तभी बस ने अचानक से ब्रेक मारी और मेरा हाथ अब उसके पूरे लंड पर चला गया. मैने झट से पीछे मूड कर देखा तो उसने मुझे एक सेक्सी सी स्माइल कर दी.

जिसे देख कर मैं साँझ गया, की उसे भी इस सब मे मज़ा आ रा था. अब जान भुज कर बार बार अपनी उंगलिया उसके लंड पर लगा रा था. पर तभी उसने मेरा बेग पकड़ कर आयेज कर दिया. जिससे किसी को ना दिखे की मैं बार बार उसका लंड पकड़ रा था.

अब की बार जेसे ही मैने अपना हाथ उसके लंड पर र्खने की कोशिश करी. तभी उसने मेरा हाथ पकड़ा और अपनी लोवर के अंदर दल लिया. अब मेरे हाथ मे उनका नंगा गरम लंड आ गया. मैं एक दम से शॉक हो गया, उसका लंड लोहे की रोड जेसे गरम और मोटा था.

दोस्तो इससे आयेज क्या हुआ, और केसे हुआ. किसी को बस मे ये सब पता चला के न्ही. ये मैं आपको अपनी इस कहानी के अगले भाग मे ज़रूर बटुंगा. आप सभी प्यारे दोस्तो को मेरी ये कहानी यहाँ तक अची लगी या न्ही, प्लीज़ मुझे ज़रूर ब्ताना.

मुझे आपके प्यार भरे कॉमेंट और मैल का बेसब्री से इंतेज़ार रहेगा.