गांडुओं की मंडली में गांड चोदने की एक मस्त कहानी

युग के गांड चुदाई वाले दोस्तों के ग्रुप के कारण हमारा बाराबंकी जाना कम हो चुका था। युग का तो अक्सर शाम को उन लौंडेबाजों के कमरे में जाने का प्रोग्राम बन जाता था। युग के बहुत कहने पर भी अब तक मैं युग के साथ वहां नहीं गया था। फिर एक दिन मेरा भी युग के साथ चलने का प्रोग्राम ही बन गया।

वैसे तो लम्बी छुट्टियों में हम लोग बाराबंकी चले जाते थे, मगर एक उस बार की होली कि छुट्टियों के दिन हम बाराबंकी नहीं गए। युग का उन लड़कों के साथ बियर पीने और गांड चुदाई की मौज मस्ती का प्रोग्राम था। युग ने मुझे भी साथ चलने को कहा। मैं युग के साथ दोनों दोस्तों की गांड चुदाई के बारे में जानता ही था। हममें आपस में कुछ छुपा तो था नहीं।

जाने में तो मुझे कोइ एतराज नहीं था, मगर फिर भी मैंने युग से साफ़ कहा, “देख युग, तू अपने इन दोस्तों के साथ जो करता है वो तेरा मामला है, मुझे उससे कुछ लेना-देना नहीं। मगर तू मुझे इस गांड चुदाई वाले खेल में मत घसीट। मेरी दूसरे लड़कों की गांड चोदने में कोइ दिलचस्पी नहीं। मेरे लिए तेरी गांड चुदाई ही काफी है।”

युग बोला, “राज यार तू चल तो सही। मेरी गांड तो तू चोदता ही है, किसी और की भी चोद के देख ले एक बार। सच पूछ तो राज मेरा तो गांड चोदने का मन होता नहीं। मुझे तो गांड चुदवाने में ही मजा आता है। तू भी वहां ग्रुप में जा कर एक बार गांड चुदवा के तो देख। मजा आया तो ठीक, नहीं तो आगे से मत चुदवाना। कोइ जबरदस्ती तो है नहीं। एक बार चुदवाने तू कोइ बॉटम वाला गांडू तो हो नहीं जाएगा।

और फिर युग बोला, “और अगर नहीं भी चुदवानी होगी तो मत चुदवाना। फिर युग बोला, “वहां एक लड़का आता है हेमंत, पतला-पतला, गोरा-चिट्टा, बिल्कुल लड़कियों जैसा नमकीन। उसकी गांड पर क्या शरीर पर भी एक बाल नहीं है। उसकी गांड चोद लेना। लड़कियों की तरह चूतड़ हिला-हिला कर बड़ी मस्त गांड चुदवाता है।”

“दूसरी बात हेमंत वर्सेटाइल है, चोदता भी मस्त है। मन करे तो उससे एक बार चुदवा कर देख लेना। तेरे लंड जैसा ही लम्बा मोटा लंड है उसका भी। सच पूछो तो मुझे तो उस हेमंत से गांड चुदवाने का बड़ा मजा आता है।”

हेमंत की चिकनी गांड के बारे में सुन-सुन कर मेरे लंड में हरकत होने लग। मैंने सोचा, चलो इस लड़कियों जैसे गांडू हेमंत के भी गांड देख लेते हैं। सच में ही ऐसी चिकनी हुई जैसी ये युग बता रहा है, तो चोद लूंगा एक बार। और फिर मैं युग के साथ चलने को तैयार हो गया।

— गांडुओं के ग्रुप में हेमंत कि चिकनी मुलायम गांड।

हम दोनों आकाश और अमन के तीन कमरों वाले घर में पहुंच गए। आकाश और अमन तो हमारे ही कालेज के ही थे, और मैं उनको जानता ही था। दूसरे दो लड़कों का परिचय मुझसे युग ने करवाया। इसका मतलब युग उनको पहले से ही जानता था।

उनके दूसरे लड़कों के नाम थे, अनिल और हेमंत। हेमंत के पापा का लखनऊ के हजरतगंज मार्किट में मोबाइल फोन का बड़ा शोरूम था। अनिल के पापा सेल्स टैक्स डिपार्टमेंट में इन्स्पेक्टर थे। दोनों लखनऊ में ही पढ़ते थे, मगर किसी दूसरे कालेज में। दोनों को हमारी ही तरह रूपए पैसे की कोइ कमी नहीं थी।

हेमंत देखने में बहुत ही इकहरे शरीर वाला पतला लड़का था। जैसा युग ने बताया था, लम्बे बालों वाला हेमंत गोरा, सुन्दर और लड़कियों जैसा चिकना, क्लीन शेव था। मैंने मन ही मन सोचा अगर आज इसकी चिकनी मुलायम गांड चोदने को मिल जाए, तो मजा आ जाएगा। ये सोचते ही मेरा लंड सख्त होने लगा।

होली का तो बहाना ही था, आकाश और अमन ने फ्रिज में बियर की बोतलें लगा रखी थी। असल कहानी तो गांड चुदाई की थी। सब लोग चद्दर बिछा कर फर्श पर ही बैठ गए और बियर की बोतलें खोल ली। बियर का पहला दौर तो दस मिनट भी नहीं चला, और बोतलें खाली हो गयी।

एक-एक बोतल खत्म करने के बाद जब सबने अपनी-अपनी दूसरी बोतल खोली, तो सबको हल्का सुरूर आ चुका था। हेमंत ने युग से पूछा, “भाई युग ये बता, ये भाई साहब पहली बार हमारे बीच आए हैं, ये क्या हैं करते हैं? ये टॉप हैं, बॉटम हैं या वर्सेटाइल हैं।”

युग ने हंस कर कहा, “ये राज है, मेरे बचपन का दोस्त, मेरा कालेज का रूम मेट। ये यही जानने के लिए ये तो आज यहां आया है कि ये क्या है। मैं तो बॉटम हूं, मेरे साथ तो ये टॉप ही है। अब सब के साथ बैठेगा तो पता चलेगा कि करता ही है या करवाता भी है, क्या है खाली टॉप ही है या वर्सेटाइल भी है।”

“करता ही है या करवाता भी है” ,युग की इस बात पर सब हंस पड़े। दूसरी बियर खत्म होने पर हेमंत ने मुझे कहा, “आओ राज दूसरे कमरे में चलते हैं।” मैंने युग की तरफ देखा।

युग बोला, “जा यार राज, ये हेमंत वर्सटाइल है, लंड डालता भी है डलवाता भी है I पुराना खिलाड़ी है। तेरे दोनों काम करेगा और तुझे पता भी चल जाएगा कि तू क्या है। खाली टॉप ही है, या फिर वर्सेटाइल भी है। मैं भी उठा और हेमंत के साथ दूसरे कमरे में चला गया।

कमरे में जाते ही हेमंत ने कपड़े उतार दिए और मुझे कपड़े ना उतारते देख हंसते हुए बोला, “क्या बात है राज, तू तो बड़ा शर्माता है। पहली बार आया है क्या यहां?” ये कह कर हेमंत ने अपना लंड हाथ में लिया और हिलाने लगा।

हेमंत के पूरे शरीर पर कहीं कोइ बाल नहीं था। एक-दम चिकना गोरा बदन। युग के शरीर पर तो काफी बाल थे – छाती पर भी और गांड पर भी। मेरा मन तो हेमंत की गांड चोदने का होने लगा।

हिलाते-हिलाते जल्दी ही हेमंत का लंड खड़ा होने लग गया। कोइ छह इंच लम्बा लंड औसत मोटाई का था मेरे लंड के बराबर। हेमंत फिर बोला, “उतार यार राज कपड़े, बोल क्या करना है।”

हेमंत का लड़कियों जैसा शरीर देख कर मेरे लंड में भी हरकत शुरू हो चुकी थी, मगर मेरी हिचकिचाहट नहीं जा रही थी। उधर लग रहा था हेमंत युग की तरह पैदाइशी गांडू था। मुझे हिचकिचाता देख उसने मेरी पेंट के बटन खोले और पेंट और अंडरवेअर नीचे करके मेरा लंड अपने मुंह में ले लिया।

मेरे लिए ये बिल्कुल नई बात थी। युग ने कभी मेरा लंड मुंह में नहीं लिया था।

हेमंत मेरा लंड चूसते-चूसते हुंह हुंह की आवाजें निकाल रहा था,जैसे लंड चुसाई का बड़ा मजा आ रहा हो। हेमंत को इस तरह मेरा लंड चूसते देख अब मेरी हिचकिचाहट दूर हो रही थी। मैंने अपनी कमीज और बनियान उतार दी। मैंने हेमंत को पकड़ कर खड़ा किया और उसे पीछे से पकड़ कर उसके होंठ चूसने लगा।

हमारे खड़े लंड एक दूसरे के लंड के साथ रगड़ खा रहे थे। हेमंत का एक हाथ मेरे चूतड़ों पर था और मैं हेमंत के चूतड़ों के अंदर हाथ डाल कर गांड का छेद ढूंढने की कोशिश कर रहा था। एक-दम चिकने और नरम चूतड़ थे हेमंत के।

मुझे अपने लंड के आस-पास कुछ गीला गीला सा लग रहा था। हेमंत के लंड में से हल्का-हल्का कुछ निकल रहा था। जब युग की गांड चोदने से पहले जब मेरा लंड खड़ा होता था तो मेरे लंड में से भी ऐसा ही कुछ चिकना-चिकना पानी सा निकलता था।

फिर हेमंत बोला, “राज थोड़ा चूस यार मेरा लंड, मजा आएगा।”

हेमंत की गांड चुदाई के ख्याल से मैं मस्त हो चुका था। मैं घुटनों के बल बैठ गया और हेमंत का लंड हाथ में ले लिया। हेमंत का लंड भी उसके शरीर की तरह एक-दम गुलाबीपन लिए हुए सफ़ेद था।

मैंने हेमंत के लंड के टोपे से चमड़ी पीछे की और गुलाबी टोपा मुंह में ले लिया और लंड चूसने लगा। हेमंत की चिकनी, गोरी, मुलायम गांड चोदने के ख्याल से मस्ती कुछ ज्यादा ही आ रही थी।

सच बोलूं मैंने अब तक किसी का लंड नहीं चूसा था। हेमंत का लंड चूसने का अजीब सा मजा आ रहा था। हेमंत का लंड मेरे मुंह में था और ख्यालों में मेरा लंड हेमंत की गांड में। मैंने लंड चूसते-चूसते अपना एक हाथ पीछे किया और उंगली हेमंत के गांड में डाल दी। हेमंत के मुंह से बस इतना ही निकला, “आआआह राज।”

थोड़ी चुसाई के बाद हेमंत का लंड सख्त हो गया। हेमंत बोला, “बस कर राज, चल आ जो भी करना है करें नहीं तो ऐसे ही निकल जाएगा तेरे मुंह में। बता क्या करना है? तूने डालना है, या मैं डालूं?

मैंने कह दिया, “मैं ही डालूंगा। डलवाने का मन नहीं है मेरा।” हेमंत ने भी मुझे दुबारा लंड डलवाने के लिए नहीं कहा और बोला, “ठीक है तो आजा फिर तू ही डाल।”

ये कह कर हेमंत बेड के किनारे पर सीधा लेट गया और चूतड़ों के नीचे तकिया लगा कर गांड का छेद ऊपर कर लिया I मैंने हेमंत के चूतड़ चौड़े कर दिए। गोरी रंगत वाले हेमंत की गांड का छेद बिल्कुल गुलाबी था। छेद देख कर मेरा मन छेद चाटने का होने लगा।

मैं सोच रहा था हेमंत की चिकनी मुलायम गांड देख कर मुझे क्या हो गया है। मैंने कपड़े से हेमंत की गांड का छेद साफ़ किया और जुबान से चाटने लगा। मेरा लंड इतना सख्त हुआ पड़ा था कि दर्द ही करने लग गया।

उधर हेमंत भी चूतड़ हिला रहा था और बोल रहा था, “आआआह राज, यार आज तो मजा ही आ गया।”

मैं सोच रहा था ये गांडूपना भी क्या चीज है। मैं लड़का दूसरे लड़के कि गांड का छेद चाट रहा था। मगर फिर ध्यान आया, इसमें क्या बात है। मीयां बीवी भी तो एक-दूसरे की गांड का छेद चाटते ही हैं। गांड तो गांड ही होती है, चाहे लड़के की हो या लड़की की। बस इतना होता है लड़की के चूतड़ चिकने मुलायम होते हैं। मगर यहां तो हेमंत के चूतड़ भी चिकने और मुलायम ही थे, बिल्कुल लड़कियों जैसे। ये ख्याल आते ही मैंने हेमंत की गांड का छेद और जोर-जोर से चाटना शुरू कर दिया।

जल्दी ही हेमंत बोला, “बस राज, और मत कर यार, तेरे चूसने के मजे से मेरा लंड ही पानी ना छोड़ दे।”

उधर मेरा मन ही नहीं कर रहा था हेमंत की गांड चुसाई से हटने का। मगर हेमंत की बात सुन कर थोड़ी गांड और चुसाई के बाद मैं उठ गया। मैंने हेमंत की लाई हुई बोरोप्लस क्रीम हेमंत की गांड के छेद के ऊपर और उंगली से अंदर लगाई और लंड का सुपाड़ा छेद पर रख कर हल्का सा दबाया।

हेमंत की गांड का छेद भी युग की गांड के छेद की तरह हल्का खुला ही था। थोड़ी सी कोशिशों के बाद ही लंड पूरा हेमंत की गांड के अंदर तक चला गया। जैसे ही लंड अंदर तक पूरा बैठा तो हेमंत बोला, “आअह मजा आ गया राज।”

गांड चुदाई चालू हो गयी। बीस मिनट तक चली इस रगड़ा-पच्ची ने मजा ही ला दिया। हेमंत पेशेवर गांडू की तरह चूतड़ घुमा हिला कर गांड चुदवा रहा था। तभी हेमंत ने मेरा एक हाथ पकड़ा और अपने लंड पर रख दिया।

हेमंत का लंड भी पूरा खड़ा था। हेमंत मुझे उसके लंड की मुट्ठ मारने का इशारा कर रहा था। मुझे मजा आने वाला था। मैंने हेमंत का लंड पकड़ा और मुट्ठ मारनी शुरू कर दी। एक तरफ मैं हेमंत की गांड चोद रहा था, दूसरी तरफ हेमंत की मुठ मार रहा था। चार-पांच मिनट ही हुए होंगे कि मुझे मजा आ गया।

“आआआह हेमंत निकला मेरा” की आवाज के साथ मेरा लंड हेमंत की गांड में पानी छोड़ गया। उधर हेमंत ने भी एक सिसकारी ली, “आआह राज निकला मेरा भी।” इसके साथ ही हेमंत के लंड ने ढेर सारा पानी छोड़ा जो सारा मेरे हाथ से होता हुआ हेमंत के लंड के चारों तरफ फ़ैल गया।

मेरी और हेमंत की पहली गांड चुदाई मस्त हुई। सच में ही हेमंत की गांड चुदाई का सही मजा आया था। बड़ी बात तो ये थी की हेमंत की गांड चुदाई करते हुए मुझे हेमंत एक लड़का नहीं लड़की की तरह दिखाई दे रहा था। लग रहा था जैसे मैं हेमंत की गांड नहीं किसी खूबसूरत गोरी चिट्टी लड़की की टाइट चूत चोद रहा था।

इसके बाद तो मैं भी युग के साथ उन लड़कों अमन और आकाश के कमरों में जाने लगा। मगर सब को मालूम था कि मैं वहा हेमंत की गांड ही चोदने आता था। इसलिए किसी और ने मुझे अपनी गांड चोदने के लिए नहीं बोला।

युग के साथ भी मेरी गांड चुदाई अमन और आकाश के घर नहीं होती थी। वहां जाते ही मैं और हेमंत एक कमरे में बंद हो जाते। जब मैं उन लोगों के साथ होता था तो हेमंत भी मेरे अलावा किसी और से गांड नहीं चुदवाता था।

— पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रेलिया जाने का हेमंत का धांसू आइडिया

एक दिन हम आकाश और अमन के घर गांड चुदाई की मौज मस्ती करने गए हुए थे। मैं हेमंत की गांड चोद कर और हेमंत के लंड की मुट्ठ मार कर हटा था। हम दोनों, हेमंत और मैं, साथ-साथ ही लेटे हुए थे और एक दुसरे के लंडों के साथ खिलवाड़ कर रहे थे।

तभी अचानक से हेमंत बोला, “राज मेरी बात सुन, जरा ध्यान से। मैंने अपने पापा से बात की है, मैं आगे की पढ़ाई के लिए ऑस्ट्रलिया जाने की सोच रहा हूं।”

मैंने सोचा गांड चुदाई करवाते-करवाते इसे यकायक ऑस्ट्रेलिया का ध्यान बीच में कहां से आ गया? आखिर तो हेमंत भी हमारी तरह ही पढ़ाई में फिसड्डी था।उसे भी पता था उसने भी अपने बाप का चला चलाया मोबाइल काम संभालना था।

फिर भी मैंने पूछा, “ऑस्ट्रेलिया? साले यहां की पढ़ाई तेरे से होती नहीं, तू ऑस्ट्रेलिया जा कर कौन सी पढ़ाई करेगा। इंग्लिश तेरे से बोली नहीं जाती।”

वो बार अलग थी कि मैं और युग भी बोलते वक़्त में इंग्लिश के टांग तोड़ देते थे। इंग्लिश का एक वाक्य ढंग से बोलने में ही सुबह दोपहर और दोपहर से शाम से शाम हो जाती थी।

मगर हेमंत ने जो मुझे बताया, उससे तो मेरे दिमाग में भी ऑस्ट्रेलिया जाने का कीड़ा कुलबुलाने लगा।