एक मा अलग-अलग मर्दो से चुदी

मैं करिश्मा.

मेरे पति ने मुझे अपने बेटे के साथ छुड़वाने की खुली छूट दे दी. अगली रात बाप-बेटे के सामने मैने मुखेर्जी का लोड्‍ा चूसा, और उसका रस्स भी पिया. उसके बाद पति मुझे छोड़ने लगे, तो मैने एक हाथ में बेटे का कड़क लोड्‍ा लिया, और दूसरे हाथ में मुखेर्जी के ढीले लोड को सहलाने लगी.

पति का लोड्‍ा मेरी बर के अंदर बाहर हो रहा था, और दूसरे दोनो मेरी चूचियों को दबाते हुए बीच-बीच में चूस भी लेते थे.

मुखेर्जी: बेटा विनोद, तुम बहुत ही किस्मत वाले हो, जो तुम्हारी मा इतनी मस्त माल है. मेरी मा भी बहुत सुंदर थी. लेकिन जब मेरा लोड्‍ा छोड़ने लायक हुआ, तब वो मॅर गयी. मैने उसको काई बार घर के ड्राइवर और माली से चुड़वते देखा था.

मुखेर्जी: मैं बड़ा हुआ तो मैं भी चुदाई करने लगा. सभी कहते है की मेरा लोड्‍ा बढ़िया है, मैं बढ़िया छोड़ता भी हू. फिर भी मेरी घरवाली दूसरो से चुड़वति थी. तब मेरे दिमाग़ में ख़याल आया, और मैं मीता को अपने बॉस से छुड़वा कर प्रमोशन लेने लगा.

मुखेर्जी मेरी चूचियों को मसालते हुए अपनी कहानी सुनता रहा.

मुखेर्जी: मैने मीता से बहुत खुशमाद किया, लेकिन उसने कभी मेरे सामने किसी से नही चुडवाया. वो क्या करती थी मुझे नही मालूम, लेकिन मेरे बॉस कहते थे की जितना मज़ा मीता को छोड़ने में आता था, वैसा मज़ा उन्हे कभी किसी और के साथ नही आया.

मुखेर्जी: मेरा एक बॉस सिन्हा उसको अपने साथ बाहर भी ले जाता था. और फाइनली मैं जनरल मॅनेजर बन गया. उसके बाद से मैं भी अपने जूनियर्स की वाइफ और बहनो को छोड़ने लगा. लेकिन जो मज़ा, जो खुशी मुझे आज यहा करिश्मा के साथ आ रहा है, वैसी मस्ती मुझे पहले कभी नही आई.

मैं दोनो बाप बेटे के सामने बुड्ढे से छूट चटवाना चाहती थी.

मैं: विजय, तुमने बहुत छोड़ लिया. अब बॉस को छूट का मज़ा लेने दो.

टीन चार धक्के मार कर विजय ने लोड्‍ा बाहर खींच लिया.

मैं: बॉस देख क्या रहे हो?

लोड को मेरी छूट से रागडो, अंदर घुसने की कोशिश करो.

मुखेर्जी का लोड्‍ा ढीला ही था. फिर भी वो मेरे उपर आ गया. मैने हाथ आयेज बढ़ाया, और उसका ढीला लोड्‍ा पकड़ कर अपनी छूट में दबाने लगी.

लेकिन लोड्‍ा ढीला था, अंदर जाता कैसे. मैं लोड को पकड़ कर खूब तेज़ी से अपनी छूट पर रगड़ती रही. बुद्धा लगातार मेरी चूचियों को मसालते हुए चूस्टा भी रहा. लोड्‍ा छूट के अंदर तो नही घुसा, 10-12 मिनिट रगड़ने के बाद उसका लोड्‍ा फिरसे झाड़ गया.

मुखेर्जी मेरे उपर पस्त हो गया. कुछ लंबी साँस लेने के बाद वो उठा, और अपने कपड़े पहनने लगा.

मुखेर्जी: झूठ नही कहता हू विजय, करिश्मा ने जो मज़ा मुझे दिया, वैसा मज़ा मुझे पहले किसी के साथ भी नही आया.

मैं: बॉस, मैं आपकी हू. आपको जब भी लोड्‍ा चुसवाना हो, मेरी छूट चाटनी हो, या मुझे छोड़ना हो, आप आ जाना. और भी ज़्यादा मज़ा दूँगी मैं आपको.

उसका ड्राइवर बाहर वेट ही कर रहा था. रात 12 बजे के पहले बुद्धा चला गया. उसके बाद अपने बाप के सामने विनोद ने पहले मुझे मिशनरी पोज़ में जाम कर छोड़ा. दूसरे रौंद में मैं पति का लोड्‍ा चूसने लगी, और बेटे ने मुझे कुटिया बना कर छोड़ा.

अगले दिन टीन बजे से कुछ मिनिट पहले हम दोनो मा-बेटे मॉडर्न सिनिमा के कॉंपाउंड में थे. लल्लन वाहा पहले से ही था. उसने सब के सामने मुझे गले लगाया, और मुझे लेकर मैं हॉल में नही, किनारे से सीडीयो से उपर ले गया.

ये हॉल की बाल्कनी थी. लेकिन वाहा एक भी चेर नही थी. मैने नज़र दौड़ाई, बाल्कनी में 6 कॉट्स थे. टीन कॉट पर एक औरत के साथ 2-2 आदमी थे. 2 कॉट पर एक औरत और एक मर्द थे. सभी 5 औरते करीब-करीब नंगी थी. हम खाली कॉट पर आए.

तभी हॉल में अंधेरा छा गया. उधर पिछले दिन जैसी ही अनाउन्स्मेंट हुई. उधर अनाउन्स्मेंट हो रही थी, और इधर दोनो ने मुझे नंगा किया और वो दोनो भी नंगे हो गये. मैने दोनो के लोड को पकड़ा, और ये देख कर बहुत खुश हुई की विनोद का लोड्‍ा भी लल्लन के लोड जैसा ही टाइट था.

सिनिमा चालू हुआ, लेकिन सिनिमा देखने कों आया था?मैं पहले लल्लन से छुड़वाना चाहती थी. लेकिन लल्लन कुछ और चाहता था.

लल्लन: रानी, तुमने लोड्‍ा बहुत बढ़िया चूसा था. थोड़ी देर लोड्‍ा चूस दो, फिर छोड़ूँगा.

लल्लन कॉट के किनारे अपनी दोनो लेग्स फैला कर बैठ गया. मैं कॉट के बीच में अपनी नी के सपोर्ट पर बैठी, और उसको चूमने लगी.

लल्लन भी मुझे प्यार करने लगा. उसको कोई जल्दी नही थी. बहुत आराम से मेरे बदन को सहलाते हुए, चूचियों को प्यार से दबाते हुए मुझे चूम रहा था.

लेकिन मेरे बेटे को बहुत जल्दी थी. वो मेरी छूतदो को सहलाते हुए गांद के च्छेद से लेकर क्लिट तक चूसने लगा, और चाटने लगा. पिछले 2 दीनो में बेटे ने मुझे 4 बार छोड़ा था. टीन बार उसने अपने बाप के सामने मुझे छोड़ा था.

पिछली रात अपने बाप के बॉस के सामने बेटे ने मेरी चूचियों को दबाया, और खूब चूसा. मैने भी दूसरे के सामने बेटे के लोड को सहलाया. लेकिन अब बेटा मुझे बाहर के आदमी के सामने छोड़ने वाला था.

लल्लन मुझे ऐसे प्यार कर रहा था, जैसे कोई बहुत प्यार करने वाला आदमी अपनी पत्नी को बेडरूम में प्यार करता है. लेकिन मेरा बेटा मुझे एक घटिया रंडी समझ दूसरे 14-15 आदमियो के सामने छोड़ने पर तुला था.

मैने लल्लन का सूपड़ा चूसना शुरू किया, और बेटे ने मेरे छूतदो को उपर की तरफ उठाया. मेरी कमर को पकड़ कर उसने ज़ोरदार धक्का मारा, और बेटे का लोड्‍ा मा की छूट में घुसता चला गया.

नीचे मैं लल्लन के लोड की लंबाई को अपने मूह के अंदर लेने लगी, और बेटा एक के बाद एक करके धक्का लगता रहा. मैं सिसकारी मारना चाहती थी, लेकिन लल्लन का लोड्‍ा इतना मोटा था की मेरे मौत से कोई आवाज़ निकल ही नही सकती थी.

मुझे तो लोड्‍ा चूसने के साथ बेटे से छुड़वाने का डबल मज़ा आ रहा था. लेकिन मुझे लल्लन के लंबे और मोटे लोड को छूट के अंदर रखना था. मैं देखना चाहती थी, की ये मूसल कितनी देर मेरी छूट के अंदर टाइट रह सकता था.

लेकिन विनोद इतने ज़ोरदार धक्के मार कर मुझे, अपनी मा को, छोड़ रहा था, की मैं उसको माना नही कर पाई. मैने विनोद को करीब आधा घंटा छोड़ने दिया. जब मैने देखा की विनोद जल्दी ठंडा नही होने वाला था, तो मैने छूट को बेटे के लोड से खींच लिया.

मैं कुटिया के पोज़ में बेटे से छुड़वा रही थी. फुर्ती से मैं कॉट पर सीधी हो गयी. लोड्‍ा मेरे मौत से बाहर निकल गया. मैने बेटे का लोड्‍ा पकड़ कर कहा-

मैं: विनोद, तुमने पिछले 2 दिन में 7-8 बार छोड़ लिया है. अब फिर बाद में छोड़ना. अभी मुझे इस घोड़े के लंड से छुड़वाने दो. लल्लन छोड़ो इस रंडी को.

लल्लन भी मुझे छोड़ने के लिए पागल था. मैने अपने दोनो थाइस और फीट को मिशनरी पोज़ में सेट किया. मैने चूतड़ उछाल कर लल्लन को छोड़ने का इशारा किया.

बेटा मेरे मौत में लोड्‍ा पेलना चाहता था, और मुझसे लोड्‍ा चुसवाना चाहता था. मैने बेटे के लोड को पकड़ लिया.

मैं: विनोद, मुझे लल्लन के साथ अकेले मस्ती लेने दो. तुम ऐसे ही बातरूम जाओ. तुम्हारा मस्त लोड्‍ा देख कोई ना कोई रंडी ज़रूर तुमसे छुड़वाने आएगी.

मेरी बात ख़तम हुई और बाल्कनी में एक फीमेल की आवाज़ सुनाई दी.

“मेडम, आप 2-2 मर्दो को एक साथ नही संभालना चाहती है, तो अपने एक यार को मेरे पास भेज दीजिए. मेरे दोनो मर्द खुद ठंडे हो गये लेकिन मैं वैसे की वैसी ही गरम हू”.

मैने चेहरा घुमाया. एक नंगी औरत हमारे पास आई, और विनोद का हाथ पकड़ कर अपने साथ ले गयी. उसके कॉट और हमारे कॉट के बीच में एक ही कॉट था.

औरत की आवाज़ सुनाई दी,

“वाह, बहुत ही मस्त लोड्‍ा है. बर चूसने-चाटने में टाइम वेस्ट मत करो. इन दोनो ने बहुत छाता है, तुम बस जितना छोड़ सकते हो छोड़ो.“

विनोद: तुम भी बहुत मस्त माल हो. चिंता मत करो. पूरा ठंडा कर दूँगा.

औरत: वाह राजा, ऐसे ही धक्के का इंतेज़ार कर रही थी.

एक तरफ विनोद एक नयी औरत को छोड़ने लगा, और लल्लन ने मेरी छूट में लोड्‍ा पेला.

मैं: फाड़ डालो राजा, ये छूट कब से ऐसे लंबे, मोटे और कड़क लंड के धक्के के लिए तरस रही थी. पेलते रहो राजा, ये रंडी और ये छूट तुम्हारी है.

आयेज की कहानी अगले पार्ट में.