दोस्त की नंगी बहू की फिंगरिंग का नज़ारा

ही रीडर्स, मैं कमाल किशोरे अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप सब के सामने वापस आ गया हू. अगर आपने अभी तक पिछला पार्ट नही पढ़ा है, तो पहले उसको ज़रूर पढ़े.

पिछले पार्ट में आप सब ने पढ़ा था, की मेरे पड़ोस के दोस्त ने मुझे उसकी बहू को मेद्स पढ़ने को कहा. मैने माना किया लेकिन जैसे-तैसे उसने मुझे माना लिया. फिर जब मैने उसकी सेक्सी बहू को देखा, तो मेरे अंदर उसके लिए हवस पैदा हो गयी. अब आयेज बढ़ते है.

आज मैने पूजा को इमॅजिन करके मूठ मारी थी. मेरी बरसों से सोई हुई वासना उस सेक्सी लड़की को देख कर जाग चुकी थी. अब मुझे ये सोचना था, की मैं उसको छोड़ूँगा कैसे. एक वो मेरी बेटी की उमर की थी, दूसरा वो शादी-शुदा थी, और तीसरा वो मेरे सबसे आचे दोस्त की बहू थी. लेकिन मेरी वासना इन सब चीज़ो से बड़ी थी.

फिर अगले दिन मैं उसकी वेट करने लगा. वो आई, और हमारी पढ़ाई शुरू हो गयी. मैं आँखों की आँखों में उसके जिस्म को पी रहा था. पढ़ने के बाद वो चली गयी, और आज मैने फिरसे उसके नाम की मूठ मारी. कुछ दिन ऐसे ही चलता रहा. रोज़ हमारी पढ़ाई होती, और उसके जाने के बाद मैं उसके नाम का लंड हिलता.

अब मुझे ये समझ नही आ रहा था की मैं उसको टच कैसे करू. मुझे दर्र था की कही उसको मेरे इरादे का पता चल गया, तो क्या होगा. रोज़ आके जब वो मेरे पावं छूटी थी, तो उसकी गांद देख कर मेरा खड़ा हो जाता था. दिल तो करता था की अभी साली को घोड़ी बना के छोड़ डू. लेकिन मैं ऐसा कर नही सकता था.

फिर एक दिन मुझे कुछ पता चला. हुआ यू, की पूजा आज पढ़ने नही आई थी. कुछ देर वेट करने के बाद भी जब वो नही आई, तो मैने उसको कॉल की. लेकिन उसने फोन पिक नही किया. फिर मैने अपने दोस्त को कॉल की. उसने फोन उठाया, और हमारी बात कुछ ऐसे हुई.

मुकेश: हा कमाल, कैसे याद किया.

मैं: यार मुकेश, आज पूजा पढ़ने नही आई. मैने उसको फोन भी किया है पूछने के लिए, लेकिन उसने फोन नही उठाया.

मुकेश: यार मैं तो सारी फॅमिली के साथ बाहर आया हुआ हू पार्टी पर. पूजा हमारे साथ नही आई. वो कह रही थी, की उसकी तबीयत ठीक नही है, इसलिए घर पर ही रुकेगी. शायद तबीयत की वजह से नही आई होगी.

मैं: चल ठीक है.

मुकेश: ओक बाइ.

फिर मैने सोचा क्यूँ ना उसके घर चला जौ तबीयत पूछने के बहाने. ये सोच कर मैं उसके घर चला गया. घर का मैं गाते खुला था, तो मैं सीधा ही अंदर चला गया. वैसे भी मैं हमेशा उनके घर में बिना दरवाज़ा नॉक किए ही चला जाता हू.

मैं जानता था की पूजा और उसके हज़्बेंड का रूम फर्स्ट फ्लोर पर था. तो मैं सीधे सीडीयों की तरफ गया, और पूजा के रूम की तरफ चल पड़ा. वाहा जाके देखा, तो दरवाज़ा बंद था. मैने दरवाज़े पर नॉक किया, तो दरवाज़ा अपने आप खुल गया.

मैने फिरसे दरवाज़ा नॉक किया और साथ में आवाज़ भी लगाई. लेकिन अंदर से कोई रेस्पॉन्स नही आया. फिर मैने दरवाज़े को हल्का धक्का मार कर खोला. अंदर कोई नही था. ये देख कर मैं वापस मुड़ने लगा. फिर जैसे ही मैं वापस मुड़ा, मुझे अंदर से कुछ आवाज़ आई.

मैने ध्यान से सुना, तो ये आवाज़ बातरूम में से आ रही थी. मैं समझ गया की पूजा बातरूम में थी, और शायद नहा रही थी, क्यूंकी पानी गिरने की आवाज़ भी आ रही थी. मेरे शैतानी दिमाग़ में उसी वक़्त उसको देखने की इक्चा पैदा हो गयी.

फिर मैं दबे पावं उसके रूम में गया. बातरूम का दरवाज़ा तोड़ा खुला था, तो मैं पास जाके अंदर देखने लगा. वाह क्या सीन था. पूजा नंगी शवर के नीचे खड़ी थी. पानी उसके नंगे बदन पर छम-छम करके पद रहा था. इतना सेक्सी सीन देख कर मेरा लंड पंत में पूरा तंन गया.

पूजा के बूब्स आकड़े हुए थे, और निपल्स पिंक रंग के थे. उसकी छूट पर हल्के बाल थे ट्रिम किए हुए और व-शेप बनी हुई थी. ऐसी खूबसूरत औरत जिसको भी मिल जाए उसकी को बिस्तर में चाँदी ही चाँदी हो जाए. फिर मैने कुछ ऐसा देखा, जिसकी मुझे उमीद नही थी.

शवर बंद करके पूजा ने हाथ में मोबाइल लिया, जो टाय्लेट टांक पर पड़ा था. फिर वो उसमे कुछ देखने लगी. फिर उसने मोबाइल को सामने के रॅक पे कुछ प्ले करके रख दिया. मैने देखा की पूजा ने एक पॉर्न वीडियो प्ले करके मोबाइल रखा था. मुझे समझ नही आया की वो क्या कर रही थी.

फिर पूजा ने शवर दोबारा ओन्न किया, और उसके नीचे खड़ी होके दीवार के साथ पीठ लगा ली. उसके बाद उसने अपना दाया हाथ अपनी छूट पर रखा, और उसको हल्के-हल्के सहलाने लग गयी. मुझे समझ नही आया की वो ऐसा क्यूँ कर रही थी. धीरे-धीरे उसने अपनी स्पीड बधाई और आ आ करते हुए फिंगरिंग करने लगी.

उसको ऐसे फिंगरिंग करते देख मेरे लंड से पानी लीक होने लगा था. दिल तो कर रहा था की अंदर चला जौ, और उसकी छूट चाट-चाट कर उसका पानी निकाल डू, और उसकी छूट की सारी प्यास मिटा डू. फिर मुझे मिला मेरा हुकुम का इक्का.

पूजा जब फिंगरिंग कर रही थी, साथ में वो आ आ की आवाज़े कर रही थी. फिर वो बोलने लगी-

पूजा: आ राकेश आहह, और ज़ोर से राकेश आ. छोड़ो मुझे राकेश आहह.

पूजा के मूह से राकेश नाम सुन कर मैने सोचा की अब ये साला राकेश कों था. क्यूंकी उसके पति का नाम राकेश नही था. कही ना कही मैं समझ गया था, की पूजा अपने पति से संतुष्ट नही थी, इसीलिए फिंगरिंग कर रही थी. मैं ये भी समझ गया था की राकेश नाम के बंदे के साथ या तो पूजा का चक्कर पहले था, या अभी भी चल रहा था.

फिर उसकी आहें तेज़ हो गयी, और उसकी चूत का पानी चूत से टाँगो पर बहते हुए नाली में चला गया. मैं भी वाहा से निकल आया, और मैने घर आके पूजा के नाम की मूठ मारी.

इसके आगे क्या हुआ, वो आपको कहानी के अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आ रहा हो, तो इसको अपने दोस्तों के साथ ज़रूर शेर करे.
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