देवर ने भाभी को रंडी बनने के लिए रेडी किया

ही दोस्तों, मैं हू अनुज. मैं अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके आप के सामने आया हू. उमीद है, की आप सब को मेरी पिछली कहानी अची लगी होगी. अगर आपने मेरी पिछली कहानी नही पढ़ी है, तो प्लीज़ पहले जाके वो पढ़ ले.

पिछले पार्ट में आपने पढ़ा, की मैने भाभी को बता दिया की मैं उनके चक्कर का राज़ जानता था. फिर घर वाले वॉक पर गये, और भाभी मेरे रूम में आ गयी. फिर भाभी अपने अफेर का रीज़न एक्सप्लेन करने लग गयी. अब आयेज बढ़ते है-

मैं: भाभी मैं ये मानता हू, की इंसान की ज़रूरते होती है. और एक शादी से लड़की और लड़के दोनो की एक्सपेक्टेशन्स जुड़ी होती है. मैं ये भी मानता हू की बहुत कोशिशो के बाद भी जब आपकी ज़रूरत नही पूरी हुई होगी, तब ही आपको ये सब करना पड़ा होगा.

भाभी: शूकर है अनुज तुम मेरी बात को और मेरे हालात को समझ रहे हो.

मैं: अभी मेरी बात पूरी नही हुई भाभी. मैने सब कुछ सही मान लिया, जो कही ना कही सही है भी. लेकिन एक चीज़ जो आपने ग़लत की, वो है किसी बाहर वाले के पास जाना.

भाभी: मतलब?

मैं: मतलब ये की आप इस घर की इज़्ज़त हो. अगर किसी को आपके इस चक्कर के बारे में पता चलेगा, तो हमारी फॅमिली की थ-थ हो जाएगी. इसलिए आपको ये किसी बाहर वाले के साथ नही करना चाहिए था.

भाभी: तो फिर किसके साथ करती?

मैने अपनी तरफ हाथ घूमते हुए कहा: भाभी मैं मॅर तो नही गया था.

मेरा ये जवाब सुन कर वो हैरान हो गयी. फिर वो गुस्से में बोली-

भाभी: अनुज! तुम अपनी भाभी से बात कर रहे हो.

मैं: मैं जानता हू भाभी.

भाभी: तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई मेरे साथ ऐसी बात करने की. और तुम मेरे बारे में ऐसा सोचते हो, ये मैने कभी सोचा भी नही था.

उनकी ये बातें सुन कर मुझे भी गुस्सा आ गया. फिर मैं बोला-

मैं: देखिए भाभी जी, पहले तो मैं अपनी भाभी से बात नही कर रहा. मैं एक ऐसी रंडी से बात कर रहा हू, जो अपने घर-संसार को छ्चोढ़ कर छूट की प्यास किसी गैर मर्द से बुझवाती है. जो शादी से पहले मा बन चुकी है, और ये बात किसी को पता नही है. ऐसी रंडी मुझे तो ना ही बताए की मुझे किसके बारे में क्या सोचना चाहिए.

ये बोलते हुए मैं भाभी के इर्द-गिर्द घूम रहा था. मेरी बात सुन कर भाभी शरम से पानी-पानी हो गयी, और उन्होने अपना सर नीचे झुका लिया. मैं समझ चुका था, की भाभी हार मान चुकी थी, और अब अपना काम करने के लिए बिल्कुल सही मौका था.

तभी मैं पीछे से भाभी के करीब आया, और उनकी कमर मैं हाथ डाल कर उनको अपनी बाहों में भर लिया. क्या सॉफ्ट कमर थी उनकी. मेरा खड़ा लंड पीछे से उनकी गांद को टच होने लगा. मेरे ऐसा करने से भाभी घबरा गयी, और मुझसे अलग होने की कोशिश करने लगी. लेकिन मैने उनको कस्स के पकड़ा हुआ था.

फिर मैने उनके कान में कहा: देखो भाभी, तुम्हारे पास बचने का और कोई रास्ता नही है, सिवाए मेरी रंडी बनने के. अगर मैने घर वालो के सामने मूह खोल दिया, तो तुम कही की नही रहोगी. ना ससुराल की, और ना माइके की. तो तुम्हारे लिए यही सही रहेगा, की तुम अपना राजीव के साथ जो नाजायज़ रिश्ता है वो तोड़ दो. और वही रिश्ता मेरे साथ बना लो.

मैं: भाभी मैं तुम्हे इतना मज़ा दूँगा की तुम राजीव को भूल जाओगी. और पकड़े जाने का दर्र भी नही रहेगा, क्यूंकी हम एक घर में रहते है. तो अब मैं तुम्हे आखरी मौका देता हू. अगर तुमने अब मुझे रोका, तो मैं दोबारा हाथ नही लगौँगा तुम्हे.

मेरी बात सुन कर भाभी बिल्कुल शांत हो चुकी थी. वो मुझे अलग होने की कोशिश नही कर रही थी. मैं समझ गया था, की वो कुछ भी करने के लिए तैयार थी. फिर मैने अपना फेस आयेज बढ़ाया, और भाभी के गाल और कान पर किस करने लगा. इस्पे भाभी ने मुझे कुछ नही कहा. बड़ी मस्त खुश्बू आ रही थी उनमे से.

फिर मैने अपने दोनो हाथ भाभी के बूब्स पर रखे, और उनको ज़ोर से दबा दिया. इससे भाभी की आ निकल गयी. भाभी ने इस बार भी मुझे कुछ नही कहा. अब मुझे पूरा यकीन हो गया था, की भाभी सरेंडर कर चुकी थी.

ये जान कर मैने भाभी को अपनी तरफ घुमाया. भाभी नीचे देख रही थी. मैने उनकी ठुड्डी पर हाथ रखा, और उनके फेस को उपर उठाया. भाभी की आँखें अभी भी नीचे थी. वो मुझसे नज़र नही मिला रही थी. लेकिन मुझे नज़र मिला कर क्या करना था. मुझे तो उनके रसीले होंठो से मतलब था, जो मेरे सामने थे.

मैने उसी वक़्त अपने होंठ उनके रसीले होंठो के साथ चिपका दिए, और उनके होंठो को चूसना शुरू कर दिया. मैं एक विलेन की तरह हेरोयिन के होंठ चूस रहा था, और वो मेरा साथ नही दे रही थी. बड़ा स्वाद आ रहा था भाभी के होंठो को चूसने का.

होंठ चूस्टे हुए मैने अपने हाथ भाभी की गांद पर रखे, और उनके छूतदों को ज़ोर से दबाया. चूतड़ दबाते ही भाभी की ज़ोर की आहह निकली. आ निकालने से जैसे ही उनके मूह खुला, मैने उनके मूह में अपनी जीभ डाल दी. अब मेरी जीभ और भाभी की जीभ आपस में लड़ रही थी.

भाभी मेरी जीभ को अपने मूह से बाहर निकालने की कोशिश कर रही थी. लेकिन मैं कहा मानने वाला था. मैने एक हाथ उनके पाजामे में डाल लिया, और उनके चूतड़ को पनटी के उपर से दबाने लगा. क्या नरम चूतड़ था भाभी का, एक-दूं बवाल.

5 मिनिट लगातार होंठ चूसने के बाद भाभी की तरफ से भी रेस्पॉन्स आने लग गया. रेस्पॉन्स तो आना ही था. जो औरत घर पर चुदाई ना होने से बाहर मूह मार सकती है, वो मज़ा मिलने पर गरम तो होगी ही. फिर भाभी भी मेरे साथ टंग फाइट करने लगी. वो भी ज़ोर-ज़ोर से मेरे होंठ चूसने लगी.

तभी नीचे से आवाज़ आने लगी, क्यूंकी सब लोग घर वापस आ चुके थे. भाभी जल्दी से मुझसे अलग हुई, और अपने कमरे की तरफ दौड़ गयी.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. और अकेले-अकेले कहानी का मज़ा लेना अची बात नही है. कहानी को अपने दोस्तों के साथ भी शेर करे.