बॉस से चुद कर प्रेगनेंसी के डर की सेक्सी कहानी

हम दोनों में से कोई कुछ नहीं बोल रहा था। कुछ देर बाद मैं धीरे से टेबल से उठी, मेरी पुसी और जांघो से वीर्य की धार बह रही थी। मैंने अपने हैंड टॉवल से सब पोंछा। मेरी खुमारी धीरे-धीरे उतर रही थी। मैंने अजय को कपड़े पहनने को कहा। उसने मुस्कुराते हुए एक विजेता की तरह मेरी ओर देखा, और अपने लिंग की तरफ इशारा कर बोला-

अजय: डार्लिंग, अपने हाथों से साफ़ कर दो।

मैंने उसके मुरझाए हुए छोटे से मुलायम लिंग को अपने टॉवल से पोंछा। अगले मिनट उन्होंने शो को समाप्त करते हुए अपनी जॉकी अंडरवियर को ऊपर खींच लिया। बस मैंने उसकी चिकनी, मजबूत नितंबों और तंग गांड को कनखियों से फिर देखा। मैं इसके बाद जल्दी-जल्दी अपने कपड़े पहनने लगी। अब यह शो समाप्त हो चुका था।

अजय: ये मेरे लिए बहुत यादगार पल हैं, मैडम मैं आपको ऐसे ही याद रखना चाहता हूँ।

अजय मुझसे पहले अपने कपड़े पहन कर रेडी हो गया, और रूम से बाहर चला गया। मेरा पूरा शरीर दुःख रहा था। मेरे घुटने टेबल की रगड़ से जलन कर रहे थे। मैंने देखा कि जींस सामने से गीला हो चुका था अजय के मुंह की लार और मेरी योनि के पानी से। मैं शर्म से पानी-पानी हो रही थी, मेरे बाल बिखर गए थे, लिपस्टिक अजय ने चूस ली थी, ऊपर से जेग्गिंग और पैंटी पूरे गीले थे।

मैंने जल्दी-जल्दी सब ठीक किया, अपने बाल बांधे, जिस टेबल के ऊपर हमारा कार्यक्रम हुआ था उसे पोंछा, और केबिन में बैठ कर फाइल पलटने लगी, मानो सेंटर के काम में बिजी हो।

लेकिन तभी लोगों के सीढ़ियां चढ़ने की आवाज़े आने लगी। लोग अंदर आने लगे थे। सभी लोग अंदर आकर मुझसे अभिवादन करने लगे।

मैं भी वहीं बैठे-बैठे सबको रिप्लाई करती रही। मेरे नितम्भों के छेद में बहुत दर्द हो रहा था। मैं पछता रही थी कि क्यों मैंने अजय को पीछे घुसाने दिया। मैं बहुत असहज फील कर रही थी। दर्द के मारे बेहाल तो थी ही, ऊपर से पैंटी और जेगिंग्स का चिपचिपा गीलापन मुझे चिढ़ा रहा था।

मैंने सोचा छुट्टी लेकर घर जाती हूँ, और इसलिए मैंने अपनी कलीग को बुलाया और बहाना मारा कि क्या वह आज सेंटर सम्भाल लेगी, मेरी तबियत ठीक नहीं लग रही है।

मेरी कलीग ने कहा: हाँ मैडम आज आप बहुत थकी-थकी लग रही हो। आप अजय सर से परमिशन लेकर घर चली जाओ।

कलीग के वहां से जाने के बाद मैंने अजय के मोबाइल पर फ़ोन लगाया, दूसरी तरफ से उसकी आवाज़ आयी-

अजय: हाँ डार्लिंग, बोलो।

मैंने कहा: सर मैं घर जाना चाहती हूँ।

अजय ने मुझसे धीरे से कहा: नीचे वाशरूम में आ जाओ, और फ्रेश हो जाओ।

मैंने पूछा: वहां मेरा आना अलाउड है? अजय ने जवाब दिया: मैं सिक्योरिटी को बोल देता हूँ, आ जाओ।

फिर मैं ग्राउंड फ्लोर पहुंची। सिक्योरिटी वाले को मैंने बोला‌-

मैं: साहब ने बुलाया है।

उसने कहा: जी मैडम, आप अंदर चले जाओ।

अजय वहां अपनी चेयर पर बैठा हुआ था।

मैंने पूछा: वाशरूम कहां हैं?

उसने इशारे से बताया: वहां अटैच्ड वाशरूम है।

मैं अंदर गयी, फिर इत्मीनान से मैंने मुंह धोया और मेकअप किया। मेरा तो नहाने‌ का मन था, पर दूसरी पैंटी और ब्रा बदलने को नहीं था। पूरा शरीर चिपचिपा लग रहा था। वाशरूम से बाहर निकल कर मैं अजय के सामने पहुंची, और उससे पूछा-

मैं:‌ क्या में घर जा सकती हूँ?

उसने कहा: बैठो तो प्लीज, क्या हुआ?

मैं रोने लगी। अजय ने मेरी आँखों में गहराई से देखा।

मैंने कहा: जब तुमको मालूम था कि तुम मेरे साथ ये सब करोगे, तो कंडोम इस्तेमाल क्यों नहीं किया? मेरे अंदर अपना इतना सारा माल भर दिया है कि मैं पक्का प्रेग्नेंट हो जाऊँगी। अगर कंडोम नहीं था तो समय से बाहर खींच लेते।

अजय ने कहा: डार्लिंग, मैं तुम्हे बहुत चाहता हूँ। मैं तुमको अंदर तक फील करना चाहता था। तुमने मुझे आज इतना सुख दिया है कि मैं बता नहीं सकता। मैंने हर मिनट का आनंद लिया। तुम इसलिए यू चिंता मत करो।

मैंने नकली गुस्सा दिखाते हुए कहा: तुमने आज मुझे अपनी पत्नी की तरह ही चोदा है। मैं किसी और की प्रॉपर्टी हूँ, समझे आप? अगर प्रेग्नेंट हो गयी तो हस्बैंड को क्या मुंह दिखाऊँगी?

तब अजय बोलै: आप चिंता मत करो, अगर आप प्रेग्नेंट हो गयी तो एबॉर्शन मैं कराऊंगा। लेकिन अब किसी पर आरोप लगाने का कोई मतलब नहीं है। यह होना तय था, और यह हुआ।

अजय अपनी कुर्सी से उठा और उसने मुझे पीछे से आकर अपनी बाहों मैं भींच लिया, मेरे कानो के नीचे चूमते हुए बोला-

अजय: हम दोनों एक-दूसरे को चाहते हैं मैडम, और अब हम तो ऐसे ही खूब प्यार करेंगे, है ना?

मैंने हैंस कर अपना सर हिला दिया। अजय ने ऊपर से ही मेरी पुसी को सहलाया और पूछा: यहां मज़ा आया ना? यह मेरी प्यारी पुसी अब कैसी है?

मैंने शरारत भरे अंदाज़ में कहा: तुम्हारे प्यार से भरी हुई है, पर पीछे वाले छेद में चोट लग गयी लगता है। बहुत दर्द हो रहा है। मैं ठीक से चल भी नहीं पा रही सर।

अजय: हां मेरी प्यारी मैडम, आपके भारी हिप्स को मटकते देख कर मेरे दिल पर छुरी चल जाती थी। मेरा लंड फनफना उठता था, और आपके चूतड़ों के बीच में घुसने को बेकरार हो जाता था। आज तो मैं निहाल हो गया।

मैं: सच? मुझे नहीं पता था कि मेरे हिप्स इतने सेक्सी हैं, और आपको इतना तड़पाते हैं। मैं बहुत खुश हूं कि आपके दिल की तमन्ना पूरी हुई।

अजय: आप कितनी अच्छी हो मैडम। देखना अब आपके नितम्बों में कितना निखार आएगा। राह चलते लोगों का लंड आपके चूतड़ों को देख कर खड़ा हो जाएगा।

मैं: मुझे किसी का लंड नहीं खड़ा करना, आपका और हस्बैंड का खड़ा होता रहे उतना ही काफी है। अभी तो मेरी गांड का छेद फटा सा जा रहा है।

उसने कहा: सॉरी डार्लिंग, अब अगली बार डालूँगा तो दर्द नहीं होगा। आई प्रॉमिस,‌ हम लुब्रिकेंट यूज़ करेंगे नेक्स्ट टाइम।

मैंने फिर घर जाने की परमिशन मांगते हुए कहा: सर प्रेग्नेंट हो गयी तो?

घर जाते वक़्त गाड़ी चलाते हुए मैं सोच रही थी: उसने जो किया सो किया, मुझे भी बहुत मज़ा आया था। इतना अच्छा इतना संतोषजनक। दूसरे आदमी के सामने पूरी तरह से नग्न होने के बारे में उत्तेजना, उसका आपको निर्वस्त्र करने में मजा, एक और नग्न आदमी को आप को चोदने के लिए तड़पना, पुरानी वासना को आप से बाहर निकाल कर पूरी तरह संतुष्ट करना, वह आदमी अलग था।‌

उसकी शैली अलग है। उसका शरीर, उसकी गर्मी अलग है उसके स्पर्श अलग, अपने चुंबन है। अपने जुनून अलग है। जिस तरह से वह सहलाता है, मेरे स्तन चूसता है वह अलग है।

उसके लंड का आकार अलग है। जिस तरह से वह मुझसे प्यार किया वह अलग था। वासना अलग थी। जिस तरह से मैंने उसका लंड चूसा वो अलग है। जिस तरह से उसने मुझे चोदा है, वो अलग कामोन्माद अलग हैं। और जो संतुष्टि मुझे आज मिली है वह भी बहुत अलग है। सब कुछ इतना अलग, इतना रोमांचक, इतना साहसिक था, कि इसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।

अजय के साथ आज ओरल सेक्स किया, जो मैंने अपने पति के साथ कभी नहीं किया। उसने मेरी हिप्स के साथ खेलते हुए मुझे अपनी पैंटी में जोर-जोर से काटा था, ये मेरे साथ कभी नहीं हुआ। सब कुछ इतना अलग, इतना रोमांचक, इतना साहसिक है कि इसे शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।