कहानी जिसमे भाई को बहन का सच पता चला

मेरा नाम अंकुश है, और मैं एक छ्होटे शहर से हू. मेरी फॅमिली में मैं, पापा, मम्मी, दीदी, दादा, और दादी रहते है.

मेरी हाइट 5’8” है, और मैं फाइनल एअर का स्टूडेंट हू. मैं दिखने में ठीक-ताक हू, और मेरा लंड 6.5 इंच का है. मेरे पापा एक गवर्नमेंट एंप्लायी है, और मम्मी हाउसवाइफ है.

मेरी बेहन मुझसे बड़ी है, और उसकी उमर 30 साल है. वो कॉलेज में लेक्चरर है. उसी कॉलेज में जहा मैं पढ़ता हू. दीदी दिखने में बड़ी मस्त है. उनका रंग गोरा है, और शरीर भरा हुआ है.

उनका फिगर 34”30”36” है. वो पूरी फिटिंग वाले सूट वित लेगैंग्स पहनती है, और उसमे वो बहुत हॉट आंड सेक्सी लगती है. पुर कॉलेज के लड़के उनकी गांद के दीवाने है. तो चलिए अब मैं कहानी पर आते है.

मैं शुरू से ही पढ़ाई में फिसड्डी रहा हू, और इसी वजह से मैं आज तक अपने पेरेंट की गालिया खाता आया हू. आप लोग तो समझ ही सकते है, की जब बेहन लेक्चरर हो, और भाई पढ़ाई में फिसड्डी, तो गालिया तो पड़नी ही है.

मेरी दीदी शुरू से ही घर की हीरो रही है, और मैं ज़ीरो. वो हर काम में टॉप पर रहती है शुरू से. घर का काम करना, पढ़ाई करना, बडो की रेस्पेक्ट करना एट्सेटरा. सब में उसको हमेशा फुल मार्क्स मिले है.

लेकिन मैं किसी काम में उससे आयेज कभी निकल ही नही पाया, और इसी वजह से मुझे गालिया मिली. जब भी मुझे बातें सुनाई जाती है, तो दीदी की तारीफे भी साथ में ही होती है. और इसी वजह से मेरे मॅन में उनके लिए नफ़रत पैदा होने लगी. लेकिन मेरा कभी कोई उल्टा इंटेन्षन नही था उनके लिए.

ये बात 3 महीने पुरानी है. दीदी 30 की हो गयी थी, और उनके लिए लड़का ढूँढ रहे थे. लड़कों के मामले में पापा बड़े चूज़ी थे. वो मेरी पर्फेक्ट दीदी के लिए एक पर्फेक्ट लड़का ढूँढ रहे थे.

इसी मामले में मा ने एक बार दीदी से पूछा-

मा: ऋतु (दीदी का नाम ऋतु है), अगर तुम्हे कोई लड़का पसंद है तो बताओ. हम उसके घर रिश्ता लेके जेया सकते है.

जब मा ये बात बोल रही थी, तब पापा और दादा-दादी भी सामने ही थे. फिर दीदी बोली-

दीदी: नही मा, मेरी नज़र में कोई लड़का नही है. आप जिससे बोलॉगे, मैं शादी कर लूँगी. आपकी पसंद मेरी पसंद.

ये बात सुन कर सब लोग बहुत खुश हुए. दादा जी बोले-

दादा जी: कों कहता है आज के टाइम में शरीफ लड़कियाँ नही है? यहा देखो, संस्कारी लड़की ऐसी होती है. मुझे प्राउड है तुम पर बेटा.

और यहा भी दीदी ने बाज़ी मार ली. अब तो मैं भी मानने लगा था, की दीदी हमेशा मुझसे बेटर ही रहेंगी. लेकिन सच जो था, वो किसी को पता नही था.

मैं और दीदी कॉलेज साथ में आया-जया करते थे. एक दिन जब छुट्टी हुई, तो दीदी ने मुझे कहा की उनको एक घंटा और लगेगा, क्यूंकी प्रिन्सिपल सिर मीटिंग लेने वाले थे. ये बोल कर दीदी ने मुझे घर जाने के लिए कहा.

मैं भी कहा एक घंटा बोर होता, तो मैं उनको ओक बोल कर घर के लिए निकल गया. मैं कॉलेज से अभी थोड़ी ही डोर आया था, की एक समोसे की दुकान पर मुझे अपने दोस्त दिखे.

उन्होने मुझे देखा, और मुझे आवाज़ दी. मैने बिके रोकी, और मैं उनके साथ चला गया. वाहा हमने समोसे खाए, और कोल्ड ड्रिंक्स पी. ये सब करते-करते मुझे 40-50 मिनिट लग गये.

जब मैने वाहा से फ्री होके टाइम देखा, तो मुझे लगा की एक घंटा होने में 10 मिनिट ही रह गये है, तो क्यूँ ना दीदी को साथ लेता चालू. इससे लाते आने के लिए गालिया भी नही पड़ेंगी, और वेट करने के नंबर भी बन जाएँगे.

ये सोच कर मैं वापस कॉलेज चला गया दीदी को लेने के लिए. वाहा जाके मैं स्टाफ रूम की तरफ गया. लेकिन वाहा कोई नही था. पूरा कॉलेज खाली था. फिर मुझे याद आया, की दीदी ने मीटिंग का बोला था.

ये सोच कर मैं कान्फरेन्स रूम में गया. जब मैं वाहा पहुँचा, तो दरवाज़ा बंद था. मुझे लगा अंदर कान्फरेन्स चल रही होगी, तो मैं बाहर ही रुक गया.

लेकिन मुझे अंदर से कोई आवाज़ नही आ रही थी. फिर मैने चेक करने के लिए दरवाज़े को हल्का सा पुश किया जिससे दरवाज़ा तोड़ा खुल गया. मैने अंदर नज़र घुमाई, तो अंदर कोई नही था.

फिर मैने पूरा दरवाज़ा खोला और देखा. लेकिन अंदर कोई भी नही था. मुझे लगा की दीदी की मीटिंग ख़तम हो गयी होगी, और वो चली गयी होंगी. ये सोच कर मैं वापस आने लगा.

मैं कॉरिडर से निकल रहा था, की तभी मुझे प्रिन्सिपल के कॅबिन से कुछ आवाज़े आने लगी. ये आवाज़े आहह आह की थी.

हमारे कॉलेज मैं काई प्रोफेस्सर्स का काई मेडम्स के साथ चक्कर था. ऐसी आवाज़े सुन कर मैने सोचा, की देखु तो सही कों किसके साथ मज़े ले रहा था.

ये सोच कर मैं सिर के कॅबिन की विंडो के पास गया, और अंदर देखने लगा. मैने अंदर देखा, तो वाहा प्रिन्सिपल सिर नही थे. बल्कि मुकेश सिर थे.

मुकेश सिर हमे मत पढ़ते है. उनकी उमर 36 साल है, और वो डिवोर्स्ड है. उनकी हाइट 5’7” है, और बॉडी ठीक-ताक है.

मुकेश सिर नंगे खड़े थे, और आहह आ कर रहे थे. उनके आस-पास उनके पुर कपड़े, और किसी लड़की का शर्ट और ब्रा बिखरे हुए थे. मैं समझ गया की कोई लड़की नीचे बैठ कर उनका लंड चूस रही थी.

लेकिन वो लड़की और मेरी नज़र के बीच में एक बड़ी सी कुर्सी पड़ी हुई थी. मैं बड़ा उत्सुक होके कोशिश कर रहा था की उसको देख पौ. लेकिन मैं उस लड़की को देख नही पाया.

मुकेश सिर की आ आहह सुन कर मेरा भी लंड खड़ा हो गया था. लेकिन मेरी किस्मत इतनी बुरी थी, की मैं अभी तक लड़की को देख नही पाया था. फिर मैने भी तान लिया, की वापस जौंगा तो लड़की को देख कर जौंगा, फिर चाहे जो हो जाए.

5 मिनिट तक मुकेश सिर उस लड़की के मूह में धक्के मारते रहे. उस लड़की की उम्म उम्म की आवाज़े आ रही थी. फिर 5 मिनिट के बाद मुकेश सिर ने उसके मूह से लंड निकाला, और पीछे हो गये.

अब फाइनली को लड़की उठने वाली थी. वो लड़की जब खड़ी हुई, तो उसका मूह दूसरी तरफ था. वो उपर से पूरी नंगी थी, और नीचे लेगैंग्स पहनी थी उसने रेड कलर की. उसकी पीठ एक-दूं गोरी और सेक्सी थी, और उसकी गांद तो बवाल ही थी. उसने बालों का जूड़ा बाँधा हुआ था. उसको देख कर तो मेरा लंड पंत फाड़ कर बाहर आने वाला हो गया.

लेकिन जब वो मूडी, तो मेरी आँखें फाटती की फाटती रह गयी. वो लड़की और कोई नही, बल्कि मेरी दीदी ऋतु थी. दीदी को इस हाल में देख कर तो मेरे पैरों तले से ज़मीन ही खिसक गयी.

इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में. इस पार्ट का मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.