कहानी जिसमे बेटे ने अपनी मा से अपना लंड शांत करवाया

हेलो दोस्तों, ये स्टोरी मेरी मा की कहानी है. घर में हम टीन लोग ही है मैं, बाबू जी, और मा. बाबू जी लोकल बिज़्नेस के चलते घर से डोर ही रहते है, और मेरी मा हाउसवाइफ है.

जब मैने कॉलेज जाना शुरू किया था, तब मुझे मेरी मा की खूबसूरती का एहसास हुआ. मेरी मा हल्के सावले रंग की गद्दे-दार (बस्टी) औरत है, जिनकी थोड़ी मोटी गांद और चूचे है. मैने कभी मा को नंगे नही देखा. लेकिन सलवार और ब्लाउस में भी लंड खड़े कर सकती है मेरी मा.

एक दिन जब हम मार्केट में थे, तब सभी लोग मा को ही देखे जेया रहे थे. मैं मा की गांद के ठीक पीछे चल रहा था. मा मेरे आयेज अपनी बड़ी गांद मटका के चल रही थी. उसके गांद और चूचे दोनो बाउन्स हो रहे थे.

जब-जब मा कुछ लेने के लिए झुकती, उनकी गांद थोड़ी पहले जाती, और चूचे ब्लाउस में लटक जाते. सब्ज़ी वाले को पूरा क्लीवेज दिखता पसीने के साथ भरा, और उनका सारा ध्यान सिर्फ़ मा पर होता.

अचानक मार्केट में भीड़ बढ़ गयी, और ज़्यादा लोग मार्केट में आने लगे. मैने देखा एक आदमी मा की कमर पे हाथ फेर रहा था, और भीड़ में कुछ ठीक से दिखाई नही दे रहा था.

वो कों आदमी था पता नही. लेकिन वो उसी भीड़ में मा की गांद दबा रहा था. मैने देखा वो सब्ज़ी वाला था. वो धीरे-धीरे ज़ोर लगता और मा की गांद का मज़ा लेता.

लोग धीरे-धीरे भीड़ में मा को चारो तरफ से घेर के मज़ा ले रहे थे. कोई मा के चूचे दबाता, और कोई गांद. एक आदमी तो ब्लाउस में हाथ डाल के चूचे के निपल मसल रहा था. लेकिन मा किसी को कुछ कह नही रही थी धीरे-धीरे मा का चेहरा लाल हो रहा था.

फिर सब्ज़ी वाला मा की सारी उठा के पनटी के उपर से अपनी उंगली गांद में रगड़ने लगा. उसने उंगली को ठीक गांद के च्छेद के उपर रखा. फिर उसने मा की छूट और गांद को इतना रगड़ा, की मा की चीख निकल गयी.

वो मा के मूह पर हाथ रख कर उनकी आवाज़ दबा देता, और साथ में चूची भी. कुछ देर ऐसे ही चलता रहा. 10 मिनिट के बाद मार्केट में भीड़ कम हुई. मा अब गरम हो चुकी थी. लेकिन कांड ख़तम हो गया था. सब्ज़ी वाला भी गांद में घुसी अपनी उंगली सूंघते हुए चला गया.

मुझे तो लगा मा वही चूड़ेगी. लेकिन फिर हम घर चले गये. घर आते ही मैने अपने रूम के वॉशरूम में मूठ मारी. उस दिन के बाद से मैने मा बेटे की चुदाई कहानी और पॉर्न देखना शुरू कर दिया. मेरे दिमाग़ में अब मा की चुदाई का ख़याल चलता रहता, और मा को लगता था, की उस दिन मार्केट में मैने कुछ नही देखा.

लेकिन मैने ये नोटीस किया, की उस दिन के बाद से मा मार्केट में उसी सब्ज़ी वाले के पास जाती रही. घर में एक दिन मा ने ब्लू कलर की निघट्य पहनी थी, जिसमे उनकी गांद की पूरी शेप आ रही थी. दोनो मोटे छूतदों के बीच की लाइन ( आस क्रॅक) सॉफ दिख रही थी.

ये देख कर मेरा लंड भी खड़ा हो रहा था. मैं डाइनिंग टेबल पास बैठा था, और टेबल तोड़ा ऊँचा था. मैं मा से डोर था तो मा ने मेरा हाथ में पकड़ा खड़ा लंड देख लिए था.

मा बोली: तुम ठीक तो हो बेटा, ये क्या कर रहे हो?

मैने बोला: हा क्या हुआ मा( मैने कुछ भी नोटीस नही किया)?

मा बोली: ये हाथ में क्या है बेटा?

मैं दर्र गया, और मा के रूम में चला गया, और वॉशरूम में घुस गया.

वॉशरूम में तोड़ा रिलॅक्स होके मैं मूट रहा था, तो मेरी नज़र मा की पॅंटीस पे पड़ी. उनमे काई पॅंटीस ढोई हुई नही थी. फिर मैने एक पनटी को ध्यान से देखा, तो तोड़ा रंग भी उड़ा हुआ था.

गंदी वाली पनटी को मैं स्मेल करने लग गया. ऐसा लग रहा था, जैसे मा की गांद का च्छेद सूंघ रहा था. मेरा लंड फिरसे खड़ा हो गया. इस बार ज़्यादा टाइट पनटी की बदबू पागल बना रही थी. कुछ पॅंटीस कुछ ज़्यादा गंदी थे, कुछ स्पॉट्स पड़े हुए थे उन पर.

एक पिंक कलर की कक़ची थी. उसमे थोड़ी ज़्यादा महक थी, और धागा लगा हुआ था. वो धागा गांद के च्छेद वाली जगह पर था. मेरा मॅन अब उसको चाटने का कर रहा था.

मैं रुका नही, और कक़ची के धागे पर जीभ रग़ाद रहा था. टेस्ट में खट्टा-पं था, और अपनी जीभ से पूरी कक़ची मैने गीली कर दी. फिर एक पनटी में मैने मूठ मार दी.

ये सब करते तोड़ा टाइम हो गया. तभी अचानक वॉशरूम के गाते पर मा खटखटाने लगी. मैने जल्दी से सब ठीक किया, और एक-दो मा की पॅंटीस और पिंक वाली कक़ची जेब में भर ली. फिर मैं वाहा से चला गया.

फिर मैं अपने रूम में आके मा के नाम पे उनकी मैली पनटी सूंघ के मूठ मारता रहा. अगले दिन मैं जब भी मा को देखता, तो मैं मा की गंदी पनटी के बारे में सोचता.

मा की गांद इतनी गंदी थी, तो उनकी छूट की महक कैसी होगी. ये सोच के मैं पूरा दिन हॉर्नी रहता था. एक दिन जब मा सुबा नहा कर निकली, तो वो टवल लपेट के बाहर आ गयी. मैं तो उनके सावले बदन को देखता ही रहे गया.

वो इतनी माल लग रही थी, की क्या बतौन. किसी बस्टी पोर्नस्तर से कम नही है मा. उनके बाहर आते ही मैं तुरत बातरूम में चला गया. फिर मैं उनकी गंदी पनटी और ब्रा ढूँढने लगा.

मुझे मा की सफेद वाली चड्डी मिली थी जो थोड़ी गीली हो गयी थी, और उससे मूट की स्मेल भी आ रही थी. शायद मा ने नहाते वक़्त चड्डी में ही मूट दिया हो.

मैं मा की चड्डी चाट ही रहा था, की फिर मैने उनकी चड्डी लंड पे लगा के मूठ मारी. मूठ मार के मैने चड्डी और ब्रा दोनो में सफेद माल भर के गीला कर दिया.

सब कुछ मैं ठीक करता, उससे पहले दरवाज़े पर मा आ गयी.

मा बोली: बेटा तू अंदर है?

मैने बोला: हा मा.

मा बोली: दरवाज़ा खोल मुझे कपड़े लेने है.

मुझे कुछ नही समझ रहा था, की मैं क्या करता. मैने पनटी और ब्रा को बाकी कपड़ों में रख दिया, और अपनी चड्डी पहन के खड़ा हो गया. चड्डी में लंड ज़्यादा खड़ा लग रहा था.

मैने दरवाज़ा खोला तो मा टवल में ही मेरे सामने थी. मेरा लंड और टाइट हो गया. मा की नज़र भी मेरे लंड पर ही थी.

अंदर आके मा बोली: बेटा तू आज कुछ ज़्यादा जल्दी नहाने नही आ गया? क्या बात है?

मैने बोला: क्या हुआ मा?

मा बोली: बेटा मुझे कपड़े ढोने है.

तुम तोड़ा साइड होके नहा लो. मुझे इधर कपड़े ढोने दो.

थोड़ी देर तो मुझे कुछ समझ नही आया, की मैं किस सिचुयेशन में था. अब मा नीचे फ्लोर पे कपड़े धो रही थी, और मैं उनके पीछे नहा रहा था.मा भी टवल में झुक कर काम कर रही थी, जिससे उनकी नंगी गांद कुछ ज़्यादा दिख रही थी.

मैने देखा मा को वो पनटी मिल गयी थी, जिसमे मैने मूठ मारी थी. मा जैसे ही पनटी को खोला, तो मैं उनके पास चला गया. मैने उनकी हेल्प करने का पूछा, तो उन्होने माना कर दिया. फिर मैने देखा, की मा उस पनटी को सूंघ रही थी, और उसमे से सफेद माल भी तपाक रहा.

मा ने टेस्ट किया तो उन्हे समझ आ गया, की वो क्या था. वो मेरे सामने पनटी से माल चाट रही थी किसी रंडी औरत की तरह. और ये सब देख कर मेरा मॅन मा की चुदाई करने का कर रहा था

तो मैने अपनी चड्डी उतार दी, और नंगा नहाने लगा मा की साइड में. अब मा का पूरा ध्यान मेरे 6 इंच के खड़े लंड पर था.

मा बोली: अर्रे तू नंगा क्यूँ हो गया?

मैने बोला: क्या हुआ मा?

मा बोली: तू तो काफ़ी जवान हो गया है.

मैने बोला: मा तुम भी साथ में नहा लो.

और मैने शवर मा की तरफ कर दिया, जिससे मा टवल में गीली हो गयी.

मा बोली: नही-नही बेटा.

मैं मा के मूह के पास लंड पकड़ के खड़ा हो गया और बोला: मा साबुन तो लगा ही सकती हो?

मा माना नही कर पाई, और मेरी थाइस पे साबुन रगड़ने लगी. साबुन लगते समय मेरा लंड कभी-कभी मा के चेहरे पर लग जाता. मैने भी कोई कमी नही छ्चोढी. मैं मा के सर पर हाथ रख कर लंड मा के मूह के पास ले जाता.

मा बोली: बेटे तेरा ये लॉडा(लंड ) काफ़ी बड़ा हो गया है.

मैने भी बोल दिया: हा मा, नहाने की वजह से.

फिर मेरा ध्यान मा के टवल पे गया, जो की ढीला होके खुलने वाला था. तो मैने खुद ही खोल दिया. फिर क्या था, टवल नीचे गिरा, और मा अब मेरे सामने पूरी नंगी थी. मा के काले निपल्स वाली बड़ी-बड़ी चूचियाँ दिख रही थी.

मा तोड़ा शॉक्ड हो गयी थी. मैने मा को कोई मौका नही दिया, और सीधे लंड का टोपा मा के होंठो पे लगा दिया. अब बस मा के मूह खोलने की देरी थी.

मा दर्र कर बोली: बेटा ये ग़लत है.

और मा ने आँखें (आइज़) बंद कर ली. फिर मैने तोड़ा ज़ोर दिया, और लंड तोड़ा सा मूह में डाल दिया. मा ने भी मेरा लंड चूसना शुरू कर दिया. वो अपने एक हाथ से मेरा लंड सहलाती, और दूसरे से गोट्ते.

20 मिनिट लंड चूसने के बाद मैं भी धीरे-धीरे जोश में आ गया, और मैने मा के सर के बाल पकड़ लिए, और पूरा लंड द्‍क़लने लगा. मैं मा के मूह की चुदाई करने लगा था. मेरा लंड भी पूरा मा की थूक से भीग चुका था.

मा का चेहरा लाल हो रहा था. वो पूरी रंडी की तरह लंड मूह में भर रही थी. मेरा निकालने वाला था, तो मैने तोड़ा और ज़ोर दिया, और लंड गले तक जाने लगा. मा की साँस अटकने लगी थी. फिर मा ने एक झटके में लंड मूह से निकाला, और मैने सारा माल मा के चेहरे पर निकाल दिया. फिर मा अपने उंगली पर ले कर माल चाट-ती रही.

उसके बाद मा हानफते हुए बोली: अर्रे तूने तो जान ही निकाल दी. आज के बाद ये कभी नही करेंगे.

मैने बोला: मज़ा तो तुम खूब ले रही थी मा.

और फिर मैं बातरूम से चला गया. बाकी की कहानी अगले पार्ट में. indiangayporn