बेटे के सामने मा से छुप कर रोमॅन्स की कहानी

निशा: रोहित, देखो हो गये ना हम लाते. दीपक आ गया है. तुम अभी भी नंगे हो. अब जल्दी से कपड़े पहनो तुम, और बाहर जाके बैठ जाओ.

मैने भी अब जल्दी से अपने कपड़े पहन लिए, और मूह धोके बाहर बैठ गया.

कहानी अब आयेज-

निशा ने जल्दी से मूह ठीक करते हुए गाते खोला. बाहर दीपक खड़ा हुआ था. वो अंदर आया और उसने मुझे देखते हुए बोला-

दीपक: रोहित, तू कब आया यार? और आज आया नही?

निशा: वो कब से तेरा इंतेज़ार कर रहा है. अभी 10-15 मिनिट पहले ही आया था. चलो तुम लोग बैठो, मैं छाई लेके आती हू.

निशा ने मेरे बोलने से पहले ही उसे जवाब दे दिया. उसके चेहरे पर तोड़ा सा दर्र था. मैने आँखों से उसे रिलॅक्स होने को बोला. वो भी अब शांत हो गयी, और नॉर्मल बिहेव करते हुए किचन में गयी.

दीपक: और बता भाई कैसा है? आज क्यूँ नही आया? कहा चुदाई करने गया था?

दीपक को पता था की मैं बहुत चुड़क्कड़ हू. लेकिन इस बार उसे क्या बताता? की मैं उसकी मा छोड़ रहा था. उसे पता था मैं किसी ना किसी की चुदाई करता रहता हू.

मैं: यार कही नही गया हू अभी. आज तेरे से मिलने आया था. सोचा तेरा वेट कर लू. तू सुना क्या हाल है?

दीपक: कुछ नही यार. बस कॉलेज से आया हू. तेरा सही है चुदाई करता रहता है.

मैं: तू भी छोड़ ले किसी को सेयेल. तेरा भी खड़ा होता है ना?

दीपक: आबे सेयेल. तुझे पता है ना, मैं इन सब चीज़ो में ध्यान नही देता.

दीपक बहुत ही शरीफ टाइप का लड़का है. उसे लड़कियों से बातें करने में शरम आती है. अब आप उसे चूतिया बोलो या भोला, उसने आज तक किसी की चुदाई नही की.

हम दोनो ऐसे ही नॉर्मल बातें कर रहे थे. तब तक निशा छाई लेके आ गयी. मैं भी अब नॉर्मल हो गया. मैं नही चाहता था की हमारे बारे में किसी को पता चले. वरना निशा को प्राब्लम हो जाएगी. मुझे उसका ध्यान रखना ज़रूरी था.

निशा भी हमारे साथ बैठ गयी. हम तीनो वही छाई पीने लगे. निशा चुप-छाप बैठी थी. मैं उससे देखे जेया रहा था. वो माना कर रही थी की मत देखो. डीपू यही है.

मैने हेस्ट हुए उसे चुपके से फ्लाइयिंग किस दिया. वो मुस्कुराने लगी और चुप रहने को बोला. फिर मैने डीपू से कहा-

मैं: भाई चल ना कही घूमने चलते है. आंटी को भी साथ ले चलते है.

जैसे मैने आंटी बोला निशा शॉक्ड होके मुझे घूर्ने लगी. दीपक बोला-

डीपू: भाई अभी एग्ज़ॅम आने वाले है. कही नही जेया सकते है. और अभी पापा जाने नही देंगे. चल रूम में चलते है. वही बातें करेंगे.

हम दोनो वाहा से उठ कर रूम में जाने लगे. मेरा मॅन तो निशा को देखने का था. लेकिन डीपू के साथ बे-मॅन से जाना पड़ा. मैने पीछे पलट कर आंटी को देखा. वो भी मुझे स्माइल देते हुए ज़ुबान बाहर निकाल कर चिढ़ने लगी. मैं भी हस्स दिया, और किस दे दिया.

हम दोनो करीब आधे घंटे तक रूम में बातें करने लगे. मुझे बोरिंग फील होने लगा था. मैं मॅन में सोच रहा था की आंटी के पास कैसे भी चला जौ. लेकिन मॅन मार के बैठना पड़ा.

क्यूंकी मैं उसी की मा को पसंद करता था. निशा को छोड़ने के लिए डीपू के साथ रहना ज़रूरी था. वो बस पढ़ाई की बातें करता था. उसकी लाइफ में ना कोई गफ़ थी, ना उसने कभी किसी को छोड़ा था. तो हमेशा बोरिंग बातें करता था.

डीपू की मा सेक्सी और कामुक बदन की मालकिन थी. जिसकी वजह से उसके साथ टाइम-पास करना ज़रूरी था. हम बातें कर ही रहे थे. इतने में निशा रूम में आ गयी.

वो कुछ नाश्ता लेके आई थी, और मैं बस उसे देखने लगा. निशा भी नॉर्मल नज़रों से मुझे स्माइल देते हुए देखने लगी थी. शायद उसका भी मॅन था. उसे मेरे साथ के पल याद आ रहे होंगे. उसकी आँखों से पता चल रहा था.

निशा नाश्ता दे कर चली गयी. फिर निशा ने नीचे से दीपक को आवाज़ लगाई. दीपक बोला-

डीपू: क्या हुआ?

निशा: इधर आ ना. मुझे तेरी हेल्प चाहिए.

दीपक का मूड नही था. इसलिए उसने मुझे बोला-

डीपू: भाई प्लीज़, तू जाके मॅमी के हेल्प कर दे. बहुत तक गया हू मैं आज.

मैं भी यही चाहता था. फिर मैं बोला-

मैं: कोई बात नही यार. तू रेस्ट कर. मैं देखता हू.

मैं किचन में गया. निशा मुझे देख कर बोली-

निशा: तुम क्यूँ आए हो? जाओ प्लीज़. वरना डीपू देख लेगा.

मैं: चुप साली, तेरे बेटे ने ही भेजा है तेरी हेल्प करने के लिए. वो रेस्ट कर रहा है. आज तक गया है. बहनचोड़, चुदाई हमने की है, तक वो गया है.

इतना बोल के मैं हासणे लगा. तो वो भी स्माइल देने लगी. मैने उसकी कमर पकड़ के पास में खींचा और बोला-

मैं: बोल मेरे रानी, क्यूँ बुलाया है?

निशा: आपको बुला के क्या फ़ायदा? आप कों सा काम करने वाले हो. आप तो बस मस्ती के मूड में रहते हो. छ्चोढो ना प्लीज़.

मैं: पहले बता साली. तुझे अछा नही लगता क्या?

निशा: ऐसी बात नही है. आपके साथ मैं बहुत खुश हू. लेकिन हमे सावधानी रखनी पड़ेगी.

मैं: अभी कों आ रहा है? तेरा बेटा रेस्ट कर रहा है. अगर उसे आना होता तो आ जाता खुद ही.

मैने इतना बोला था की निशा चुप हो गयी. फिर मैने उसे दीवार से चिपका दिया किचन के गाते के बगल में, ताकि डीपू आ जाए तो हमे पता चल जाए.

निशा: आप ना हमेशा मूड में रहते हो. आपको तो बस मौका चाहिए. आप बहुत नॉटी हो.

मैं: क्यूँ तुझे अछा नही लग रहा? ठीक है नही करता मैं.

मैने उसे छ्चोढ़ दिया, और किचन से बाहर जाने लगा. तभी निशा ने मेरा हाथ पकड़ लिया, और मुझे अंदर खींच लिया. फिर वो बोली-

निशा: आप ना बहुत बुरे हो. मारूँगी समझे अगर गये तो. प्लीज़ मुझसे ऐसे गुस्सा मत हो. ये मैं हमारे रिश्ते को संभालने के लिए बोल रही हू.

मैं: मैं हू ना. तू क्यूँ चिंता कर रही है?

फिर आंटी मुझे देखने लगी. मैं भी उसे देखे जेया रहा था, और उसके कंधे पकड़ कर अपने पास लाया. फिर उसकी आँखों में देखते हुए बोला-

मैं: ई लोवे योउ सो मच निशा. मैं तुझे ऐसे ही परेशन करूँगा.

वो हेस्ट हुए और आँखों में हल्के आँसू लाते हुए बोली-

निशा: मैं भी आपसे प्यार करती हू. आपकी शैतानिया मुझे भी अची लगती है. मेरे लाइफ में आपने खुशियाँ भर दी है.

कहानी अब नेक्स्ट पार्ट में है. दोस्तों कैसे लगी स्टोरी मुझे ज़रूर बताना.

और किसी को मुझसे चूड़ना हो और रियल सेक्यूर रिलेशन्षिप का मज़ा चाहिए, तो मुझे गम0288580@गमाल.कॉम पर मेसेज करे.

थॅंक्स.