बाप ने किया बेटी को चोदने का फैंसला

ही दोस्तों, मैं हू अविनाश. मैं वापस आ गया हू अपनी कहानी का अगला पार्ट लेके. पिछले पार्ट में आपने पढ़ा था, की मैं ऑफीस से जल्दी घर आ गया, और घर आके मैने अपनी बेटी महक को मेरे रूम में ही चूड़ते देखा. अब आयेज बढ़ते है.

वो लड़का मेरी बेटी को मिशनरी पोज़िशन में छोड़ रहा था. फिर उसने लड़के ने अपना लंड महक की छूट से बाहर निकाला, और उसको बोला-

वो लड़का: चल मेरी जान, अब घोड़ी बन जेया.

उसकी बात सुनते ही मेरी बेटी जल्दी से घोड़ी बन गयी. फिर लड़के ने मेरी बेटी के चूतड़ पकड़े, और उनमे अपना मूह घुसा कर चाटने लगा. मेरी बेटी आ आ की सिसकारियाँ भर रही थी.

फिर उस लड़के ने अपना लंड महक की छूट पर सेट किया, और एक ज़ोर के धक्के से पूरा का पूरा लंड उसकी छूट में घुसा दिया.

महक: आहह मदारचोड़! धीरे कर ना तोड़ा.

लड़का: धीरे क्यूँ करू रंडी? तू कों सी वर्जिन है जो तुझे दर्द होगा. साली तूने तो कॉलेज का कोई लड़का नही छ्चोढा. सब में अपनी छूट का लंगर बाँटा है.

महक: लेकिन तुम लोगों में इतना दूं नही की मेरी छूट की प्यास बुझा सको. सेयेल सब का लंड लेके देख लिया, लेकिन तुम सब मुत्ताल और नाल्ले निकले. यहा मेरी छूट गरम ही होती है, और तुम लोगों का निकल जाता है.

लड़का: अछा, अभी दिखता हू तुझे रंडी.

ये बोल कर वो लड़का अपने धक्को की स्पीड और ताक़त दोनो बढ़ा देता है. अब महक को और मज़ा आने लगता है. वो लड़का उसके बाल पकड़ लेता है, और खींच कर ऐसे छोड़ने लगता है, जैसे किसी घोड़ी को छोड़ रहा हो.

10 मिनिट वो ऐसे ही धक्के मारता रहा, और फिर लंड बाहर निकाल कर महक की गांद पर झाड़ गया. तभी महक बोली-

महक: क्या हुआ, रुक क्यूँ गये?

लड़का: हो गया मेरा.

महक: क्या! हो भी गया? सेयेल अभी तो तू बहुत बोल रहा था. तू तो 20 मिनिट भी नही टीका. तेरे से आचे तो वो रजनीश, मुकुल और विनोद है. सेयेल वो लोग आधा-आधा घंटा मुझे छोड़ते रहे थे.

फिर महक सीधी हो गयी और बोली-

महक: अब हो गया ना तेरा?

लड़का: हा (शर्मिंदा होते हुए).

महक: चल निकल फिर बेहन के लोड. सारा मूड खराब कर दिया.

फिर उस लड़के ने अपने कपड़े पहने, और बाहर जाने लगा. मैं जल्दी से जाके च्छूप गया. फिर वो चला गया. महक रूम से बाहर आई, और बातरूम में नहाने चली गयी.

वो नंगी ही बातरूम में गयी थी, और उसकी गांद देख कर तो मैं पागल सा हो रहा था. इतना कुछ देखने के बाद मैं कुछ समझ नही पा रहा था. फिर मैं उसके बातरूम में से बाहर आने से पहले घर से बाहर निकल गया.

मैं एक गार्डेन में जाके बैठ गया, और सोचने लगा की मेरी बेटी तो पूरी छिनाल निकली. पता नही कितने लड़कों से चुड चुकी थी वो. उस लड़के ने कहने के मुताबिक तो उसने कॉलेज का कोई लड़का नही छ्चोढा था. और महक ने भी 3 लड़कों का नाम लिया था.

मैं ये सब सोच कर चिंतित हो रहा था. फिर तभी मुझे अचानक से महक की वो बात याद आई, जब उसने बोला की इतने सारे लड़कों में से एक भी उसको संतुष्ट नही कर पाया. ये बात याद करके मेरा माता तनका.

मुझे याद आया की मैं तो पहले से अपनी बेटी को छोड़ने की फिराक़ में था. और वैसे भी उसको कोई कॉलेज का लड़का संतुष्ट नही कर सकता था. वो मेरी बेटी थी, तो मेरे जैसी हॉर्नी तो होनी ही थी. ये सोच कर मैने अपनी बेटी को छोड़ने का फैंसला किया.

अब बस मुझे मौका चाहिए था. फिर थोड़ी देर बाद जब मेरा ऑफीस से घर जाने का टाइम हो गया, तो मैं घर वापस गया. मैने जाके बेल बजाई, और रोज़ की तरह महक ने दरवाज़ा खोला-

महक: गुड ईव्निंग दाद.

मैं: गुड ईव्निंग बेटा, कैसी हो?

महक: अची दाद, आप बताओ.

मैं: मैं भी अछा हू. और कॉलेज कैसा गया?

महक: ठीक था.

मेरे मॅन में आया “साली रंडी, तू कॉलेज गयी कहा थी. तू तो उस बेहन के लोड का लोड्‍ा ले रही थी अपने अंदर”. फिर महक मेरे लिए छाई बना कर लेके आई.

जब वो छाई टेबल पर रखने के लिए नीचे झुकी, तो उसकी खुली त-शर्ट में उसके चूचे लटक रहे थे. उसके मस्त गोरे चूचे देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया.

फिर जब वो वापस किचन की तरफ जाने लगी, तो उसकी मटकती गांद पाजामे के अंदर होने के बावजूद मुझे नंगी नज़र आ रही थी. लड़के इस फीलिंग को बड़े आचे से समझते होंगे, जब कोई लड़की कपड़ों में भी नंगी नज़र आती है.

मेरा दिल तो कर रहा था, की अभी उस रंडी बेटी को पकड़ कर छोड़ डू. लेकिन मेरी बीवी के आने का टाइम हो गया था, और मैं कोई रिस्क नही ले सकता था. मुझे अभी तोड़ा इंतेज़ार और करना था.

शाम के 5 बाज गये थे, और मेरी बीवी भी घर आ चुकी थी. हम लोग हॉल में बैठ कर टीवी पर मोविए देख रहे थे. मेरी नज़र टीवी पर तो जेया ही नही रही थी, और मैं महक को ही देखे जेया रहा था.

मैं आँखों ही आँखों में उसके जिस्म को पी रहा था. मेरा लंड लगातार खड़ा था, और बैठ ही नही रहा था. मैने सोचा की अगर मेरा खरा लंड उन दोनो में से किसी ने देख लिया, तो डिकाट हो जाएगी.

फिर मैं जल्दी से अपने लंड को च्छूपाता हुआ उठा, और बातरूम में चला गया. वाहा जाके मैने अपने लंड बाहर निकाला, और महक के सुबा वाले सीन इमॅजिन करके मूठ मारने लगा.

5 मिनिट में ही मेरा पानी निकल गया. ये पहली बार था जब 5 मिनिट में मेरा पानी निकला हो. सोचो कितना बेताब था मेरा लंड मेरी बेटी की छूट में जाने के लिए. मेरा पानी भी बहुत सारा निकला था.

टाइम घिस-घिस का चल रहा था. या शायद मुझे रात होने की वेट थी, इसलिए लग रहा था ऐसा. फिर फाइनली वो रात आ गयी, जिसका मुझे बेसब्री से इंतेज़ार था. ये रात मेरी ज़िंदगी की सबसे हसीन रातों में से एक होने वाली थी.

इसके आयेज की कहानी अगले पार्ट में. अगला पार्ट इस कहानी का लास्ट पार्ट होगा. अब तक की कहानी में अगर आपको मज़ा आया हो, तो लीके और कॉमेंट ज़रूर करे.