गदरायी हुई औरत ननद के जवान बेटे से चुदी

नमस्कार प्यारे दोस्तों,

मैं किरण आप सब का मेरी इस कहानी में स्वागत करती हूं। मैं 48 साल की, पेशे से एक शिक्षक, शादी-शुदा, और दो बच्चों की मां हूं। लेकिन‌ मैं एक शानदार जिस्म की मालकिन और भरे हुये मांसल शरीर की औरत हूं।

मेरे फिगर के बारे में बताऊं उसके पहले आप यह जान लें कि मैं इतने भड़काऊ शरीर और खूबसूरत हुस्न की मालकिन हूं, कि मेरा अपना बेटा मुझे चोदने की ख्वाहिश रखता है। मेरी लम्बाई थोड़ी कम है, रंग एक-दम गौरा, स्तन 38″ की साइज के ऐसे भरे पूरे हैं कि हमेशा मेरे ब्लाउज से बाहर निकले रहते हैं। जिन्हें देख कर हर नौजवान का लंड सलामी देने लगता है।

कमर और पेट एक दम गोल है, और गांड हल्की सी ही बाहर निकली हुई है। क्योंकि मेरी कमर ज्यादा पतली नहीं हैं, लेकिन जांघे पतली और एक-दम चिकनी गौरी है, जिससे गांड का आकार एक दम गोल-मटोल दिखता है।

नाभी गहरी हैं और चूत काफी लम्बी और फूली हुई है। पेट ज्यादा बाहर लटका हुआ नहीं है, इसलिए नाभी और चूत के बीच का हिस्सा नाभी के नीचे से ढलान लेते हुये चूत तक जाता है। आशा करती हूं आपको मेरे बारे में एक अच्छा खासा अंदाजा हो गया होगा। अब आगे की शुरुआत करती हूं, जो कि मेरी जिंदगी की एक सच्ची कहानी है।

बात 5-6 साल पुरानी हैं। मेरी ननद का बेटा मनोज जिसकी उम्र तब 32 साल थी हमारे घर आया था। दरअसल मेरी दूसरी ननद के घर पर फंक्शन था। सब लोग जा चुके थे। मैं कुछ जरूरी काम की वजह से मैं सबके साथ नहीं जा पाई। इसलिए मुझे मनोज जी का काॅल आया कि मामी जी आप मेरे साथ चल चलना मैं अभी रवाना होने वाला हूं घर से। मनोज जी को मेरे बेटे ने बता दिया था फोन करके कि भैया आप आओगे यहां तो मम्मी को भी लेते आना। क्योंकि मनोज जी हमारे गांव होकर ही गुजरते।

शाम को मैं स्कूल से आयी। घर पर कोई नहीं था। मैं जल्दी से हाथ पैर मुंह धोकर कपड़े बदलने लगी। क्योंकि मनोज जी बस आने वाले थे। मैंने साड़ी उतार दी, ब्लाउज भी खोल दिया, और अब मैं सिर्फ ब्रा और पेटीकोट में थी, और पेटीकोट बदलने के लिए मैंने एक पेटीकोट सिर से उपर से डाला हुआ था। फिर अपना पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया, जिससे झट से मेरा पेटीकोट नीचे गिर गया और दूसरा पेटीकोट बस गले में अटका हुआ था।

मैंने सामने कांच की और मुंह किया तो देखा पीछे मनोज जी आ गये थे। दरअसल मैं गेट लोक करना भूल गयी थी, और ऐन वक्त पर मनोज जी आ गये। मैंने नीचे इस वक्त कुछ नहीं पहना था। मनोज जी की नजरे सीधी मेरी गोल-मटोल भरी-भरी गांड पर टिकी रह गई। मुझे भी समझ नहीं आया क्या करूं और झट से अपना पेटीकोट गले से नीचे सरका लिया।

अब मैं पेटीकोट और ब्रा में खड़ी थी तब तक उन्होंने भी अपनी जगह बदल ली थी और अब वो मेरे सामने से हट चुके थे। मैं शर्म से पानी-पानी हो गई लेकिन एक जवान हट्टे-खट्टे मर्द के सामने नंगी खड़ी होने से एक बार तो मन में एक बिजली सी दौड़ गयी। फिर मैं जल्द से साड़ी पहन कर मनोज जी के सामने गयी। उन्होने भी खड़े होकर सब कुछ नजर अंदाज करते हुए मेरे पैर छुए।

फिर हम बाते करने लगे, और मैं तैयार होने लगी। मैंने मेकअप किया और सुर्ख लाल रंग की लिपस्टिक लगाई। मनोज जी मुझे देखे जा रहे थे। उन्हें लग रहा था कि जिस मामी जी को अभी नंगी देखा था वो अब और ज्यादा सेक्सी लग रही थी। मैंने चाय की पूछी तो उन्होंने मना करते हुए कहा कि, “मैं तो बीयर पीउंगा, जो मैं अपने साथ लेकर आया हूं। तब तक आप तैयार हो जाईए”।

वो जाकर कार से अपनी बीयर निकाल लाए और अन्दर आकर पीने लगे। दरअसल हमारे परिवार में शराब को लेकर ज्यादा रोक-टोक नहीं है। तभी उन्होंने मुझे भी पीने को कहा लेकिन मैंने मना कर दिया। फिर उन्होंने जिद की तो एक गिलास में मैंने भी ले लिया और पीने लगी। मैंने इसलिए पी क्योंकि आज मनोज जी के सामने इस तरह गलती से ही सही लेकिन नंगी हो जाने के कारण मुझे एक करंट सा लगा।

अभी भी हम दोनों घर में अकेले थे,‌ इसीलिए मेरे मन में थोड़ा-बहुत एक गैर मर्द के साथ होने का सहमा-सहमा सा करंटदार उत्साह था। बातों ही बातों में मनोज जी बोले कि, “मामी जी आपकी उम्र जितनी है उतनी लगती नहीं हैं। आप अभी भी बहुत जवान लगती हो”। मैं समझ गयी कि ये मेरे जिस्म की बात कर रहे थे। पर मैंने इस पर कुछ नहीं कहा क्योंकि आज पता नहीं मुझमें भी एक जवानी का सा जोश था, तभी तो अभी उनके साथ बैठी थी।

मुझे इस तरह आराम से खुशी से बैठा देख उनकी भी हिम्मत बढ़ी, और उन्होंने मुझे पैर से टच किया। मैंने कुछ जवाब नहीं दिया, क्योंकि आज मुझे भी कुछ हो रहा था। तभी उन्होंने एक पैग और बना दिया। मैंने झूठे मन से मना करते हुए गिलास पकड़ लिया और एक-दो घूंट में ही गटक गयी। अब थोड़ा-बहुत नशा आने लगा था।

फिर मनोज जी ने मुझे एक पैग की और फरमाईश की,‌लेकिन मैंने मना कर दिया। पर वो जिद करने लगे और मेरे हाथ से गिलास छिनने लगे, और इसी बीच उनका हाथ मेरे बूब्स से टच हो गया। मैं सिहार उठी। उन्होंने भी हिम्मत करते हुए एक बार मेरे बूब्स को जरा सा दबा दिया, कुछ ऐसे जैसे गलती से हुआ हो। पर मैं अब समझ चुकी थी कि वो भी अपनी मामी जी के गदराये हुए जिस्म के नशे में उतर चुके थे। तभी मनोज जी तीसरा पेग बना कर अबकी बार अपने हाथों से ही मेरे मुंह से लगा दिया।

धीरे-धीरे पीते हुए मैं उनकी आंखो में देखने लगी, और देखती ही रही। बस वो समझ गये कि मैं तैयार थी। मैंने भी उनका हाथ अपने हाथ से दबा कर पैग को खत्म कर दिया, लेकिन हाथ नहीं छोड़ा। बस अब उन्हें पक्का इशारा मिल चुका था। बिना कुछ कहे हम बहुत कुछ समझ गये। उन्होंने झट से मुझे कस के पकड़ लिया और मैं उठ खड़ी हुई। एक तगड़े मर्द की बाहों मे आकर मे मदहोश हो गयी।

उन्होंने मुझे दीवार से सटा दिया, और मेरे होठों पर अपने होठ रख दिए। मैं भी अब उनका साथ देने लगी। आखिर हर ढलती उम्र की औरत की ख्वाहिश होती है एक नौजवान लंड से चुद कर वापस जवानी जीने की। तभी मैंने कहा कि दरवाजा बंद कर दो। फिर वो वापस आये तो मैं बैड पर लेटी हुई थी। एक दम वासना को न्योता देती कोई खूबसूरत गदराई वैश्या जैसी लग रही थी, और ऊपर से मैं सज-धज कर तैयार भी थी। मुझे नहीं पता था कि आज मैं फंक्शन में जाने के लिए नहीं बल्कि अपनी ननद के बेटे के साथ चुदने के लिए तैयार हो रही हूं।

मनोज जी आते ही मेरे ऊपर अपना आखिरी पैग पीकर चढ़ गये। वो मुझे देख कर बहुत ज्यादा उत्तेजित हो चुके थे और मैं उन्हें देख कर। हम एक दूसरे के होंठ चूमने लगे। वो मेरे बूब्स दबा रहे थे जोरों से और मैं मानो जवान मर्द से चुदने की अपनी तमन्ना पूरी होने से खुश थी, वो भी अपने ही घर में एक भरोसेमंद मर्द के साथ। अब मनोज जी ने मेरा ब्लाउज खोल फेंका, और एक हाथ से ब्रा ऐसी खींची कि हुक तक टूट गये।

अब मेरे दोनों बड़े-बड़े कबूतर पिंजरे से आजाद होकर एक मर्द के हाथों में थे जो मेरे बेटे जैसा था। वो भेड़िए की तरह उन्हें नोचने लगा। दरअसल यह मैंने पहले ही सोच लिया था कि मनोज जी मेरी चुदाई एक जानवर की तरह करेंगे, तभी तो मैंने आज उन्हें इतना मौका दिया।

इसके बाद मनोज जी के कड़क लंड को मैंने अपने हाथ से छुआ जो बहुत देर से मुझे आमंत्रण दे रहा था चुभ-चुभ कर। वो समझ गये कि अब मामी जी को क्या चाहिए। उन्होंने झट से अपनी पेंट खोल दी और घुटने के बल बैठ गये, और मुझे कहा, “मामी जी घोड़ी बनो।” मैंने झट से अपने भांजे की बात मानी और लटकते हुए बोबों के साथ घोड़ी बन गयी, और किसी बड़ी रंडी की तरह मनोज जी का लंड लपक के मुंह में ले लिया।

मनोज जी ने भी सिर दबा कर पूरा गले तक डालते हुए कहा कि “मामी जी लड़कियों की तरह टोपा-टोपा क्या चूस रही हो। 48 साल की अनुभवी औरत की तरह हलक तक लो लंड”। फिर उन्होंने बची हुई साड़ी भी खोलते हुए मुझे घोड़ी बने हुए ही पीछे घुमा दिया और मेरा पेटीकोट खोलने के बजाय ऊपर सरका दिया।

अब वापस वही गांड उनके सामने थी जिसे गलती से 1 घंटे पहले उन्होंने देख लिया था। फिर एक असली मर्द की तरह मेरे गुप्तांगों पर अपनी जीभ रख दी। कभी चूत तो कभी मेरे गांड के छेद को चाटने लगे। मैं सातवें आसमान पर थी। मैंने कभी नहीं सोचा था कि कभी इस उम्र में भी कोई नौजवान लड़का मेरी चूत चाटेगा। अब मैंने अपना रस छोड़ दिया और मनोज जी का सिर अपने भोसड़े मे दबा दिया।

फिर वो मामी जी की मलाई चाटने के बाद कहने लगे कि, “मामी जी, आपका तो निकल गया, अब मेरी बारी है”। मैंने कहा कि,‌ “मेरे राजा आज ये मामी जी तेरी रखैल है, रंडी है, मेरी चूत को चकना चूर करके मेरी जवान लंड से ठुकने की तमन्ना पूरी कर दे”। यह कहते ही उसने जोश में आकर मेरी गांड पर चांटे मारने शुरू कर दिए, और अपनी बेल्ट निकाल कर उसे तीन-चार बार मेरी गांड पर पट-पट‌ मारा। मैं समझ चुकी थी कि मुझे वैसी ही चुदाई मिलेगी जैसी चाहिए थी, जंगली भेड़िये जैसी।

अब मेरी गांड लाल हो चुकी थी। फिर मनोज जी ने मेरी चूत पर अपना थूक लगाया अपने मुंह से, और मैं समझ गयी कि मेरी आबरू अब लुटने वाली थी। झट से मनोज जी ने अपना मूसल जैसा 7 इंच का दो खीरे जितना मोटा लंड मेरी चुद-चुद कर भोसड़ा बन चुकी चूत में घुसेड़ दिया। और मैं जल बिन मछली जैसी तड़प उठी, क्योंकि 4-5 लंड पहले भी लिए थे, लेकिन ऐसा मूसल जैसा लंड आज तक नहीं झेला।

“आहहहहह उफ्फ्फ, मनोज जी चोदो अपनी रंडी मामी जी को। मनोज जी धीरे पेलो मेरी चूत फट गयी ऊईईईई माँ। आहहहहह मनोज जी रहम करो”। “मामी जी आज कोई रहम नहीं होगा, आज बस आपकी चूत का मेरी बुलेट ट्रेन चलेगी, उफ्फ्फ्फ्फ्फ रंडी मामी जी”।

उसके बाद 3 बार मनोज जी ने मेरी चुदाई की जिसमें से एक बार मेरे प्यारे मनोज जी ने मेरी गांड भी मारी और ऐसा दर्द दिया कि जिंदगी भर के लिए चाल ही बदल दी। आज भी 5 साल बाद भी मैं रोज सरसों के तेल से अपने कुल्हों पर मालिश करती हूं, तब दिन निकलता है।

उसके बाद हम लोग फंक्शन में गये और रास्ते मे एक बीयर दोनों ने पी। मैंने कार में ही मनोज जी का लंड चूसा। फिर वहां बाकी सब लोग तो उस रात रुक गये और मैं सुबह स्कूल जाने का बहाना लेकर खाना खा कर वापस आ गयी। और फिर वापस पूरी रात मनोज जी ने मेरी लपक-लपक कर चूत और गांड फाड़ी और पूरी रात बस यही स्वर गूंजते रहे आह आह ओह आह फच फच फच।

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