ट्रेन में हुआ शादी-शुदा लड़की का गंगबांग

ही, मेरा नाम स्मिता है. मैं 24 साल की हू, और एक मंक में जॉब करती हू. मेरी शादी को 2 मंत्स हुए है, और मेरे हज़्बेंड का नामे दिनेश है. वो एक बॅंक एंप्लायी है.

हमारे हनिमून के लिए हमने हिमाचल प्रदेश जाने का प्लान किया था. मैं शादी के टाइम वर्जिन थी, आंड मैं सोच रखी थी की अपनी वर्जिनिटी को अपने हज़्बेंड से ही तुद्वौनगी.

लेकिन किस्मत का खेल देखिए, जो सोचा था वो नही हुआ, और मेरी पहली चुदाई पराए मर्दों ने की. इस इन्सिडेंट के बारे में मेरे हज़्बेंड को कुछ नही पता है, क्यूंकी उनको पता लगेगा तो वो मुझे डाइवोर्स दे देंगे.

तो हुआ यू की शादी के बाद दिनेश ने हमारा हिमाचल जाने का टिकेट राजधानी एक्सप्रेस की 1स्ट्रीट क्लास में करा दिया. हम देल्ही जाके वाहा से कार लेके हिमाचल जाने वाले थे.

पर अनलकिली हम दोनो को बर्त अलग-अलग कॉमपार्टमेंट में मिला. मेरा बर्त एक कू (2 बर्त्स वाला प्राइवेट कॅबिन) में था, और दिनेश का बर्त एक कॅबिन (4 बर्त्स वाला) में था.

मुझे थोड़ी सी टेन्षन हो गयी, पर दिनेश बोले की ट्रेन में चढ़ने के बाद हम त.त.ए से बात करके बर्त्स एक साथ कर लेंगे. मैं तोड़ा खुश हुई, और पॅकिंग करने लगी.

फिर जर्नी का डटे आ गया, और ट्रेन का डिपार्चर टाइमिंग शाम के 4 पीयेम का था. हम घर से ठीक 2 बजे निकल गये, और 3 बजे तक स्टेशन पहुँच गये. मैने एक पिंक टॉप और ब्लू जीन्स पहनी थी.

मेरी बॉडी स्टॅट्स है 34-32-34, रंग गोरा, और हाइट है 5’7″. ट्रेन प्लॅटफॉर्म पे आ गयी और हम ट्रेन में चढ़ गये. पहले हम दोनो मेरे कू में बैठे रहे, और थोड़ी देर में उस कू में एक 50 साल के करीब का आदमी आया, जो की सफेद कुर्ते पाजामे में था. शकल से वो पॉलिटीशियन लग रहे थे. वो आदमी मुझे देखता ही रह गया. मैं जीन्स टॉप में बिल्कुल मस्त कॉलेज गोयिंग माल लग रही थी.

वो आदमी वही बैठ गया, और मेरे हज़्बेंड को उठ के बाहर जाना पड़ा. वो बाहर जाके त.त.ए से बात करने चले गये. यहा मैं और वो आदमी अकेले थे, और मैं नोटीस कर रही थी वो आदमी मुझे उपर से नीचे तक घूर-घूर के देख रहा था.

तभी मेरे हज़्बेंड आए और उस आदमी से बोले, “हम दोनो न्यूली मॅरीड है (ये मेरे हज़्बेंड की सबसे बड़ी भूल साबित हुई), और हमारा बर्त अलग-अलग कॉमपार्ट्मेंट्स में है. त.त.ए से बात किए है, पर वो कुछ नही कर सकते. किसी पॅसेंजर से ही एक्सचेंज करना पड़ेगा.”

आदमी: भाई मैं बुद्धा हू, और तका हुआ हू. मुझे थोड़ी प्राइवसी चाहिए इसलिए मैं सीट एक्सचेंज नही कर सकता.

दिनेश: अछा ठीक है सिर. मैं दूसरे कॉमपार्टमेंट में पूछता हू.

दिनेश अपने कॉमपार्टमेंट में गये तो देखे की वाहा एक 3 मेंबर की फॅमिली थी. वो समझ गये की फॅमिली कभी भी बर्त एक्सचेंज नही करेगी. वो वापस आए और बोले-

दिनेश: स्मिता, बर्त तो एक्सचेंज नही हो पाएगी. तुम्हे यही अपने बर्त में रहना पड़ेगा. बस एक रात की बात है. कल सुबह हम साथ होंगे. और ये अंकल भी थोड़े आचे लग रहे है, तुम्हारे पापा की तरह है. अपना ध्यान रखना.

स्मिता: ठीक है, आप टेन्षन मत लो. आप आराम करिए. कल आचे से साथ में टाइम स्पेंट करेंगे.

और दिनेश मेरे कू का डोर क्लोज़ करके चले गये. अब वो आदमी और मैं अकेले कू में रह गये थे. मैं विंडो साइड पे बैठ के चुप-छाप बाहर देख रही थी. ट्रेन अपनी पूरी रफ़्तार में चल रही थी. अचानक वो अंकल मुझसे बोले-

अंकल: सुनिए, आपको कोई प्राब्लम तो नही अगर मैं अपने कपड़े बदल लू? वॉशरूम तोड़ा सा गंदा है, तो यही कपड़े बदल सकता हू?

स्मिता: ठीक है, कर लीजिए.

वो अंकल उठे और अपना कुर्ता-पाजामा उतार दिए. बस अंडरवेर और बनियान में खड़े होके अपने बाग से एक लूँगी निकाले और पहन लिए. उन्होने फिर अपना अंडरवेर भी उतार लिया. मैं विंडो से बाहर देख रही थी, लेकिन मैं सब समझ रही थी वो अंकल क्या कर रहे थे. अब वो अंकल बस लूँगी और उपर वाइट बनियान में बैठे थे. थोड़ी देर बाद-

अंकल: पुर 18-20 अवर्स की जर्नी है, आप भी कपड़े बदल लीजिए. ये टाइट जीन्स टॉप में बहुत मुश्किल होती होगी. कुछ हल्का पहन लीजिए.

स्मिता: ठीक है.

और मैं झुक के अपने बाग से अपनी नाइट ट्राउज़र और लूस टॉप निकालने लगी. मैं नीचे झुकी हुई थी, तो मेरे बूब्स का व्यू बहुत सही दिख रहा था. वो अंकल बड़े ध्यान से मेरे बूब्स को घूर रहे थे. फिर जैसे ही मैं उपर देखी, तो मेरी आँखों के सामने अंकल का काला खड़ा लंड दिखा.

वो अंकल जान-बूझ के टाँग खोल के बैठे थे, और इस वजह से उनका लंड सॉफ-सॉफ दिख रहा था. मैं दर्र गयी और उठ खड़ी हुई हड़बड़ा के, जिससे की मेरा बॅलेन्स बिगड़ा और मैं सीधा अंकल के उपर गिर पड़ी. अंकल मेरे कमर से मुझे थामे और इसी उहा-पो में मेरे बूब्स को ज़ोर से दबा दिए. मेरे मूह से अया निकल गयी, और पुर शरीर पे झुरजुरी फैल गयी.

मैं सीधी खड़ी हुई और अंकल को सॉरी बोल के टाय्लेट चली गयी. मैं अपनी ड्रेस चेंज की, और वापस अपने कॅबिन में आई. तो वाहा कॅबिन में दो और लोग थे. एक उस कोच का अटेंडेंट और एक त.त.ए. दोनो की आगे अराउंड 30 साल होगी. दोनो मुझे उपर से नीचे तक घूर-घूर के देखने लगे. मैं उस टाइम ब्लॅक नाइट ट्राउज़र और एक वाइट टॉप पहनी हुई थी.

मेरे अंदर आते ही वो दोनो चले गये, और कॅबिन का डोर फिर क्लोज़ हो गया. उसके बाद मैं अपना मोबाइल निकली और गाने सुनने लगी. वो अंकल भी मुझसे बात नही किए. रात हो गयी, और हमारा डिन्नर सर्व हुआ. मैं आचे से डिन्नर की, और थोड़ी देर बाद मुझे बहुत ज़ोर से नींद आने लगी. फिर मैं सो गयी अपने नीचे वाले बर्त पे.

थोड़ी देर बाद मेरी नींद खुली, तो मुझे महसूस हुआ की मेरी दोनो टांगे उठी हुई थी, और मेरे दोनो हाथ उपर थे. मेरी छूट में हल्का-हल्का दर्द और जलन फील हो रही थी. मैने धीरे-धीरे अपनी आँखें खोली तो देखी की वो अंकल मेरे उपर थे, और मुझे छोड़ रहे थे. मैं साइड में देखी तो 3 लोग और थे.

वो कोच अटेंडेंट, त.त.ए, और एक पॅंट्री का लड़का. तीनो अपने-अपने लंड को बाहर निकाल के हिला रहे थे. ये देख कर मैं हैरान हो गयी. इससे पहले मैं कुछ बोलती, अंकल ने मेरे होंठो को अपने होंठो से ब्लॉक कर दिया.

मुझे भी मज़ा आ रहा था, और मैं भी अपनी गांद को हिला-हिला के अंकल के लंड को और अंदर लेने की कोशिश कर रही थी. थोड़ी देर बाद वो अंकल मेरी छूट में झाड़ गये. फिर उनके बाद वो त.त.ए आया, और अपना 7 इंच का लंड मेरी छूट में घुसा के छोड़ने लगा. मुझे और भी मज़ा आने लगा तो मैं मस्त होने लगी. तभी वो अंकल बोले-

अंकल: साली रंडी को मज़ा आ रहा है. पक्की छिनाल है.

तभी वो कोच अटेंडेंट आया, और मेरे मूह में अपना लंड घुसा दिया. मैं अची बच्ची की तरह उस लॉलिपोप को चूसने लगी. थोड़ी देर बाद वो त.त.ए मेरे अंदर झाड़ गया, और मैं भी झाड़ गयी. मैं लंबी-लंबी साँसे लेने लगी.

तब नेक्स्ट वो कोच अटेंडेंट मेरी चूत को टवल से सॉफ किया, और अपना 9 इंच का लंड मेरी छूट में घुसा दिया. मेरी साँस ही अटक गयी, और पूरी छूट से खून बहने लगा. मैं चिल्ला दी, तो वो पॅंट्री वाले लड़के ने मेरे मूह में अपना लंड दे दिया. वो कोच अटेंडेंट जानवर की तरह मुझे छोड़ने लगा, और मेरे पेट, कमर, और बूब्स को नोचने लगा, काटने लगा.

मैं कुछ ना कर पाई और ऐसे ही 10 मिनिट तक छोड़ने के बाद वो मेरी छूट में अपना वीर्या छ्चोढ़ दिया. इसी बीच मैं 3 बार झाड़ चुकी थी. मेरे शरीर में और ताक़त बची ही नही थी, और मैं आँखें बाँध करके सोने लगी. तभी वो पॅंट्री वाला लड़का जो की 19-20 साल का होगा अपना लंड मेरी छूट में घुसने लगा. मैने उसे माना किया.

स्मिता: प्लीज़ बस करो. मेरे शरीर में और जान नही है छुड़वाने की.

पॅंट्री गाइ: चुप कर साली. तेरे जैसी गोरी चिकनी माल दोबारा कभी नही मिलेगी.

और वो मुझे छोड़ना शुरू कर दिया. वो करीब 15 मिनिट्स तक छोड़ा मुझे, और अपना माल पूरा मेरे अंदर छ्चोढ़ दिया. उसके बाद वो चारो मेरे उपर आए, और अपने-अपने लंड से मूठ मारने लगे. चारो ने अपना स्पर्म मेरे मूह पे और बूब्स पे निकाल दिया. उसके बाद वो चारो चले गये और करीब 5 मिनिट बाद वो अंकल वापस आए. वो मुझे बोले-

अंकल: आज तेरे जैसी हॉट रंडी को छोड़ के मज़ा ही आ गया. जेया खुद को सॉफ करके आ.

मैं अपने कपड़े लेने उठी, तो अंकल मेरे कपड़े ले लिए, और बोले-

अंकल: ऐसे ही जेया नंगी.

मैं नंगी बाहर निकली कू के, और टाय्लेट के पास पहुँची तो वाहा एक अर्पेम वाला जवान खड़ा था. उसके साथ वो त.त.ए भी खड़ा था. मुझे देख के वो त.त.ए बोला-

त.त.ए: यही है वो रंडी. जेया छोड़ ले.

वो अर्पेम जवान मुझे टाय्लेट के अंदर ले गया और ऐसे ही छोड़ने लगा. ऑलरेडी मैं 4 लंड ले चुकी थी, तो अब मुझे कुछ फील नही हो रहा था.10 मिनिट्स तक उस जवान ने मुझे छोड़ा टाय्लेट के अंदर खड़े-खड़े, और अपना सारा वीर्या मेरी छूट में छ्चोड़ दिया. फिर वो चला गया बाहर. मैं शवर चलाई और आचे से 10 मिनिट्स तक खुद को सॉफ की.

फिर वापस वैसे ही नंगी अपने कॅबिन में आ गयी. सुबह के 3 बजे रहे थे. मैं अंदर आई तो वो अंकल सो गये थे. मैं अपनी ट्राउज़र टॉप पहनी, और सो गयी. सुबह जब नींद खुली तो मेरे हज़्बेंड दिनेश मुझे उठा रहे थे. मैं दर्र गयी और आस-पास देखने लगी तो पाई की कॅबिन खाली था.

दिनेश: वो अंकल सुबह 6 बजे कानपुर पे उतार गये, और मुझे यहा अपनी बर्त पे बुला लिए. कितने आचे अंकल है ना?

मैं मॅन ही मॅन सोची: हा बहुत अछा था वो अंकल. मुझे 5 लंड दिलवाया एक ही रात में. हम देल्ही पहुचे और वाहा से हिमाचल. वाहा मैं अपने पति से भरपूर चूड़ी.

अब सब ठीक है, लेकिन परेशानी तब होगी जब मैं प्रेग्नेंट होंगी. पता नही किसके स्पर्म से मेरे को बच्चा होगा, ये तो वक़्त ही बताएगा.

दोस्तों कहानी का मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ भी ज़रूर शेर करे.