स्कूल वाली राशमी का बस मे चुदाई प्लान

हेलो दोस्तो, मुझे टा है आप मेरी सेक्सी स्टोरी का बेसब्री से इंतेज़ार कर रहे थे. आपका इंतेज़ार ख़तम हुआ. जैसा की आपने पहली सेक्सी स्टोरीस मे पढ़ा के दीदी मुझे रश्मि को च्छुने तक नही दे रही थी.

लेकिन रश्मि मुझे अप्रोच कर रही थी. बस मे उसने मेरे साथ च्छेदखानिया भी की लेकिन मई दीदी की वजह से कुछ नि कारपाया लेकिन फिर बाद मे मुझे दीदी के बारे मे टा लग गया.

इसीलिए फिर रश्मि ने ओर मैने अपनी च्छेदखानिया जारी रखी दीदी को बिना ब्ताए. दीदी अगर मुझसे पूछती भी थी तो मई उनको रश्मि से पूछने के लिए बोल देता था.

अब आयेज…

1 महीना बीट गया था. मेरे ओर रश्मि के बीच मे बस अभी तक च्छेदखानिया का ही रिश्ता था. रश्मि अब हमारे घर मे भी कम ही आती थी. अभी तक हमारी किस भी नि हुई थी.

मई ओर रश्मि प्लान ब्ना रहे थे के कैसे किस या सेक्स कर पाए क्यूकी हम मास्टरबेट कर करके भी तक चुके थे. ओर हमे कोई जगह मिल नि रही थी.

फिर मेरे दिमघ मे एक दिन स्कूल मे बैठे बैठे कुछ आया तो मैने रश्मि को रिसेस टाइम मे बुलाया बात करने के लिए..

रश्मि :- हाँ बीटीये क्या हुआ..

मई :- सुन बस मे ही करेगी सेक्स.

रश्मि :- तू पागल हो गया है.. बस मे च्छेदखनिओ तक ही ठीक है.. कल जब तू मेरी गांद मे अपना लंड पंत के अंदर से ही सहला रहा था… तब साइड मे खड़े एक बचे ने देख लिया था. ओर तू सेक्स की बात कर रहा है.

मई :- देख कल को फ्राइडे है. कल मे तू स्कर्ट पह्न कर आएगी.. तेरे पास एक छोटी स्कर्ट भी तो है जो तेरी गांद गांद ही कवर करती है..

रश्मि :- तू पागल हो गया है क्या.. वो मुझे मेरी मम्मी पहनने नि देती अब.. ओर मुझे भी शरम आती है… स्कूल का तो कुछ नि लेकिन गाओं मे मई नि पह्न सकती यर्र वो…

मई :- अरे देख तुझे बस वो किसी तरह से पह्न कर आनी है बाकी सुबह मे जब स्कूल बस आती है तब कोई तुझे देखेगा नि… बस आने आने की दिक्कत है.. इतना तो तू संभाल ही सकती है..

रश्मि :- यर्र तू समझ नि रहा है…मई भी उतावली हू तेरा लंड लेने के लिए लेकिन ये मुझसे नि हो पायगा.. चल स्कर्ट का गाओं के सामने संभाल लू लेकिन मम्मी को क्या बोलू जिससे वो मुझे वो स्कर्ट पहनने दे.

मई :- देख तू अपनी मम्मी को बोलियो के आज स्कूल मे स्ट्रेचिंग की एक्सर्साइज़ कराई जाएँगी. बड़ी स्कर्ट फट सकती है इसलिए छोटी स्कर्ट पहनने के लिए बोला है..

रश्मि :- आइडिया तो ठीक है लेकिन बस मे कैसे करेगा.

मई :- वू तुझे एक काम ओर करना पड़ेगा..

रश्मि :- वो क्या..

मई :- तुझे पनटी भी घर छ्चोड़कर आनी पड़ेगी..

रश्मि :- तू होश मे भी है के नही.. तू चाहता है के मई सारे दिन स्कूल मे नंगी फिरू.

मई :- यर्र मेरे लिए तू इतना भी नि कर सकती..

रश्मि :- ये काम तो नामुमकिन है.. हो ही नि सकता.. कुछ ओर सोच…

मई :- अछा अछा सुन.. एक काम कर… पनटी अपने बाग मे रखकर ले आईओ… घर से नंगी निकालिओ…फिर स्कूल मे आकेर पनटी पह्न लिओ… क्या बोलती है…

रश्मि :- अगर मम्मी को ज़रा सा भी शक़ हो गया ना मेरा स्कूल च्छुतवा देंगी तुझे भी टा है ये…

मई :- मेरी जान अभी तो टाइम है मज़े लेने का..

रश्मि :- चल ठीक है मई करती हू बात आज जाकेर…

मई :- ओकक

फिर वो दिन ऐसे ही गुज़र गया ओर अगले दिन जब मई स्टॉप पेर पोुंचा मेरी आँखें चावडी हो गयइ. रश्मि की दूध सी सफेद गोरी नंगी टाँगे मेरे सामने थी. मेरा मूह खुला का खुला रह गया.

वैसे तो मैने रश्मि को नंगी भी देखा हुआ था. लेकिन रश्मि इस ड्रेस मे ज़्यादा सेक्सी लग रही थी. फिर स्कूल बस आगयइ. हम दोनो उसमे चढ़ गये.

मई आस यूषुयल रश्मि से बिल्कुल लगा हुआ पीछे खड़ा था. फिर मैने हल्के से उसकी स्कर्ट ओर उपर चढ़ा दी. जिससे उसकी हल्की हल्की गांद भी खुल गयइ.

मैने अंदर हाथ डाल दिया ओर देखा के रश्मि ने अंदर कुछ भी नि पहना है. मेने उसकी तरफ देखा तो वो मुझे ईविल स्माइल देने लगी. मैने आस यूषुयल अपना काम शुरू कर दिया.

मई अपना हाथ उसकी नंगी गांद पेर चला रहा था. ओर उसकी गांद के छेड़ मे उंगली घुसाने की कोशिश कर रहा था. वो इस चीज़ को रेज़िस्ट करने लगी.

मैने उंगली निकाल ली. मेरा लंड उसकी नंगी टाँगो को देखकर ही खड़ा हो चुका था ओर अब तो मई उसकी नंगी गांद पेर हाथ चला रहा था. तो मैने अपनी पंत की चैन नीचे करदी.

मैने इधर उधर देखा के कोई देख तो नि रहा है. फिर मैने अपना लंड निकाल कर उसकी स्कर्ट के अंदर कार्डिया. ओर मई उससे एकद्ूम चिपक गया. मेरा लंड उसकी दोनो टाँगो के बीच मे चला गया.

बस मे आयेज पीछे झटके लगते ही रहते है तो मेरा लंड उसकी टॅंगो के बीच मे आयेज पीछे हो रहा था. उसने अपनी टाँगे भी एकद्ूम मिला ली थी.

जिससे मेरा लंड उसकी चूत पेर रगड़े खा रहा था. मुझे ओर रश्मि को बोहोट मज़ा आरहा था फिर मैने उसके कान मे बोला… ” अंदर डाल डू क्या”.

तो रश्मि मेरे कान मे बोली :- यहा पेर नि यर्र मुझे दर्द होगा… मई कही चिल्ला ना डू लेकिन तेरे लंड ने मुझे बोहोट गरम कर दिया है…

मैं :- तो रुक मई अभी डालता हू..

मई फिर अपने आपको नीचे झुका कर उपर उठाने लगा ओर अपना लंड रश्मि की छूट पेर सेट करलिया. ओर मैने एक झत्तक्ा मारा लेकिन मेरा लंड उसकी छूट से फिसलकर आयेज चला गया.

ऐसा इसलिए हो रहा था क्यू की वो एकद्ूम सीधी खड़ी हुई थी. ओर उसने अपनी टाँगे भी एकद्ूम मिला रखी थी. मैने 2-3 बार कोशिश की लेकिन मेरा लंड उसकी छूट मे नही गया.

मैने उसकी टांगे चावडी करके भी कोशिश की लेकिन मई सफल नि हो पाया. मेने उसके कान मे बोला “यर्र हो नि पा रहा है”.

रश्मि बोहोट गरम हो चुकी थी उसको मेरा लंड अपनी छूट के अंदर चाहिए था जल्दी से जल्दी…

तो वो बोली :- कुछ भी कर लेकिन मेरी छूट मे अपना लंड डालडे प्लीज़.

मई फिरसे कोशिश करने लगा तो हम जहा खड़े थे उसके बराबर वाली सीट पेर बैठा हुआ एक बचा हमे देख कर हासणे लगा था.

तो मई वही पेर रुक गया ओर फिर मैने कुछ नही किया. फिर मई बस अपना लंड उसकी दोनो टाँगो के बीच मे सहलाता रहा ओर स्कूल आगया.

जब बचे नीचे उतरने के लिए अपनी अपनी सीट्स से खड़े हो गये. तो मैने अपना लंड वापस अपनी पंत मे कर लिया ओर रश्मि ने अपनी स्कर्ट भी थोड़ी नीचे करली..

रश्मि मुझसे बोहोट घुस्सा हो गयइ के वो तो इतना सबकुछ करके मुझसे छुड़वाने आई लेकिन मई उसको छोड़ भी नि पा रहा था.

फिर मैने रिसेस तक बैठ कर एक ओर प्लान बनाया ओर फिर रश्मि को बुलाया. पहले तो वो आना कानी करने लगी. लेकिन बाद मे वो मान गयइ.

रश्मि :- तुझसे कुछ नि हो पायगा.. तू रहने दे..

मई :- अरे यर्र तू तो ऐसे बोल रही है जैसे मैने प्तनी कितनी लड़कीो को छोड़ा है.

रश्मि :- चल अब जल्दी बीटीये क्या करना है. मेरे पास टाइम नि है… ओर वैसे भी आज बोहोट गर्मी लग रही है..

मई :- देख आज कॉन्सा दिन है..

रश्मि :- फ्राइडे.. क्यू क्या हुआ आज..

मई :- आज हमारे आखरी के पीरियड्स खाली है. बसस भी उस टाइम मे आजाती है. मई बस मे लास्ट सीट पेर अपना बाग ले जाकेर रख दूँगा. कोई वाहा पेर नि बैठेगा.

रश्मि :- उससे क्या होगा.

मई :- अरे तू देर से आना ओर मेरे पास आकेर बैठना जब जगह नही मिलेगी तो मई तुझे अपनी गोद मे बिता लूँगा.

रश्मि :- तू मेरी छूट फिरसे गीली कर रहा है. ऐसा ना हो के तेरा ये भी प्लान फैल हो जाए.

मई :- ये वाला प्लान मई फैल होने नि दूँगा.

रश्मि :- तेरी सुबह की च्छेदखनिओ के बाद आज मई बोहोट हॉर्नी फील कर रही हू ओर तेरी वजह से आज मई इतनी बेशर्म हो गयइ हू.

मई :- क्या हुआ ऐसा.. छोटी स्कर्ट तो और भी लड़किया पह्न कर आती है.

रश्मि :- मई जिसकी बात कर रही हू वो तुझे टा लग जाएगा… जब मई सीढ़ियो से उपर जाो तो रेलिंग्स से मेरी टॅंगो को देखना…. टा लग जाएगा…

जब रश्मि उपर जाने लगी तो उसकी स्कर्ट के अंदर का सबकुछ दिखने लगा था. उसने पनटी स्कूल मे पहनी ही नही थी. मतलब वो पूरे दिन से नंगी फिर रही थी.

मेरा वो सीन देखकर ही लंड खड़ा हो गया. मैने फिर वो ही किया जो मैने सोचा था ओर मई च्छुतटी मे सबसे पहले बस मे आकेर बैठ गया सबसे लास्ट वाली सीट पेर.

फिर जब बस पूरी भर गयइ तब रश्मि बस मे चढ़ि मैने उसको अपने पास बुला लिया. पूरी बस को टा था के रश्मि मे मूह बोली बहें है. तो कोई मुझपेर शक़ भी नि कर सकता था.

फिर वो फाइनली मेरे पास आगयइ किसी के उपर नीचे चढ़ती हुई. लेकिन सीट पूरी तरह से भर चुकी थी. तो मैने उसको बोला के “तू मेरी सीट पेर आजा मई खड़ा हो जौंगा” (आस पास के लोगो को दिखाने के लिए).

खैर वो मेरे आयेज आकेर खड़ी हो गयइ अब लेकिन मुझसे बाहर नि निकला जेया रहा था. तो रश्मि ही बोल पड़ी “मई तेरी गोद मे ही बैठ जौंगी”.

किसी को टा भी नि चला ओर ना शक़ हुआ फिर मैने उसके टाँगो के नीचे जो स्कर्ट दबी हुई थी वो निकाल कर पीछे कर दी ओर अपनी पंत की चैन खोलकर अपना लंड निकाल लिया.

इतने रश्मि तोड़ा उठा पटक करने लगी. बराबर मे बैठे हुए लोगो को भी शक़ नही हुआ. फिर बस लंड घुसाने के लिए कुछ करना था.

क्यूकी वो मेरे लंड के उपर ही बैठी थी. उसकी छूट मे अड्जस्ट करके मुझे लंड अंदर डालना था.

क्या मई आज रश्मि की छूट मे अपना लंड डाल पाया?? क्या रश्मि मुझसे खुश हो पाई??

इन सवालो के जवाब मिल जाएँगे आपको अगली स्टोरी मे तब तक के लिए.. धन्यवाद.!!