रंडी सौतेली मा का घटिया-पॅन

ही फ्रेंड्स, मेरा नाम विक्रम है. मैं झारखंड के राँची का रहने वाला हू. मेरी उमर 22 साल है, और मैं कॉलेज में 3र्ड एअर में पढ़ता हू. हाइट मेरी 5’9″ है, और लंड मेरा 6.5 इंच का है. ये कहानी मेरी और मेरी सेक्सी सौतेली मा की है. तो चलिए अब बिना देर किए कहानी की शुरुआत करते है.

ये बात 2 साल पहले शुरू हुई, जब मेरे घर में 3 मेंबर्ज़ थे. उनमे से एक मैं था, दूसरे मेरे पापा, और तीसरी मेरी मा. 2 साल पहले मेरी मा की कॅन्सर से डेत हो गयी, जिसकी वजह से पापा अकेले पद गये. उन्होने ऑफीस जाना भी बंद कर दिया. वैसे मैं बता डू, की हमारा अछा-ख़ासा कारोबार है. हम क्रोरेपति है.

जब पापा ने ऑफीस जाना बंद कर दिया, तो घर के बडो को चिंता होने लगी. फिर रिश्तेदारो ने मिल कर पापा को दूसरी शादी के लिए कन्विन्स किया. मुझे भी पापा की दूसरी शादी से दिक्कत नही थी. मुझे तो सिर्फ़ उनकी खुशी से मतलब था, तो मैने भी हामी भर दी. पापा की आगे उस वक़्त 50 साल थी.

उनकी शादी के लिए रिश्तेदारो ने एक 35 साल की लेडी को सेलेक्ट किया. वो भी एक विडो थी, और आचे घर से थी. वो बहुत सेक्सी थी, और 30 से कम की लगती थी. उसका नाम रीना था. उसकी हाइट 5’6″ थी, और रंग गोरा था. फिगर साइज़ उसका 36-30-38 था, और जिस तरह के कपड़े वो पहनती थी, उससे किसी का भी लंड खड़ा हो सकता था.

पापा को भी वो पसंद आ गयी, और दोनो की शादी हो गयी. मैं उन्हे आंटी ही बुलाता था. पापा बहुत खुश थे. शायद इतना अछा माल मिला था उनको इसलिए उनके मज़े ही मज़े थे. फिर ऐसे ही तोड़ा टाइम बीट गया.

रीना पूरी मॉडेल बन कर रहती थी, और खूब पैसे उड़ाती थी. पापा भी उसकी खूबसूरती के पीछे पागल थे, तो उसको कुछ नही कहते थे. वो जब जीन्स पहनती थी, तो उसकी गांद कमाल की लगती थी. और ब्रा हमेशा उसकी टाइट होती थी, जिसमे से उसके बड़े-बड़े बूब्स सॉफ दिखते थे. उसकी क्लीवेज का नज़ारा तो बड़ी आसानी से मिल जाता था. जब भी मैं उसको देखता था, तो मुझे मूठ मारनी पड़ती थी.

मेरी रीना से ज़्यादा बात नही होती थी, क्यूंकी मैं सुबा घर से निकला शाम को वापस आता था. लेकिन फिर एक दिन कुछ ऐसा हुआ, जिससे सब बदल गया. आइए मैं आपको बताता हू की क्या हुआ, और कैसे हुआ.

एक दिन मैं कॉलेज से वापस आ रहा था, तो मेरे दोस्त ने मुझसे माल में चलने को कहा. मुझे कुछ लेना तो नही था, लेकिन फिर भी मैं उसके साथ चला गया. हम लोग माल घूम रहे थे, की तभी मैने रीना को देखा. वो एक रेस्टोरेंट में किसी लड़के के साथ कॉफी पी रही थी. जिस तरह से वो दोनो हाथ पकड़ कर बैठे थे, मैं समझ गया की वो लड़का कों हो सकता था.

फिर मैं उनके पास वाली टेबल पर जाके बैठ गया. वाहा बैठ कर, और उनकी बातें सुन कर मुझे बिल्कुल यकीन हो गया की वो उनका बाय्फ्रेंड था.

वो लड़का रीना को बोल रहा था: जानू तुम कितनी देर बाद मिलती हो. पता है मैं कितना उदास हो जाता हू.

रीना: जानू तुम तो जानते ही हो मैने उस बुड्ढे से शादी उसके पैसों के लिए की थी. अगर उसको पता चल गया, तो हमारी ऐश बंद हो जाएगी. और मैं ये नही चाहती.

फिर जब ये सब सुन कर मैं वाहा से उठा, तो उसने मुझे देख लिया. वो घबरा गयी, लेकिन कुछ बोली नही. फिर मैं घर आ गया.

अब मैं पापा के आने का इंतेज़ार कर रहा था, की कब वो आए, और मैं रीना की करतूत बतौ. फिर शाम को पापा आए. जब मैं उनके सामने गया, तो उन्होने मुझे अचानक से थप्पड़ मार दिया. मैं हैरान हो गया. मैने उनसे पूछा-

मैं: क्या हुआ पापा?

पापा: तुझे नही पता क्या हुआ है?

मैं: नही पापा.

पापा: तूने अपनी मम्मी के बाग से पैसे निकाले है?

मैं: क्या! कों से पैसे?

तभी पीछे से रीना की आवाज़ आई: वही पैसे जो कल तक इस पर्स में थे. मैने तुम्हे पर्स लाने को कहा, और तुमने पर्स ही खाड़ी कर दिया.

मैं: नही पापा, ऐसा कुछ नही है. ये झूठ बोल रही है. मुझे नही पता ये किन पैसों की बात कर रही है. और इनका पर्स तो मैने कभी देखा भी नही.

रीना: देखो कितना झूठ बोल रहा है.

मैं: मैं सच बोल रहा हू पापा. ये मुझे फ़ससा रही है.

पापा: और उसको तुझे फ़ससा कर क्या मिलेगा?

मैं: पापा मैने आज इनको किसी लड़के के साथ देखा है माल में. वो लड़का इनका बाय्फ्रेंड है. ये बात मैं आपको बतौ, उससे पहले ही उन्होने ये तमाशा रच दिया. और इसने आप से सिर्फ़ पैसों के लिए शादी की है.

पापा ने मुझे फिरसे एक थप्पड़ जद्द दिया और बोले: ये सब कुछ इसी का तो है. ये चाहे तो माँग के ले सकती है. इसको धोखा देने की क्या ज़रूरत मुझे.

मैं: पापा आप मेरा यकीन करो.

पापा: चुप-छाप अपने रूम में जाओ.

मेरे पास कोई ज़रिया नही था, तो मैं अपने रूम में चला गया. मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था. लेकिन समझ में कुछ नही आ रहा था. फिर मैने सोचा अभी चुप रह का इंतेज़ार करने में ही मेरी भलाई थी. लेकिन मैं नही जानता था, की अब रीना मुझे तंग करने वाली थी.

उस दिन के बाद रीना मुझे जान-बूझ कर कोई ना कोई मुश्किल काम करने को कहती थी. वो बार-बार मुझे कोई ना कोई समान लाने को कह देती थी. मैं भी माना नही कर सकता था, क्यूंकी पापा की नज़रो में वो सती-सावित्री थी.

वो पापा को मेरे सामने किस करती थी, और फिर मेरी तरफ देख कर मुझे आँख मार देती थी, और किस का इशारा करती थी. वो जान-बूझ कर मेरे सामने अपनी जीभ अपने होंठो पर कामुक तरीके से फेर कर मुझे चिढ़ती थी. डिन्नर टेबल पर वो मुझे झुक कर अपनी क्लीवेज दिखती थी.

वो जिन हरकतों से मुझे टीज़ कर सकती थी, उन सारी हरकतों का इस्तेमाल कर रही थी. वो मुझे मेरे फ्र्िएंदा के पास नही जाने देती थी. अगर जाता था, तो पढ़ाई का नाम लेके पापा से गालियाँ डलवती थी. पापा तो उसके हुस्न के जादू में अंधे हो चुके थे. काफ़ी टाइम ऐसे ही चलता रहा.

वो कहते है ना की हर किसी का दिन आता है. ऐसा ही कुछ मेरे साथ भी हुआ. 6 महीने पहले पापा की आक्सिडेंट में डेत हो गयी. मैं बहुत दुखी था, और रीना दुखी होने का नाटक कर रही थी. फिर एक दिन पापा का लॉयर आया, और उसने विल पढ़ी. विल के अकॉरडिंग पापा अपनी सारी प्रॉपर्टी मेरे नाम कर चुके थे. ये सुन के मैं खुश हो गया, और रीना के होश उडद गये.

इसके आयेज क्या हुआ, वो आपको अगले पार्ट में पता चलेगा. अगर आपको कहानी पढ़ कर मज़ा आया हो, तो इसको अपने फ्रेंड्स के साथ ज़रूर शेर करे. कहानी पढ़ने के लिए धन्यवाद.